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“दिल्ली और देश का गुनहगार केजरीवाल”

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार विरोध, सुशासन, ईमानदारी, व्यवस्था परिवर्तन, अलग तरह की राजनीति, सरकारी सुख सुविधाएं, सुरक्षा व्यवस्था ना लेने जैसे खोखले वादों के सहारे अपनी पहचान बनाई और दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ हो गए।



सत्ता में आते ही केजरीवाल ने सबसे पहले अपने इन्हीं तथाकथित आदर्शों को तिलांजलि देने में ज़रा भी देरी नहीं की और जिन नेताओं, राजनीतिक दलों पर उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए उन्हीं के साथ गलबहियां करने लगे। लेकिन दो चीज़ें केजरीवाल ने बहुत ही चतुराई से की, पहली थी मीडिया में जमकर पब्लिसिटी और दिल्ली की जनता को मुफ्त का लालच।



मीडिया की ही सवारी करके केजरीवाल सत्ता की कुर्सी तक पहुँचे थे, इसीलिए केजरीवाल ने मीडिया को मनमाने ढंग से विज्ञापन दिए, प्रायोजित इंटरव्यू करवाये। यही वजह है कि मीडिया केजरीवाल की छोटी से छोटी खबर दिखाता है लेकिन बड़े मुद्दों पर चुप्पी साध लेता है।



देश में सबसे पहली बार ईवीएम पर सवालिया निशान लगाने वाले केजरीवाल ही थे, सन 2016 में पाकिस्तान में भारत द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक की गई तब भी उस स्ट्राइक पर, सेना पर और केंद्र सरकार पर सवालिया निशान लगाने वाले अरविंद केजरीवाल ही थे।



पिछले वर्ष जब देश में पहली बार लॉक डाउन लगा तब भी अरविंद केजरीवाल ने अपनी घटिया राजनीति का परिचय देते हुए लाखों मजदूरों की दिल्ली की सड़कों पर आने, अपने घर पैदल जाने को मजबूर कर दिया था। दिल्ली के बाद ही पूरे देश भर से मजदूरों का पलायन शुरू हुआ था और इस पर भी संपूर्ण विपक्ष ने राजनीति के निम्नतम स्तर को छूने में कोई कमी नहीं रखी थी।



पिछले वर्ष के लॉक डाउन में अरविंद केजरीवाल ने रोज़ाना 15 लाख लोगों को खाना खिलाये जाने का दावा किया परंतु इतने लोगों का खाना कहाँ बना, कब वितरित हुआ ये आजतक किसी ने नहीं देखा और मीडिया को मैनेज कर चुके केजरीवाल पर किसी तरह के कोई सवाल मीडिया ने उठाना ही नहीं था सो उसने आँखों पर पट्टी बाँध ली।



इस वर्ष जब कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दी तब केजरीवाल ने एक बार फिर अपनी कुटिल चालें चलना शुरू कर दीं। केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेताओं, मंत्रियों ने ऑक्सीजन की कमी का रोना शुरू कर दिया और आये दिन उनकी ऑक्सीजन की माँग के आँकड़ें बदलने लगे और झूठ पर झूठ सामने आने लगे।



लेकिन केजरीवाल और उनके साथी बड़ी ही बेशर्मी के साथ सारा दोष केंद्र सरकार पर मढ़ते रहे, अपनी नाकामी, बदइंतजामी पर बोलने की बजाय रात दिन केंद्र सरकार पर आरोप लगाने लगे। मीडिया भी केजरीवाल की हर माँग को बार बार दिखाता रहा। जहाँ देश के तमाम मुख्यमंत्री अपने अपने राज्यों की जनता को बचाने में जी जान से जुटे थे तब ना केवल केजरीवाल बल्कि विपक्षी दलों के कई मुख्यमंत्री भी लापरवाही और बदइंतजामी का घिनौना खेल खेलने में जुटे थे।



अपने भाषणों, टीवी पर छाती फाड़कर जो नेता जनता की दुहाई देते थे वही नेता देश की मासूम जनता की सुनियोजित तरीके से हत्या करने में जुटे हुए थे।



