फोटो आभार गूगल
१९७० तमस्यार्श्व पार्श्व अफगानिस्ताने लगभगम् १००००० तः अधिकं सिखा: २८०००० हिंदवः च् वसन्ति स्म ! अद्य २०२२ तमे तत्र केवलं १५९ सिखा: हिंदवः चवशेषिता: ! येषुतः १४० सिखा: सन्ति शेषम् च् १९ हिंदवः बौद्ध: अधुना तत्र सन्ति इव न !
1970 के आसपास अफगानिस्तान में लगभग 100000 से अधिक सिख और 280000 हिन्दू रहते थे ! आज 2022 में वहां सिर्फ 159 सिख और हिन्दू बचे हैं ! जिनमें से 140 सिख हैं और बाकी 19 हिन्दू बौद्ध अब वहां हैं ही नहीं !
लगभगम् ४ कोट्याः पूर्णाफगानिस्तान जनसंख्यायां, इदमस्ति अल्पसंख्यकानां जनसंख्या, पूर्ण १५९, इदम् जनसंख्या कीदृशं संपादितानि यस्मिन् कश्चित वार्ता न करोति ! विशेषतः मुस्लिमा: तर्हि पूर्णतः अपि न !
लगभग 4 करोड़ की कुल अफगानिस्तान आबादी में, ये है अल्पसंख्यकों की आबादी, कुल 159, ये आबादी कैसे खत्म हो गयी इस पर कोई बात नहीं करता है ! खासकर मुसलमान तो बिलकुल भी नहीं !
कारगिल यथा सुदूरम् बीहड़ च् क्षेत्रेषु सदैव सरलं बौद्ध धर्मम् मान्यका: रमितुं आगतानि, तु शनैः-शनैः सीमापारतः आगतः इस्लामिक धर्म प्रवर्तका: अद्य तत्रस्य ७७ प्रतिशतं जनसंख्या मुस्लिमा: कृतवन्तः !
कारगिल जैसे सुदूर और बीहड़ इलाकों में हमेशा सीधे साधे बौद्ध धर्म को मानने वाले रहते आये हैं, मगर धीरे-धीरे सरहद पार से आये इस्लामिक धर्म प्रवर्तकों ने आज वहां की 77% आबादी मुस्लिम बना दी है !
येषु ६५ प्रतिशतं शिया मुस्लिमा: सन्ति शेषम् सर्वा: सुन्नी बौद्ध: १४ प्रतिशतं अवशेषं सन्ति हिंदवः च् ८ प्रतिशतं ! अधुना संकटमिदमस्ति तत कारगिले एकं गोम्पा (बौद्ध मन्दिरम्) अस्ति यत् बहु इव पुरातनम् अस्ति ! अधुना स्थितिम् इदम् भूतं तत्र तत बौद्ध: स्व तत पुरातन मठे पूजनमर्चनम् कर्तुं न शक्नोन्ति !
जिनमें 65% शिया मुसलमान हैं बाकी सब सुन्नी बौद्ध 14% बचे हैं और हिन्दू 8% ! अब समस्या ये है कि कारगिल में एक गोम्पा (बौद्ध मंदिर) है जो बहुत ही पुराना है ! अब हालात ये हो गए हैं वहां कि बौद्ध अपने उस पुराने मठ में पूजा अर्चना नहीं कर सकते हैं !
बौद्ध: समुदायं तत गोम्पायाः पुनर्निर्माण जीर्णोद्धारं कर्तुमिच्छति स्म यस्याज्ञाम् तत्रस्य मुस्लिम बाहुल्यं समुदायं न ददाति ! अद्यत्वे तत्र इति वार्ताम् गृहीत्वा बहु खिन्नतायाः स्थितिमस्ति !
बौद्ध समुदाय उस गोम्पा का पुनर्निर्माण और मरम्मत करना चाहते थे जिसकी इजाजत वहां का मुस्लिम बाहुल्य समुदाय नहीं दे रहा है ! आजकल वहां इस बात को लेकर बहुत तनाव का माहौल है !
