१८७४ तमे इति बालकस्य कुटुंबोत्तरप्रदेशस्य सुल्तानपुरतः गत्वा साउथ अफ्रीकायां वसितं स्म ! स्वमूळै: सहस्राणि महाल्वमन्तरे तत धर्मविहीन देशे सः कुटुंबाद्यापि स्वसंस्कृत्या: उत्तरछद: धारित्वा धर्मस्य अंगुलिका गृहीत्वा स्थित: ! पूर्णगर्वेण सह, स्वाभिमानेण सह !
1874 में इस लड़के का परिवार यूपी के सुल्तानपुर से जाकर साउथ अफ्रीका में बस गया था ! अपनी जड़ों से हजारों किलोमीटर दूर उस धर्म विहीन देश में वह परिवार आज भी अपनी संस्कृति की चादर ओढ़कर धर्म की उंगली थामकर खड़ा है ! पूरे गर्व के साथ, स्वाभिमान के साथ !

अस्माकमत्रस्य कश्चित नितिन: द्वयाभ्यां वर्षभ्यां इंग्लैंड इति गतवन्तः तर्हि तस्य नाम निट्ज इति भविते, एके वर्षे माधवन: मैडी इति भविते चलचित्रे वा कार्यम् दास्य दृढकथनम् ळब्धैव दिलीप कुमार: अल्ला रक्खा रहमान: भविते अपितु अधुना तर्हि शीतप्रदर्शनाय विद्यालयस्य बालका: अपि संपत: सैम: भविष्यते !
हमारे यहाँ का कोई नितिन दो साल के लिए इंग्लैंड चला जाय तो उसका नाम निट्ज हो जाता है, एक साल में माधवन मैडी हो जाता है या सिनेमा में काम दिलाने का वादा मिलते ही दिलीप कुमार अल्ला रक्खा रहमान हो जाता है बल्कि अब तो कूल दिखने के लिए कॉलेज के लड़के भी सम्पत से सैम होने लगे हैं !

तु सुदूर अफ्रीकायां वसित: आत्माराम महोदयस्य बालक: केशव: इव रमति ! कति सुखदमस्ति नैदम्, केशव महाराज: दक्षिण अफ्रीकाम् प्रत्येन कंदुक क्रीड़ा क्रीडति ! यदा तेभारतस्य विरुद्धं प्रतिस्पर्द्धायां अतिसम्यक् प्रदर्शनम् करोति तदा सः स्वप्रसन्नताम् व्यक्तन् ट्विटरे लेख्यति, जयश्रीराम इति !
पर सुदूर अफ्रीका में रह रहे आत्माराम बाबू का लड़का केशव ही रहता है ! कितना सुखद है न यह, केशव महाराज दक्षिण अफ्रीका की ओर से क्रिकेट खेलते हैं ! जब वे भारत के विरुद्ध मैच में शानदार प्रदर्शन करते हैं तो वो अपनी खुशी जाहिर करते हुए ट्विटर पर लिखते हैं, जयश्रीराम !
सत्यं अकथयम् तर्हि स्वैति एकेन ट्वीतेनैव मह्यं केशव महाराज: तं मूर्ख भारतीय कंदुकक्रीडकै: अति प्रियं स्वभवितुं चनुभवामि, यत् राष्ट्रगानस्य काळम् च्युंगम इति चर्व्यति ! देशम् केवलं धरायां उपवर्णयितं सीमारेखाया निर्मितं अवरुद्धक्षेत्रस्य नाम न भवितं, देशम् स्वसभ्यताया स्वधर्मेण च् सह स्थिता: जनै: मेलित्वा निर्मीति !
सच कहूँ तो अपने इस एक ट्वीट से ही मुझे केशव महाराज उस मूर्ख भारतीय क्रिकेटर से अधिक प्रिय और अपने लगने लगते हैं, जो राष्ट्रगान के समय च्युंगम चबाता है ! देश केवल भूमि पर खींची गयी सीमारेखा से बने बन्द क्षेत्र का नाम नहीं होता, देश अपनी सभ्यता और अपने धर्म के साथ खड़े लोगों से मिल कर बनता है !

