चौरकर्मम् गृहीतं ! सीमेंट इत्या: समुहम् शिवलिंगस्य उपरि रोपित्वा उत्स: ज्ञापयन्ति शुद्धहृदयधर्ता: ! ध्यानेण दर्शने सीमेंट इत्या: अंशम् पृथकदर्शयति ! इदृशं परिलक्ष्यति, कश्चितरात्रि शीघ्रतायां जलम् निःसृत्वा, सीमेंट रोपितं ! कुत्रचित गृहते कश्चित कारणम् ळब्धयेत् !
चोरी पकड़ी गई ! सीमेंट की थेकली शिवलिंग के ऊपर चिपका कर फव्वारा बता रहे हैं ईमान-वाले ! ध्यान से देखने पर सीमेंट की पपड़ी अलग दिखाई दे रही है ! ऐसा लग रहा है, किसी रात जल्दबाजी में पानी निकालकर, सीमेंट डाला गया है ! क्योंकि पकड़े जाने पर कोई बहाना मिल जाए !
जलस्याभ्यांतरगमने, सीमेंट इत्या: अंशम् खंडितं, यद्यपि प्रस्तर तादृशस्य तादृशमस्ति ! अस्यप्रकारस्य निकृष्टक्रियाकलापानां कारणम् पूर्णविश्वे येषां धिक्कारयन्ति ! केवलं असत्यस्य, कपटस्य कैतवस्य च् यान् केचन नागच्छन्ति !
पानी के अंदर जाने पर, सीमेंट का भाग फट गया, जबकि पत्थर वैसे का वैसा है ! इसी तरह की घटिया हरकतों के कारण पूरी दुनिया में इनकी थू-थू होती है ! सिवा झूठ, मक्कारी और धोखेबाजी के इनको कुछ नहीं आता है !
ज्ञानवापी स्वयं एकम् संस्कृतशब्दमस्ति, ज्ञानस्यार्थम् (जानकारी), वापी अर्थम (सागर) ! अर्थतः औरंगजेब: मस्जिदम् निर्मित: नाम धृत: च् शुद्ध संस्कृते ज्ञानस्य सागरम् ? ज्ञानवापिण: पश्चस्य अंशस्य भित्ति अद्यापि सुरक्षितमस्ति !
ज्ञानवापी स्वयं एक संस्कृत शब्द है, ज्ञान माने (जानकारी), वापी मतलब (सागर) ! मतलब औरंगजेब ने मस्जिद बनाई और नाम रखा शुद्ध संस्कृत में ज्ञान का सागर ? ज्ञानवापी के पीछे के हिस्से की दीवार आज भी सलामत है !
पूर्ण भवनम् पातयस्य स्थानम्, उपरि अंशम् त्रोटित्वा हर्म्यशिखरम् निर्मित: ! हिंदू समाजे विद्रोहस्य स्थितिं दृष्ट्वा औरंगजेब: पलायित: अतएव संभवत: च् अन्यकेचन त्रोटनस्य तस्य धैर्यम् नाभवत् ! नंदिण: मुख सदैव कश्चितापि मंदिरे भगवतः शिवम् प्रति इव भवति !
पूरी ईमारत गिराने की जगह, ऊपरी हिस्सा तोड़कर गुम्बद बना दिया गया ! हिंदू समाज में विद्रोह की स्थिति देख औरंगजेब भाग खड़ा हुआ और इसीलिए शायद और कुछ तोड़ने की उसकी हिम्मत ना हुई ! नंदी का मुंह हमेशा किसी भी मंदिर में भगवान भोलेनाथ की ओर ही होता है !
इदृशं भवन्तः कश्चितापि मंदिरे दर्शितुं शक्नोन्ति ! सम्प्रति ज्ञानवाप्यां नंदी सन्ति, गौरी श्रृंगार मंदिरम् अस्ति (पार्वती), तु पुनः भगवत: शिव: कुत्र सन्ति ! काशी गंगा तटमस्ति, शिवमहोदयस्य च् केशेभ्यः निसृता गंगायाः चित्रम् भवन्तः दर्शितुं भविष्यन्ति !
ऐसा आप किसी भी मंदिर में देख सकते हैं ! अब ज्ञानवापी में नंदी हैं, गौरी श्रृंगार मंदिर है (पार्वती), पर फिर भगवान शिव कहां हैं ! काशी गंगा किनारे है, और शिवजी के केशों से निकलती गंगा की तस्वीर आप सबने देखी होगी !
अतएव एकं शोभनम् तडाग: निर्मितं तस्य मध्य च् शिवलिंगम् निर्मितं ! कुत्रचित स्पष्ट नंदिण: सरले अस्ति ! नागा साधूनां विद्रोहस्य कारणम् काश्यां यति त्रोटितुं शक्नोति स्म, तति त्रोटित्वा मुगल सैन्यं पलायितं !
इसीलिए एक खूबसूरत तालाब बनाया और उसके मध्य शिवलिंग बनाया गया ! जोकि ठीक नंदी की सीध में है ! नागा साधूओं के विद्रोह के चलते काशी में जितना तोड़ सकते थे, उतना तोड़कर मुगल सेना भाग खड़ी हुई !
शिवलिंगमियत् परिमाणमस्ति, तत क्रेन इतम् विना संभवम् न भवितं ! संभवत: येन कारणम् सीमेंट तः उत्सकं वामपंथी असत्यं रचितं ! कुत्रचित हिंदून् मूढ़ निर्मितुं शक्नुतं !
शिवलिंग इतना भारी है कि क्रेन के बिना निकालना संभव ना होता ! शायद इसीलिए सीमेंट से फाउंटेन वाला वामपंथी झूठ गढ़ा गया ! ताकि हिंदुओं को मूर्ख बनाया जा सके !