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यत्रतः निःसृतं सत्यमेव जयते तत्रापि प्रवेशितं ईसाई मिशनरी, पुरातन मंदिर मूर्तकं च् भूम्यां क्रॉस इत्यकं मंचतः सज्जयति मसीही मेलकम् ! जहाँ से निकला सत्यमेव जयते वहाँ भी घुस गए ईसाई मिशनरी, प्राचीन मंदिर और मूर्ति वाली जमीन पर क्रॉस वाले मंच से सज रहा है मसीही मेला !

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सत्यमेव जयते भारतस्य राष्ट्रीयादर्श वाक्यं अस्ति ! संभवतः भवान् ज्ञाष्यते ततेदं मंत्रं मुण्डक्योपनिषद् तः नीतमस्ति ! कथ्यते तत माण्डूक्य ऋषि यस्य रचना मदकू द्विपे कृतरासीत् ! इदम् द्वीपाद्यस्य छत्तीसगढ़स्य मुंगेली जनपदे अस्ति !

सत्यमेव जयते भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है ! संभवतः आप जानते होंगे कि यह मंत्र मुण्डक्योपनिषद् से लिया गया है ! कहते हैं कि माण्डूक्य ऋषि ने इसकी रचना मदकू द्वीप पर की थी ! यह द्वीप आज के छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में है !

तु किं भवान् ज्ञायते तत यस्मिन् द्विपे सर्वात् वृहत् सम्मर्द: प्रतिवर्षम् फरवर्यां भवति ? इदम् सम्मर्द: सप्ताह पर्यंतम् भवकं मसीही मेलकम् गृहीत्वा भवति ? मसीही मेलकम् ११३ वर्षतः भवति ? संभवमस्ति तत येन प्रकारेण हिन्दुनां ईसाई धर्मांतरणम् भवति !

लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस द्वीप पर सबसे बड़ा जमावड़ा हर साल फरवरी में लगता है ? यह जमावड़ा सप्ताह भर चलने वाले मसीही मेला को लेकर लगता है ? मसीही मेला 113 साल से लग रहा है ? संभव है कि जिस तरह से हिंदुओं का ईसाई धर्मांतरण हो रहा है !

येन प्रकारेण ईसाई मिशनरी देशस्य वीथ्यां-वीथ्यां प्रसरन्ति, तादृशे एके द्विपे मसीही मेलकम् भवितुं भवतायाश्चर्यपूर्णं नासि ! तु मदकू द्विपस्य भौगोलिक स्थित्या परिचये इदम् न केवलं भवतामाश्चर्यचकितं करिष्यति, अपितु ईसाई मिशनरी इत्यानां तत भयावहेच्छायापि परिचयं कारिष्यति !

जिस तरीके से ईसाई मिशनरी देश के गली-गली में पसर रहे हैं, वैसे में एक द्वीप पर मसीही मेला लगना आपके लिए आश्चर्यजनक न हो ! लेकिन मदकू द्वीप की भौगोलिक स्थिति से परिचित होने पर यह न केवल आपको अचंभित करेगा, बल्कि ईसाई मिशनरियों के उस खतरनाक इरादे से भी परिचित करवाएगा !

यस्यानुरूपम् ते जलम्, वनम्, भूमिम् प्रतिस्थानम् अधिपत्यं कुर्वन्ति ! अस्यैव रणनीत्या: अनुरूपम् ते जनसंख्या बहुल क्षेत्रतः निर्जन द्विपमेव प्रसरन्ति ! छत्तीसगढ़स्य एकं प्रमुख नगरम् बिलासपुरतः मदकू द्वीप लगभगम् ४० किलोमीटर अस्ति ! यस्मिन् द्विपे प्राप्तुं भवतम् शिवनाथ नदीम् पारम् यातुं भवति !

जिसके तहत वे जल, जंगल, जमीन हर जगह कब्जा कर रहे हैं ! इसी रणनीति के तहत वे आबादी बहुल मैदान से लेकर निर्जन द्वीप तक फैल रहे हैं ! छत्तीसगढ़ के एक प्रमुख शहर बिलासपुर से मदकू द्वीप करीब 40 किलोमीटर है ! इस द्वीप पर पहुँचने के लिए आपको शिवनाथ नदी को पार करना पड़ता है !

नदी पारस्यैकमात्र साधनम् नौकामस्ति ! नद्यैव प्राप्तेन पूर्वम् भवान् बैतलपुर, सरगांव यथा ग्रामीण क्षेत्रै: गच्छन्ति ! मार्गत: गच्छन् गृहेषु दर्शकानि क्रॉस इत्याः चिंहम् मार्गत: संलग्नम् शवस्थानम् येषु क्षेत्रेषु ईसाई मिशनरी इत्यानां प्राप्तस्य भवतम् पूर्वसूचनां ददान्ति !

