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बनारसतः भाजपा करिष्यति नवारंभ, किं आगमिष्यन्ति दलित मतदाता: ! बनारस से भाजपा फूंकेगी नया बिगुल, क्या सधेंगे दलित वोटर !

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उत्तरप्रदेशे २०२२ तमस्य विधानसभा निर्वाचनान् दर्शन् भाजपा नवरणनीति निर्माणमारंभितं ! यमेव अनुरूपं बनारसे राष्ट्रीयकार्यकारिणी इतस्य गोष्ठ्याः तत्परतामस्ति ! येषु दलित मतदातान् प्रसन्नस्य रणनीत्यां मुख्यबिन्दु भविष्यति !

उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा ने नई रणनीति बनानी शुरू कर दी है ! इसी के तहत बनारस में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की तैयारी है ! जिसमें दलित वोटरों को साधने की रणनीति पर फोकस होगा !

इदम् गोष्ठिम् अग्रिम मासमायोजितं कर्तुम् शक्नोति ! महत्वपूर्ण वार्ता इदमस्ति तत बनारस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदिण: संसदीय क्षेत्रमप्यस्ति ! इदृशेषु राष्ट्रीय कार्यकारिणी इतस्य गोष्ठिम् २०२२ तमस्य निर्वाचनानां दृष्टिगत बहु महत्वपूर्णमपि भवितुम् शक्नोति !

यह बैठक अगले महीने आयोजित की जा सकती है ! अहम बात यह है कि बनारस प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है ! ऐसे में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 2022 के चुनावों के मद्दनेजर काफी अहम साबित हो सकती है !

सूत्राणामनुसारम् २०२२ तमस्य निर्वाचनानां दृष्टिगत इति गोष्ठ्यां बहु महत्वपूर्ण प्रस्तावं पारितम् भवितुम् शक्नोति ! येषु दलित मतदातान् प्रसन्ने विशेषतः मुख्यबिन्दु रमिष्यति ! येन दळमजाटव मतदाताभि: सह-सह जाटवमतेषु वृहदछिद्रस्य प्रयत्नं करिष्यति !

सूत्रों के अनुसार 2022 के चुनावों के मद्दनेजर इस बैठक में कई अहम प्रस्ताव पारित हो सकते हैं ! जिसमें दलित वोटरों को साधने पर खास तौर से फोकस रहेगा ! जिसके जरिए पार्टी गैर जाटव वोटरों के साथ-साथ जाटव वोटों में बड़ी सेंध लगाने की कोशिश करेगी !

भाजपा अनुसूचित जाति समूहस्य एकस्य वरिष्ठ पदाधिकारिण: कथनमस्ति तत दलाय इदम् गोष्ठिम् बहुमहत्वपूर्णम् भवकरस्ति, २०२२ तमे चधिकाधिकं दलितमतदातान् भाजपाया सहसंलग्ने महतीभूमिकां निर्वहिष्ययति !

भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि पार्टी के लिए यह बैठक काफी अहम होने वाली है, और 2022 में ज्यादा से ज्यादा दलित वोटरों को भाजपा के साथ जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगी !

उत्तरप्रदेशे पिछड़ा मतदाताननंतरं दलितमतदातानां वृहद संख्यामस्ति ! प्रदेशे २०-२१ प्रतिशतम् दलिता: सन्ति ! येषु सर्वातधिकं जाटवमतदाता: सन्ति ! यस्य पूर्ण दलितमतदातासु ५० प्रतिशततः अधिकं संख्यां अस्ति ! यत् तत बहुजन समाज दलस्य सर्वात् बृहद मतकोषम् सन्ति !

उत्तर प्रदेश में ओबीसी वोटरों के बाद दलित वोटरों की बड़ी संख्या है ! प्रदेश में 20-21 फीसदी दलित हैं ! जिसमें सबसे ज्यादा जाटव वोटर हैं ! जिनकी कुल दलित वोटर में 50 फीसदी से ज्यादा संख्या है ! जो कि बहुजन समाज पार्टी के सबसे बड़े वोट बैंक हैं !

