हम भारतीय लोगों को अक्सर भूल जाने की बीमारी लग गई है, हम लोग बहुत जल्दी भूल जाते है इतिहास की घटनाओं के बारे में और इसी बीमारी का फायदा कई देश द्रोही ताकते उठाती है।
आज से एक साल पहले इसी दिन सीएए के विरोध दिल्ली में दंगे हुऐ थे और वो भी तब जब अमेरिका के राष्ट्रपति भारत दौरे पर थे ।
ये दंगा समान नागरिकता कानून के विरोध में हुआ था, लेकिन इन दंगों की पटकथा बहुत पहले ही लिखी जा चुकी थी।
इसका मुख्य आरोपी ताहिर हुसैन जो कि आम आदमी पार्टी का सदस्य था उसने इसके लिए तैयारी कर ली थीं ।
और इस ताहिर हुसैन ने बाकायदा दंगे के लिए लोगो को इकट्ठा किया और अपनी राजनीति रसूख का प्रभाव रखते हुए पेट्रोल के टैंकर इकट्ठा किए ।
ताहिर हुसैन का एक ही लक्ष्य था और वो की उसे हिन्दुओं को सबक सिखाना था।
इन दंगों के पीछे की मानसिकता क्या थी इसे समझाते है, दिल्ली दंगों के बाद से जिहादियों का गज़वा ए हिन्द का सपना साफ साफ दिखने लगा, हिन्दुओं को यही लगता था कि उनकी रक्षा के लिए सरकार है,पुलिस और प्रशासन है ,लेकिन ऐसा कुछ नहीं है ।
इन दंगों को एक प्रयोग के तौर पर किया गया था और वो यह था जिहादी अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे थे वो ये बता रहे थे कि आज भले ही उनकी आबादी कम है लेकिन कल को यदि उनकी आबादी बढ़ती है तो वो किस तरह का उत्पात मचाएंगे।
लेकीन इससे हिन्दुओं ने क्या सबक लिया ?
क्या हिन्दुओं के अंदर से सेक्यूलर प्रेम छूटा ?
क्या हिन्दुओं ने इसके बाद कभी सोचा कि उन्हें क्या करना चाहिए और किस तरह का दवाब बनाना चाहिए ?
नहीं, हिन्दुओं के अन्दर शायद थोड़ा बहुत परिवर्तन हुआ हो लेकिन अभी भी जमीनी स्तर पर हिन्दुओं की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है,अभी भी कई हिन्दू कुंभकर्ण की तरह सो रहे हैं और उन्हें शायद याद भी नहीं होगा दिल्ली दंगों के बारे में ।
हिन्दुओं को अब खुद से प्रयास करना होगा और पूरी तरह से आर्थिक बहिष्कार करना होगा जिहादी लोगो का और खुद की रक्षा के लिए एकजुट होना पड़ेगा ।
दिल्ली दंगों से प्रेरित होकर कि देश द्रोही ताकतों ने यही प्रयोग किसान आंदोलन के नाम पर किया, किस तरह से दिल्ली में लाल किले पर शक्ति प्रदर्शन किया गया।
पूरा तरीका पिछले साल के दंगों की तरह किया गया था, बस आन्दोलन करने का नया मुद्दा मिल गया था देशद्रोही लोगो को।
इन हिंसक आंदोलन का मूल कारण यही है कि देश के लोकतंत्र को नष्ट करना और हिन्दू धर्म और हिन्दू सभ्यता को मिटा देना।
इन दोनों आंदोलनो मे विरोध के नाम पर हिन्दू धर्म, योग और चाय को लेकर कटाक्ष किया गया था।
अब आप सब समझ जाए कि देश द्रोही ताकतों को किस चीज से नफ़रत है?
उनको नफरत है श्री नरेन्द्र मोदी जी से,उनको नफ़रत है भारत देश के बढ़ते हुए मान से। भारत देश के बढ़ते हुए रुतबे से ।
इसलिए विश्वास रखिए और भरोसा रखिए देश में यह दौर कुछ समय के लिए है । जल्द ही इन सबका निपटारा किया जाएगा ।