दुनिया, जिन्हें महान बनाकर पेश करती है अक्सर, उतने महान होते नहीं वे लोग! उनकी महानता थोपी हुई महानता होती है! उनके शैतानी कामों को दबाने के लिए लिख दी जाती हैं उनकी बड़ाई में चंद किताबें और फिर शुरू हो जाता है उनके गुणगान का सिलसिला!हमारे भारतवर्ष में इसी तरह का गुणगान एक शैतान का किया गया है, लेकिन हम सच्चे इतिहास के प्रेमी इसे भला कैसे सहन कर सकते हैं!
तो आइए उस धूर्त, पापी, जिहादी, बलात्कारी, क्रूर और शैतान #अकबर की पोल खोलते हैं!
6 नवम्बर 1556 को 14 साल की आयु में ही अकबर ‘महान’ पानीपत की दूसरी लड़ाई में भाग ले रहा था! हिंदू राजा हेमू की सेना मुग़ल सेना को खदेड़ रही थी कि तभी अचानक हेमू की आँख में तीर लगा और वह बेहोश हो गया! उसे मरा सोचकर उसकी सेना में भगदड़ मच गयी!
तब हेमू को बेहोशी की हालत में “अकबर महान” के सामने लाया गया और इसने बड़ी ‘बहादुरी से’ राजा हेमू का सिर काट लिया और तब इसे “गाजी” के खिताब से नवाजा गया! (गाजी की पदवी इस्लाम में उसे मिलती है जिसने किसी काफिर को कतल किया हो ऐसे गाजी को जन्नत नसीब होती है और वहाँ सबसे सुन्दर हूरें इनके लिए आरक्षित होती हैं!)
हेमू के सिर को काबुल भिजा दिया गया एवं उसके धड को दिल्ली के दरवाजे से लटका दिया गया ताकि नए आतंकवादी बादशाह की रहमदिली सब को पता चल सके!और इतिहास हत्याकार उसे आजाद भारत में भी महान बता सके..!!
इसके तुरंत बाद जब अकबर महान की सेना दिल्ली आई तो कटे हुए काफिरों के सिरों से मीनार बनायी गयी, जो जीत के जश्न का प्रतीक है और यह तरीका अकबर महान के पूर्वजों से ही चला आ रहा था!
हेमू के बूढ़े पिता को भी “अकबर महान” ने कटवा डाला और औरतों को उनकी सही जगह यानी “शाही हरम” में भिजवा दिया गया!
अबुल फजल “अकबरनामा” में लिखता है कि खान जमन के विद्रोह को दबाने के लिए उसके साथी मोहम्मद मिराक को हथकडियां लगा कर हाथी के सामने छोड़ दिया गया! हाथी ने उसे सूंड से उठाकर फैंक दिया! ऐसा पांच दिनों तक चला और उसके बाद उसको मार डाला गया!
चित्तौड़ पर कब्ज़ा करने के बाद अकबर महान ने तीस हजार नागरिकों का क़त्ल करवाया, जिसमे सभी हिंदू थे!
अकबर ने मुजफ्फर शाह को हाथी से कुचलवाया, हमजबान की जबान ही कटवा डाली! मसूद हुसैन मिर्ज़ा की आँखें सीकर बंद कर दी गयीं! उसके 300 साथी उसके सामने लाये गए और उनके चेहरे पर गधों, भेड़ों और कुत्तों की खालें डाल कर काट डाला गया!
विन्सेंट स्मिथ ने यह लिखा है कि “अकबर महान” फांसी देना, सिर कटवाना, शरीर के अंग कटवाना, आदि सजाएं भी देते थे!
2 सितम्बर 1573 के दिन अहमदाबाद में उसने 2000 दुश्मनों के सिर काटकर अब तक की सबसे ऊंची सिरों की मीनार बनायी! वैसे इसके पहले सबसे ऊंची मीनार बनाने का सौभाग्य भी “अकबर महान” के दादा “बाबर” का ही था! यानी कीर्तिमान घर का घर में ही रहा!
अकबरनामा के अनुसार जब बंगाल का दाउद खान हारा, तो कटे सिरों के आठ मीनार बनाए गए थे!यह फिर से एक नया कीर्तिमान थाआ!
जब दाउद खान ने मरते समय पानी माँगा तो उसे जूतों में पानी पीने को दिया गया!
थानेश्वर में दो संप्रदायों कुरु और पुरी के बीच पूजा की जगह को लेकर विवाद चल रहा था! अकबर ने आदेश दिया कि दोनों आपस में लड़ें और जीतने वाला जगह पर कब्ज़ा कर ले! उन मूर्ख आत्मघाती लोगों ने आपस में ही अस्त्र शस्त्रों से लड़ाई शुरू कर दी! जब पुरी पक्ष जीतने लगा तो अकबर ने अपने सैनकों को कुरु पक्ष की तरफ से लड़ने का आदेश दिया और अंत में इसने दोनों तरफ के लोगों को ही अपने सैनिकों से मरवा डाला और फिर अकबर महान जोर से हंसा!
हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर की नीति यही थी कि राजपूत ही राजपूतों के विरोध में लड़ें!
बादायुनी ने अकबर के सेनापति से बीच युद्ध में पूछा कि प्रताप के राजपूतों को हमारी तरफ से लड़ रहे राजपूतों से कैसे अलग पहचानेंगे?
तब उसने कहा कि…. इसकी जरूरत ही नहीं है क्योंकि किसी भी हालत में मरेंगे तो राजपूत ही और फायदा इस्लाम का होगा!
कर्नल टोड लिखते हैं कि अकबर ने एकलिंग की मूर्ति तोड़ी और उस स्थान पर नमाज पढ़ी!
एक बार अकबर शाम के समय जल्दी सोकर उठ गया तो उसने देखा कि एक नौकर उसके बिस्तर के पास सो रहा है. इससे उसको इतना गुस्सा आया कि नौकर को इस बात के लिए एक मीनार से नीचे फिंकवा दिया!