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हुतात्मानाम् चिताषु अंततः कदैव भविष्यन्ति मेलकानि ? शहीदों की चिंताओं पर आखिर कब तक लगेंगे मेले ?

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फोटो साभार फेसबुक

सर्वाणि हुतात्मा: युवान् ट्रूनिकल कुटुंबं प्रत्येन शत-शत नमन ! एकम् वेदनम् यत् भारत मातु: कुक्षे आघातेनास्ति, तत वेदनम् यत् संभवतः कदा सम्पादितम् भवितुमशक्नुत् आगच्छन्तु सद् कथानक माध्यमेन अवगम्यन्तु !

सभी शहीद जवानों को ट्रूनिकल परिवार की ओर से शत-शत नमन ! एक पीड़ा जो भारत माँ के कोख पर आघात होने से है, ओ पीड़ा जो शायद ही कभी समाप्त हो सके आइए सच्ची कहानी के माध्यम से समझते हैं !

भो दीपक भ्रातः भवान् तदा तुलावी श्रीमानस्य दले असि न, मम दले कीदृशेन आगतः ? दीपकं दृष्ट्वा उपनिरीक्षक संजय पाल: अपृच्छत्, पाल श्रीमान अद्य तदा भवतः दले चरिष्यामि, भवता बहुकेचन शिक्षणमस्ति सानंद दीपक: प्रसन्नमनसः कथितः !

अरे दीपक भाई आप तो तुलावी साहब की टीम में हो ना, मेरी टीम में कैसे आ गए ? दीपक को देख कर सब इंस्पेक्टर संजय पाल ने पूछा,पाल साहब आज तो आपकी टीम में चलूँगा, आपसे बहुत कुछ सीखना है जिंदादिल दीपक ने मुस्कुराते हुए कहा !

साधु तदा ममेव पार्श्व रमित:, कोर प्रान्तरे गच्छति संजय पाल: कथितः ! संजय पाल: बस्तरस्य सर्वात् अनुभवयुक्त: दलप्रमुखाषु तः एकाः सन्ति, नक्सलिभिः बहुधा समाघातम् कृतः सः बहुधा च् पराजित: !

ठीक है तब मेरे ही पास रहना, कोर इलाके में जा रहे हैं संजय पाल ने कहा ! संजय पाल बस्तर के सबसे अनुभवी कमांडर्स में से एक हैं, नक्सलियों से कई बार लोहा लिया है उन्होंने और कई बार धूल चटाई है !

तस्य संमुखम् दीपक: अद्यापि नवासीत्, डीआरजी इत्ये आगतः तेन द्वय मासैव तदा अभवत् स्म ! तस्य पूर्व आरक्षिस्थानम् कुटरौ प्रभार्यासीत् ! तस्य प्रथमैव वृहद कार्यवाहिम् आसीत्, तेन रिजर्व सैन्ये धृतानि स्म तु दीपक: बदित्वा स्ट्राइक सैन्ये स्व नाम लिखितवान !

उनके मुकाबले दीपक अभी बिलकुल ही नया था, DRG में आये उसे 2 महीने ही तो हुए थे ! उसके पहले थाना कुटरू में प्रभारी था ! उसका पहला ही बड़ा ऑपरेशन था,उसे रिजर्व फोर्स में रखा गया था लेकिन दीपक ने बोल कर स्ट्राइक फोर्स में अपना नाम लिखवाया !

तेन स्व एकेन मित्रेण मार्गे गच्छमानः कथितः नक्सल्य: अस्माभिः विभेनीयः, वयं आरक्षकाः सन्ति, संविधानस्य रक्षका:, तानि लोहसुषस्य बले रक्तक्रांति आनितुम् इच्छन्ति वयं च् शांतिम् !

उसने अपने एक साथी से रास्ते में जाते हुए कहा नक्सलियों को हमसे डरना चाहिए, हम पुलिसवाले हैं, संविधान के रक्षक, वो बंदूक के बल पर खूनी क्रांति लाना चाहते हैं और हम शांति !

अकस्मात् यदानवरतम् विस्फोटकानि खमै: पतिष्यन्ति तदा सर्वाणि स्व स्वासनानि ग्रहिता: ! अत्येव विस्फोटकानि पतन्ति स्म यथा बर्षाम् भवति !

अचानक से जब ताबड़तोड़ बम आसमानों से गिरने लगे तो सबने अपनी अपनी पोजीशन ली ! इतने बम गिर रहे थे कि जैसे बारिश हो रही हो !