अरविंद केजरीवाल इन सबसे भी चार कदम आगे ही निकले उन्होंने ऑक्सीजन की कृत्रिम कमी का रोना शुरू किया। उनके द्वारा रोज़ जब ऑक्सीजन की कमी बताई जाने लगी और मौतों का आँकड़ा बढ़ने लगा तो केंद्र सरकार ने दिल्ली की आपूर्ति करने में ज़्यादा संसाधन झोंक दिये, इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को फटकार लगानी शुरू कर दी।



दिल्ली सरकार की इस सुरसा के मुँह की तरह बढ़ती जा रही माँग से जब केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट को शंका हुई तो ऑक्सीजन की निगरानी के लिए एक ऑडिट पैनल का गठन किया गया।



अभी हाल ही में जब ऑडिट पैनल की रिपोर्ट सामने आई तो उसमें चौंकाने वाले खुलासे सामने आये। दिल्ली को असल में मात्र 289 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की ही आवश्यकता थी परंतु केजरीवाल सरकार ने 1140 मीट्रिक टन की आवश्यकता बताई जो कि आवश्यकता से लगभग चार गुना अधिक थी।



जब दिल्ली में 60000 के लगभग मरीज थे तब केजरीवाल 1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन ले रहे थे जबकि उसी समय देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तरप्रदेश में 2 लाख 60 हज़ार से अधिक केस होने के बावजूद मात्र 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन ही उपयोग की जा रही थी।



जब इतना बड़ा मामला सामने आया तो दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया बड़ी ही बेशर्मी के साथ सफाई देने आ गए और इस रिपोर्ट को ही सिरे से नकार गए। दूसरों पर बिना किसी प्रमाण के आरोप लगाने वाले, उन्हें बदनाम करने वाले आम आदमी पार्टी के तमाम नेता अपने ऊपर लगे मय प्रमाण आरोपों पर भी बेशर्मी दिखाने लगे।



केजरीवाल की इस घटिया हरकत के कारण देश के कई राज्यों को उनकी आवश्यकता के अनुसार ऑक्सीजन नहीं मिल सकी और अनेक निर्दोष नागरिकों को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा। कई बच्चे अनाथ हो गए, किसी ने अपने माता पिता, पति, पत्नी, भाई बहन, दोस्त, रिश्तेदार को खो दिया लेकिन इन बेशर्मों को किसी से कोई मतलब नहीं था। इनका केवल एक ही मकसद था कैसे भी करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम किया जाए, उनकी छवि खराब की जाए।



जब देश की मासूम जनता की साँसें उखड़ रही थी, वो अस्पतालों, सड़कों पर दम तोड़ रही थी तब देश के ये हत्यारे नेता उन उखड़ती साँसों पर अट्टहास लगा रहे थे।



दिल्ली के मुफ्त बिजली, पानी की कीमत दिल्ली और देश की कीमत देश और दिल्ली की जनता ने अपने प्राणों की बलि देकर चुकाई है।



देश में अनेक दल और नेता हुए लेकिन जिस तरह के रंग केजरीवाल ने बदले और राजनीति का जो घिनौना रूप देश को दिखाया ये इतिहास में याद रखा जाएगा। केजरीवाल उस नाले के कीड़े के समान हैं जिसने अपनी सड़ांध से देश की राजनीति को बहुत ज़्यादा बदबूदार बना दिया है।


देश की जनता ने केजरीवाल को शून्य से शिखर तक पहुँचते देखा है। हमारे देश का लचर कानून तो कभी केजरीवाल को उनके किये की सज़ा नहीं दे पाएगा परंतु ईश्वर के न्यायालय से केजरीवाल को अवश्य दंड मिलेगा और किसी दिन केजरीवाल का वो हश्र भी देश देखेगा। इस गुनाह का भागीदार देश का मीडिया भी है जो चंद पैसों के टुकड़ों के लिए अपनी असली ज़िम्मेदारियों को भुला बैठा है और केजरीवाल जैसे नेताओं के इशारों की कठपुतली बना बैठा है।



लोग बेईमानी का धंधा ईमानदारी के साथ करते हैं लेकिन केजरीवाल ने “ईमानदारी का धंधा” बड़ी ही बेईमानी के साथ किया है।



नियति एक दिन हिसाब ज़रूर करेगी।

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