प्रणाम!
मेरा प्रणाम सुनकर मेरे पिछड़े होने का अंदाजा मत लगा लेना! क्योंकि हम उस देश के वासी हैं, जहां अपने से छोटों को भी प्रणाम कहा जाता है!जहां शत्रु को भी युद्ध से पहले प्रणाम सम्बोधित करने की परंपरा है!
हम उस भारत के वासी हैं, जिसके बच्चे बच्चे के एक कंधे पर धर्म और एक कंधे पर कर्म शोभित होता है! हम उस भारत के वासी हैं, जिसके हृदय के आधे भाग में श्रीराम और आधे भाग में श्रीकृष्ण बसते हैं! हम उस भारत के वासी हैं, जो स्वयं अपने आप में “सत्यम शिवम और सुंदरम” है!
हम उस भारत के वासी हैं जहां गीता का ज्ञान हुआ, अर्जुन का धनुष महान हुआ और जहां चन्द्रगुप्त बलवान हुआ!हम उस भारत के वासी हैं, जो स्वयं अतुलनीय बल की राशि है, स्वर्ग लोक का अधिवासी है! जहां अयोध्या, मथुरा और काशी है!हम उस भारत के वासी हैं, जहां कण कण में कृष्ण की चतुरता, राम का बल और सरस्वती की विद्वता बहती है!
हम उस भारत के वासी हैं, जहां बच्चे बच्चे में छत्रपति की ऊर्जा, महाराणा का तेज और बाजीराव की वीरता बसती है!हम केवल वीर ही नहीं, प्रेमी भी कमाल के रहे हैं! हमारी नारियां एक ओर लक्ष्मीबाई, दुर्गावती भी होती हैं…..तो दूसरी ओर अपना प्रेम और सतीत्व बचाने के लिए पदमावती भी बन जाती हैं!
हमारे पुरुषों के भीतर कृष्ण और शिव का प्रेम भरा है तो नारियों में भी राधिका और पार्वती का स्नेह भरा है!भारत उस नीलकंठ का नाम है, जो स्वयं गरल पीकर दूसरों को अमृत दान करता है!
आदरणीय आशुतोष राणा जी अपनी कविता में शत्रुओं को सम्बोधित करते हुए कहते हैं…
“वह बर्बर था, वह अशुद्ध था, हमने उसको शुद्ध किया..
हमने उसको बुद्ध दिया, उसने हमको युद्ध दिया….”
हमी ने दिखाया है संसार को ब्रह्मास्त्र की शक्ति, परमाणु की ऊर्जा और शून्य का महत्व!परन्तु मैं कहता हूं कि संसार को बुद्ध और युद्ध, दोनो हमने ही दिया है….क्योंकि जब समस्त संसार बर्बर और नंगा था, उस कालखण्ड में भी एक स्त्री के हरण के कारण हमने लंका कांड देखा है….एक स्त्री के अपमान पर महाभारत जैसा युद्ध लड़ा है!
भारत के विषय में क्या कहूँ!
भारत वह है, जहां लाख अपमान होने पर भी एक युवा सन्यासी….अपने अपमानकर्ताओं को “ब्रदर्स ऐंड सिस्टर्स” कहकर बुलाता है!भारत वह है जिसकी आन बान शान के लिए तेईस साल के भगत सिंह अपने साथियों के साथ कुर्बान हो जाते हैं, कोई सोलह साल का खुदीराम फांसी चढ़ जाता है और कोई “आजाद” स्वयं की हत्या कर लेता है लेकिन जीवित रहते हुए फिरंगियों के हाथ नहीं आता!
भारत की हवाओं में केवल ऑक्सीजन नहीं बहता साहब, भारत की वायु में आज भी वेदमंत्र बहते हैं, गीता के श्लोक बहते हैं और रामायण के पाठ बहते हैं!हम भारत हैं! हमारे भीतर ब्रह्मा की विद्वता और विष्णु की शीतलता के साथ साथ महादेव शिव का तांडव भी रचा बसा है!
हम किसी को छेड़ते नहीं, किन्तु यदि किसी ने छेड़ा तो उसे छोड़ते भी नहीं! हम कृष्ण की तरह शिशुपाल की निन्यानबे गालियां सहन कर सकते हैं, किन्तु सौवीं बार यदि किसी ने अपशब्द कहा तो उसकी बात पूरी होने से पहले सुर्दशन से उसका गला काटने की क्षमता भी रखते हैं!और अंत में….हमारा भारत वह है, जिसकी यशगाथा का गान यदि शेषनाग अपने सैकड़ों मुखों से और सरस्वती अपने करोड़ों मुखों से करें तब भी इसकी गाथा समाप्त नही होगी!
हम आदि हैं! हम अनन्त हैं! हम अद्वितीय हैं!
हम भारत हैं!
इन्ही शब्दों के साथ! पुनः प्रणाम!
भारत माता की जय!