संजय पालम् त्वरित दीपकस्य स्मरणागतः, तेन उपावृत्वा पश्यत: तदा दीपक: एकस्य छिंद वृक्षस्य ओट गृहित्वा प्रहारम् क्रियते स्म संजय पालस्य च् दृश्यतैव दृश्यतैव २ नक्सलिन् गोलिकाहनत् तेन !

संजय पाल को तुरंत दीपक का खयाल आया,उसने पलट कर देखा तो दीपक एक छिंद पेड़ की आड़ लेकर फायर किए जा रहा था और संजय पाल के देखते देखते ही 2 नक्सलियों को गोली मारी उसने !

संजय पाल: दृष्ट्वाश्चर्यचकित: तत किं शौर्यवान बालकः अस्ति ! प्रथम गोलिकाघाते तत्र वृहद वृहद बलिनाम् हस्ते पादे जड़वत भवति अयम् नव बालकः विस्फोटकानि मध्ये विना भयं नक्सलिन् पीडितम् करोति !

संजय पाल देख कर दंग रह गए कि क्या शेर लड़का है ! पहली गोली चलने में जहाँ बड़े बड़े सूरमाओं के हाथ पैर जड़ हो जाते हैं ये नया लड़का बमों के बीच में बिना डरे नक्सलियों को नाकों चने चबवा रहा है !

किंचितक्षणानंतरम् संजय पाल: स्व दलम् कवरिंग फायर इति दत्वा निस्सारयति स्म तदा सः दीपकमपि आहूत: यदि विस्फोटानां मध्य तस्य स्वरम् न गच्छति स्म !

थोड़ी देर बाद संजय पाल अपनी टीम को कवरिंग फायर देकर निकाल रहे थे तो उन्होंने दीपक को भी आवाज दी मगर धमाकों के बीच उनकी आवाज जा नहीं रही थी !

दीपक: पुनश्पि तं प्रति पश्यतः सैने च् कथितः तत भवान् चरतु अहम् स्व दलानि गृहित्वा आगच्छामि ! संजय पाल: स्व दलान् निस्सारिष्यते ! तेनानंतरम् सः दीपकम् न पश्यत: !

दीपक ने फिर भी उनकी ओर देखा और इशारे में कहा कि आप चलो मैं अपनी टीम लेकर आता हूँ ! संजय पाल अपनी टीम को निकालने लगे ! उसके बाद उन्होंने दीपक को नहीं देखा !

अत्र दीपकस्य हस्ते एकम् गोलिका घातिष्यते तदा मनीष: इति नामकस्य आरक्षकः तेन कथितः श्रीमान भवान् अत्रागच्छतु, भवान् आहतासि, वयं भवतम् निःसृष्यामः !

इधर दीपक के हाथ में एक गोली लगी तो मनीष नाम के सिपाही ने उन्हें कहा साहब आप इधर आ जाओ, आप घायल हो, हम लोग आपको निकाल लेंगे !

अरे यूयम् आहताः भूत्वा गोलिकानि चरितुम् शक्नुथ तदा अहम् किं चरितुम् न शक्नोमि, कवरिंग फायर इति दत्तमानः पश्च बर्ध्यन्तु, मयापि सहे चरामि, युष्मान् केचन न भविष्यथ मदीयं रमित:, दीपक: कथितः ! तदापि द्वितीय गोलिका दीपकस्य उदरे आगत्वा घातिष्यते !

अरे तुम लोग घायल होकर गोली चला सकते हो तो मैं क्यों नहीं चला सकता, कवरिंग फायर देते हुए पीछे बढ़ो, मैं भी साथ में चल रहा हूँ, तुम लोगों को कुछ नहीं होगा मेरे रहते, दीपक ने कहा ! तभी दूसरी गोली दीपक के पेट में आकर लगी !

दीपक: पतितः तु पुनः उत्थित: घातित: एकम् अन्य च् नक्सलिम् गोलिकाहनत् ! तस्य दलगत जनाः अपि नक्सलिन् अवगमे आगतः तत बालकम् पराजितुम् भविष्यति अन्यथा तस्याति क्षतिम् भविष्यते !

दीपक गिरा लेकिन फिर से उठा और फायर किया और एक और नक्सली को गोली मारी ! उसके टीम वाले भी नक्सलियों को जवाब देते रहे ! नक्सलियों को समझ में आ गया कि इस लड़के को हराना होगा वरना उनका और नुकसान हो जाएगा !

