वीर सावरकरम् गृहीत्वा एतानि दिवसानि वादयुद्धैव चरितं ! इति मध्य शिवसेना सावरकरम् गृहीत्वा सामनायां एकम् लेखमलिखत् यस्मिन् सावरकरस्य बहु प्रशंसाम् कृतं !
वीर सावरकर को लेकर इन दिनों एक बहस सी चल पड़ी है ! इस बीच शिवसेना ने सावरकर को लेकर सामना में एक लेख लिखा है जिसमें सावरकर की जमकर तारीफ की गई है !
सामनायां अलिखतिति लेखे कथितं तत दास हिंदुस्थानस्य नायक: रमित: सावरकरं खलनायक: कथस्य पश्चैकम् सुनियोजित कुचक्रमासीत् ! तत कुचक्रस्यानुरूपम् प्रयासमद्यापि निरन्तरं चरति !
सामना में लिखे इस लेख में कहा गया है कि गुलाम हिंदुस्थान के नायक रहे सावरकर को खलनायक ठहराने के पीछे एक सुनियोजित साजिश थी ! उस साजिश के तहत प्रयास आज भी जारी ही हैं !
सामनायां सावरकरस्य प्रशंसन् कथितं, विनायक दामोदर सावरकर: स्वतंत्रता संग्रामे क्रांतिकारिनां मुकुटमणिरासीत् ! स्वतंत्रताया पूर्व तेन वैदेशिक: प्रताड़ित: स्माद्य च् स्वैव जनाः तेन प्रताड़यन्ति !
सामना में सावरकर की तारीफ करते हुए कहा गया है, विनायक दामोदर सावरकर स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के मुकुट रत्न थे ! आजादी से पहले उन्हें विदेशियों ने प्रताड़ित किया था और आज अपने ही लोग उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं !
सावरकरस्य महान क्रांतिकारी कार्यम्, देशाय दत्तम् तस्य बलिदानम् विस्मृत्वा केचन जनाः सावरकरम् क्षमायाचित्वा मुक्तमिदृशं वीरम् मानयन्ति ! (इदम् एकम् कुचक्रमस्ति !) सावरकरस्य क्षमाम् प्रत्ये दन्त- कथानका: सन्ति, तानि अर्धम् सन्ति !
सावरकर का महान क्रांतिकारी कार्य, देश के लिए दिए गए उनके बलिदान को भूलकर कुछ लोग सावरकर को माफी मांगकर छूटने वाला वीर ऐसा मानते हैं ! (यह एक साजिश है ! ) सावरकर की माफी के बारे में दंत-कथाएं हैं, वे आधी-अधूरी हैं !
सावरकरम् क्रांतिकारी ज्ञापन् इति लेखे कथितं, केचन जनान् परिलक्ष्यति ! येन देशस्य स्वतंत्रतायाः रणाय स्वगाते एकम् घातमपि न गृहीतं, इदृशा: जनाः सावरकरस्योल्लेखं क्षमावीरस्य रूपे कुर्वन्ति !
सावरकर को क्रांतिकारी बताते हुए इस लेख में कहा गया है, कुछ लोगों को लगता है ! जिन्होंने देश की आजादी की लड़ाई के लिए अपने जिस्म पर एक खरोंच भी नहीं लगवाई, ऐसे लोग सावरकर का उल्लेख माफीवीर के रूप में कर रहे हैं !
सावरकर: यथा क्रांतिकारिन: ब्रिटिश साम्राज्य वादस्य विरुद्धम् क्रांतिकारिणां एकम् सैन्यमेव स्थितं स्म ! सावरकरम् प्रतीदम् सम्मानम् समस्त विश्वस्य इतिहासकारेषु इवास्ति ! तानि सावरकरस्य त्यागम्, शौर्यम् क्रांतिकारी कार्यान् च् दर्शितानि !
सावरकर जैसे क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ क्रांतिकारियों की एक फौज ही खड़ी कर दी थी ! सावरकर के प्रति यह सम्मान दुनियाभर के इतिहासकारों में है ही ! उन्होंने सावरकर का त्याग, शौर्य और क्रांतिकारी कार्यों को देखा !