नदी पार करने का एकमात्र साधन नाव है ! नदी तक पहुँचने से पहले आप बैतलपुर, सरगाँव जैसे ग्रामीण इलाको से गुजरते हैं ! सड़क से गुजरते हुए घरों पर दिखने वाले क्रॉस के निशान और सड़क से सटे कब्रिस्तान इन इलाकों में ईसाई मिशनरियों की पहुँच की आपको पूर्व सूचना दे देते हैं !

नद्यां एकं एनी कट (जलस्य प्रवाहावरोधनाय निर्मितं लघु बंध) अनिर्मयत् ! नद्यां यदा जलम् न्यूनं भवति तदा एनी कट इत्या: मार्गमपि जनाः पद्भ्यां लघुभिः वाहनै: द्विपमेव गच्छन्ते ! तु सितंबर २०२२ तमे यदा वयं मदकू द्विपम् प्राप्तवान तदा शिवनाथ पूर्णवेगे बहति स्म ! एनी कट समालुप्यितमासीत् !

नदी पर एक एनी कट (पानी का प्रवाह रोकने के लिए निर्मित छोटा बाँध) बना हुआ है ! नदी में जब पानी कम होता है तो एनी कट के रास्ते भी लोग पैदल या छोटे वाहनों से द्वीप तक चले जाते हैं ! लेकिन सितंबर 2022 में जब हम मदकू द्वीप पहुँचे तो शिवनाथ नदी पूरे वेग में बह रही थी ! एनी कट डूबा हुआ था !

यस्य स्थानस्य नाम मदकू द्विपस्य पश्च द्वयमुख्य तर्क ददान्ते ! इतिहासकार: डॉ विष्णु सिंह ठाकुरस्य अनुसारमिदम् स्थानम् माण्डूक्यं ऋषे: तपोस्थलीम् आसीत् ! मदको: माण्डूक्यस्यैवापभ्रंशम् मान्यते ! द्वितीय तर्कमिदमस्ति तत शिवनाथ नद्या: जल धारायाः कारणं इदम् स्थानम् तरन् मण्डूक यथैव दृष्यति !

इस जगह का नाम मदकू द्वीप होने के पीछे दो मुख्य तर्क दिए जाते हैं ! इतिहासकार डॉ विष्णु सिंह ठाकुर के अनुसार यह जगह माण्डुक्य ऋषि की तपोस्थली थी ! मदकू को माण्डुक्य का ही अपभ्रंश माना जाता है ! दूसरा तर्क यह है कि शिवनाथ नदी की जलधारा के कारण यह जगह तैरते हुए मेढक जैसी दिखती है !

मण्डूकस्यार्थम् मेढक इत्यापि भवति यत् कालांतरे मदकौ परिवर्तितं अभवत् ! नौकाया यदा भवान् लगभगम् ५० एकड़े प्रसरन् मदकू द्वीप प्राप्यष्यति तर्हि परितः अभ्यारणं द्रक्ष्यति ! अस्यैवाभ्यारणस्य मध्य स्थितमस्ति श्री हरिहर क्षेत्रम् ! हरिहर क्षेत्रे बहूनि मन्दिराणि सन्ति !

मण्डूक का अर्थ मेढक भी होता है जो कालांतर में मदकू में परिवर्तित हो गया ! नाव से जब आप करीब 50 एकड़ में फैले मदकू द्वीप पहुँचेंगे तो चारों तरफ घना जंगल दिखेगा ! इसी घने जंगल के बीच स्थित है श्री हरिहर क्षेत्र ! हरिहर क्षेत्र में कई मंदिर हैं !

येषुतः एकस्य पुरातन गणेश मंदिरस्य पुनः प्रतिष्ठा २०२१ तमेव अभवत् ! यस्मिन् मंदिरे भगवतः गणेशस्य यत् अष्टभुजी प्रतिमास्ति, तत दशमानि- एकदशानि सद्याः संलग्नमेकमावासमस्ति ! यस्मिन् हरिहर क्षेत्रस्य पुजारी वीरेंद्र शुक्ल: स्वकुटुंबेण सह न्यवसति !

इनमें से एक प्राचीन गणेश मंदिर की पुनः प्रतिष्ठा 2021 में ही हुई है ! इस मंदिर में भगवान गणेश की जो अष्टभुजी प्रतिमा है, वह 10-11वीं सदी की बताई जाती है ! इसी मंदिर से सटा एक आवास है ! इसमें हरिहर क्षेत्र के पुजारी वीरेंद्र शुक्ल अपने परिवार के साथ रहते हैं !

