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पीएम मोदी: महाराजा सुहेलदेव: जयन्त्या: अवसरे इतिहासविदानां भर्तस्नां कृतः ! पीएम मोदी ने महाराजा सुहेलदेव जयंती के अवसर पर इतिहासकारों की भर्तस्ना की !

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१६ फरवरी इतम् महाराजा सुहेलदेव जयंतीम् भवति ! अस्यावसरे ब्रह्मर्षिनगरे अभवत् कार्यक्रमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: वर्चुअल इति प्रकारेण सम्मिलित: ! उत्तरप्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ: अपि उपस्थितः !

16 फरवरी को महाराजा सुहेलदेव जयंती होती है ! इस मौके पर बहराइच में हुए कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअल तरीके से शामिल हुए ! यूपी के चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे !

पीएम मोदी: महाराजा सुहेलदेवम् स्मृतमानः सः देशस्य गरीयसी वीर: बदित: ! नृप: सुहेलदेवस्य नामे बहु परियोजनानां शिलान्यास लोकार्पण च् कृतः ! मोदी: किं-किं कथितः,इमे तर्हि ज्ञापिष्यामः,सहैव इमे अभिज्ञानमपि दाष्यामः तत सुहेलदेव: कासीत् !

पीएम मोदी ने महाराजा सुहेलदेव को याद करते हुए उन्हें देश का महान वीर बताया ! राजा सुहेलदेव के नाम पर कई परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया ! मोदी ने क्या-क्या कहा,ये तो बताएंगे,साथ ही ये जानकारी भी देंगे कि सुहेलदेव कौन थे !

पीएम मोदी: समारोहे कथितः तत इतिहासविदानि भारतस्य बहु वीरान् विस्मृतानि ! सुभाषचंद्र बोसं,वल्लभभाई पटेलं भीमराव अंबेडकरं चपि तत् सम्मानम् न लभ्धा:,यस्य ताः आधिकारिनासीत् ! अस्य सरकारः प्रत्येक विस्मृता: देशभक्तान् पुनः स्थापिता: !

पीएम मोदी ने समारोह में कहा कि इतिहासकारों ने भारत के कई बड़े वीरों को भुला दिया ! सुभाषचंद्र बोस,वल्लभभाई पटेल और भीमराव अंबेडकर को भी वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वो हकदार थे ! इस सरकार ने हर भुला दिए गए देशभक्त को फिर से स्थापित किया है !

महाराजा सुहेलदेव जी की भव्य प्रतिमा

पीएम मोदी: कथितः भारतस्य इतिहास तत् नास्ति,यत् दासः कर्तानि लिखिता: ! भारतस्य इतिहास ताः अपि अस्ति,यत् भारतस्य सामान्यजनेषु लोकगाथाषु च् बसित: ! अद्य यदा भारत स्व स्वतंत्रतायाः पंचसप्तति वर्षे प्रवेश्यति ! इदृशेषु हुतात्मानि नमन कृतेन वृहद कश्चित अवसरम् न भवशक्नुत: !

पीएम मोदी ने कहा भारत का इतिहास वह नहीं है,जो गुलाम बनाने वालों ने लिखा ! भारत का इतिहास वो भी है,जो भारत के सामान्यजन में और लोक गाथाओं में रचा बसा है ! आज जब भारत अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है ! ऐसे में शहीदों को नमन करने से बड़ा कोई अवसर नहीं हो सकता !

उत्तर प्रदेश संसद भवन में लगी महाराजा सुहेलदेव जी की तस्वीर

अयम् दुर्भाग्यमस्ति येन भारतीयताय जीवनम् समर्पित:,तेन तत् स्थानम् न दत्तवान यस्य ताः अधिकारिनासीत् ! तेन सह इतिहास लेखका: यत् अन्याय: कृतानि,तेन अधुनाद्यस्य भारत संशोधयति ! भ्रांतै: देशम् मुक्तयति !