यस्य सर्वात् वृहद लाभदलप्रमुखा उत्तरप्रदेशस्य पूर्व मुख्यमंत्री च् मायावतीं मेलितुं रमिता ! यस्यातिरिक्तं अजाटवे पासी:, धोबी:, कोरी:, वाल्मीकि, गोंड, खटिक:, धानुक: यथा दलिता: सन्ति !

जिसका सबसे बड़ा फायदा पार्टी प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य मंत्री मायावती को मिलता रहा है ! इसके अलावा गैर जाटव में पासी, धोबी, कोरी, वाल्मीकि, गोंड, खटिक, धानुक जैसे दलित हैं !

यत् तत पूर्णदलितेषु ४०-४५ प्रतिशतम् अंशदारिम् ध्रीन्ति ! एतेषु जातिषु भारतीय जनता दलस्य साधु प्राप्तमस्ति २०१४ तमतः च् तेन तीक्ष्ण समर्थनम् ळब्धति !

जो कि कुल दलितों में 40-45 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं ! इन जातियों में भारतीय जनता पार्टी की अच्छी पकड़ हैं और 2014 से उसे मजबूत समर्थन मिल रहा है !

उत्तर प्रदेशस्य ४०३ विधान सभा आसनेषुतः ८४ आसनानि दलितेभ्यः आरक्षिता: सन्ति, २०१२ तमतः इदम् दर्शितानि तत येन राजनीतिक दळम् ८४ आसनेषु अधिकाधिकं आसनानि ळब्धानि तेभ्यः बहुमतस्य मायाविन् संख्यां ळब्धम् सरळं भवितानि !

उत्तर प्रदेश की 403 विधान सभा सीटों में से 84 सीटें दलितों के लिए आरक्षित हैं, और 2012 से यह देखा गया है कि जिस राजनीतिक दल को 84 सीटों में ज्यादा से ज्यादा सीटें मिलीं उसके लिए बहुमत का जादुई आंकड़ा छूना काफी आसान हो गया है !

दृष्टांतैव २०१७ तमस्य विधानसभा निर्वाचनेषु भाजपाम् ८४ इत्येषुतः ७० आसनानि ळब्धानि स्म, इति प्रकारम् यदा २०१२ तमे समाजवादी दलस्य सर्वकारः निर्मितं तर्हि तेन ५८ आसनानि २००७ तमे यदा मायावती सोशल इंजीनियरिंग इतस्य फार्मूला स्वीकृत्वा बहुमतम् ळब्धिता स्म तर्हि बसपाम् ६२ आसनानि ळब्धानि स्म !

मसलन 2017 के विधान सभा चुनावों में भाजपा को 84 में से 70 सीटें मिलीं थी, इसी तरह जब 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनीं तो उसे 58 सीटें और 2007 में जब मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाकर बहुमत हासिल किया था तो बसपा को 62 सीटें मिली थी !

उत्तरप्रदेशे ४२ इदृशानि जनपदानि सन्ति, तत्र दलितानां संख्या २० प्रतिशततः अधिकमस्ति ! स्पष्टमस्ति बहुमताय ८४ आसनानि बहु महतीस्थानं ध्रीन्ति भाजपा च् २०२२ तमे येन निर्मितुम् धृतुम् इच्छति ! यस्मात् तत २०१७ तमक: इतिहास पुनरावृत्ति कर्तुम् शक्नुतं !

उत्तर प्रदेश में 42 ऐसे जिलें हैं, जहां दलितों की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक है ! जाहिर है बहुमत के लिए 84 सीटें काफी मायने रखती हैं और भाजपा 2022 में इन्हें बनाए रखना चाहती है ! जिससे कि 2017 वाला इतिहास दोहाराया जा सके !

