जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35 ए बहाल करवाने व राज्य के एकीकरण के लिए कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूख अब्दुल्ला के निमंत्रण पर उनके घर पर कश्मीरी राजनीतिक दलों की बैठक कुछ दिनों पहले हुई थी |जानकारी के मुताबिक महबूबा मुफ्ती, सज्जाद गनी लोन और कम्युनिस्ट नेता यूसुफ तारिगामी फारूख अब्दुल्ला के घर आए थे करीब एक साल घर में नजरबंद रहने के बाद महबूबा मुफ्ती कुछ दिन पहले रिहा हुई हैं उन्होंने भी इस मीटिंग में हिस्सा लिया था |
बता दें कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने से एक दिन पहले यानी 4 अगस्त 2019 को अपने गुपकार रोड़ वाले आवास पर कश्मीरी नेताओं की बैठक बुलाई थी| इस बैठक में कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर की पहचान, स्वायत्तता और उसके विशेष दर्जे को संरक्षित करने के लिए वे मिलकर प्रयास करेंगे|
इस प्रस्ताव पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अलावा पीडीपी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और कुछ छोटे दल शामिलों ने भी हस्ताक्षर किए | नेशनल कांफ्रेंस ने इस बैठक के बाद हुई घोषणा को गुपकार घोषणा करार दिया था करीब एक साल नजरबंदी में रहने के बाद अब फारूख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और मेहबूबा मुफ्ती बाहर आ चुके हैं |
ऐसे में जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली और राज्य के एकीकरण के मुद्दे पर फारूख और महबूबा मुफ्ती ने हाथ मिला लिए हैं |
फारूख अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 बहाल करने की मांग को लेकर चीन से समर्थन मांगने की भी बात कर चुके हैं | जिसके लिए उनकी पूरे देश में आलोचना हो रही है | बैठक में वे अपनी धुर विरोधी महबूबा मुफ्ती के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर में अपनी नई राजनीति की राह तैयार करने का सोच रहे थे |
अब यह बड़े ही आश्चर्य की बात है कि दोनों फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती एक दूसरे के राजनितिक दुश्मन रहे है और काफी वर्षो तक इनके परिवार ने कश्मीर पर राज्य किया है लेकिन जब से अनुच्छेद 370 हटा है दोनों बुरी तरह बिलख रहे है |
दोनों भले ही भारत देश में रहते है यहां सारी सुविधाओं का फायदा उठाते है लेकिन हमेशा सुर पाकिस्तान के गाते है दोनों हमेशा से कश्मीरी पंडितो के ऊपर हुए अत्याचारों पर चुप रहे कभी एक शब्द भी उनके लिए नहीं कहा लेकिन पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का हमेशा से समर्थन करते आए है |
जहां फारुख अब्दुल्ला चीन की मदद से अनुच्छेद 370 हटाने का सपना देख रहे है वो अब्दुल्ला ये नहीं जानते की चीन अपने देश के मुसलमानो के साथ कैसा व्यवहार करता है किस तरह मस्जिदों को तोड़ कर शौचालय बनाता है और चीनी मुसलमानो को धार्मिक आजादी भी नहीं देता है |
दोनों फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती का तिलमिलाना सही भी है दोनों ने खूब भारतीय लोगो के पैसो पर मजे किए थे जिसे मोदी जी ने बंद करवा दिया जितनी पत्थरबाजी की घटना होती थी उसमे भी काफी कमी आ गई है |अलगाववादी जो खुद को पाकिस्तान का दूत बताते थे उनकी दुकाने बंद करवा दी देशभर में उनकी सम्पत्तियो को जब्त करवा लिया गया तो जब पेट पर ऐसी लात पड़ेगी तो चीखना तो बनता ही है |
दोनों फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती ने खुद को कश्मीर का राजा समझ लिया था दोनों के राज में कश्मीरी लोगो का कुछ भी भला नहीं हुआ सिर्फ आतंकवाद फूलता रहा और जिस तरह दोनों इस तरह बगावत की बात कर रहे है ऐसी भाषा पाकिस्तान ही बोलता है और दोनों अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती पाकिस्तान की ही भाषा बोलते आए है |
Reference link:
https://www.indiatoday.in/india/story/farooq-abdullah-meets-mehbooba-mufti-1731496-2020-10-14