शुक्ल: ऑप इंडिया इतम् ज्ञापित: तत ते मूलरूपेण मुंगेली जनपदस्येव लोरमी विकास खंडस्य तुरबारी पठारी ग्रामस्य वासिन् सन्ति ! ते १९८५ तमे स्व पित्रा सह यस्मिन् द्विपे आगतवान स्म ! मंदिर समिति पूजनाय तस्य पितरमत्र नियुक्तं कृतवान स्म !

शुक्ल ने ऑपइंडिया को बताया कि वे मूल रूप से मुंगेली जिले के ही लोरमी विकास खंड के तुरबारी पठारी गाँव के रहने वाले हैं ! वे 1985 में अपने पिता के साथ इस द्वीप पर आए थे ! मंदिर समिति ने पूजा-पाठ के लिए उनके पिता को यहाँ नियुक्त किया था !

१९९० तमे वीरेंद्र शुक्लस्य पितु: निधनमभवत् तेन अनंतरेण मंदिरेषु पूजनस्य दायित्वं तस्य पार्श्वास्ति ! परिसरे इव एकं कुटिमपि अस्ति ! शुक्ल: ज्ञापित: तत यस्मिन् कुट्यां लगभगम् अर्धाधिकंद्वय वर्षतः एकः साधु न्यवसन्ति य: अमरकंटकतः आगतवान ! यं दिवसं वयं प्राप्ता: ते साधु मदकू द्विपे नासीत् !

1990 में वीरेंद्र शुक्ल के पिता का देहांत हो गया और उसके बाद से मंदिरों में पूजा-अर्चना का दायित्व उनके पास है ! परिसर में ही एक कुटिया भी है ! शुक्ल ने बताया कि इस कुटिया में करीब ढाई साल से एक साधु निवास करते हैं जो अमरकंटक से आए हुए हैं ! जिस दिन हम पहुँचे वे साधु मदकू द्वीप पर नहीं थे !

हरिहर क्षेत्रे इव तेषां पुरातन मंदिराणां मूर्तिनां च् अवशेषमपि धृतानि सन्ति यत् भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षणम् यस्मिन् द्विपे खनने लब्धानि सन्ति ! तु येषां धरोहराणां सुरक्षायै अस्माभिः कश्चित दृढ़ व्यवस्थाम् न दर्शिता: ! शुक्ल: ऑप इंडिया इतम् ज्ञापित: २०१०-११ तमे एनीकट निर्माणस्यानंतरम् आवागमने सूक्ष्म सौविध्यमस्ति !

हरिहर क्षेत्र में ही उन प्राचीन मंदिरों और मूर्तियों के अवशेष भी रखे हुए हैं जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को इस द्वीप पर खुदाई में मिले हैं ! लेकिन इन धरोहरों की सुरक्षा के लिए हमें कोई पुख्ता इंतजाम नहीं दिखा ! शुक्ल ने ऑपइंडिया को बताया 2010-11 में एनीकट बनने के बाद आवागमन में थोड़ी सुविधा है !

तु इदम् जुलैतः अक्टूबरैव समालुप्यति ! इति स्थानम् साधारणरूपे कश्चित नागच्छति ! शनिवासरस्य रविवासरस्य च् दिवसे केचन श्रद्धालवः पर्यटकाः च् आगच्छन्ति ! पृथक छत्तीसगढ़ राज्य निर्माणस्य अनंतरम् लघु विकासम् यस्य स्थानस्य अभवत् ! तु अद्यपि सौविध्यानां बहु अभावमस्ति !

लेकिन यह जुलाई से अक्टूबर तक डूबा रहता है ! इस जगह आमतौर पर कोई नहीं आता है ! शनिवार और रविवार के दिन कुछ श्रद्धालु और पर्यटक आ जाते हैं ! अलग छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद थोड़ा-बहुत विकास इस जगह का हुआ है ! लेकिन अभी भी सुविधाओं का घोर अभाव है !

सर्वात् अधिकं सम्मर्द: यस्मिन् द्विपे फरवर्यां एकं सप्ताहमेव रमति, यदा मसीही मेलकम् भवति ! मसीही मेलकमत्र कीदृशं आरंभितं यस्मिन् संबंधे पृच्छने शुक्ल: ज्ञापयति सर्वात् प्रथम बैतलपुरे कुष्ठ रुग्णेभ्यः एकं चिकित्सालयं उद्घाटितं ! तस्यानंतरमत्र शनैः-शनैः जनानां आगमनमारंभितवान !