उत्तर प्रदेशस्य दलित राजनीत्यां ९० दशकतः काशीराम: मायावती च् प्रमुखौ मुखे रमित:, अद्यापि च् मायावत्या सह दलितानां एकम् वृहद मतकोषम् सन्ति ! दलितेषु प्रवेशाय भीम आर्मी प्रमुख: चन्द्र शेखर आजाद: नव मुखम् निर्मितुमागत: !

यूपी की दलित राजनीति में 90 के दशक से काशीराम और मायावती प्रमुख चेहरा रहे हैं, और आज भी मायावती के साथ दलितों का एक बड़ा वोट बैंक हैं ! दलितों में पैठ बनाने के लिए भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद नया चेहरा बन कर उभरे हैं !

तस्य पश्चिमी उत्तरप्रदेशे प्रभावमपि बर्धित: ! यत् सर्वात् वृहद संकटम् बसपा मायावत्यै च् स्थितुम् शक्नोति ! यं दर्शन् मायावती स्वभातृजः आकाश आनंदम् नेशनल कोऑर्डिनेटर निर्मिता ! यत् तत युवान् बसपाया सह संलग्नस्य प्रयत्नम् कुर्वन्ति !

उनकी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभाव भी बढ़ा है ! जो सबसे बड़ी चुनौती बसपा और मायावती के लिए खड़ी कर सकते हैं ! इसी को देखते हुए मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डीनेटर बनाया है ! जो कि युवाओं को बसपा के साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं !

लोकनीत्या: सूचनायाः अनुसारं भाजपाम् वृहद रूपे दलितमतदातानां सहाय्य बर्धते ! लोकसभा निर्वाचनानां आधारे पश्यन्तु तर्हि संपूर्ण देशे १९७१ तमे भाजपाम् (जनसंघ) १० प्रतिशतम् दलित मतानि ळब्धम् स्म !

लोकनीति की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा को बड़े पैमाने पर दलित मतदाताओं का साथ बढ़ता जा रहा है ! लोकसभा चुनावों के आधार पर देखा जाय तो पूरे देश में 1971 में भाजपा (जनसंघ) को 10 फीसदी दलित वोट मिला था !

यत् वर्ष २०१४ तमेव २४ प्रतिशतम् प्राप्तं ! तत्रैव कांग्रेस १९७१ तमे ४६ प्रतिशतम् मतानि ळब्धति स्म ! यत् तत २०१४ तमे पतित्वा केवलं १९ प्रतिशतं रमितं ! तत प्रकारम् बसपाम् वर्ष २००४ तमे २४ प्रतिशतं मतानि ळब्धम् स्म, यत् २०१४ तमे पतित्वा १४ प्रतिशतं रमितं !

जो साल 2014 तक 24 फीसदी पहुंच गया ! वहीं कांग्रेस 1971 में 46 फीसदी वोट हासिल करती थी जो कि 2014 में गिरकर केवल 19 फीसदी रह गया ! उसी तरह बसपा को साल 2004 में 24 फीसदी वोट मिले थे, जो 2014 में गिरकर 14 फीसदी रह गया है !

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालयस्य प्रवक्ता विवेक कुमार: मीडियातः कथ्यति, २०१२ तमे बहुजन समाज दळम् लगभगम् पूर्ण १.९६ कोटि मतानि ळब्धम् स्म तत् च् २०१७ तमे पतित्वा १.९२ कोटि भवितं !

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विवेक कुमार मीडिया से कहते हैं, 2012 में बहुजन समाज पार्टी को करीब कुल 1.96 करोड़ मत मिले थे और वह 2017 में घटकर 1.92 करोड़ हो गया !

तत्रैव समाजवादी दळम् २०१२ तमे २.१० कोटि मतानि ळब्धम् यत् २०१७ तमे कांग्रेसेण सह गठबंधनस्यानंतरम् १.८९ कोटि रमितं ! यस्यातिरिक्तं एकः वार्ता अन्य अवगम्यतुम् भविष्यति तत २०२१ तमस्य पंचायत निर्वाचनेषु वृहदसंख्यायां प्रत्याशिण: जयित्वा आगता: !

