मनोज मुन्तशिर: यस्य लेखनी बाहुबली चलचित्रे स्वरित्वा कथ्यति स्त्रियां धृतकानां उंगलिका: न कर्तितं, कर्तयति तस्य ग्रीवा, मनोज: अद्यत्वे स्वगीतानां कारणं सदैव चर्चायां रमति स्वराष्ट्रवादिन् स्वभावेण सह च् ते चलचित्री गीतकारेषु सर्वात् उच्चै स्थानम् लब्धिता: !
मनोज मुन्तशिर जिसकी कलम बाहुबली फिल्म में चीख कर कहती है स्त्री पर हाथ डालने वाले की उंगलियां नहीं काटते, काटते हैं उसका गला, मनोज आजकल अपने गीतों के कारण हमेशा चर्चा में रहते हैं और अपने राष्ट्रवादी तेवर के साथ वे फिल्मी गीतकारों में सबसे ऊँचा स्थान प्राप्त कर चुके हैं !
तु अद्यत्वे मनोज: सततं केचन जनानां लक्ष्ये रमितानि ! ते यदा पंडित चंद्रशेखराजादाय लिखति तत जीवतु तिवारी: यज्ञोपवीतधर्ता तर्हि भारते वासिता: बौद्धिकतालिबानीन् सम्यक् न परिलक्ष्यति !
पर आजकल मनोज लगातार कुछ लोगों के निशाने पर रहने लगे हैं ! वे जब पण्डित चंद्रशेखर आजाद के लिए लिखते हैं कि जियो तिवारी जनेउधारी तो भारत में रह रहे बौद्धिक तालिबानियों को मिर्ची लग जाती है !
अद्यापि द्वे दिवसे पूर्व यदा सः अकबराय निर्मितं असत्य सम्मानस्य विरुद्धम् वदमानः तस्य आतंकी चरित्रस्य व्याख्यित:, तर्हि पुनः ते लक्ष्ये आगत: ! तेन अभद्रकथनं दत्तुमारंभित:, तस्य विरोधम् भवितुम् आरंभितः !
अभी दो दिन पहले जब उन्होंने अकबर के लिए गढ़े गए झूठे सम्मान के विरुद्ध बोलते हुए उसके आतंकी चरित्र की व्याख्या कर दी, तो फिर वे निशाने पर आ गए ! उन्हें गालियां दी जाने लगीं हैं, उनका विरोध होने लगा है !
मयावगम्यतुम् न आगत: तत भारते वासिनः कश्चित अपि जनान् अकबर: तस्य कुटुंबस्य कश्चितापि नृप: वा कीदृशं प्रियम् भवितुम् शक्नोति ? बाबर:, जहांगीर: शाहजहां, औरंगजेब: इत्यादयः भारतस्य साधारणतयः जनान् केन प्रकारम् लुंठिता:, कश्चित प्रकारम् लक्षानि लक्षम् जनान् क्रूरताया सह हननम् कृता: !
मुझे समझ नहीं आता कि भारत में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को अकबर या उसके खानदान का कोई भी राजा कैसे प्रिय हो सकता है ? बाबर, जहांगीर, शाहजहाँ, औरंगजेब आदि ने भारत की आम जनता को किस तरह लूटा, किस तरह लाखों-लाख लोगों को क्रूरता के साथ मौत के घाट उतारा !
कश्चित प्रकारम् सहस्राणि स्त्री: प्रताड़िता:, इदम् किं कथनस्य वस्तुनि अस्ति ? केन प्रकारं एता: लूंठकाः अस्माकं मन्दिराणि त्रोटिता: मूर्तयः खंडिताः, इदम् काः न ज्ञायन्ति ! इतिहासस्य पृष्ठानि एता: क्रूरा: आतंकिनां कथानकानि स्वरित्वास्वरित्वा ज्ञापयन्ति !
किस तरह हजारों स्त्रियों को नोचा, यह क्या बताने की चीज है ? किस तरह इन लुटेरों ने हमारे मन्दिर तोड़े, मूर्तियां खण्डित की, यह कौन नहीं जानता है ? इतिहास के पन्ने इन क्रूर आतंकियों की कहानी चीख चीख कर बताते हैं !
अकबर: ! यस्य जजिया निर्वर्तस्य चर्चाम् तर्हि भवति तु पुनः जजिया प्रारंभस्य चर्चाम् न भवितं, सः महान् भवित: ? यस्य कारणं १५६७ ख्रीष्टाब्दे महारानी फूलकुंवर्या सह चित्तौड़स्य सहस्राणि देवी: जीवितैव अग्नि समाधि नीतुम् भविता:, सः महान् अस्ति ?
अकबर ! जिसके जजिया हटाने की चर्चा तो होती है पर दुबारा जजिया लगाने की चर्चा नहीं होती, वह महान हो गया ? जिसके कारण सन् 1567 ई. में महारानी फूलकुंवर के साथ चित्तौड़ की हजारों देवियों को जीवित ही अग्नि समाधि लेनी पड़ी, वह महान है ?