सबसे ज्यादा भीड़ इस द्वीप पर फरवरी में एक सप्ताह तक रहती है, जब मसीही मेला लगता है ! मसीही मेला यहाँ कैसे शुरू हुआ इस संबंध में पूछे जाने पर शुक्ल बताते हैं सबसे पहले बैतलपुर में कुष्ठ रोगियों के लिए एक हॉस्पिटल खोला गया ! उसके बाद यहाँ धीरे-धीरे लोगों का आना शुरू हो गया !

केचन वर्षानंतरमत्र मेलकमारंभिष्यते ! मेलकस्य काळम् त्यक्त्वात्र मिशनरी इत्या: जनानां गतिविधिम् न रमति ! यं दिवसम् वयं द्विपे प्राप्ता: आसन् ! तत दिवसं गणनायाः इव श्रद्धालु हरिहर क्षेत्रे आसीत् ! रमाकांत पटेल: कोलाराम पटेल: च् स्व कुटुंबेण सह आगतवन्तौ आस्ताम् ! द्वौ सर्वकारिनौ शिक्षकौ स्त: !

कुछ साल बाद यहाँ मेला लगने लगा ! मेला के समय को छोड़कर यहाँ मिशनरी के लोगों की गतिविधि नहीं रहती है ! जिस दिन हम द्वीप पर पहुँचे थे, उस दिन गिनती के ही श्रद्धालु हरिहर क्षेत्र में थे ! रमाकांत पटेल और कोलाराम पटेल अपने परिवार के साथ आए थे ! दोनों सरकारी शिक्षक हैं !

तौ ऑपइंडिया इतम् ज्ञापित: अवकाशस्य दिवसेषु वयं बालकान् गृहीत्वात्रागच्छाम: कुत्रचित् ते स्व संस्कृतिम् प्रति ज्ञातुं शक्नुता: ! एकः अन्य श्रद्धालु सची नारायण भाग्यनगरस्य वासिनासीत् ! कार्येण चिकित्सक नारायण: ज्ञापित: तत ते छत्तीसगढ़स्य यात्रायां आगतवान !

उन्होंने ऑपइंडिया को बताया छुट्टी के दिनों में हम बच्चों को लेकर यहाँ आ जाते हैं ताकि वे अपनी संस्कृति के बारे में जान सके ! एक अन्य श्रद्धालु सची नारायण हैदराबाद के रहने वाले थे ! पेशे से डॉक्टर नारायण ने बताया कि वे छत्तीसगढ़ की यात्रा पर आए हुए हैं !

यं स्थानम् प्रति अभिज्ञानम् ळब्धं तर्हि भ्रमणकर्तुं आगतवान ! सः ऑपइंडिया इतम् ज्ञापित: यं परिसरं दर्शस्यानंतरम् हृदयं बहु पीड़ाम् भवति ! इदमियत् विशेषम्, पवित्रभूमिमस्ति यं विकसिते विशेषं ध्यानं दानीयं ! इदृशैव स्थानेषु आगमने सरलताम् रमनीयं ! कुत्रचितधिकाधिकं जनाः स्व संस्कृतिम् प्रति ज्ञातुं शक्नुताः !

इस जगह के बारे में जानकारी मिली तो घूमने चले आए ! उन्होंने ऑपइंडिया को बताया इस परिसर को देखने के बाद मन को थोड़ा कष्ट होता है ! यह इतना विशेष भूमि, पवित्र भूमि है इसको डेवलप करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए ! ऐसी जगहों पर आने में आसानी रहना चाहिए ! ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग अपनी संस्कृति के बारे में जान सकें !

हरिहर क्षेत्रतः किंचित द्रुते एकं मंचमस्ति ! यदि भवान् एनीकट इत्या: मार्गम् द्विपे आगच्छति तर्हि वामप्रति इदम् मंचमस्ति, यद्यपि दक्षिणप्रति यत् मार्गं गच्छति तत भवतम् हरिहर क्षेत्रे नयति ! मंचतः पूर्वम् एकं शिलापट्टम् स्थितमस्ति ! यस्मिन् मसीही मेलकं प्रति अभिज्ञानम् पंजीकृतमस्ति !

हरिहर क्षेत्र से कुछ दूरी पर एक मंच है ! यदि आप एनीकट के रास्ते द्वीप पर आते हैं तो बाईं तरफ यह मंच है, जबकि दाईं ओर जो रास्ता जाता है वह आपको हरिहर क्षेत्र ले जाता है ! मंच से पहले एक शिलापट्ट लगा है ! इस पर मसीही मेला के बारे में जानकारी दर्ज है !