वहीं समाजवादी पार्टी को 2012 में 2.10 करोड़ मत मिले जो 2017 में कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद 1.89 करोड़ रह गया ! इसके अलावा एक बात और समझनी होगी कि 2021 के पंचायत चुनावों में बड़ी संख्या में ब्राहम्ण उम्मीदवार जीत कर आए हैं !

स्पष्टमस्ति तत ब्राह्मणानां संघटनम् भवति ! ऐतिहासिक गणनासाक्ष्यमस्ति तत ब्राह्मणस्य यदापि संघटनम् भवति तर्हि दलितानामपि संघटनं भवति ! इदृशैव येनकारणम् भवति तत भूमिस्तरे अद्यापि ब्राह्मणा: जनान् प्रभाविता: कुर्वन्ति !

साफ है कि ब्राह्मणों का मोबलाइजेशन हो रहा है ! ऐतिहासिक आंकड़े गवाह है कि ब्राह्मण का जब भी मोबालाइजेशन होता है तो दलितों का भी मोबलाइजेशन होता है ! ऐसा इसलिए होता है कि जमीनी स्तर पर अभी भी ब्राह्मण लोगों को प्रभावित करते हैं !

यत्रैव भाजपायाः वार्तास्ति तर्हि तस्मै सर्वात् वृहद आह्वानम् सत्तायाः सर्वाणि वर्गाणि एव अंशदारिम् कृतमस्ति ! यत्रैव अजाटव मतस्य वार्तास्ति तर्हि वाल्मीकि, खटिक पासी (बहवः काळम्), कोरी यथा दलित: तेन सह सदैवै: सह रमन्ति !

जहां तक भाजपा की बात है तो उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती सत्ता की सभी वर्गों तक साझेदारी करना है ! जहां तक गैर जाटव वोट की बात है तो वाल्मिकी, खटिक, पासी (ज्यादातर समय) ,कोरी जैसे दलित उनके साथ हमेशा से साथ रहे हैं !

यत्रैव चन्द्रशेखरस्य वार्तास्ति तर्हि एकः वार्ता अवगम्यतुमावश्यकीमस्ति आन्दोलनम् राजनीतिम् द्वे भिन्न-भिन्न वस्तुनी स्त: ! आंदोलनस्य काळम् सम्मर्द: एकत्रितं सरलमस्ति तु तेन मते परिवर्तितं द्वितीय वार्तास्ति ! इदम् बहु वृहद प्रश्नमस्ति ! द्वितीय तस्य पार्श्व संगठनस्य तीक्ष्णता नास्ति ! इदृशेषु निर्वाचने तस्मै चमत्कार कर्तुम् सरलम् नास्ति !

जहां तक चंद्रशेखर की बात है तो एक बात समझना जरूरी है आंदोलन और राजनीति दो अलग-अलग चीजे हैं ! आंदोलन के समय भीड़ इकट्ठा करना आसान है लेकिन उसे वोट में परिवर्तित करना दूसरी बात है ! यह बहुत बड़ा सवाल है ! दूसरा उनके पास संगठन की मजबूत नहीं है ! ऐसे में चुनाव में उनके लिए चमत्कार करना आसान नही है !

स्पष्टमस्ति तत भाजपाया, सपाया गृहीत्वा बसपा, भीम आर्मी प्रमुख: सर्वान् दलितमतस्य महत्वपूर्णता ज्ञातमस्ति ! आगत दिवसेषु सर्वाणि दलानि दलित मतदातान् स्वै: सह संलग्नस्य प्रयत्नम् करिष्यन्ति ! इदृशेषु दर्शनमिदमस्ति तत २०२२ तमे दलित मतदाता: केषाम् सहाय्य ददान्ति ?

साफ है कि भाजपा, सपा से लेकर बसपा, भीम आर्मी चीफ सभी को दलित वोटर की अहमियत पता है ! आने वाले दिनों में सभी दल दलित वोटर को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करेंगे ! ऐसे में देखना यह है कि 2022 में दलित वोटर किसका साथ देते हैं ?

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