अस्यदा ते ग्रेनेड लांचर इति दीपकम् प्रति अहनत् यत् सरलं दीपकस्य पादयो पार्श्व आगत्वापतत् ! दीपक: न सुरक्षित: ! मनीष: ग्रेनेड लांचर धृतेषु क्रुश्यमानः निरन्तरम् गोलिकाम् चालित: हनित: च् !

इस बार उन्होंने ग्रेनेड लांचर दीपक की तरफ मारा जो सीधा दीपक के पैरों के पास आकर गिरा ! दीपक बच नहीं पाया ! मनीष ने ग्रेनेड लांचर वाले पर चिल्लाते हुए ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं और मार गिराया !

तु दीपकस्य पार्थिव वदनम् उत्थितुम् गतः तदा पुनः निरन्तरं गोलिकानि चरिष्यन्ते तानि च् कश्चितप्रकारम् पुनरागत: ! एतै: सर्वै: अनभिज्ञ संजय पाल: अत्र किंचित द्रुते उदग्रयान् आहूत्वा हुतात्मान् आहतान् तस्मिन् आरोपयति स्म !

मगर दीपक के पार्थिव शरीर को उठाने गया तो फिर से ताबड़तोड़ गोलियां चलने लगीं और वो लोग किसी तरह वापस हुए ! इन सब से अनजान संजय पाल इधर थोड़ी दूर पर हेलीकॉप्टर बुला कर शहीदों और घायलों को उसमें लोड करवा रहे थे !

युवा: पुनरागत्वा कार्यालयं प्रति आगताः ! संजय पाल: अद्यापि प्राप्तरेवासीत् डीएसपी आशीष कुंजामेन सह ! तदा मनीष: आगतः एकम् आहत युवाम् गृहीत: संजय पालम् पश्यतैव रूदिष्यते कथितः च् भारद्वाज श्रीमानस्य बदनम् नानीयते श्रीमान् !

जवान लौट कर कैम्प की तरफ आये ! संजय पाल अभी पहुँचे ही थे और खड़े थे डी एस पी आशीष कुंजाम के साथ ! तभी मनीष आया एक घायल जवान को लिए हुए और संजय पाल को देखते ही रोने लगा और कहा भारद्वाज साहब की बॉडी नहीं ला पाए साहब !

संजय पालम् अशीष कुंजामम् च् यथा काष्ठम् हनितौ ! उपनिरीक्षक दीपक भारद्वाज: स्वदेश हिताय स्वाहुति दत्त: २१ अन्यतमः युवाभिः सह ! तस्य पाणिग्रहण दिसंबर २०१९ तमे अभवत् स्म !

संजय पाल और आशीष कुंजाम को जैसे काठ मार गया हो ! सब-इंस्पेक्टर दीपक भारद्वाज मादरेवतन के लिए अपनी आहुति दे दी 21 और जवानों के साथ ! उसकी शादी दिसंबर 2019 में हुई थी !

त्रिवर्णमावृतम् तस्य पार्थिव बदनम् अति क्षत विक्षतं स्म तत तस्य चित्रमेव न प्रसृतः शक्नुतः ! तस्य पितु शिक्षक: अस्ति दीपक: स्वयं च् एकः मेधावी छात्रः आसीत् नवोदयेण च् शिक्षित: स्म !

तिरंगे में लिपटा उसका पार्थिव शरीर इतना क्षत विक्षत था कि उसकी फोटो तक नहीं डाल सकते ! उसके पिता शिक्षक हैं और दीपक खुद एक मेधावी छात्र था और नवोदय से पढ़ा था !

तस्य कुटुंबे किं व्यतीतष्यते तस्य केवलं कल्पना कृत्वा दृश्यन्तु ! दीपकस्य सहपाठी अद्यैव पंच लक्षस्य राशि तस्य कुटुंबाय एकत्रिताः ! सर्वकार: अपि ८० लक्षस्य क्षतिपूर्ति ददाति तु तस्य न्यूनताम् कदापि पूर्णम् न करिष्यन्ते !

उसके परिवार पर क्या बीत रही होगी उसकी मात्र कल्पना कर के देखिए ! दीपक के बैचमेट्स ने अभी तक पाँच लाख की राशि उसके परिवार के लिए जुटा ली है ! सरकार भी 80 लाख का मुआवजा दे रही है लेकिन उसकी कमी को कभी पूरा नहीं कर पाएंगे !

निस्तब्धता सिर्फ निस्तब्धता !

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