दिलजले नाम के एक मूवी है उसमें जब हीरोइन सोनाली बेंद्रे की शादी होती है तो उसका पुराना आशिक अजय देवगन बम बारूद लेकर शादी रुकवा देता है और एक डायलॉग बोलता है “आग जो दिल में लगी जमाने में लगा दूंगा जो उठ गई तेरी डोली तो दुनिया जला दूंगा मैं”
बिल्कुल ऐसे ही सरफिरे आशिक की तरह इस समय राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे की हालत हो गई है.
एक तरफ राहुल गांधी हैं जिनकी पार्टी को सदैव सत्ता में रहने का सुख प्राप्त था अब मोदी जी के आने के वजह से वह सुख छिन गया इसीलिए एक दुखियारी सरफिरे आशिक की तरह वह सत्ता पाने के चक्कर में देश और यहां की सिस्टम को गाली दे रहे हैं.
तो दूसरी तरफ है उद्धव ठाकरे जिनको डेढ़ साल के बाद यह पता चला कि जिस कुर्सी पर और वह बैठे हैं दरअसल वह कुर्सी ही पावरफुल नहीं है उस पावरफुल कुर्सी का पावर तो शरद पवार इस्तेमाल कर रहे हैं,
तो बस अब क्या था उद्धव ठाकरे उसी कुर्सी को कुल्हाड़ी से तोड़ने में लग गए और अपने ही अलायंस पार्टनर की कमर तोड़ने में लग गए है , उन्हें चाहिए पूरी आजादी लेकिन शरद पवार जैसे नेता के रहते हुए वह कहां पॉसिबल है.
तो बस सरफिरे आशिक की तरह लेटर बम उठाकर अपने ही अलायंस पार्टनर और अपने ही मंत्रियों पर फेंक रहे हैं.
दूसरी तरफ शरद पवार भी सोच रहे होंगे कि एक अकलमंद दुश्मन पालना ठीक है परंतु मूर्ख मित्र (एलाइंस) होना बहुत आत्मघाती है.
खैर हमें क्या 2 मई के बाद जब बंगाल में ममता बनर्जी का खेला खत्म हो जाएगा
तो असली खेला महाराष्ट्र में खेला जाएगा