पुस्तक लेखक व मुख्य संपादक:
पद्म श्री प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल,
कंप्यूटर विज्ञान विभाग, आईआईटी कानपुर
लेखक परिचय:
प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल उत्तर प्रदेश के प्रयाग नगर के निवासी हैं। उन्होंने आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर विज्ञान में बीटेक तथा पीएचडी किया। संप्रति वे आईआईटी कानपुर में कंप्यूटर विज्ञान विभाग में प्रोफेसर हैं। वे विश्व प्रसिद्ध गणितज्ञ हैं। कोई संख्या रूढ़ (प्राइमल) है अथवा नहीं, यह सरलता से पता लगाने हेतु 2002 में उन्होंने अपने छात्रों के साथ ‘एकेएस प्राइमेलिटी टेस्ट’ बनाया। इसके लिए उन्हें गणित क्षेत्र के उच्चतम पुरस्कार मिले, यथा – ‘शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार’, ‘फल्करसन पुरस्कार’, ‘गॉडेल पुरस्कार’, व ‘इन्फ़ोसिस गणित पुरस्कार’। इसके अतिरिक्त उन्हें भारत व विश्व के अन्य अनेक सम्मान भी मिले। 2013 में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया। गत समय में वे आईआईटी कानपुर के उप-निदेशक तथा कार्यकारी निदेशक रह चुके हैं।
समीक्षा लेखक:
डॉ. नीरज कुमार
पीएचडी, इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग, आईआईटी कानपुर
गुणवत्ता विश्लेषक, बेस्ट-बाई, सिएटल, अमेरिका
https://www.youtube.com/c/neekum

डॉ. नीरज कुमार
पीएचडी, इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग, आईआईटी कानपुर
समीक्षक परिचय:
डॉ. नीरज कुमार उत्तर प्रदेश के उरई नगर के निवासी हैं। उन्होंने अनेक आईआईटियों से अनेक विषयों में अध्ययन किया। गत 22 वर्षों में उन्होंने भारत व अमेरिका में अनेक बहुराष्ट्रीय उद्यमों में कार्य किया है, यथा – जनरल इलेक्ट्रिक व अमेज़ॉन। संप्रति वे अमेरिका के सिएटल नगर में बेस्ट-बाई में गुणवत्ता विश्लेषक हैं। आपको भाषा व मनोविज्ञान में विशेष रुचि है। समाज के असफल जनों हेतु वे टी-एल-टी (द लूज़र्स टूलकिट) का निर्माण कर रहे हैं, जिससे
सभी को स्वरक्षा, पुनर्चलन, व उन्नति में सहायता मिलेगी। उनका जीवन लक्ष्य है – सनातन धर्म के आधार पर एक लाइफ़ मॉडल बनाना, जिसमें जीवन की सभी शंकाओं का समाधान मिल सके।
पुस्तक परिचय
पुस्तक सारांश
गत 11 अक्टूबर को लखनऊ के लोक भवन में, एक भव्य कार्यक्रम में, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, श्री आदित्य नाथ योगी ने यूपी के कोविड-रोधी कार्यों पर एक पुस्तक का विमोचन किया। पुस्तक का शीर्षक है – “कोविड संग्राम, यूपी मॉडल: नीति, युक्ति, परिणाम”।
कोविड की दूसरी लहर भारत में मार्च 2021 में आई, और शीघ्र ही सभी प्रांतों में फैल गई। हर प्रांत ने कोविड का सामना अन्यान्य प्रकार से किया। इस पुस्तक में उत्तर प्रदेश द्वारा लागू विविध रणनीतियों के प्रभाव का विश्लेषण है। इस विश्लेषण में ‘सूत्र’ नामक गणितीय मॉडल का प्रयोग किया गया। पुस्तक का निष्कर्ष है कि महामारी की भीषणता व संसाधनों की कमी के बावजूद रोग के नियंत्रण व आर्थिक प्रगति में यूपी सरकार ने उत्तम कार्य किया। रोग को खोजने व पकड़ने हेतु उन्होंने एक आखेटक रणनीति बनाई: 4-T Approach (TTTT = Test, Track, Treat, Tackle) अथवा चतुरंग नीति (परीक्षण, निगरानी, उपचार, निपटान)। उन्होंने सही समय पर इस नीति को लागू किया। यह नीति अतीव प्रभावी रही। दूसरी लहर में, यूपी में, रोगी संख्या मॉडल द्वारा अपेक्षित संख्या से आधी रही।
