फोटो रानी रासमणि, साभार गूगल
आगच्छन्तु ज्ञायन्ति तां महिलाम् प्रत्ये या हिंदुत्वम् बहु केचन दत्ता, तु दुःखद धर्मनिरपेक्षता यत् हिंदून् तां महिलाम् प्रत्ये ज्ञातुमिव न दत्तानीदम् कांग्रेसी जनानां इव कृत्य माननीयं !
आइए जानते है उस महिला के बारे में जिसने हिंदुत्व को बहुत कुछ दिया, परन्तु हाय रे सेकलुरिज्म जिसने हिंदुओं को उस महिला के बारे में जानने ही नहीं दिया यह कांग्रेसी लोगों का ही कृत्य मानना चाहिए !
या हावड़ायां गंगायां सेतु निर्मित्वा कलिकाता नगर वासिता, या आंग्लकान् न तर्हि नद्याम् करनीतुम् दत्ता नैव च् दुर्गा पूजायाः यात्रामवरोधितुम् दत्ता, या कलिकातायां दक्षिणेश्वर मंदिरम् निर्मिता !
जिसने हावड़ा में गंगा पर पुल बनाकर कलकत्ता शहर बसाया, जिसने अंग्रेजों को ना तो नदी पर टैक्स वसूलने दिया और ना ही दुर्गा पूजा की यात्रा को रोकने दिया, जिसने कलकत्ता में दक्षिणेश्वर मंदिर बनवाया !
या कलिकातायां गंगा नद्याम् बाबू घाट, नीमतला घाट निर्मिता, या श्रीनगरे शंकराचार्य मंदिरस्य पुनरोद्धार कारिता, या मथुरायां कृष्ण जन्मभूम्या: कुड्य: निर्मिता !
जिसने कलकत्ता में गंगा नदी पर बाबू घाट, नीमतला घाट बनवाया, जिसने श्रीनगर में शंकराचार्य मंदिर का पुनरोद्धार करवाया, जिसने मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि की दीवार बनवाई !
या ढाकायां मुस्लिम नवाबेण २००० हिंदूनां स्वतंत्रता क्रीता, या रामेश्वरात् श्रीलंकायाः मन्दिरेभ्यः नौका सेवामारंभिता, या कलिकातायाः कंदुकक्रीड़ा क्षेत्रम् येन दानम् दत्तं भूम्यां निर्मिता !
जिसने ढाका में मुस्लिम नवाब से 2000 हिंदुओं की स्वतंत्रता खरीदी, जिसने रामेश्वरम से श्रीलंका के मंदिरों के लिए नौका सेवा शुरू किया, जिसने कलकत्ता का क्रिकेट स्टेडियम इनके द्वारा दान दी गई भूमि पर बना है !
या सुवर्ण रेखा नदीतः पूरी एव मार्गम् निर्मिता, या प्रेसिडेंसी विद्यालयाय नेशनल पुस्तकालयाय च् धनं दत्ता, तां रानिं प्रत्ये वयं ज्ञातैव न, बहु इव हास्यास्पदं अस्ति तत वयं तां प्रत्ये न ज्ञायन्ति या हिन्दुभ्यः सर्वम् कृता !
जिसने सुवर्ण रेखा नदी से पुरी तक सड़क बनाया, जिसने प्रेसिडेंसी कॉलेज और नेशनल लाइब्रेरी के लिए धन दिया, उस रानी के बारे में हम जानते ही नही, बहुत ही हास्यास्पद है कि हम उसके बारे में नहीं जानते जिसने हिंदुओं के लिए सब कुछ किया !
किं इति महान महिलाम् नेहरू, मौलवी, पादरी, वामिन: भवताम् पाठ्यक्रमे सम्मिलिता: ? मया पूर्ण विश्वासमस्ति तत ९९ प्रतिशतम् भारतीय: इति महिलाम् न ज्ञातुं भविष्यन्ति ! सम्भवतः वयं अधुनैव ज्ञेयस्य प्रयत्नमपि न कृता: !
