भारतस्य विभाजनाय मुस्लिम नेतारः १६ अगस्त, १९४६ तमम् डायरेक्ट एक्शन डे इत्या: उद्घोषणा कृतवान स्म, यदा मुस्लिम सम्मर्द: हिन्दुषु बहु उत्पातं कृतवन्तः ! बंगे यस्य विशेष प्रभाव दर्शितुं ळब्धं, यत्र बहुषु क्षेत्रेषु उत्पातं अभवन् ! नोआखलिण: उत्पाताः तेषु सर्वात् अधिकं भयावह: सन्ति !
भारत के विभाजन के लिए मुस्लिम नेताओं ने 16 अगस्त, 1946 को डायरेक्ट एक्शन डे का ऐलान किया था, जब मुस्लिम भीड़ ने हिन्दुओं पर जम कर कहर बरपाया ! बंगाल में इसका खासा असर देखने को मिला, जहाँ कई इलाकों में दंगे हुए ! नोआखली के दंगे उनमें सबसे ज्यादा कुख्यात हैं !
तत्र तर्हि बहूनि मासानि एवोत्पातं चरितुं रमति स्म ! महात्मा गांधीम् क्षेत्रे कैंप कर्तुं अभवत् स्म, ततकाळं अभवन् एतान् उत्पातान् गृहीत्वैकः वयोवृद्ध: जनः स्वानुभवम् भागधा कृतवान ! वार्ताहरः अभिजीत मजूमदार: यस्य चलचित्रम् सोशल मीडिया इत्यां भागधा कृतवान !
वहाँ तो कई महीनों तक दंगा चलता ही रहा था ! महात्मा गाँधी को इलाके में कैंप करना पड़ा था, उस दौरान हुए इन्हीं दंगों को लेकर एक वयोवृद्ध व्यक्ति ने अपने अनुभव साझा किए हैं ! पत्रकार अभिजीत मजूमदार ने इसका वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया है !
डायरेक्ट एक्शन डे इत्यां जीवितं रबीन्द्र नाथ दत्ता स्व नेत्रयो: संमुखम् मुस्लिम सम्मर्दस्य क्रूरताम् अदर्शयन् स्म ! तस्योम्र ९२ वर्षमस्ति ! इति कारणात् तत काळम् तः युवावस्थायां आसीत् तस्य च् उम्र २४ वर्षस्यार्श्वपार्श्व रमितुं भविष्यति ! सः ज्ञापितमस्ति तत कीदृशम् राजापणस्य गोमांसस्यापणेषु हिंदू महिलानां नग्न शवानि हुक तः लंबित्वा धृतवान स्म !
डायरेक्ट एक्शन डे में जिंदा बच गए रबीन्द्रनाथ दत्ता ने अपनी आँखों के सामने मुस्लिम भीड़ की क्रूरता को देखा था ! उनकी उम्र 92 साल है ! इस हिसाब से उस समय वो युवावस्था में थे और उनकी उम्र 24 साल के आसपास रही होगी ! उन्होंने बताया है कि कैसे राजा बाजार के बीफ की दुकानों पर हिन्दू महिलाओं की नग्न लाशें हुक से लटका कर रखी गई थीं !
सः ज्ञापितवान तत विक्टोरिया विद्यालये पाठका बहूनां हिंदू छात्राणां दुष्कर्म कृतवान, तस्या: हननम् अभवन् तस्या: शवान् छात्रावासस्य वातायनै: लंबितवान ! रबीन्द्र नाथ दत्ता स्व नेत्राभ्याम् हिन्दुनां क्षत-विक्षत शवानि दर्शितं सन्ति ! भूमे रक्तस्य धार इति आसीत्, यत् तस्य पादयो: अधो तः प्रवाहित्वा गच्छति स्म !
उन्होंने बताया कि विक्टोरिया कॉलेज में पढ़ने वाली कई हिन्दू छात्राओं का बलात्कार किया गया, उनकी हत्याएँ हुईं और उनकी लाशों को हॉस्टल की खिड़कियों से लटका दिया गया ! रबीन्द्रनाथ दत्ता ने अपनी आँखों से हिन्दुओं की क्षत-विक्षत लाशें देखी हैं ! जमीन पर खून की धार थी, जो उनके पाँव के नीचे से भी बह कर जा रही थी !