सरकार को ज्ञात था कि गति-बंध (लॉक-डाउन) से अर्थ-तंत्र रुक जाएगा। अतः उपयुक्त प्रतिबंधों के साथ उन्होंने व्यापार चालू रखा। अन्य प्रदेशों से लौटती विशाल श्रमिक संख्या हेतु उन्होंने विशेष प्रबंध किए यथा – यातायात, भोजन, परीक्षण, धन, एवं आजीविका। कौशल सर्वेक्षण (skill-mapping) एवं मनरेगा योजना से उन्होंने सबको आजीविका उपलब्ध कराई। कोरोना काल में यूपी का वृत्तिहीन (बेरोज़गार) प्रतिशत घट कर आधा हो गया (9% से 4%), जो देश का भी आधा है।
परंतु पुस्तक की महत्ता यह नहीं कि यह यूपी सरकार के प्रयासों की सफलता बताती है। पुस्तक की महत्ता यह है कि इसमें एक नवीन भीषण समस्या से निपटने हेतु जन व प्रशासन के सहयोग की जीवंत कथा है। एक ही साथ जीवन को चलाना व रोग को रोकना उत्तर प्रदेश जैसे विशाल, जनावृत, तथा साधन-सीम प्रदेश में एक दुसाध्य कार्य था। लेखक का कहना है कि कई मोर्चों वाले इस संग्राम हेतु प्रदेश ने बहु-बाण (multi-pronged) अस्त्र बनाया – यूपी मॉडल, जिसने बखूबी अपना काम किया। उत्तर प्रदेश के कोविड संघर्ष में जिनको रुचि हो, उनके लिए इस पुस्तक में सब कुछ उपलब्ध है – विविध डेटा, सटीक अनुमान, तथा प्रभावी सुझाव।
सूत्र मॉडल निर्माण
कोरोना एक विकट वायरस था, अतः इसके विश्लेषण में पूर्ववर्ती मॉडलों को पर्याप्त सफलता नहीं मिली। भारत में कोरोना के अध्ययन हेतु कई वैज्ञानिकों ने मिलकर एक टीम बनाई, जिसमें प्रमुख थे – आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल, आईडीएस दिल्ली की जनरल एम कानितकर, तथा आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर एम विद्यासागर।
का उपयोग कर टीम ने सूत्र मॉडल बनाया। SUTRA: Susceptible, Undetected, Tested, and Removed Approach (निर्बल, अज्ञात, परीक्षित, एवं पृथक विधि)। संक्षेप में, उन्होंने एक अबूझ गतिविधि को मापने हेतु एक सूत्र बना दिया। चिकित्सा सर्वेक्षण व दैनिक सूचना के आधार पर मॉडल बताता है कि रोग कब, कहाँ, कितना फैलेगा। अपने कारकों के मूल्य बदल कर मॉडल विविध स्थितियों में रोग-प्रसार की गणना करता है, तथा देशों-प्रदेशों की तुलना कर सकता है।
कोविड संग्राम, यूपी मॉडल
यूपी मॉडल के लक्ष्य अत्यंत स्पष्ट थे – मृत्यु में कमी, संक्रमण पर रोक, श्रमिकों की सहायता, और व्यापार चालू रखना।
कार्य एवं परिणाम
आरोग्य तंत्र
पुस्तक प्रचुर आँकड़ों के साथ विस्तारपूर्वक यह बताती है कि प्रदेश सरकार ने चिकित्सा तंत्र की क्षमता इस स्तर तक बढ़वाई कि प्रदेश में कहीं भी कोरोना का तुरंत परीक्षण व उपचार किया जा सके। अस्पतालों में शैया उपलब्धि में वृद्धि की गई – कुल शैया 79 हजार, आई सी यू शैया 15 हजार। ऑक्सीजन की आपूर्ति हेतु सरकार ने अनेक कार्य किए, यथा – 400 संयंत्र लगाए, खाली टैंकर वायु से भेजे, भरे टैंकर विशेष ट्रेनों से भेजे, ऑक्सीजन का अपव्यय रोका, आदि। इससे ऑक्सीजन की आपूर्ति दो सप्ताह में ही ढाई गुना बढ़ गई – लगभग 400 टन से 1,000 टन।
