28.1 C
New Delhi

कस्मात् मृत: कुतबुद्दीन ऐबक: ? यत् इतिहासे न ज्ञापितमस्ति ! कैसे मरा कुतुबुद्दीन ऐबक ? जो इतिहास में नहीं बताया गया है !

Date:

Share post:

कुतुबुद्दीन ऐबक: अश्वात् पतित्वा हतः स्म, इदम् तर्हि सर्वा: ज्ञायन्ति, तु कस्मात् हतः कः हतवानेदम् केवलं वयं ज्ञायाम: ! इदमद्य वयं भवतः ज्ञापिष्यामः ! वीर महाराणा प्रताप महोदयस्य चेतक: सर्वान् स्मरणमस्ति, तु शुभ्रक: न !

कुतुबुद्दीन ऐबक घोड़े से गिर कर मरा था, यह तो सब जानते हैं, लेकिन कैसे मरा और किसने मारा यह सिर्फ हम जानते हैं ! यह आज हम आपको बताएंगे ! वीर महाराणा प्रताप जी का चेतक सबको याद है, लेकिन शुभ्रक नहीं !

तर्हि मित्राणि अद्य शृणुन्तु, कथानक शुभ्रकस्य, कुतुबुद्दीन ऐबक: राजपूतानायां बहु उत्पातं कृतः, उदयपुरस्य च् राजकुंवर कर्णसिंहम् बंधने कृत्वा लाहौरम् नीत: ! कुंवरस्य शुभ्रक: नामकं एकः स्वामिभक्त अश्व: आसीत्, यत् कुतुबुद्दीनम् रुचित: सः च् तेनापि सह नीत: !

तो मित्रों आज सुनिए, कहानी शुभ्रक की, कुतुबुद्दीन ऐबक ने राजपूताना में जम कर कहर बरपाया, और उदयपुर के राजकुंवर कर्णसिंह को बंदी बनाकर लाहौर ले गया ! कुंवर का शुभ्रक नामक एक स्वामिभक्त घोड़ा था, जो कुतुबुद्दीन को पसंद आ गया और वो उसे भी साथ ले गया !

एकं दिवसं बंधनतः पलायस्य प्रयासे कुंवरम् प्राण दंड दत्त: दंडदत्तुम् च् जन्नत उद्याने आनीत: ! इदम् निश्चितं तत राजकुंवरस्य शिरम् कर्तित्वा तस्मात् (तत काळम् तत क्रीड़ायाः नाम क्रीडनस्य च् प्रकारं केचनान्यमेवासीत्) क्रीडिष्यते !

एक दिन कैद से भागने के प्रयास में कुँवर को सजा-ए-मौत सुनाई गई, और सजा देने के लिए जन्नत बाग में लाया गया ! यह तय हुआ कि
राजकुंवर का सिर काटकर उससे पोलो (उस समय उस खेल का नाम और खेलने का तरीका कुछ और ही था) खेला जाएगा !

कुतुबुद्दीन: स्वयं कुंवरस्येव अश्वे शुभ्रके आसीनम् भूत्वा स्व क्रीडकाः समूहेण सह जन्नतोद्याने आगतः ! शुभ्रक: यथैव बंदिनवस्थायां राजकुंवरम् दर्शित:, तस्य नेत्राभ्यां वाष्पम् पतित: ! यथैव शिरम् कर्तनाय कुंवरस्य श्रृंखलाननावृत: !

कुतुबुद्दीन खुद कुँवर के ही घोड़े शुभ्रक पर सवार होकर अपनी खिलाड़ी टोली के साथ जन्नत बाग में आया ! शुभ्रक ने जैसे ही कैदी अवस्था में राजकुंवर को देखा, उसकी आंखों से आंसू टपकने लगे ! जैसे ही सिर कलम करने के लिए कुँवर की जंजीरों को खोला गया !

तर्हि शुभ्रकं स्वीकृतुं नाभवत्, तः कुर्दित्वा कुतुबुद्दीनं अश्वात् पातित:, तस्य च् वक्षे स्वदृढ़ पादै: बहु घातम् कृतवन्तः, यस्मात् कुतुबुद्दीनस्य निधनमभवत् ! इस्लामिक सैन्यम् विस्मित: भूत्वा दर्शितुं रमितं, अवसरस्य लाभम् नीत्वा कुंवर: सैन्यभिः मुक्त: शुभ्रके चासीनमभवत् !

तो शुभ्रक से रहा नहीं गया, उसने उछलकर कुतुबुद्दीन को घोड़े से गिरा दिया, और उसकी छाती पर अपने मजबूत पैरों से कई वार किए, जिससे कुतुबुद्दीन के प्राण पखेरू उड़ गए ! इस्लामिक सैनिक अचंभित होकर देखते रह गए, मौके का फायदा उठाकर कुंवर सैनिकों से छूटे और शुभ्रक पर सवार हो गए !

