बहु पूर्वम् एकं चलचित्रमागतवान् स्म् वास्तव ! तस्मिन् चलचित्रे अधिकारिनभवत् दीपक तिजोरी संजय दत्तमवगम्यति तत अपराधस्य जगतं त्यजतु, नैव कश्चित दिवसं बन्धनम् आगमिष्यति एनकाउंटर वा भविष्यते !
बहुत पहले एक फिल्म आयी थी वास्तव ! उस फिल्म में पुलिस अधिकारी बने दीपक तिजोरी, संजय दत्त को समझाते हैं कि अपराध की दुनिया को छोड़ दो, अन्यथा किसी दिन पकड़े जाओगे या एनकाउंटर हो जायेगा !
प्रत्युत्तरे गैंगस्टर संजय दत्त: दीपक तिजोरिणा पृच्छति, मया बंधने करिष्यति कः ? अयम् त्वत् अकर्मण्यारक्षकः, यः मम संमुखम् श्वानानां इव पुच्छ आंदोलयति ! आरक्षकाधिकारिन् अभवत् दीपक तिजोरी बहु शोभनमुत्तरम् दत्तवान् स्म् !
प्रत्युत्तर में गैंगस्टर संजय दत्त दीपक तिजोरी से पूछता है, मुझे पकड़ेगा कौन ? यह तुम्हारी निकम्मी पुलिस, जो मेरे सामने कुत्तों की तरह दुम हिलाती है ! पुलिस अधिकारी बने दीपक तिजोरी ने बहुत सुन्दर जवाब दिया था !
आरक्षकः अकर्मण्य नास्ति, त्वत् उपरि, भ्रष्ट, गद्दार सत्तालोलुप च् नेतृणाम् हस्तमस्ति ! यत् दिवसं कश्चित शीलम् नेता सत्ता स्वीकरिष्यति, तत् दिवसं अयमेव आरक्षकः त्वया श्वानानां इव कर्षन् नेष्यति ! अद्य एता: भ्रष्टाकर्मण्य च् नेतारः आरक्षकस्य हस्तानि अवरुद्धवंत: !
पुलिस निकम्मी नहीं है, तेरे ऊपर भ्रष्ट, गद्दार और सत्तालोलुप नेताओं का हाथ है ! जिस दिन कोई ईमानदार नेता सत्ता संभालेगा, उस दिन यही पुलिस तुझे कुत्तों की तरह घसीटते हुए ले जायेगी ! आज इन भ्रष्ट और निकम्मे नेताओं ने पुलिस के हाथ बांध रखे हैं !
इदम् उद्धरणातएव दत्तवान् कुत्रचित् भवान् स्मरणम् कर्तुं अशक्नोत् तत् काळम्, यदाजम खान: त्रीणि घटकानि एकमारक्षकाधीक्षकम् स्व गृहस्य बहिः स्थितस्याज्ञाम् दत्तवान् स्म् ! यदा आजम खान: जनपदाधिकारिणा पादत्राण स्वच्छ कारयस्य वार्ता कथवान् स्म् !
ये उदाहरण इसलिए दिया ताकि आप याद कर सकें वह वक्त, जब आजम खान ने तीन घंटे एक SSP को अपने घर के बाहर खड़ा रहने का आदेश दे दिया था ! जब आजम खान ने जिला कलेक्टर से जूते साफ करवाने की बात कही थी !
यदा मुख्तार अंसारी कोतवाल्यां तालयंत्रं कृतवान् स्म् ! यदा अतीक अहमद: विंशति आरक्षकान् स्वगृहे बन्धनम् कृतवान् स्म् ! यदा येषां अभियोगानि शृण्वेन न्यायाधीशा: अपि न क्रियन्ते स्म् !
जब मुख्तार अंसारी ने कोतवाली में ताला डलवा दिया था ! जब अतीक अहमद ने बीस पुलिस वालों को अपने घर में कैद कर लिया था ! जब इनके मुकदमों को सुनने से जज और मजिस्ट्रेट भी मना कर दिया करते थे !
हिंदुन् स्वोत्सवम् मान्यस्य स्वतंत्रता न भवन्ति स्म् ! हिंदुनां उत्सवानि हेतु सर्वकारः यदैवाज्ञाम् न ददाति स्म् तदैव हिंदवः कश्चितोत्सवम् मानितुं न शक्नोन्ति स्म् ! स्थितिम् तर्हीदमासीत् तत मंदिरेषु घटिका: वादने प्रतिबंधम् भवति स्म् ! तु नमाजानि व्यस्ततम् वीथिसु भवन्ति स्म् !
हिंदुओं को अपने पर्व मनाने की स्वतंत्रता नहीं होती थी ! हिंदुओं के उत्सवों हेतु सरकार जब तक परमिशन नहीं देती थी तब तक हिन्दू कोई पर्व नहीं मना सकता था ! स्थिति तो यह थी कि मंदिरों में घण्टियाँ बजाने पर प्रतिबंध होता था परंतु नमाजें व्यस्त सड़कों पर होती थी !
तु, काळपरिवर्तितं, एकः शीलम् सन्यासिन्, नेता भूत्वा प्रदेशस्यासने अतिष्ठत् ! दर्शैव-दर्शैव सर्वम् परिवर्तिवान्, क्षीण सदृशं अनुभुकः आरक्षकः यान् कर्षित्वा-कर्षित्वारक्षिस्थानेषु आनयन् ! येषु गृहेषु विशित्वा मृदंगम् वादितुं आरभन् ! सघोषविक्रयानि भवितुं आरभन् ! सततं धरभीम चलितुं आरभन् !
लेकिन, वक्त बदला, एक ईमानदार संन्यासी, नेता बनकर प्रदेश की गद्दी पर बैठा ! देखते- देखते सब कुछ बदल गया, असहाय सी लगने वाली पुलिस इनको घसीट-घसीट कर थानों में लाने लगी ! इनके घर में घुसकर ढिंढोरा पीटने लगी ! नीलामियां होने लगी ! धड़ाधड़ बुलडोजर चलने लगे !
वृहत्तरः माफिया डॉन च् एनकाउंटर इत्यां हनस्य भयेण सरेंडर कर्तुं आरभन् ! हिन्दुनां उत्सवेषु अंकुशं न रमति ! हिन्दुनां आत्मशक्त्यां वृद्धिमभवत् सत्य तर्हि अयमस्ति तत यदा सत्तायां आसीन: जनः निष्ठावान चरित्रवान च् भवति तर्हि सर्वानां समृद्धता भवन्ति, समाजस्य उत्थानम् भवति !
बड़े से बड़े माफिया और डाॅन एनकाउंटर में मारे जाने के डर से सरेंडर करने लगे ! हिंदुओं के पर्वों पर अंकुश नहीं रहा है ! हिंदुओं की आत्मशक्ति में वृद्धि हुई है सच तो ये है कि जब सत्ता पर बैठा व्यक्ति निष्ठावान और चरित्रवान होता है तो सबकी खुशहाली होती है, समाज का उत्थान होता है !