सहैव ज्ञाप्तवान तत २०१९ तमे मेलकस्य ११० वर्षं पूर्णे यं शिलापट्टम् स्थापितवान ! यस्मात् शिलापट्टतः किंचित द्रुते क्रॉस चिन्हकं दीर्घ मंचमस्ति ! तस्मिन् उल्लेखिताभिज्ञानस्यानुसारम् मसीही मेलकस्यारंभ अत्र १९०९ तमे अभवत् स्म ! २००८ तमे १० फरवर्या: मध्य मसीही मेलकम् भवितं आसीत्, यत् आयोजनस्य शताब्दी वर्षमासीत् !

साथ ही बताया गया है कि 2019 में मेला के 110 साल पूरे होने पर इस शिलापट्ट को लगाया गया है ! इस शिलापट्ट से कुछ दूरी पर क्रॉस निशान वाला लंबा-चौड़ा मंच है ! उस पर उल्लेखित जानकारी के अनुसार मसीही मेला की शुरुआत यहाँ 1909 में हुई थी ! 2008 में 10-17 फरवरी के बीच मसीही मेला लगा था, जो आयोजन का शताब्दी वर्ष था !

नौकातः नदी पारकर्ता सुदर्शन केवट: ऑपइंडिया इतम् ज्ञापित:, बैतलपुरे क्रिश्चियन जनानां ग्रामम् अस्ति ! आंग्लकः काले तत्रतः यस्मिन् द्विपे गमनम्- आगमनम् आरंभितवान ! तस्यानंतरम् इदम् मेलकम् आरंभितवान ! यत् क्रॉस स्थितमस्ति, तत तस्य क्षेत्रं अस्ति ! शेष तस्य केचन नास्ति ! शेषम् सर्वं हिंदो: !

नाव से नदी पार कराने वाले सुदर्शन केवट ने ऑपइंडिया को बताया, बैतलपुर में क्रिश्चियन लोगों का बस्ती है ! अंग्रेज जमाने में वहाँ से इस द्वीप पर आना-जाना शुरू हुआ ! उसके बाद ये मेला शुरू हुआ ! जो क्रॉस गड़ा है, वह उनका इलाका है ! बाकी उनका कुछ नहीं है ! बाकी सब हिंदू का है !

केवट: ज्ञापित: आर्श्व-पार्श्वस्य सर्वेषु ग्रामेषु क्रिश्चियन सन्ति ! अद्यपि ते (ईसाई मिशनरी) आगच्छन्ति- गच्छन्ति ! कदा-कदा कश्चितैव ग्रामे कश्चित क्रिश्चियन भविते ! सः अस्माभिः इदमपि ज्ञापित: तत यदातः छतीसगढ़े भूपेश बघेलस्य नेतृत्वे कांग्रेसस्य सर्वकारः अभवत् !

केवट ने बताया अगल-बगल के सभी गाँव में क्रिश्चियन हैं ! अभी भी वे लोग (ईसाई मिशनरी) आते-जाते रहते हैं ! कभी-कभी किसी गाँव में कोई क्रिश्चियन भी बन जाता है ! उन्होंने हमें यह भी बताया कि जब से छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी है !

यस्मिन् द्विपे कार्यम् नाभवत् ! विकासस्य यतपि कार्यम् दृश्यन्ते ते रमन सिंहस्य नेतृत्वक: भाजपा सर्वकारस्य कालस्य अभवन् ! यत् द्वीप निर्जनम् अस्ति ! खनने ळब्धावशेषम् यस्य स्थानस्य सनातन परंपरायाः एकंमहतध्यायभूतस्य प्रमाणम् ददान्ति !

इस द्वीप पर काम नहीं हुआ है ! विकास के जो भी काम दिखते हैं वे रमन सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के जमाने के हुए हैं ! जो द्वीप निर्जन है ! खुदाई में मिले अवशेष जिस जगह के सनातन परंपरा का एक महत्वपूर्ण अध्याय होने का प्रमाण देते हैं !

तत स्थानम् यज्ञस्थलतः केचनेव द्रुतं क्रॉस चिन्हकं मंचस्य भवितुं, धर्मांतरित हिन्दुनां वार्षिक सम्मर्द: भवितुं, ज्ञापयति तत कीदृशं ईसाई मिशनरी अस्माकं धरोहरेषु अधिपत्यं कुर्वन्ति !

उस जगह यज्ञ स्थल से कुछ ही दूर क्रॉस निशान वाले मंच का होना, धर्मांतरित हिंदुओं का सालाना जमावड़ा लगना, बताता है कि कैसे ईसाई मिशनरी हमारी विरासतों पर कब्जा जमा रहे हैं !

साभार आप इंडिया

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