कोरोना अवधि में कुल 6.6 करोड़ रोग परीक्षण हुए, 33 लाख प्रतिरोधी किटों का वितरण हुआ, एवं 4.8 करोड़ जनों को टीका लगा (देश में सर्वाधिक)।
अपने 38 हजार चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा व प्रोत्साहन हेतु सरकार ने अनेक उपाय किए, यथा – आवश्यक उपकरण, सघन प्रशिक्षण, अतिरिक्त वेतन, बीमा, आदि। लेखक का मानना है कि इन सभी कार्यों का परिणाम उत्तम रहा। जनसंख्या के अनुपात में कोरोना रोगी एवं मृतक संख्या उत्तर प्रदेश में अन्य राज्यों की तुलना में बहुत कम रही।
श्रमिक तथा वंचित वर्ग जीविका
यूपी के लगभग 40 लाख श्रमिक अन्य राज्यों से घर लौटे। इनके लिए सरकार ने अनेक विशेष प्रबंध किए, यथा – बस-ट्रेन व्यवस्था, निशुल्क रोग परीक्षण, निशुल्क भोजन, धन वितरण, आदि। कुल 39 टन खाद्यान्न का वितरण किया गया, तथा 3.6 करोड़ परिवारों हेतु निशुल्क राशन अभी भी जारी है।
इसके अतिरिक्त सरकार ने सभी श्रमिकों का कौशल सर्वेक्षण किया, तदनुसार गृह-स्थान में आजीविका की व्यवस्था की। विश्लेषण टीम के अनुसार इसके परिणाम चमत्कारिक हुए। कोरोना के पूर्व यूपी का वृत्तिहीन प्रतिशत था – 10.1%, देश के औसत 8.8% से अधिक। जून 2021 तक यह प्रतिशत घट कर आधा रह गया – 4.3%, जो कि राष्ट्रीय औसत (9.2%) का भी आधा था!
आर्थिक प्रगति
प्रथम गति-बंध (लॉक-डाउन) से सरकार ने शिक्षा ली, कि उद्योग-व्यापार पर किसी भी रोक से सर्वाधिक अनिष्ट समाज के वंचित वर्ग का होगा। अतः सरकार ने सभी आर्थिक कार्यों को चालू रखा। उदाहरणतः, कोरोना काल में उत्तर प्रदेश में 2.7 लाख नवीन उद्यमों हेतु अनापत्ति पत्र दिए गए।
वैज्ञानिक समीक्षा
सूत्र मॉडल की सहायता से प्रोफेसर अग्रवाल की टीम कोविड प्रसार का विश्वव्यापी अध्ययन कर रही थी, तभी दूसरी लहर भारत व यूपी आ गयी। प्रचुर व तात्कालिक डेटा से मॉडल की क्षमता जाँचने का यह स्वर्णिम अवसर था। सघन विश्लेषण हेतु टीम ने प्रशासन व अन्य स्रोतों से डेटा प्राप्त किया। उनके विश्लेषण का निष्कर्ष था कि दूसरी लहर में, यूपी में, रोगी संख्या मॉडल की गणना से आधी रही। अर्थात् यदि सरकार उचित समय पर व्यापक प्रयास नहीं करती, तो कोरोना रोगी तथा मृतक संख्या दुगुनी होती। टीम का मानना है कि यह यूपी मॉडल की सफलता का सबसे बड़ा प्रमाण है। अध्ययन टीम ने यूपी मॉडल के सभी कार्यों की समीक्षा की। उनका निष्कर्ष है कि यूपी मॉडल अपने सभी उद्देश्यों में सफल रहा। मॉडल की सर्वोच्च उपलब्धि यह है कि यूपी की बेरोजगारी दर 9% से घटकर आधी रह गयी – लगभग 4%।
पुस्तक के लेखन, संपादन, चित्रण, व अनुवाद में अनेक लोगों ने सहयोग किया, जिनमें से प्रमुख निम्नांकित हैं – ट्रिपलआईटीए प्रयागराज के प्रोफेसर नीतेश पुरोहित, आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर दीपू फिलिप, डॉ. तनिमा हजरा, व डॉ. सुरत्ना दास, बी एच यू, वाराणसी के प्रो. मनीष अरोड़ा व श्री राहुल कुमार शॉ, लखनऊ के श्री हर्ष, तथा अमेरिका वासी डॉ. नीरज कुमार।