7 अनूठी बातें यूनेस्को की विश्व विरासत रामाप्पा रुद्रेश्वर मंदिर, तेलंगाना की

Date:

हाल ही में यूनेस्को यानी United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization (UNESCO) ने 25 जुलाई 2021 को तेलंगाना के रामाप्पा मंदिर को विश्व विरासत घोषित किया है. विश्व विरासत समिति के 44वें सत्र के दौरान फुज़ोउ, चीन में इसकी घोषणा की गई. ‘विश्व विरासत’ यानी पृथ्वी के वह स्थान हैं, जिनका बेजोड़ सनातन मोल है और जिन्हे मानवजाति को अपनी अगामी पुश्तो के लिए बचाए रखना है.

Photo: Nirav Lad | Wikimedia

काकटिया काल की गौरवगाथा की ये मिसाल साल 1234 ईस्वी में निर्मित है.  मुलुगु जिले के पालमपेट में 800 साल पुराना ये पूरा मंदिर परिसर वास्तुशिल्प सहित कई लिहाज़ से अनुपम है. आइए जानते हैं, इस मंदिर की 7 अनूठी ख़ूबियाँ, जो इसे ख़ास बनाती हैं…

UNESCO Official Tweet on Ramappa Temple

1) मंदिर जो इसे बनाने वाले कारीगर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर को काकटिया राजा गणपति देव के राज में बनवाया था. और इसे बनाने वाले कारीगर का नाम था रामाप्पा सतपथि. इसलिए इस पूरे परिसर को रामाप्पा मंदिर समूह कहते हैं. इस में प्रमुख शिवालय को रुद्रेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है. रुद्रेश्वर इसलिए कि इसे सेनापति रेचेरला रुद्र की निगरानी में बनाया गया था. यानी राजा की बजाय कारीगर और सेनापति को क्रेडिट!

Photo: Muralidhara Rao Patri | Wikmedia

2) तैरने वाली ईंटो से बना ! मंदिर में इस्तेमाल की गई ईंटे बहुत ही कम वज़न की हैं. आर्कियोलॉजिस्ट (पुराविदों) का कहना है कि, इस मंदिर में आम पत्थर की बजाय ख़ास तकनीक से बलुआ पत्थर जैसी सामग्री से बनी ऐसी हल्की-फुल्की और स्पाँजी ईंटे इस्तेमाल हुई हैं कि वह पानी में तैर सकती हैं. ये उस काल में भारत की उन्नत टेक्नोलॉजी की मिसाल है.

Photo: Parag Sane from Twitter

3) सतर्क नंदी ! इस मंदिर का एक और आकर्षण है नंदी मंड़पम में बैठा नंदी. जो शिवलिंग की और मुँह करके बेहद सचेत अंदाज़ में बैठा है. जबकि अक्सर शिवालयो में ऐसी मुद्रा में नंदी नहीं होते हैं. इस चौकन्ने नंदी को आभुषणो से सजाकर इतनी बारीकी से बनाया है कि इसकी नसे भी दिखती हैं. एक और अदभुत बात ये है कि इस मंदिर में नौ फीट ऊंचा शिवलिंग है.

Photo: Tamil Brahmins

4) दीवारों पर रामायण और शिव पुराण की गाथाएँ ! मंदिर के गर्भ गृह और दीवारों पर इन महान ग्रंथो के अलावा कई अन्य ग्रंथो से प्रेरित दृश्य खुदे हुए हैं.  यानी पत्थरो पे इन ग्रंथो की गाथाओं को सजीव किया गया है. मंदिर में नर्तकियों और पौराणिक पशुओ की मुर्तियाँ काफ़ी तादाद में हैं और आकर्षक व सजीव हैं.

Photo: Parag Sane

5) सुरीले और सुंदरियो वाले खम्भे! मंदिर की दीवारे और छत ही नहीं, बल्कि इसके खम्भो की सुंदर कारीगरी और उस पे बनी मुर्तियाँ भी सुंदर बनावट की मिसाल हैं. वहीं इन खम्भो पर प्रहार करने पर संगीतमय सुर निकलते हैं.  

Photo: Varsha Bhargavi Vikimedia

6) 40 साल की मेहनत! तेलंगाना सरकार की वेबसाइट के अनुसार इस मंदिर परिसर को बनने में लगभग चालीस साल लगे थे.

Photo Parag Sane Twitter

7) भूकम्प में भी सलामत ! सत्रहवी शताब्दी में इस इलाके में तेज भूकम्प आया था. जिससे इसे नुकसान हुआ लेकिन अपनी ‘sandbox technique’ नींव में तकनीक के कारण इस मंदिर का मुख्य हिस्सा बच गया.

Photo: Parag Sane | Twitter

इस सूची में भारत की यह 39वी विरासत है. इस में शामिल होना सम्मान की बात है, जो ना सिर्फ तेलंगाना, बल्कि भारत के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है.

Source: https://www.batangad.com/7-unique-facts-about-unesco-world-heritage-ramappa-rudreshwara-temple-telangana/

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

बङ्गाल्-प्रदेशस्य प्रत्येकः अङ्गुलः भूमिः मुस्लिम्-जनानां अस्ति, स्वतन्त्रभारते सूरसा रूपेण मतानुयायिनः जमीन्दारः वर्धमानाः सन्ति ! बंगाल की इंच-इंच जमीन मुस्लिमों की, स्वतंत्र भारत में सुरसा...

सद्यः एव बङ्ग्ला-देशस्य मौलाना इत्यस्य एकं वीडियो सामाजिक-माध्यमेषु वैरल् अभवत्। दृश्यचित्रे मौलाना, बङ्गाल्-प्रदेशस्य प्रत्येकः अङ्गुलः भूमिः मुस्लिम्-जनानां अस्ति...

इदं लघु-पाकिस्तानदेशः अस्ति, अत्र हिन्दूनां आगमनम् निषेध: ! ये मिनी पाकिस्तान है, यहाँ हिंदुओं का आना मना है ?

२०२४ मे ६ दिनाङ्के छत्तीसगढस्य बिलासपुरे अर्षद्, नफीस्, शोयब्, राजा खान् अथवा सज्जद् अली इत्येतैः जीवन्दीप् सिङ्घ् नामकः...

गृहे प्रत्यागमनम्, फरजाना पल्लवी भवति, नर्गिस् मानसी भवति ! घर वापसी, फरजाना बनी पल्लवी, नरगिस हुई मानसी !

उत्तरप्रदेशस्य बरेली-मोरादाबाद्-जनपदयोः 2 मुस्लिम्-बालिकाः गृहं प्रत्यागताः सन्ति। तौ उभौ हिन्दुधर्मं स्वीकृत्य हिन्दु-बालिकानां विवाहम् अकुर्वन्। रामपुरस्य फर्हाना बरेली नगरे...

किं हिन्दु-पुत्री सलार् इत्यस्य पुत्रस्य विरुद्धं स्पर्धां कर्तुं न शक्नोति ? क्या सालार के बेटे के खिलाफ चुनाव भी नहीं लड़ सकती एक हिंदू...

२०२४ लोकसभानिर्वाचनस्य चतुर्थः चरणः सोमवासरे (मे १३, २०२४) ९६ आसनेषु अभवत्, येषु एकः हैदराबाद् आसीत्! तेलङ्गाना-राज्यस्य राजधानी ए....
Exit mobile version