उत्तरप्रदेशस्य ललितपुरस्य वासिन् विष्णु तिवार्या: कथानक यावत् पीडायुक्तमस्ति तावतेव तत् अस्माकं तंत्रे प्रश्नचिह्नमपि उत्थायति ! विष्णु तिवारी: स्व जीवनस्य महत्वपूर्ण २० वर्षम् विना कश्चितैव पातकस्य कारागारस्य छड़ानां पश्च व्यतीत: !
यूपी के ललितपुर के रहने वाले विष्णु तिवारी की कहानी जितनी दर्दनाक है उतना ही वह हमारे सिस्टम पर सवालिया निशान भी खड़े करती है ! विष्णु तिवारी ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण 20 साल बिना किसी जुर्म के जेल की सलाखों के पीछे बिताए हैं !
विष्णु तिवारी: इदृशं पातकस्य दण्ड् लभ्ध: यत् सः कदापि कृतरैव न ! विष्णु तिवारी: २० वर्षम् केवलं कारागारे न व्यतीत: अपितु अस्य कालम् तस्य मातरम्,पितरं विहास्यातिरिक्तं द्वयौ भ्रातौ अपि अवनश्यत: ! विष्णु तिवार्या: दुर्भाग्यम् इमे भवितः तत ताः कश्चितैवस्य अंतिम संस्कारैवे सम्मिलितं भवितुम् न शक्नुत: !
विष्णु तिवारी ने ऐसे जुर्म की सजा काटी है जो उन्होंने कभी किया ही नहीं ! विष्णु तिवारी ने 20 साल केवल जेल में नहीं काटे बल्कि इस दौरान उनकी मां,पिता को खोने के अलावा दो भाईयों को भी खो दिया ! विष्णु तिवारी की बदनसीबी ये रही कि वो किसी के अंतिम संस्कार तक में शामिल नहीं हो सके !
विष्णु तिवारीम् कारागारे बाह्य निस्सराय तस्य गृहवासिन् भूम्यैव विक्रीत: तु प्रत्येकदा निराशैव हस्ताभ्यां लभ्धिष्यते ! विष्णुम् मुक्तिपत्रमेव न लभ्धितः ! कारागारात् मुक्त्या: अनंतरम् विष्णु: ज्ञापयति तत मुक्तिपत्रस्य संपूर्ण पणमधिवक्ता खादित: न्यायालये च् उपस्थिति सूचनामेव न लभ्ध: !
विष्णु तिवारी को जेल से बाहर निकलवाने के लिए उनके घरवालों ने जमीन तक बेच डाली लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी ! विष्णु को बेल तक नहीं मिली ! जेल से छूटने के बाद विष्णु बताते हैं कि जामीन का पूरा पैसा वकील खा गया और कोर्ट में तारीख तक नहीं मिली !
अस्यैव चिंतायाम् विष्णु इत्यस्य कुटुंब शनैः- शनैः समाप्त इति भवितः ! विष्णु: ज्ञापयति तत कारागारे इति प्रकारम् रुदित: तत शनैः-शनैः रुदितैव कालम् व्यतीत: निराशायाः च् कालम् चरित: ! गुरूवासरम् यदा विष्णु स्व ग्रामम् प्राप्त: तदा तस्य ग्रामीणा: बहु स्वागतम् कृताः आलिङ्गयता: च् !
इसी टेंशन में विष्णु का परिवार धीरे-धीरे खत्म सा हो गया ! विष्णु बताते हैं कि वो जेल में इस कदर रोए कि धीरे-धीरे रोने में ही समय कट गया और निराशा का दौर चलते रहा ! गुरुवार को जब विष्णु अपने गांव पहुंचे तो उनका गांव वालों ने जमकर स्वागत किया और गले लगा लिया !
विष्णु ज्ञापयति तेन तं पातकस्य दण्डम् लभ्ध: यत् सः कदापि कृतरैव न ! कारागारे वासस्य कालम् विष्णु: तंत्रेण अस्य प्रकारम् निराश अभव्यते स्म तत सः एकदा तर्हि आत्म हननस्यैव हृदयम् निर्मित: स्म !
