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इदम् लेखम् भारतस्य तान् जनान् समर्पितमस्ति याः राष्ट्रवादम् राष्ट्रवादिन: च् यदा कदा कुवचनानि दत्तुम् रमन्ति ! ये लेख भारत के उन लोगों को समर्पित है जो राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादियों को गाहे बगाहे गालियां देते रहते हैं !

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यूक्रेन ! फोटो साभार गूगल

यूक्रेने वृहत् वृहत् भव्य भवनानि सन्ति, शोभनम् मार्गाणि दीर्घात्याधुनिकं लोकयानानि सन्ति मार्गेषु द्विचक्रिका तर्हि का द्विपदम् वाहनमपि दर्शितुं न ददान्ति कुत्रचित् सर्वेषां पार्श्वाधिमूल्याणि अत्याधुनिकं वाहनानि यत् सन्ति, सम्यक् चिकित्सा महाविद्यालयमपि सन्ति, विश्वविद्यालयाणि सन्ति !

यूक्रेन में बड़ी बड़ी शानदार बिल्डिंगें है, चमचमाती सड़कें और लंबी लक्जरी कार गाडियां हैं सड़कों पर साइकिल तो क्या दोपहिया वाहन भी दिखाई नहीं देते हैं क्योंकि सबके पास महंगी लक्जरी गाडियां जो है, अच्छे मेडिकल कॉलेज भी है, यूनिवर्सिटी है !

तदापि तर्हि चिकित्साशिक्षायै भारतस्य सहस्राणि छात्रा: यूक्रेने पठनम् कुर्वन्ति अर्थतः यूक्रेनम् परितः संपन्नताम् सन्ति यदि न सन्ति तर्हि सामरिक शक्तिं, दृढ़सैन्यं, अत्याधुनिकमस्त्राणि, निर्भीक: एवं अदम्य शौर्येण राष्ट्रवादेण ओतप्रोतं सर्वकारः एवं राजनेता !

तभी तो मेडिकल शिक्षा के लिए भारत के हजारों छात्र यूक्रेन में पढ़ाई कर रहें हैं यानि यूक्रेन में चारों तरफ संपन्नता है अगर नहीं है तो सामरिक शक्ति, मजबूत सेना, अत्याधुनिक हथियार, निर्भीक एवं अदम्य साहस राष्ट्रवाद से ओतप्रोत सरकार एवं राजनेता !

तत्रस्य जनेषु राष्ट्रवादिन् भावनाम् नास्ति, इदमेव कारणमस्ति तत केवलं द्वे घटके रुसम् यूक्रेनम् जानौ आनित्वा स्थितुं कृतं यूक्रेनस्य सैनिका: पलायिता: ! यूक्रेनस्य राष्ट्रपति साधारणजनै: युद्धम् योद्धस्य प्रार्थनाम् कुर्वन्ति ! यस्मै समस्त प्रतिबंधनानि अपि निर्वर्तितं !

वहां की जनता में राष्ट्रवादी भावना नही है, यही कारण है कि मात्र दो घंटे में रुस ने यूक्रेन को घुटनों पर लाकर खड़ा कर दिया यूक्रेन के सैनिक भाग खड़े हुए हैं ! यूक्रेन के राष्ट्रपति आम लोगों से युद्ध लड़ने की अपील कर रहें हैं ! इसके लिए सारी पाबंदियां भी हटा दी गई है !

यूक्रेनम् साधारणजनान् युद्धम् योद्धाय अस्त्राणि दत्तस्य वार्तापि कथ्यति तु धीरत्वमस्ति यूक्रेनस्य एकमपि वासिन् युद्धम् योद्धम् तत्पर: भवितमसि, कुत्रचित् यूक्रेनस्य वासिसु इजराइलस्य वासिनः इव राष्ट्रवादस्य भावनाम् नास्ति !

यूक्रेन आम नागरिकों को युद्ध लड़ने के लिए हथियार देने की बात भी कह रहा है पर मजाल है यूक्रेन का एक भी नागरिक युद्ध लड़ने को तैयार हुआ हो, क्योंकि यूक्रेन के नागरिकों में इजराइल के नागरिकों की तरह राष्ट्रवाद की भावना ही नहीं है !

