वीरों का बसंत : वीरों के जीवन में केवल एक ही रंग होता है…..रक्त का, शौर्य का, बाहुबल का रंग ,लाल रंग!

Date:

बसंत! ऋतुओं में ऋतुराज! सबके लिए इसके अपने मायने हैं,अपने अर्थ हैं! जहां यह बच्चों के लिए रँग और गुलाल का आकर्षण लेकर आता है, भक्तों के लिए शिवरात्रि लेकर आता है, वही प्रेमियों के लिए प्रेम का मधुमास लेकर आता है!
पर न जाने क्यों, मैं इस वसंत न तो होली के रंगों की सोच रहा हूँ और न प्रेम के मधुमास के बारे में! मेरा मन हमेशा की तरह भारतवर्ष के इतिहास में अटका पड़ा है और मैं सोच रहा हूँ वीरों के वसंत के बारे में!

सुभद्रा कुमारी चौहान ने लिखा है ……

“कह दे अतीत अब मौन त्याग, लंके तुझमें क्यों लगी आग
ऐ कुरुक्षेत्र अब जाग जाग;बतला अपने अनुभव अनंत
वीरों का कैसा हो वसंत!!

हल्दीघाटी के शिला खण्ड, ऐ दुर्ग सिंहगढ़ के प्रचंड
राणा ताना का कर घमंड;दो जगा आज स्मृतियां ज्वलंत
वीरों का कैसा हो वसंत!!

हाँ! मैं सोच रहा हूँ कैसा होता होगा वसंत उस महाराणा का, जिसने घास की रोटी खाई और घास के बिस्तर पर सोया, पर अपने जीते जी मेवाड़ नहीं दिया!

महाराणा की तो छोडिय!जब अकबर ने महाराणा का एक “रामप्रसाद” नाम का हाथी जब्त कर लिया, तो उसके लाख प्रयत्नों के बाद भी रामप्रसाद ने मुगलों की रोटी नहीं खाई और पानी तक नहीं पिया! इसपर अकबर ने कहा था, जिसका हाथी मेरी गुलामी नहीं कर रहा है, वो क्या खाक मुझसे डरेगा!”

मैं सोच रहा हूँ, कैसा होता होगा वसंत, उस महान राणा सांगा का, जिसके केवल एक हाथ, एक पैर और एक आंख थी! शरीर पर अस्सी घाव थे फिर भी वह खानवा में बाबर से टकरा गया! उसके तोपों की आवाज सांगा को नहीं डिगा सकी!

मैं सोचता हूँ किस मिट्टी से बनी थीं भुजाएं उस बाजीराव पेशवा की, जिसने चालीस साल के अल्प जीवन में ही समूचे हिंदुस्तान को भगवा पताका के नीचे ला दिया था!

मैं सोचता हूँ किस मिट्टी का बना था, दिल्ली का वो अंतिम हिन्दू राजा, पृथ्वीराज चौहान ….जिसने हर बार गोरी को क्षमा किया, पर पराजय और बंदी बनने के बाद भी, केवल एक श्लोक सुनकर तीर चला दिया और शत्रु का संहार कर दिया!

क्या शौर्य रहा था उस महान छत्रपति का, जिसने अपने जीते जी मुगलों के दक्षिण पर राज करने के मंसूबे कभी कामयाब नहीं होने दिए और फिर उस महान राजा के बेटे को भी भला कोई कैसे भूल सकता है, जिसकी आंख निकाल ली गई, खाल नोच ली गई और अंततः सर काट दिया गया, पर उसने अपनी आंखें नहीं झुकाई!

मैं सोचता हूँ, कैसे मनाते होंगे वसंत गुरु गोविंद और उनके चार साहिबजादे! कैसे बीतते होंगे दिन, उस रणबांकुरे बंदा बहादुर के, जो साक्षात काल बनकर बरसता था मुगलों पर!

मैं सोचता हूँ, कैसे मनाती होंगी होली और रँग, महारानी लक्ष्मीबाई! कैसे टकराई होंगी वह अंग्रेजों से ,छोटे बच्चे को पीठ पर बांधकर!

मैं सोचता हूँ इन सबके बारे में! और देर तक सोचने पर बस यही पाता हूँ कि इनके जीवन में भी बंसत होता होगा! रँग होते होंगे! पर वो रँग, होली और गुलाल के नहीं, बल्कि रक्त के होते होंगे!

वीरों के जीवन में केवल एक ही रँग होता है…..रक्त का रंग, शौर्य का रँग, बाहुबल का रंग….लाल रँग! और वीरों के जीवन में वंसत, प्रेम का मधुमास लेकर नहीं, बल्कि शौर्य का पूर्वाभास लेकर आता है!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

गुजरात सर्वकारस्यादेशानुसारं मदरसा भ्रमणार्थं शिक्षिकोपरि आक्रमणं जातम् ! गुजरात सरकार के आदेश पर मदरसे का सर्वे करने पहुँचे शिक्षक पर हमला !

गुजरात्-सर्वकारस्य आदेशात् परं अद्यात् (१८ मे २०२४) सम्पूर्णे राज्ये मद्रासा-सर्वेः आरब्धाः सन्ति। अत्रान्तरे अहमदाबाद्-नगरे मदरसा सर्वेक्षणस्य समये एकः...

यत् अटाला मस्जिद् इति कथ्यते, तस्य भित्तिषु त्रिशूल्-पुष्पाणि-कलाकृतयः सन्ति, हिन्दुजनाः न्यायालयं प्राप्तवन्तः! जिसे कहते हैं अटाला मस्जिद, उसकी दीवारों पर त्रिशूल फूल कलाकृतियाँ, ​कोर्ट...

उत्तरप्रदेशे अन्यस्य मस्जिदस्य प्रकरणं न्यायालयं प्राप्नोत्! अटाला-मस्जिद् इतीदं माता-मन्दिरम् इति हिन्दुजनाः जौन्पुर्-नगरस्य सिविल्-न्यायालये अभियोगं कृतवन्तः। जौनपुरस्य अस्य मस्जिदस्य...

नरसिंह यादवस्य भोजने मादकद्रव्याणां मिश्रितं अकरोत्-बृजभूषण शरण सिंह: ! नरसिंह यादव के खाने में मिलाया गया था नशीला पदार्थ-बृजभूषण शरण सिंह !

उत्तरप्रदेशस्य बि. जे. पि. सदस्यः तथा रेस्लिङ्ग्-फ़ेडरेशन् इत्यस्य पूर्व-अध्यक्षः ब्रिज्-भूषण्-शरण्-सिङ्घ् इत्येषः महत् प्रकटीकरणं कृतवान्। बृजभूषण् शरण् सिङ्घ् इत्येषः...

स्विट्ज़र्ल्याण्ड्-देशस्य एकः दलितः राहुलगान्धी इत्यनेन सह 91 दिनानि यावत् निवसत्, ततः काङ्ग्रेस्-पक्षस्य वास्तविकं मुखं ज्ञातवान् ! स्विट्जरलैंड से आया एक दलित, 91 दिन राहुल...

सद्यः एव काङ्ग्रेस्-नेता राहुल्-गान्धी इत्यस्य न्याययात्रायां भागम् अगृह्णात् नितिन्-परमार नामकः दलित-व्यक्तिः सामान्यजनैः सह कथं व्यवहारः कृतः इति विवरणं...
Exit mobile version