क्या इस महान हस्ती को नेहरू, मौलवी, पादरी, वमियों ने आपके सिलेबस में शामिल किया ? मुझे पूरा विश्वास है कि 99% भारतीय इस महिला को नहीं जानते होंगे ! शायद हम लोगों ने अब तक जानने की कोशिश भी नहीं की !
आगच्छन्तु वयं भवतः ज्ञापयन्ति तां रान्या:, इति महान महिलायाः नामास्ति रानी रासमणि ! इयम् कलिकातायाः भूस्वामिण: विधवासीत् ! १७९३ तः १८६३ एवस्य जीवनकाले रानी इयत् कीर्ति अर्जिता तत यस्याः वृहद वृहद प्रतिमा: इंद्रप्रस्थे शेष भारते च् स्थापनीया !
आइए हम आपको बताते है उस रानी का, इन महान हस्ती का नाम है रानी रासमणि ! ये कलकत्ता के जमींदार की विधवा थी ! 1793 से 1863 तक के जीवन काल में रानी ने इतना यश कमाया है कि इनकी बड़ी बड़ी प्रतिमाऐं दिल्ली और शेष भारत में लगनी चाहिए थी !
रानी रासमणि कैवर्त जात्या: आसीत् यत् अद्यत्वे अनुसूचित जात्यां सम्मिलिता: सन्ति ! भारतस्य कांगिनः, वामिन:, रोमस्य चाटुकारा: इतिहासकारा: रानी रासमणिमपेक्षितं सम्मानम् किं न दत्तानीदम् अवगम्यतुमागच्छति !
रानी रासमणि कैवर्त जाति की थी जो आजकल अनुसूचित जाति में शामिल है ! भारत के कांगियों, वामियों, रोम के चाटुकार इतिहासकारों ने रानी रासमणि को अपेक्षित सम्मान क्यों नहीं दिया यह तो समझ आता है !
तु देशस्य दलित नेतारः रानी रासमणिम् नायिका किं न मानिता: इदम् अवगम्यतुम् भिन्नमस्ति ! बहु वंचनायां धृतं भो कांगिन:, अकर्मण्य वामिन:, विश्वासघातिन: सनातनिनां रूपमेव संपादिते कश्चित स्थानम् नावशेषितं !
किंतु देश के दलित नेताओं ने रानी रासमणि को नायिका क्यों नहीं बनाया यह समझ के परे है ! बहुत धोखे में रखा रे कांगियो, नालायक वामियों, दगाबाजो ने सनातनियों के रूप को ही समाप्त करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी !
अद्य समस्त हिंदूनां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदिणा याचनां अस्ति, तत भारतीय हिंदून् राष्ट्रप्रेमी: तस्य वास्तविक इतिहासेणावगत कारयन्तु, कदैव पाठितुं रमिष्यति तत अकबर इति महानास्ति, कदा तर्हि पाठिष्यति तत इदृशा: जनाः महान सन्ति ! यै: सनातन धर्मम् उत्कृष्ट रूपम् दत्ता: !
आज समस्त हिंदुओं की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग है, कि भारतीय हिंदुओं राष्ट्रप्रेमियों को उनके वास्तविक इतिहास से अवगत कराया जाय, कब तक पढ़वाते रहोगे कि अकबर महान है, कभी तो पढ़वाओगे कि ऐसे लोग महान हैं ! जिन्होंने सनातन धर्म को उत्कृष्ट रूप दिया !
महोदय, प्रणाम, मुझे संस्कृत तो नही आती है क्योंकि इसकी पढ़ाई आठवी से दसवीं तक ही की थी I फिर भी संस्कृत देखकर ही अच्छी लगती है I Trunicale बहुत अच्छा समाचार पत्र है I इस पत्र के निरंतर उन्नति/प्रगति की सदैव कामना रहेगी I सादर I
मनोज कुमार सिंह, रिहंद नगर, सोनभद्र (उत्तर प्रदेश)
धन्यवाद