अमेरिका जहाँ एक तरफ खुद को बढ़ा आधुनिक , लोकतान्त्रिक ,धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में बताता है और भारत को भी हमेशा इस पर फालतू का ज्ञान देता रहता है |
लेकिन आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि अमेरिका में भी धार्मिक कट्टरता बहुत ज्यादा है | पिछले दिनों अमेरिका के नए राष्ट्रपति जोए बिडेन का शपथ ग्रहण समारोह हुआ था जिसका प्रसारण पूरी दुनिया ने देखा था |
उसमे जोए बिडेन ने बाइबिल पर हाथ रखकर शपथ ली थी राष्ट्रपति पद के लिए जो कि चर्चा का विषय बन गया |
जोए बिडेन की यह बाइबिल 128 साल पुरानी है उनके बेटे ने भी अटॉर्नी जनरल के पद के समय इस बाइबिल पर हाथ रखा था | अब आप समझ सकते है कि धर्म के प्रति कितने कट्टर है जोए बिडेन
अब आप यही कहेंगे कि यह उनका आतंरिक मामला है उनकी आस्था का विषय है हमें इससे क्या ?
अब कल्पना कीजिए कि भारत में प्रधानमंत्री पद के समय अगर शपथ भगवद गीता पर हाथ रखकर ली गई होती तो क्या हंगामा होता ?
लोग यह बोलते कि देश का संविधान खतरे में है, देश में लोकतंत्र खतरे में है देश में सांप्रदायिक शक्तियां अपने पैर पसार रही है
लेकिन अमेरिका में ऐसा कुछ नहीं हुआ अमेरिकी मीडिया ने भी इस पर कुछ बहस नहीं की और न किसी को यह गलत लगा लेकिन अगर यही भारत में होता तो अब तक देश का दलाल मीडिया चिल्ला रहा होता |
अमेरिका की एक खोखली प्रथा का पर्दाफाश करते है राष्ट्रपति पद की शपथ से पहले एक धार्मिक कार्यक्रम किया जाता है जिसमे धार्मिक गुरु आशीर्वाद देते है नए राष्ट्रपति को और उनके पूर्वजो से उनके लिए प्रार्थना करते है , अब अगर भारत में किसी नेता ने ऐसी पूजा की होती अपने पूर्वजो के लिए तो अब तक उसको पिछड़ा हुआ नेता बोल दिया जाता |
जोए बिडेन एक कट्टर कैथोलिक है और अमेरिका के संविधान में ऐसा कही भी नहीं लिखा है कि बाइबिल पर हाथ रखकर शपथ ली जाती है |
यह आपको इसलिए बताया जा रहा है कि इसी अमेरिका देश की निति शुरू से भारत विरोधी रही है और हिन्दू धर्म का मजाक बनाना इनका मुख्य उद्देश्य रहा है |
अब आप यदि यह सोचते है की अमेरिका बहुत ही आधुनिक देश है और हमारा देश भारत बहुत ही पिछड़ा हुआ है तो आप अपनी सोच बदल लीजिए |
भारत बहुत ही समृद्ध, शक्तिशाली ,धार्मिक रूप से ऊंची सोच वाला देश है यह अमेरिका जैसा धूर्त और पाखंडी नहीं है |