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अंततः किमासीत् राजपूत सम्राट: पृथ्वीराज चौहान: ? कासीत् तस्य विशेषता: ? आखिर कौन थे राजपूत सम्राट पृथ्वीराज चौहान ? क्या थी उनकी खूबियां ?

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फोटो साभार भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय

राजपूत सम्राट: पृथ्वीराज चौहानस्य जन्म ११४९ तमे नृपः सोमेश्वर चौहानस्य कमला देव्या: वा गृहे पिथौरागढ़े अभवत् स्म !

राजपूत सम्राट पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1149 में राजा सोमेश्वर चौहान व कमला देवी के घर पिथौरागढ़ में हुआ था !

यस्य राज्याभिषेकं ११६९ तमे अभवत् ! सः इंद्रप्रस्थं अजमेरं स्व राजधान्यौ निर्मित:, यस्य द्वितीय नाम राय पिथौरा: अपि आसीत् ! यस्य मृत्यु ११९२ तमे अभवत् !

इनका राज्याभिषेक 1169 में हुआ ! इन्होंने दिल्ली अजमेर को अपनी राजधानी बनाई, इनका दूसरा नाम राय पिथौरा भी था ! इनकी मृत्यु 1192 में हुई !

अद्यस्य वंशज यस्य शौर्य गाथानि प्रत्ये बहु न्यूनं ज्ञायति, तदागच्छन्तु ज्ञायति, राजपूत सम्राट: पृथ्वीराज चौहानेण संलग्नमेतिहासं एवं रोचकं तथ्यानि !

आज की पीढ़ी इनकी वीर गाथाओं के बारे में बहुत कम जानती है, तो आइए जानते है, राजपूत सम्राट पृथ्वीराज चौहान से जुड़ा इतिहास एवं रोचक तथ्य !

पृथ्वीराज चौहान: द्वादश वर्षस्योम्रे विना कश्चित अस्त्रस्य हिंस्र वनीय व्याघ्रस्य जम्भ विदारित: ! पृथ्वीराज चौहान: षोडश वर्षस्योम्रे इव महाबली नाहर रायं युद्धे पराजित्वा मांडवगढ़े विजयं ळब्धितः स्म !

पृथ्वीराज चौहान ने 12 वर्ष की उम्र में बिना किसी हथियार के खुंखार जंगली शेर का जबड़ा फाड़ ड़ाला था ! पृथ्वीराज चौहान ने 16 वर्ष की आयु में ही महाबली नाहर राय को युद्ध में हराकर माड़वगढ़ पर विजय प्राप्त की थी !

पृथ्वीराज चौहान: खड्गस्य एकेन प्रहारेण वनीय गजस्य शिरम् कबंधात् छिन्न: स्म ! महान् सम्राट: पृथ्वीराज चौहानस्य खड्गस्य भारम् ८४ किलो इत्यासीत्, तेन च् एकेन हस्तेन चालयति स्म ! शृणुने विश्वासम् न भवितुम् भविष्यते तु इदम् सत्यमस्ति !

पृथ्वीराज चौहान ने तलवार के एक वार से जंगली हाथी का सिर धड़ से अलग कर दिया था ! महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान की तलवार का वजन 84 किलो था और उसे एक हाथ से चलाते थे ! सुनने पर विश्वास नहीं हुआ होगा किंतु यह सत्य है !

सम्राट: पृथ्वीराज चौहान: पशुभिः-पक्षीभिः सह वार्तायाः कलाम् ज्ञायति स्म ! महान् सम्राट: पूर्ण पुरुष: आसीत् अर्थतः तस्य वक्षे स्तने नासीत् !

सम्राट पृथ्वीराज चौहान पशु-पक्षियो के साथ बाते करने की कला जानते थे ! महान सम्राट पुर्ण रूप से मर्द थे अर्थात उनकी छाती पर स्तन नही थे !

पृथ्वीराज चौहान: ११६६ तमे अजमेरस्य सिंहासने आरूढ़: त्रय वर्षस्यानंतरम् च् ११६९ तमे इंद्रप्रस्थस्य सिंहासनेतिष्ठ्वा संपूर्ण हिंदुस्ताने राज्यं कृतवान ! सम्राट: पृथ्वीराज चौहानस्याष्ट भार्या: आसीत् !