येषुतः बहवः महिला: अपि आसन्, यासाम् शवभिः तासाम् स्तन गोपितं आसन् ! तासाम् प्राइवेट स्थानेषु कृष्णवर्णस्य चिन्हानि आसन् ! क्रूरतायाः पराकाष्ठाम् आसीत् ! रबीन्द्र नाथ दत्ता स्व दर्शितुं अनुभवान् विश्वम् ज्ञापितुं डायरेक्ट एक्शन डे, नोआखली नर संहारे १९७१ नरसंहारे च् द्वादशानि पुस्तकानि अलिखत् !
इनमें से कई महिलाएँ भी थीं, जिनकी लाशों से उनके स्तन गायब थे ! उनके प्राइवेट पार्ट्स पर काले रंग के निशान थे ! क्रूरता की चरम सीमा थी ! रबीन्द्रनाथ दत्ता ने अपने देखे अनुभवों को दुनिया को बताने के लिए डायरेक्ट एक्शन डे, नोआखली नरसंहार और 1971 नरसंहार पर दर्जन भर किताबें लिखीं !
तस्य भार्यायाः निधनस्यानंतरम् तस्या: आभूषण विक्रीत्वा सः यस्मै व्ययं संचित: ! तस्य चक्षुविक्षितेन सह-सह तस्य गहनाध्ययनम् अनुसंधानमपि च् येषु सम्मिलितमासीत् ! तस्य कथनमस्ति तत बंगस्य कश्चित नेताम् चलचित्राभिनेताम् मीडिया वा यस्मात् कश्चितार्थम् नास्ति !
उनकी पत्नी का निधन होने के बाद उनके गहने बेच कर उन्होंने इसके लिए खर्च जुटाया ! उनकी आँखों-देखी के साथ-साथ उनका गहन अध्ययन और रिसर्च भी इसमें शामिल था ! उनका कहना है कि बंगाल के किसी नेता, फिल्मी हस्ती या फिर मीडिया को इससे कोई मतलब नहीं है !
डायरेक्ट एक्शन डे इत्या: दिवसं आरंभितन् उत्पाताः चत्वारि दिवसानि एवाचलत् येषु च् लगभगम् दश सहस्र जनाः हतवान ! महिला: दुष्कर्मस्य लक्ष्य: अभवन् बलात् च् जनानां धर्मपरिवर्तनं कारितवान ! एतेषु उत्पातेषु हिंदुन् प्रति गोपाल चंद्र मुखर्जी, येन गोपाल पाठायाः नाम्नापि ज्ञायते !
डायरेक्ट एक्शन डे के दिन शुरू हुए दंगे चार दिनों तक चले और उसमें करीब दस हजार लोग मारे गए ! महिलाएँ बलात्कार का शिकार हुईं और जबरन लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया गया ! इन दंगों में हिन्दुओं की ओर से गोपाल चंद्र मुखर्जी, जिन्हें गोपाल पाठा के नाम से भी जाना जाता है !
तस्य भूमिकायाः कथानकं बहु प्रसिद्धमस्ति ! गोपाल मुखर्जी एकस्य वाहिन्या: गठनम् कृतवान स्म यः एतेषां उत्पातानां काळम् हिन्दुनां रक्षणम् कृतवान, वाहिनी च् इति प्रकारेण रणितं तत मुस्लिम लीगस्य नेतृन् गोपाल मुखर्ज्या रक्तपातावरोधनाय अनुरोधम् कर्तुं अभवन् !
उनकी भूमिका की कहानी बहुत प्रसिद्ध है ! गोपाल मुखर्जी ने एक वाहिनी का गठन किया था जिसने इन दंगों के दौरान हिन्दुओं की रक्षा की, और वाहिनी इस तरह से लड़ी कि मुस्लिम लीग के नेताओं को गोपाल मुखर्जी से खून-खराबा रोकने के लिए अनुरोध करना पड़ा !