कश्चित जनः य: रामस्यास्ति, सः कुत्रैवापि असि मम कार्यस्यास्ति ! सः भारते वसित्वा राम:-कृष्ण:-शिव: तस्य चादर्शानां नकर्ता: जनै: अधिकं भारतीय: सन्ति ! भारतीय परिप्रेक्ष्ये नायकत्वस्य परिभाषा केवलं चलचित्राणि क्रीड़ा: एव च् सीमितं ! यत् क्रीड़ायां साफल्यं अभवत्, सः नायक: अभवत् !
कोई व्यक्ति जो राम का है, वह कहीं भी हो हमारे काम का है ! वह भारत में रहकर राम-कृष्ण-शिव और उनके आदर्शों को नकारने वाले लोगों से अधिक भारतीय है ! भारतीय परिपेक्ष्य में नायकत्व की परिभाषा केवल फिल्मों और खेलों तक ही सीमित हो गयी है ! जो खेल में सफल हो गया, वह हीरो हो गया !
येन चलचित्रेषु बॉडी सौडी इति दर्शिते सः नायकं अभवत् ! यद्यपि वयं किंचित् मुद्रेभ्यः विक्रयित: अजहरुद्दीन यथा कंदुकक्रीडकानपि दर्शितमस्ति संजय दत्त, शाइनी आहूजा यथा पातकिन् चलचित्र अभिनेतृन् अपि ! इमे ते जनाः सन्ति यत् कदापि स्पष्ट्वास्माकं सांस्कृतिकं धार्मिकं च् प्रतीकानां/ नायकानां नाम एव न नयितं !
जिसने फिल्मों में बॉडी सौडी दिखा दी वह हीरो हो गया ! हालांकि हमने चंद सिक्कों के लिए बिकते अजहरुद्दीन जैसे क्रिकेटरों को भी देखा है और संजय दत्त, शाइनी आहूजा जैसे अपराधी फिल्म स्टारों को भी ! ये वे लोग हैं जो कभी खुल कर हमारे सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीकों/नायकों का नाम तक नहीं लेते !
परंपरानां सम्मानं तर्हि अंतरस्य वार्तास्ति, किंचितैव चर्चाम् ळब्धैव सर्वा: परिवर्तनस्य पक्षकर्तुंमारंभयति, देशाय च् पुनः च् इमे नायका: इव रमन्ति ! वस्तुतः अस्माकं परिभाषामिव अनृतमस्ति ! वास्तविक नायका: तैवास्ति यत् स्वमूलै: संलग्नित्वा खम: स्पर्शित: !
परम्पराओं का सम्मान तो दूर की बात है, थोड़ी सी चर्चा पाते ही सब कुछ बदल देने की वकालत करने लगते हैं, और देश के लिए फिर भी ये नायक ही रहते हैं ! दरअसल हमारी परिभाषा ही गलत है ! असल नायक वही है जो अपनी जड़ों से जुड़े रह कर आसमान छुए !
यत् उल्लासस्य क्षणेषु स्वेष्टस्य नाम नीतेण भयभीतं नासि ! यत् कश्चित क्षुद्रस्वार्थस्य वशीभूतं भूत्वा स्व आस्थायाः ग्रीवा न मर्दित: ! यत् स्वगौरवशालिनतीते पूर्वजाणां च् प्रतिष्ठायां गर्वम् क्रियेत् तस्य महान परंपरायाः च् ध्वजमुत्थाऐत् दक्षिण अफ्रीकाम् प्रत्येन क्रीडत: अयम् बालक: मया नायक: परिलक्ष्यामि ! कश्चिताशंकाम् न !
जो उल्लास के क्षणों में अपने इष्ट का नाम लेने से भयभीत न हो ! जो किसी क्षुद्र स्वार्थ के वशीभूत हो कर अपनी आस्था का गला न घोंटे ! जो अपने गौरवशाली अतीत और पूर्वजों की प्रतिष्ठा पर गर्व करे और उनकी महान परम्परा का ध्वज उठाये दक्षिण अफ्रीका की ओर से खेलता यह लड़का मुझे नायक लगता है ! कोई शक नहीं !