पृथ्वीराज चौहान 1166 में अजमेर की गद्दी पर बैठे और तीन वर्ष के बाद 1169 में दिल्ली के सिंहासन पर बैठकर पूरे हिन्दुस्तान पर राज किया ! सम्राट पृथ्वीराज चौहान की आठ पत्नियां थी !

पृथ्वीराज चौहान: मुहम्मद गौरीम् षोडशदा युद्धे पराजित्वा जीवनदानं दत्त: स्म षोडशदा च् कुरानस्य शपथं कृतः स्म येन कारणम् मुस्लिम: कदापि विश्वासयोग्यं न भवित: !

पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गौरी को 16 बार युद्ध में हराकर जीवन दान दिया था और 16 बार कुरान की कसम खिलवाई थी इसीलिए मुस्लिम कभी विश्वास योग्य नहीं होता !

गौरी: सप्तदशानि वारे चौहानं कपटेन बंधने कृतः स्वदेशं च् नीत्वा चौहानस्य द्वये नेत्रे भिदित: स्म ! तस्यानंतरमपि राज्यसभायां पृथ्वीराज चौहान: स्व मस्तकं न नवित: स्म !

गौरी ने 17वीं बार में चौहान को धोखे से बंदी बनाया और अपने देश ले जाकर चौहान की दोनों आँखे फोड़ दी थी ! उसके बाद भी राज दरबार में पृथ्वीराज चौहान ने अपना मस्तक नहीं झुकाया था !

मुहम्मद गौरी: पृथ्वीराज चौहानं बंधने कृत्वा अनेकानां प्रकारणां कष्टम् दत्त: स्म बहु मासानि एव बुभुक्षितं धृत: स्म, पुनरपि सम्राटस्य मृत्यु नाभवत् स्म !

मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाकर अनेकों प्रकार की पीड़ा दी थी और कई महीनों तक भूखा रखा था, फिर भी सम्राट की मृत्यु न हुई थी !

सम्राट: पृथ्वीराज चौहानस्य सर्वात् वृहद श्रेष्ठता अयमासीत् तत जन्मतः शब्दभेदी शरस्य कलाम् ज्ञातमासीत्, यत् केवलं अयोध्या नरेश: नृपः दशरथस्य पार्श्वासीत् !

सम्राट पृथ्वीराज चौहान की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि जन्म से शब्द भेदी बाण की कला ज्ञात थी, जो केवल अयोध्या नरेश राजा दशरथ के पास थी !

पृथ्वीराज चौहान: मुहम्मद गौरीम् तैव शब्दभेदी बाणेन परिपूर्ण सभायां हतः स्म ! गौरीम् हननस्यानंतरमपि सः रिपो: हस्ते न मृत: अर्थतः स्व सखा चन्द्रबरदाईण: हस्ते मृत:, द्वयो परस्परं कटारम् घातित्वा हनितौ, कुत्रचित अन्य कश्चित विकल्पं नासीत् !

पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गौरी को उसी से भरे दरबार में शब्द भेदी बाण से मारा था ! गौरी को मारने के बाद भी वह दुश्मन के हाथों नहीं मरें अर्थात अपने मित्र चन्द्रबरदाई के हाथों मरें, दोनों ने एक दुसरे को कटार घोंप कर मार लिया, क्योंकि और कोई विकल्प नहीं था !

दुःखम् भवति इदम् विचारित्वा वामपंथिण: इतिहासस्य पुस्तकेषु टीपू सुल्तान:, बाबर:, औरंगजेब:, अकबर: यथा घातिनां महिमा मंडनेण परिपूर्णतं पृथ्वीराज: यथा च् योद्धान् नव वंशजम् पठनाय न दत्तम् अपितु इतिहास गोपितं !

दुख होता है ये सोचकर कि वामपंथियों ने इतिहास की पुस्तकों में टीपू सुल्तान, बाबर, औरँगजेब, अकबर जैसे हत्यारों के महिमा मण्डन से भर दिया और पृथ्वीराज जैसे योद्धाओं को नई पीढ़ी को पढ़ने नही दिया बल्कि इतिहास छुपा दिया !

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