इमानि इदृशमेव शनैः-शनै: भवति इदृशं च् भवति तत न तर्हि विश्वम् ज्ञायते, नैव च् ताः यं प्रत्यां वार्ता करोति ! ५० वर्षेषु त्रीणि लक्षाणि तः न्यूनम् भूत्वा कश्चित जनसंख्या केवलं १९ भवते तु इयत् वृहत् संकटे न कश्चित कुवैत बदति नैव च् कश्चितान्य देशम् !
ये सब ऐसे ही धीरे-धीरे होता है और ऐसा होता है कि न तो दुनिया जान पाती है, और न ही वो इसके बारे में बात करती है ! पचास सालों में तीन लाख से घटकर कोई आबादी सिर्फ 19 हो जाती है मगर इतनी बड़ी समस्या पर न कोई कुवैत बोलता है और न ही कोई अन्य देश !
आम् कुवैत नूपुर शर्मां पाशे दोलिताय प्रमादी भवते अग्रस्य च् स्थितिमिदमस्ति तताधुना ४ कोटि अफगानी मुस्लिमानां मध्य केवलं १४० सिखा: अफगानिस्ताने रमितुं न शक्नोन्ति !
हां कुवैत नुपुर शर्मा को फांसी पर लटकाने के लिए बावला हुवा जा रहा है और आगे का हाल ये है कि अब चार करोड़ अफगानी मुसलामानों के बीच सिर्फ 140 सिख अफगानिस्तान में नहीं रह सकते हैं !
काबुले सिखानां गुरुद्वारे त्रीणि दिवसानि पूर्वघातम् अभवत् भारत सर्वकारः च् त्वरिते सर्वान् सिखान् हिंदुन् च् वीजा इति दत्तमस्ति कुत्रचित तान् सर्वान् भारते सुरक्षितं कर्तुम् शक्नुताः, एकमपि सिखम् पाकिस्तानम् नाहूतयति !
काबुल में सिखों के गुरुद्वारे पर तीन दिन पहले हमला हुवा और भारत सरकार ने आनन फानन में सभी सिखों और हिन्दुवों को वीजा दिया है ताकि उन सबको भारत में सुरक्षित रखा जा सके, एक भी सिख को पाकिस्तान नहीं बुलाता है !
एकमपि हिंदुं तत नाहूष्यति, एकमपि सिखम् कुवैत नाहूष्यति ! सम्प्रति यत् अवशेष: १९ हिंदवः १४० सिखा: च् सन्ति, ताः अपि अफगानिस्ताने न रमिष्यन्ति, अधुना तत्र १०० प्रतिशतानि मुस्लिमा: रमिष्यन्ति, ताः किं रमिष्यन्ति तत्र एकळं, शेष धर्मस्य जनाः किं न रमितुं शक्नुतं ? कस्य प्रकारस्य पीड़ा ददाति स्मेमे १५९ जनाः ४ कोटि मुस्लिमान् ?
एक भी हिन्दू को वो नहीं बुलाएगा, एक भी सिख को कुवैत नहीं बुलाएगा ! अब जो बचे 19 हिंदू और 140 सिख हैं, वो भी अफगानिस्तान में नहीं रहेंगे, अब वहां 100% मोमिन रहेंगे, वो क्यों रहेंगे वहां अकेले, बाकी धर्म के लोग क्यों नहीं रह सकते ? किस तरह की तकलीफ दे रहे थे ये 159 लोग 4 करोड़ मोमिनों को ?
यस्मिन् कश्चितापि प्रश्नम् न पृक्ष्यति नैव च् यै: भतृभिः मया इदम् प्रश्नम् पृच्छनमस्ति ताः यस्य कश्चित उत्तरम् दत्ते कश्चित रुचि धरयन्ति, कुत्रचित तेषां अनुसारेण इति विश्वस्य वास्तविक संकटमिदम् अस्ति तत नूपुर शर्मा अधुनैव बंधनम् किं न गता ?
इस पर कोई भी सवाल नहीं पूछेगा और न ही जिन भाईयों से हमें ये सवाल पूछना है वो इसका कोई जवाब देने में कोई रुचि रखते हैं, क्योंकि उनके हिसाब से इस दुनिया की असल समस्या ये है कि नुपुर शर्मा अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं की गई ?