[mashshare]सावरकरस्य प्रशंसन् कथितं, सावरकरम् द्वितीय उम्र बंधनस्य दंडम् दत्तं स्म ! सः कृष्णजलमेवासीत् ! यदि सावरकर: स्व दंडम् पूर्णतः तर्हि तस्य स्वतंत्रता ५० वर्षाणि पूर्णे अर्थतः २३ दिसंबर, १९६० तमम् भवितैति !
सावरकर की तारीफ करते हुए कहा गया है, सावरकर को दोहरी उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी ! वह काला पानी ही था ! यदि सावरकर ने अपनी सजा पूरी काटी होती तो उनकी रिहाई पचास साल पूरे होने पर अर्थात 23 दिसंबर, 1960 को हुई होती !
अंडमानस्य अन्धयुक्त गह्वरेषु यातना सह्यन् मृतस्य अपेक्षा युक्त्या बाह्य निसृत्वा देशस्य सेवायां प्रयुज्य रमणीय:, इदृश: सावरकर: विचारणमासीत् ! ४ जुलै १९११ तमम् सावरकर: अंडमानस्य सेलुलर कारागारे प्रविष्ट: स्म !
अंडमान की अंधेरी गुफाओं में यातना सहते हुए मरने की बजाय युक्ति से बाहर निकलकर देश की सेवा में लगे रहना चाहिए, ऐसा सावरकर ने सोचा था ! 4 जुलाई, 1911 को सावरकर अंडमान की सेलुलर जेल में दाखिल हुए थे !
३० अगस्तं तेन षड मासाय एकांतवासे धृतं स्म ! (अद्यस्य अंडा सेल इति !) तमेव काळम्, सावरकर: कारागार प्रशासनेणानुरोधम् कर्तुम् आरंभित: ! सावरकरम् हथकड़ी, पादे बेड़ी इति निबद्ध: स्म ! तेन तमेवावस्थायां दीर्घ रज्जु आवर्तनस्य कार्यम् दत्तं !
30 अगस्त को उन्हें छह महीने के लिए एकांतवास में रखा गया था ! (आज का अंडा सेल !) उसी दौरान, सावरकर ने जेल प्रशासन से अनुरोध करना शुरू कर दिया ! सावरकर को हथकड़ी, पैर में बेड़ी डाली गई थीं ! उन्हें उसी अवस्था में मोटा रस्सा घुमाने का काम दिया गया !
सावरकरम् कारागारे कश्चित विशेष सौविध्य नासीत् ! दासतायाः काळम् सावरकर: सर्वानां नायक: आसीत् ! स्वतंत्रतायाः अनंतरेणेव तेन खलनायक: सिद्धस्य प्रयासम् आरंभितं, यत् तत अद्यापि निरन्तरम् चरन्ति !
सावरकर को जेल में कोई विशेष सुविधा नहीं थी !
गुलामी के दौरान सावरकर सभी के नायक थे ! आजादी के बाद से ही उन्हें खलनायक साबित करने के प्रयास शुरू हुए, जो कि आज भी जारी ही हैं !
स्वतंत्रतायाः अमृत महोत्सवे अपि अद्य सावरकर: देशस्य राजनित्या: केंद्रे सन्ति ! सावरकरम् प्रति द्वेष विषम् च् प्रसारस्यानंतरमपि ते जनानां हृदये स्थाई रूपे वासितः !
स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में भी आज सावरकर देश की राजनीति के केंद्र में हैं ! सावरकर के प्रति द्वेष और विष फैलाने के बाद भी वे लोगों के मन में स्थाई तौर पर बसे हुए हैं !
पूर्णेतिहासे, भविष्ये सावरकरस्य स्थानम् एकस्य नायकस्य रूपे न रमित:, यस्मै एकः विशिष्ट वर्ग: तेन सततं क्षमावीरस्य रूपे अपमानितं करोति !
पूरे इतिहास में, भविष्य में सावरकर का स्थान एक नायक के रूप में न रहे, इसके लिए एक विशिष्ट वर्ग उन्हें लगातार माफीवीर के रूप में अपमानित करता रहा है !