शुभ्रक: वायुतः तीव्रम् धावित:, लाहौरतः उदयपुरं विना विरमितं उदयपुरे च् भवनस्य संमुखमागत्वा इव विरमित: ! राजकुंवर: अश्वात् अवतरित: स्वप्रिय अश्वम् प्रीतिकर्तुं हस्ते प्रसृत:, तर्हि ज्ञातमभवत् तत सः तर्हि प्रतिमा इव स्थित: स्म, तस्मिन् प्राणम् न अवशेषित: स्म !

शुभ्रक ने हवा से बाजी लगा दी, लाहौर से उदयपुर बिना रुके दौडा और उदयपुर में महल के सामने आकर ही रुका ! राजकुंवर घोड़े से उतरे और अपने प्रिय अश्व को पुचकारने के लिए हाथ बढ़ाया, तो पाया कि वह तो प्रतिमा बना खडा था, उसमें प्राण नहीं बचे थे !

शिरे हस्तम् धृतमेव शुभ्रकस्य निष्प्राण गातं पतित:, भारतस्य इतिहासे इदम् तथ्य कुत्रैव न पाठिते ! कुत्र चित वामपंथिन् धर्मनिरपेक्ष: च् लेखका: इदृशमेव दुर्गतियुक्तं निधनम् ज्ञायपेण संकोचम् कुर्वन्ति ! अद्यस्य युगे यै: दृढ़ धर्मनिरपेक्षा: कथ्यति !

सिर पर हाथ रखते ही शुभ्रक का निष्प्राण शरीर लुढक गया, भारत के इतिहास में यह तथ्य कहीं नहीं पढ़ाया जाता है ! क्योंकि वामपंथी और सेक्युलर लेखक ऐसी दुर्गति वाली मौत को बताने से हिचकिचाते हैं ! आज के युग में इन्हें पक्के सेक्युलर कहते है !

यै: स्व गौरवपूर्णम् इतिहासमनादरेण सह लेखित्वा देशस्य जनेषु प्रदत्ता: ! यद्यपि फारस्या: बहु प्राचीन पुस्तकेषु कुतुबुद्दीन ऐबकस्य निधनमस्यैव प्रकारम् लेखितुं ज्ञापितमस्ति ! तु अस्माकं देशस्य धर्मनिरपेक्ष कांग्रेसिन् वामपंथिन् च् क्षतिम् कृत्वा धृतवान ! नमन स्वामिभक्तं शुभ्रकं !

जिन्होंने अपने गौरव पूर्ण इतिहास को बेइज्जती के साथ लिखकर देश की जनता में परोसा है ! जबकि फारसी की कई प्राचीन पुस्तकों में कुतुबुद्दीन ऐबक की मौत इसी तरह लिखी बताई गई है ! परन्तु हमारे देश के सेक्युलर कांग्रेसी और वामपंथी बरबाद कर रख दिये है ! नमन स्वामीभक्त शुभ्रक को !

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img

Related articles

मोहम्मद सैयद: पुरातन मित्रम् प्रणीत तेजाम् छलेणाहूयाहन् ! मोहम्मद सैयद ने पुराने दोस्त प्रणीत तेजा को धोखे से बुला कर मार डाला !

हैदराबादे एकः २० वर्षीय: युवकः प्रवीण तेजा इत्यस्य ग्रीवा कर्तित्वा वध: अकरोत् ! वधस्य आरोप: तस्य मित्रम् मोहम्मद...

हिंदू बालकौ वधिकौ साजिदस्य परिजना: कुर्वन्ति पृथक-पृथक दृढ़कथनानि ! हिंदू बच्चों के हत्यारे साजिद के परिजन कर रहे अलग-अलग दावे !

उत्तरप्रदेशस्य बदायूं इत्यां १९ मार्च २०२४ तमम् २ हिंदू बालकयो: ग्रीवा कर्तनस्य मुख्यारोपिन् साजिदमारक्षकः अग्रिम दिवसं एके समाघाते...

देशस्य पृथक-पृथक अंशेषु लव जिहादस्य प्रकराणि ! देश के अलग-अलग हिस्से में लव जिहाद के प्रकरण !

देशस्य पृथक-पृथक क्रोणतः लव जिहादस्य सततं घटना: संमुख: आगच्छन्ति ! कश्चितेण इच्छायास्य प्रकारस्य कार्याणि कर्तृन् विध्या: भय: न...

जलनिर्गमेण अलभत् स्म अनु इत्यस्य अर्धनग्न शवम्, वधे मुजीब रहमान: बंधनम् ! नाले से मिली थी अनु की अर्धनग्न लाश, हत्या में मुजीब रहमान...

केरलस्य कोझिकोडे ११ मार्च २०२४ तमम् अनु नाम्नः एकयाः २६ वर्षीया महिलायाः वध: अकरोत् स्म ! मृतकायाः अर्धनग्न...