ये दुर्भाग्य है जिन्होंने भारतीयता के लिए जीवन समर्पित कर दिया,उन्हें वह स्थान नहीं दिया गया जिसके वो हकदार थे ! उनके साथ इतिहास लिखने वालों ने जो अन्याय किया,उसे अब आज का भारत सुधार रहा है ! गलतियों से देश को मुक्त कर रहा है !

पीएम मोदी: कृषकविधेयकेषु अपि वार्ता धृत: ! कथितः तत उत्तरप्रदेशे लघु कृषकाः एत विधेयकस्य प्रति साधु अनुभवं साहर्ध्या: ! सः विपक्षे कृषकान् प्रेषितम् कृषकसम्मान निधिम् कृषकविधेयकानि च् गृहित्वा सम्भ्रम प्रसारस्य आरोपमपि अनुवृत्तयत: !

पीएम मोदी ने किसान कानूनों पर भी बात रखी ! कहा कि यूपी में छोटे किसानों ने इन कानून के बारे में अच्छे अनुभव साझा किए हैं ! उन्होंने विपक्ष पर किसानों को भेजी गई किसान सम्मान निधि और किसान कानूनों को लेकर कंफ्यूजन फैलाने के आरोप भी दोहराए !

यस्मात् पूर्व प्रधानमंत्री मोदी: ब्रम्हर्षि नगरे महाराजा सुहेलदेव: स्मारकस्य चित्तौरा सरोवरस्य च् विकास योजनायाः शिलान्यासम् कृतः ! महाराजा सुहेलदेव: स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयस्य महर्षि बालार्क चिकित्सालयस्य च् लोकार्पणमपि कृतः !

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने बहराइच में महाराजा सुहेलदेव स्मारक और चित्तौरा झील की विकास योजना का शिलान्यास किया ! महाराजा सुहेलदेव स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय और महर्षि बालार्क चिकित्सालय का लोकार्पण भी किया !

कासीत् महाराजा सुहेलदेव: ?

कौन थे महाराजा सुहेलदेव ?

नृप: सुहेलदेवम् गृहित्वा कश्चित पुष्टम् अभिज्ञानं तर्हि इतिहासे न लभ्धयति तु तस्य उल्लेखम् सततं आगच्छति ! सप्तदश शताब्द्या: मिरात-ए -मसूद्या: अनुसारम्,सुहेलदेव एकादश सद्याम् श्रावस्त्या: नृपः आसीत्,येन महमूद गजनव्या: भगिनिपुत्र गाजी सैयद सालार मसूदम् युद्धे पराजित: स्म !

राजा सुहेलदेव को लेकर कोई पुख्ता जानकारी तो इतिहास में नहीं मिलती लेकिन उनका जिक्र लगातार आता है ! 17वीं शताब्दी के मिरात-ए- मसूदी के अनुसार,सुहेलदेव 11वीं सदी में श्रावस्ती के राजा थे,जिन्होंने महमूद गजनवी के भांजे गाजी सैयद सालार मसूद को युद्ध में हराया था !

कवि गुरु सहाय दीक्षित द्विदीनस्य कविता श्री सुहेल बावन्याम् सुहेलदेवम् जैन नृपः अबद्यते, येन हिंदू संस्कृत्या: रक्षणम् कृतः स्म ! आर्य समाजस्य ज्ञाता तेन एकः हिंदू नृपः मान्यन्ते,येन मुस्लिम आक्रांतान् युद्धे ह्नत्वा पातयतः स्म !

कवि गुरु सहाय दीक्षित द्विदीन की कविता श्री सुहेल बवानी में सुहेलदेव को जैन राजा बताया गया है,जिन्होंने हिंदू संस्कृति की रक्षा की थी ! आर्य समाज के जानकार उन्हें एक हिंदू राजा मानते हैं,जिन्होंने मुस्लिम आक्रांताओं को युद्ध में मारकर गिराया था !

