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किं कुत्रैव च् चरिष्यति चलचित्रनिर्मातानां हिन्दू विरोधि जिहाद ? क्यों और कहां तक चलेगा फिल्मकारों का एंटी हिन्दू जिहाद ?

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अमेजन प्राइम असि नेटफ्लिक्स वा बहवः ओटीटी प्लेटफॉर्म बहु पणानि ळब्धन्ति हिन्दू विरोधिन् कार्यक्रम चालयस्य ! कश्चितापि वेब सीरीज पश्यन्तु चलचित्रानि !

अमेजन प्राइम हो या नेटफ्लिक्स ज्यादातर OTT प्लेटफार्म ढेर पैसा पा रहे हैं एंटी हिन्दू एजेंडा चलाने का ! कोई भी वेब सीरीज देख लो या फिल्म !

कश्चितापि इव कथानकं विचटनानि, पात्राणां नाम परिवर्तित्वा तेन हिन्दू नाम दत्तानि ! चलचित्रीय स्वच्छंदतायाः नामे जिहाद इति चरितुम् धृतानि एतानि चलचित्रनिर्मातानि ! चलचित्र नगरे भाई जनानां कामरेड इत्यानां आधिपत्यानि यतस्ति !

किसी भी तरह कथानक को तोड़ने मरोड़ने, पात्रों का नाम बदल कर उन्हें हिन्दू नाम देना ! सिनेमेटिक लिबर्टी के नाम पर जिहाद चला रखी है इन फिल्मकारों ने ! फिल्म इंडस्ट्री पर भाई लोगों और कॉमरेडों का कब्जा जो है !

मेघना गुलजार छपाके इत्यस्य प्रक्षेपक: मुस्लिम पात्रम् हिंदू निर्मयति ! किंन तांडवासि आश्रम वा मैडम चीफ मिनिस्टर वा ! प्रत्येक स्थानं हिंदूम् निम्नतर दर्शनाय कुत्सित प्रयासं !

मेघना गुलजार छपाक में एसिड फेंकने वाले मुस्लिम कैरेक्टर को हिन्दू बना देती हैं ! चाहे तांडव हो या आश्रम या मैडम चीफ मिनिस्टर ! हर जगह हिन्दू को डाउन करने का कुत्सित प्रयास !

१८ जून इतम् प्रस्तुतमभवत् विद्याबालनयाः चलचित्रम् शेरनी यत् तत वस्तुतः व्याघ्र्या: कथानकमस्ति, निर्देशक: येन कान्वेंट तः पठित्वागतुम् भविष्यति तत्र व्याघ्रिम् हिंद्याम् शेरनी इति पाठ्यते स्म !

18 जून को रिलीज हुई विद्याबालान की फिल्म शेरनी जो कि दरअसल एक बाघिन की कहानी है, डायरेक्टर जिस कान्वेंट से पढ़ कर आया होगा वहां टाइग्रेस को हिंदी में शेरनी पढ़ाया जाता था !

२०१८ तमे नागपुरे मानवभक्षी घोषितं कृत्वा हतवती व्याघ्रि अवन्या: कथानकमस्ति या स्व द्वयौ शावकौ त्यक्त्वा संदेहास्पद स्थित्यां हतवती !

2018 में नागपुर में आदमखोर घोषित करके मारी गई बाघिन अवनी की कहानी है जो अपने दो शावकों को छोड़कर संदेहास्पद स्थिति में मार दी गई !

तया हन्ता गोलिका चालक: वस्तुतः एकः मुस्लिम: आसीत् ! नवाब असगर अली यस्य पिता शफात अलिण: उपरि अनाधिकृत आखेटानां अभियोगानि पंजीकृतं आसीत् !

उसे मारने वाला शूटर दरअसल एक मुसलमान था ! नवाब असगर अली जिसके बाप शफात अली के ऊपर गैरकानूनी पोचिंग के मुकदमे दर्ज थे !

असगर अली: अपि व्याघ्रिम् भ्रमेण हनित: यद्यपि सर्वकारी रूपे व्याघ्रिम् हननस्याज्ञाम् न आसीत् ! चलचित्रे तस्य नाम असगर अलिण: स्थानम् रंजन राजहंस: द्वितीयनाम पिंटू भैया इति दत्तम् किं ?

असगर अली ने भी बाघिन को धोखे से मारा जबकि सरकारी तौर पर बाघिन को मारने के आदेश नही थे ! फिल्म में उसका नाम असगर अली की जगह रंजन राजहंस उर्फ पिंटू भैया दिया गया है क्यों ?

सत्य कथानकस्य नामे संपूर्ण सत्य न दर्शिते ! किं प्रत्येकासाधु कार्यकर्ता पात्रम् हिंदू निर्मीते प्रत्येक साधु कार्यकर्ताम् च् मुस्लिम: दर्शिते ?

सच्ची कहानी के नाम पर सारा सच नही दिखाया जाता है ! क्यों हर गलत काम करने वाले पात्र को हिन्दू बना दिया जाता है और हर अच्छा काम करने वाले को मुसलमान दिखा दिया जाता है ?

एतानां चलचित्रनिर्मातानां न कश्चित धर्म: भवति नात्मा ! इमानि सर्वाणि कलाकारी तः पटकथायां प्रवेशते ! तत भवतः ज्ञातमपि न भविता: भवताम् मस्तिष्कपरिवर्तनम् भवति !

इन फिल्मकारों का ना कोई धर्म होता है ना आत्मा ! ये सब इतनी कलाकारी से पटकथा में घुसाया जाता है कि आपको पता भी नही चलता आपका ब्रेन वाश हो रहा है !

भवन्तः चलचित्रम् दर्शनस्यानंतरम् पिंटू भैया इतम् एकः प्ररूपी क्षत्रिय: अवगमिष्यन्ति यत् स्व व्यसनाय आखेट: करोति नेच्छतैव क्षत्रिय: क्रूर: भवति यत् स्वानुरागाय पशून् हन्ति !

आप तो फिल्म देखने के बाद पिंटू भैया को एक टिपिकल ठाकुर समझोगे जो अपने व्यसन के लिए शिकार करता है और अनचाहे ही ठाकुर वो दरिंदा बन जाता है जो अपने शौक के लिए जानवरों को मारता है !

यदि तस्य स्थानम् असगर अली: इति दर्शितं तदा संभवतः समुदाय विशेषं खिन्न कृतस्य संकटमासीत् !

अगर उसकी जगह असगर अली दिखाया जाता तो शायद समुदाय विशेष को नाराज करने का खतरा था !

तत्रैव चलचित्रे व्याघ्रिम् रक्षिका प्रभागीय वन अधिकारी ईसाई दर्शिते तस्य सहाय्यकर्ता प्रवक्ता मुस्लिम: च्, यद्यपि वास्तविक जीवने द्वयो हिंदूमास्ताम् !

वहीं फिल्म में बाघिन को बचाने वाली डीएफओ क्रिश्चन दिखाई जाती है और उसकी मदद करने वाला प्रोफेसर मुसलमान, जबकि असल जीवन मे दोनों हिन्दू थे !

अर्थतः सारांश इदमस्ति तत हिन्दू दुराचारिण: घातका: अस्ति शेषतः च् सर्वा: मानवता प्रीतका:, भवन्तः अवगम्यन्तु किं क्रीड़ा चरन्ति ?

यानी लब्बोलबाब ये है कि हिन्दू दुराचारी, हत्यारा है और बाकी सब मानवता प्रेमी, आप समझ रहे हो ना क्या खेल चल रहा है ?

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