विष्णु बताते हैं उन्हें उस जुर्म की सजा मिली जो उन्होंने कभी किया ही नहीं ! जेल में रहने के दौरान विष्णु सिस्टम से इस कदर हताश हो चुके थे कि उन्होंने एक बार तो आत्महत्या करने का तक मन बना लिया था !
विष्णौ आरोपमासीत् तत सः १६ सितंबर २००० तमम् क्षेत्रम् गच्छिता अनुसूचित जात्या: महिलाम् गुल्मे निर्धेत्वा तस्य बलात्कार इति कृतः स्म ! अस्यानंतरम् तत्कालीन आरक्षक क्षेत्राधिकारी अन्वेषणित्वा अभियोगप्रपत्र इति प्रस्तुत: !
विष्णु पर आरोप था कि उन्होंने 16 सितंबर सन् 2000 को खेत जा रही अनुसूचित जाति की महिला को झाड़ी में खींचकर उसका रेप किया था ! इसके बाद तत्कालीन सीओ ने जांच कर चार्जशीट प्रस्तुत की !
सत्र न्यायालयः दुष्कर्मस्यारोपे १० वर्षस्य एससी-एसटी विधेयकस्य पातके १० वर्षस्य वा दण्डम् शृणुतः ! विष्णो: अनुरूपम् पूर्ण अभियोगस्य अनृतमासीत् !
सत्र न्यायालय ने दुष्कर्म के आरोप में 10 साल व एससी-एसटी एक्ट के अपराध में 10 साल की सजा सुनाई ! विष्णु के मुताबिक पूरा मुकदमा की झूठा था !
विष्णु: ज्ञापयति तत पशून् गृहित्वा पीड़ित पक्षेन सह वादयुद्धम् अभवत् स्म तेन गृहित्वा च् पीडिता अपवाद पंजीकृतमकारयते !
विष्णु बताते हैं कि पशुओं को लेकर पीड़ित पक्ष के साथ बहस हुई थी और इसे लेकर पीड़ित ने शिकायत दर्ज करा दी !
आरोपम् अनृतं भवे आरक्षकः त्रय दिवसैव अभियोगम् न लिखित: तु अनंतरे उपर्या भारम् आगतः तदा आरक्षकः बलात्कार तथा एससी एसटी इति विधेयकस्यानुरूपम् अभियोगम् पंजीकृत्वा विष्णुम् कारागारम् प्रेषित: !
आरोप झूठा होने पर पुलिस ने तीन दिन तक मामला नहीं लिखा लेकिन बाद में ऊपर से दवाब आया तो पुलिस ने रेप तथा एससी, एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज करके विष्णु को जेल भेज दिया !
२००५ तमस्यानंतरम् १२ वर्षमेव विष्णुना कारागारे कश्चित मेलमपि कर्तुम् न शक्नुत: ! २०१७ तमे यदा लघु भ्रातः महादेव: मेलनाय प्राप्त: तदा तं बदित: तत मातु:-पितु: भ्रातृणाम् च् निधनम् अभवन् !
2005 के बाद 12 साल तक विष्णु से जेल में कोई मिल भी नहीं पाया ! 2017 में जब छोटा भाई महादेव मिलने पहुंचा तो उसने बताया कि मां-बाप और भाईयों की मौत हो गई !
अनंतरे सरकारी अधिवक्ता तस्य शृणुनम् कृतः अंततः च् उच्चन्यायालयः विष्णुम् निर्दोष सिद्ध: कृतः ! अधुना विष्णो: पार्श्व यत् गृहमासीत् तत भग्नम् निर्मितम् तत सरकारेणार्थिक सहाय्यस्य रोजगारस्य वा याचनां करोति ! सम्प्रति प्रश्नम् इदम् उत्थयति दोषिम् का ?
बाद में सरकारी वकील ने उसकी सुनवाई की और अंतत: हाईकोर्ट ने विष्णु को निर्दोष साबित किया ! अब विष्णु के पास जो घर था वो खहंडर बन चुका है वो सरकार से आर्थिक मदद या रोजगार की मांग कर रहे हैं ! अब प्रश्न यह उठता है दोषी कौन ?