ताः विलासस्य जीवनम् जीवस्याभ्यस्तम् अभवन् ! यूक्रेनस्य विद्यालयं, महाविद्यालयं, विश्वविद्यालयं, आपणं, कार्यालयं सर्वाणि अवरुद्धानि ! सर्वाणि वणिजं क्षतिग्रस्तं भवितं ! कार्यशाला: अवरुद्धानि ! जनाः उद्दम: तर्हि का स्वप्राणरक्षणाय न्यूनसंख्याम् उपलब्धं सैन्यवासेषु निलियन्ति !

वह तो एशो आराम की जिन्दगी जीने के आदी हो चुके हैं ! यूक्रेन के स्कूल, कालेज, युनिवर्सिटी, बाजार, आफिस सब बन्द कर दिये गये हैं ! सब कारोबार चौपट हो गया है ! कारखाने बन्द हो गये ! लोग रोजगार तो क्या अपनी जान बचाने के लिए सिमित संख्या में मौजूद बंकरों में छुप रहें हैं !

भूमिगत मेट्रो पत्तनेषु आश्रयं नयन्ति अर्थतः सर्वाणि भवितनपि यूक्रेनमद्य जीवनस्य भिक्षाम् याच्यति ! इदम् लेखम् भारतस्य तान् जनान् समर्पितमस्ति याः राष्ट्रवादम् राष्ट्रवादिन: च् यदा कदा कुवचनानि दत्तुम् रमन्ति तथा केवलं अधिमूल्यं, अनुद्यम: अल्लुक: च् प्लान्डु, वृन्ताकम् निःशुल्कस्य योजनान् इव देशस्य मानदंडम् मान्यता: !

अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशनों में शरण ले रहें हैं यानि सब कुछ होते हुए भी यूक्रेन आज जिंदगी की भीख मांग रहा है ! ये लेख भारत के उन लोगों को समर्पित है जो राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादियों को गाहे बगाहे गालियां देते रहते हैं तथा सिर्फ महंगाई, बेरोजगारी और आलू, प्याज, टमाटर तथा मुफ्त की योजनाओं को ही देश के विकास का पैमाना मान बैठे हैं !

इदम् लेखम् राहुल गांधिण: तत मूर्खतापूर्णकथनम् अपि दर्पणम् दर्शयति यस्मिनद्यापि केचनदिवसानि पूर्वम् विपक्षस्य एक: नेतातः कथित: स्म तत सैन्यस्य दृढ़तात्याधुनिकं अस्त्राणांभंडारम् एकत्रितेण देशस्य विकासम् न भवति !

यह लेख राहुल गांधी के उस मूर्खतापूर्ण बयान को भी आइना दिखाता है जिसमें अभी कुछ ही दिनों पहले अपोजिशन के एक शीर्ष नेता से कहा था कि सेना की मजबूती अत्याधुनिक हथियारों के जखीरे इकट्ठा करने से देश का विकास नहीं होता है !

राहुल गांधिन् यथा नेतारम् रूस यूक्रेनम् युद्धेण संभवतः किंचित बुद्धिमागच्छतु वयं ईश्वरेण अयमेव प्रार्थनाम् कुर्याम: तान् निःशुल्क भक्षकानपि अवगम्यिष्यन्ति, कुत्रचित् कश्चितापि देशस्य विकासस्य मार्गम् तस्य सैन्यशक्तिं, सीमानां दृढ़ सुरक्षामत्याधुनिकं अस्त्रै: गत्वा निस्सरति !

राहुल गांधी जैसे नेता को रुस यूक्रेन युद्ध से शायद थोड़ी अक्ल आ जाये हम ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं और उन मुफ्तखोरों को भी समझ आ जायेगी, क्योंकि किसी भी देश के विकास का रास्ता उसकी सैनिक ताकत, सीमाओं की मजबूत सुरक्षा और अत्याधुनिक हथियारों से होकर निकलता है !

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