ब्रिटिश भूवृत्ते अकथ्यते स्म तत सुहेलदेव: राजपूत नृपः आसीत्,येन २१ नृपाणाम् संघम् निर्मित्वा मुस्लिम नृपाणाम् विरुद्धम् रणम् रणितः स्म ! वर्तमाने राजनीतिक दलम् तेन पासी इति समुदायेन युक्त्वापि पश्यंति !

ब्रिटिश गजटियर में कहा गया था कि सुहेलदेव राजपूत राजा थे,जिन्होंने 21 राजाओं का संघ बनाकर मुस्लिम बादशाहों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी ! वर्तमान में राजनीतिक दल उन्हें पासी समुदाय से जोड़कर भी देखते हैं !

नृपः सुहेलवम् प्रति सर्वात् पुष्टाभिज्ञानम् अब्दुर रहमान चिश्त्या: मिरात-ए-मसूद्याम् लभ्धति ! सप्तदश सद्याम् मुगल नृपः जहांगीरस्य काले अब्दुर रहमान चिश्ती नामकस्य एकः लेखक: अभवत् स्म ! १६२० तमस्य दशके चिश्ती: फारसी भाषायाम् एकम् अभिलेखम् अलिखत् मिरात-ए-मसूदी इति !

राजा सुहेलदेव के बारे में सबसे पुख्ता जानकारी अब्दुर रहमान चिश्ती के मिरात-ए- मसूदी में मिलती है ! 17वीं सदी में मुगल राजा जहांगीर के दौर में अब्दुर रहमान चिश्ती नाम के एक लेखक हुए थे ! 1620 के दशक में चिश्ती ने फारसी भाषा में एक दस्तावेज लिखा मिरात-ए-मसूदी !

हिन्द्याम् अस्यार्थ मसूदस्य दर्पणम् भवति ! इति अभिलेखम् गाजी सैयद सालार मसूदस्य जीवनवृत्त इति अबद्यते ! मिरात-ए-मसूद्या: अनुरूपम्,मसूद: महमूद गजनव्या: भगिनिपुत्र आसीत् !

हिंदी में इसका मतलब मसूद का आइना होता है ! इस दस्तावेज को गाजी सैयद सालार मसूद की बायोग्राफी बताया जाता है ! मिरात-ए- मसूदी के मुताबिक,मसूद महमूद गजनवी का भांजा था !

यत् षोडश वर्षस्य वये स्व पितु गाजी सैयद सालार साहूना सह भारते घातम् कर्तुम् आगतः स्म ! पित्रा सह सः इंडस इति नदी उल्लंघय मुल्तान,इंद्रप्रस्थ,मेरठ सतरिख (बाराबंकी) चैव विजयम् पंजीकृतः !

जो 16 वर्ष की उम्र में अपने पिता गाजी सैयद सालार साहू के साथ भारत पर हमला करने आया था ! पिता के साथ उसने इंडस नदी पार करके मुल्तान,दिल्ली,मेरठ और सतरिख (बाराबंकी) तक जीत दर्ज की !

सतरिखे मसूदम् नज्ञातम् किं लुब्ध: तत सः यत्र स्थायाः निर्णयम् कृतवान ! स्थायै तेन आर्श्वस्य पार्श्वस्य नृपान् सुरक्षाम् इच्छनीय: स्म ! अस्मै सः स्व सहयोगिन् आर्श्वस्य पार्श्वस्य नृपाणाम् पराजित कृताय प्रेषित: !

सतरिख में मसूद को न जाने क्या भाया कि उसने यहां टिकने का फैसला कर लिया ! टिकने के लिए उसे आसपास के हिंदू राजाओं से सुरक्षा चाहिए थी ! इसके लिए उसने अपने साथियों को आसपास के राजाओं को ठिकाने लगाने भेजा !