येन एकम् मासमेव चित्तौड़स्य साधारण जनान् लुंठनस्य, तान् हननस्य स्त्रीणाम् दुष्कर्म कृतस्य च् स्पष्ट स्वच्छंदता स्वबर्बर सैनिकान् दत्त:, सः महान् आसीत् ? चित्तौड़े अकबरस्य आज्ञाया सैन्यस्य अनंतरम् पंचविंशति सहस्राणि साधारण नागरिकान् हननम् कृतवान स्म !
जिसने एक महीने तक चित्तौड़ के आम लोगों को लूटने, उन्हें मारने और स्त्रियों का बलात्कार करने की खुली छूट अपने बर्बर सैनिकों को दी, वह महान था ? चितौड़ में अकबर के आदेश से सेना के बाद पच्चीस हजार आम नागरिकों की हत्या की गई थी !
इदम् कः परिमाणमस्ति यत् साधारण नागरिकान् गृञ्जनस्य मूलिकायाः इव कर्तक: क्रूर: अकबरम् महान् सिद्धम् करोति ? सः अकबर: येन स्वानृतम् गर्वे स्व पुत्र्य: आराम-बानू, सकरुन्निसा इत्यादिनां पाणिग्रहणमेव न भवितुम् दत्त: तत तस्य प्रतिष्ठा गमिष्यति, तेन केन तर्कस्याधारे महान् मान्यानि !
यह कौन पैमाना है जो आम नागरिकों को गाजर मूली की तरह कटवाने वाले क्रूर अकबर को महान सिद्ध करता है ? वह अकबर जिसने अपने झूठे घमण्ड में अपनी बेटियों आराम-बानू, सकरुन्निसा आदि का विवाह तक नहीं होने दिया कि उसकी प्रतिष्ठा चली जाएगी, उसे किस तर्क के बल पर महान मान लें ?
मनोज मुन्तशिर: कश्चितापि इदृशैव वार्ता नकृतः, यत् प्रमाणितं तथ्यम् नासि ! सः तर्हि ऐतिहासिक सत्यं ज्ञापित: ! पुनः ते केन धूर्त जनाः सन्ति यै: सत्यं सालयन्ति ? भारतस्य स्थितिम् इदृशैव भवितं यत्र कश्चितमेव प्रतिष्ठित: रचनाकारम् सत्यवदतस्य पूर्वमपि विचार्यितुम् भवित:? तालिबानस्य राज्यं भवितं किं ?
मनोज मुन्तशिर ने कोई भी ऐसी बात नहीं की, जो प्रमाणित तथ्य न हो ! उन्होंने तो ऐतिहासिक सत्य बताया है ! फिर वे कौन से धूर्त लोग हैं जिन्हें सत्य चुभ रहा है ? भारत की दशा क्या ऐसी हो गयी है जहाँ किसी प्रतिष्ठित रचनाकार को सत्य बोलने के पहले भी सोचना पड़े ? तालिबान का राज्य हो गया है क्या ?
केचन मूर्खान् परिलक्ष्यति तत तेषां क्षुद्रसंस्थानि इदृशं पर्यावरणम् निर्मिष्यन्ति तत देशस्य जनाः मोहम्मद गौरी:, गजनवी:, बाबर:, अकबर:, शाहजहां, औरंगजेब: यथा क्रूरा: आतंकी लूंठकान् महान् शासका: मान्यिष्यन्ति ! एतान् मूर्खान् अवगम्य न आगता: तत सम्प्रति युगम् परिवर्तितं !
कुछ मूर्खों को लगता है कि उनकी टुच्ची संस्थाएं ऐसा माहौल बना देंगी कि इस देश के लोग मोहम्मद गौरी, गजनवी, बाबर, अकबर, शाहजहाँ, औरंगजेब जैसे क्रूर आतंकी लुटेरों को महान शासक मानने लगेंगे ! इन मूर्खों को समझ नहीं आता कि अब युग बदल गया है !
येषां प्रसृतमानः असत्यस्य आँचले सम्प्रति जनाः पणानि प्रक्षेपस्य स्थानम् ष्ठ्यूत्वा निःसृष्यन्ति ! केवलं मनोज: इव किं, प्रत्येक सः जनाः यै: मध्यकालीन भारतस्येतिहासम् पठिता: सः कदापि अकबरम् महान् न मान्यिष्यन्ति ! मनोज मुन्तशिर: यथा जनाः साधुवादस्य पात्रा: सन्ति यत् ते सत्येण सह स्थिता: मुखरम् भूत्वा वदन्ति ! तस्य साहसं नमनमस्ति !
इनके पसारे हुए झूठ के आंचल पर अब लोग पैसा फेंकने की जगह थूक कर निकलेंगे ! अकेले मनोज ही क्यों, हर वह व्यक्ति जिसने मध्यकालीन भारत का इतिहास पढ़ा है वह कभी अकबर को महान नहीं मानेगा ! मनोज मुन्तशिर जैसे लोग बधाई के पात्र हैं जो वे सत्य के साथ खड़े हैं और मुखर होकर बोल रहे हैं ! उनके साहस को नमन है !