वर्ष १९६० तमे अभवत् सिंधु जल सन्ध्यां संशोधनाय भारतं पकिस्तानम् सूचनाम् प्रस्तुतवान् ! भारतस्य कथनमस्ति तत पकिस्तानस्य कार्यवहनानि संध्या: प्रावधानानां तस्य कार्यान्वयनस्य च् उल्लंघनम् कृतवान् ! अतएव तेन सूचना प्रस्तुतं कर्तुं अभवत् !
साल 1960 में हुई सिंधु जल संधि में संशोधन के लिए भारत ने पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है ! भारत का कहना है कि पाकिस्तान की कार्रवाइयों ने संधि के प्रावधानों और उनके कार्यान्वयन का उल्लंघन किया है ! इसलिए उसे नोटिस जारी करना पड़ा !
मीडिया सूचनापत्राणां अनुसारम्, सिंधु जल सन्धिम् गृहीत्वा भारत सर्वकारः पकिस्तानमिदं सूचना बुधवासरम् (२५ जनवरी २०२३) प्रेषितवान् ! यं सूचनाम् गृहीत्वा भारत सर्वकारस्य कथनमस्ति तत भारत पकिस्तानेण सहाभवत् जल सन्धिम् प्रारंभस्य समर्थक: धुर्धर सहाय्यक: च् रमति !
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सिंधु जल संधि को लेकर भारत सरकार ने पाकिस्तान को यह नोटिस बुधवार (25 जनवरी 2023) को भेजा है ! इस नोटिस को लेकर भारत सरकार का कहना है कि भारत पाकिस्तान के साथ हुई जल संधि को लागू करने का समर्थक और जिम्मेदार सहयोगी रहा है !
तु, पकिस्तानस्य क्रियारूपानि भारतं इदम् सूचना प्रेषणाय विवश: कृतवान् ! सूत्रै: कथ्यन्ते तत वर्ष २०१५ तमे पकिस्तानम् भारतस्य किशनगंगा रातले जलविद्युत च् परियोजनायो स्व तकनीकी आपत्तिनां अंवेषणाय एकस्य तटस्थ विशेषज्ञस्य नियुक्त्या: अनुरोधम् कृतवान् स्म् !
लेकिन, पाकिस्तान की गतिविधियों ने भारत को यह नोटिस भेजने के लिए मजबूर किया है ! सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि साल 2015 में पाकिस्तान ने भारत की किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनाओं (HEPs) पर अपनी तकनीकी आपत्तियों की जाँच के लिए एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति का अनुरोध किया था !
यद्यपि, अग्रिमेव वर्षे अर्थतः वर्ष २०१६ तमे पकिस्तानम् एकल कार्यवहनम् कृतन् यं अनुरोधम् पुनः नयवान् ! सहैव, अकथयत् तत एकं मध्यस्थ न्यायालयं तस्यापत्तिसु निर्णयम् शृणोतु !
हालाँकि, अगले ही साल यानी साल 2016 में पाकिस्तान ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए इस अनुरोध को वापस ले लिया ! साथ ही, कहा कि एक मध्यस्थ अदालत उसकी आपत्तियों पर फैसला सुनाए !
पकिस्तानस्य सततं कथने विश्व बैंक वर्तमानेव तटस्थ विशेषज्ञ: मध्यस्थ न्यायालयं च् द्वयो इव कार्यवहनमारंभ कृतमस्ति ! यद्यपि, एकमेव प्रकरणे यस्य प्रकारस्य द्वे प्रक्रिये सिन्धु जल सन्ध्या: कश्चितापि प्रावधाने नास्ति ! यस्य विरुद्धत्वेन परिणाम: संमुखमागतुं शक्नोन्ति !
पाकिस्तान के लगातार कहने पर विश्व बैंक ने हाल ही में तटस्थ विशेषज्ञ और मध्यस्थ न्यायालय दोनों पर ही कार्रवाई शुरू की है ! हालाँकि, एक ही मुद्दे पर इस तरह की दो प्रक्रियाएँ सिंधु जल संधि के किसी भी प्रावधान में नहीं है ! इसके विरोधाभासी परिणाम सामने आ सकते हैं !
सूत्राणां कथनमस्ति तत सिन्धु जल सन्धिम् गृहीत्वा भारतमेच्छति तत परस्पर वार्तालापेण प्रकरणस्य निष्कर्ष: निस्सरेत् ! तत्रैव, पकिस्तानं यस्मात् रक्षितुं रमति ! वर्ष २०१७ तमतः २०२२ तमेव स्थायी सिंधु आयोगस्य ५ गोष्ठ्यः अभवन् ! सर्वेषु गोष्ठिसु पकिस्तानम् यस्मिन् प्रकरणे चर्चा कृतेन न कृतवान् !
सूत्रों का कहना है कि सिंधु जल संधि को लेकर भारत चाहता है कि आपस में बातचीत से मामले का हल निकाला जाए ! वहीं, पाकिस्तान इससे बचता रहा है ! साल 2017 से 2022 तक स्थायी सिंधु आयोग की 5 बैठकें हुई हैं ! सभी बैठकों में पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर चर्चा करने से इनकार किया !
भारतं पकिस्तानमिदं सूचनापत्रम् सिंधु जल सन्ध्या: भौतिकोल्लंघनम् संशोधनाय ९० दिवसानां अभ्यांतरम् अंतर-सर्वकारी वार्तायां सम्मेलितुं अवसरम् दत्तुं कृतवान् ! येन प्रक्रियाया भारतं विगत ६२ वर्षेषु पकिस्तानस्य कृत्यै: ळब्ध शिक्षेण सह सिंधु जल संध्यां केचन अद्यतन कर्तुमेच्छति !
भारत ने पाकिस्तान को यह नोटिस सिंधु जल संधि के भौतिक उल्लंघन को सुधारने के लिए 90 दिनों के अंदर अंतर-सरकारी वार्ता में शामिल होने के लिए मौका देने के लिए किया है ! इस प्रक्रिया के जरिए भारत बीते 62 सालों में पाकिस्तान की हरकतों से मिली सीख के साथ सिंधु जल संधि में कुछ अपडेट कराना चाहता है !
ज्ञापयतु तत भारतं पकिस्तानम् १९ सितंबर १९६० तमम् सिंधु जल संध्यां हस्ताक्षरम् कृतवन्तौ स्म् ! अस्य संध्या: अनुसारम् सतलज, व्यास रावीनां च् जलम् भारतं दत्तवान् स्म् ! तत्रैव सिंधु, झेलम चिनाबानां च् जलम् पकिस्तानस्य अंशे गतवान् स्म् ! वृहत् वार्ता इदमस्ति ततास्मिन् संध्यां भारतस्य पकिस्तानस्य चतिरिक्तं विश्व बैंक इत्यापि एकः हस्ताक्षरकर्तासीत् !
बता दें कि भारत और पाकिस्तान ने 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे ! इस संधि के अनुसार सतलज, व्यास और रावी का पानी भारत को दिया गया था ! वहीं सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान के हिस्से में गया था ! बड़ी बात यह है कि इस संधि में भारत और पाकिस्तान के अलावा विश्व बैंक भी एक हस्ताक्षरकर्ता था !