यस्मिन् एकस्य दलस्य नेतृत्व स्वयं मसूदस्य पितु सालार साहू करोति स्म ! ब्रह्मर्षिनगरं तस्य च् आर्श्वस्य पार्श्वस्य क्षेत्राणां नृपा: मसूदस्य सखाभिः युद्धम् कृताः,तु पराजिता: ! पराजयस्यानंतरमपि ताः नतान् तत्परः नासन् ! इदृशेषु लघु लघु रणानि चरितैति !

इनमें एक खेमे का नेतृत्व खुद मसूद का पिता सालार साहू कर रहा था ! बहराइच और उसके आसपास के इलाकों के राजाओं ने मसूद के साथियों से युद्ध किया,लेकिन हार गए ! हार के बावजूद वो झुकने को तैयार नहीं थे ! ऐसे में छिटपुट लड़ाइयां चलती रहीं !

पुनः १०३३ ख्रीष्टाब्दे सालार मसूद स्व शक्तिम् निरीक्षणाय ब्रह्मर्षिनगरं आगत: ! तस्य विजय रथम् तदैव बर्धित:,यदैव तस्य मार्गे नृपः सुहेलदेव नागत: ! सुहेलदेवेण सह युद्धे मसूद: असाधु प्रकारेण आहत: भवितः ! पुनः एतैव क्षतानां कारणेन तस्य निधनमभवत् !

फिर 1033 ई. में खुद सालार मसूद अपनी ताकत परखने बहराइच आया ! उसका विजय रथ तब तक बढ़ता रहा,जब तक उसके रास्ते में राजा सुहेलदेव नहीं आए ! सुहेलदेव के साथ युद्ध में मसूद बुरी तरह जख्मी हो गया ! फिर इन्हीं जख्मों की वजह से उसकी मौत हो गई !

सः निधनेन पूर्वैव स्व सखान् ब्रह्मर्षिनगरस्य तत् स्थानम् ज्ञापयतु स्म,यत्र तस्य निखन्भवस्य इच्छामासीत् ! तस्य सखा: तस्मात् कृतः दृढ़कथनं निर्वहित: तेन च् ब्रह्मर्षिनगरे निखनत: ! केचन वर्षेषु तत् कब्र इति मजार इत्ये पुनः च् दरगाह इत्ये परिवर्तितः !

उसने मरने से पहले ही अपने साथियों को बहराइच की वो जगह बता दी थी,जहां उसकी दफन होने की ख्वाहिश थी ! उसके साथियों ने उससे किया वादा निभाया और उसे बहराइच में दफना दिया गया ! कुछ सालों में वो कब्र मजार में और फिर दरगाह में तब्दील हो गई !

उत्तरप्रदेश जनपद बहराइच बालार्क ऋषि आश्रम में स्थापित मसूद की दरगाह

अयम् मिरात-ए-मसूदी इव नृपः सुहेलदेवस्य प्रथम पुख्ता लिखित उल्लेखमस्ति ! अस्य अभिलेखे तेन श्रावस्त्या: नृपः मोरध्वजस्य प्रथम पुत्राबद्यते ! तु सम्पूर्ण लेखे भिन्न-भिन्न स्थानेषु तस्य भिन्न-भिन्न नामाबद्यते ! यथा सकरदेव:,सुहीरध्वज:,सुह्रददेव:,सहरदेव: सुहिलदेव: इति वा !

ये मिरात-इ-मसूदी ही राजा सुहेलदेव का पहला पुख्ता लिखित जिक्र है ! इस दस्तावेज में उन्हें श्रावस्ती के राजा मोरध्वज का बड़ा बेटा बताया गया है ! लेकिन पूरे लिखे में अलग-अलग जगहों पर उनका अलग-अलग नाम बताया गया है !मसलन सकरदेव,सुहीरध्वज,सुह्रददेव, सहरदेव या सुहिलदेव !

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