‘द कश्मीर फाइल्स’ पर फतवे और कड़ा विरोध – क्या भारत में ‘हिन्दुओ पर हुए अत्याचारों’ को दिखाना ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ का उल्लंघन है ?

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भारत में कहने को तो एक हिन्दू बहुल देश है, लेकिन समय समय पर हमे ये दर्शाया जाता है की हिन्दू हीन हैं, और उनका कोई महत्त्व नहीं है। चाहे हिन्दू धर्म हों, संस्कृति हो , त्यौहार हों, या हिन्दुओ पर हुए अत्याचार हों, हिन्दुओ का ना तो कोई पक्ष लेता है, ना उनके साथ कोई खड़ा होता है।

ताज़ा मामला है बॉलीवुड निर्माता विवेक अग्निहोत्री द्वारा कश्मीर नरसंहार पर आधारित एक और चौंकाने वाली, दिलचस्प और ईमानदार फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ का।

ये फिल्म बनायी गयी है 80-90 के दशक में कश्मीर में फैले आतंक, भ्रम और भयानक दहशत की एक झलक दिखाने के लिए। इसमें दिखाया गया है कि किन कारणों से, और किस प्रकार कश्मीरी हिन्दुओ पर अत्याचार करके उन्हें कश्मीर छोड़ कर भागने को मजबूर कर दिया गया था।

इसमें ये भी दिखाया गया है कि कैसे राजनीतिक पार्टियों और कौमी संस्थाओ ने कश्मीरी पंडितो पर हुए खौफनाक अत्याचार का फायदा उठाया, और आज तक उठाते आ रहे हैं। ‘द कश्मीर फाइल्स’ का ट्रेलर आपको भावनाओं के एक रोलरकोस्टर पर ले जाता है जो दुखद घटना के दौरान सामने आया था।

ये फिल्म सिनेमाघरों में 11 मार्च को रिलीज होनी है। रिलीज होने से पहले जम्मू में कश्मीरी पंडितों के लिए इस फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई। इस फिल्म को देखकर दर्शक इतना भावुक हो गए कि अपनी सीटों पर खड़े होकर आंसू बहाने लगे।

फिल्म के मेकर्स का दावा है कि इसकी कहानी कश्मीरी पंडितों के दर्द को लोगों के सामने लाएगी। फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री का कहना है कि 1990 में हुआ कश्मीरी नरसंहार भारतीय राजनीति का एक अहम और संवेदनशील मुद्दा है, इसलिए इसे पर्दे पर उतारना कोई आसान काम नहीं था।

लेकिन फिल्म बना लेना ही काफी नहीं होता, उसे रिलीज करना पड़ता है , उसकी मार्केटिंग भी करनी होती है सभी तरह के विवादों से उसे बचाना पड़ता है, तब जा कर एक फिल्म दर्शको तक पहुँचती है, और अपने सन्देश को पंहुचा पाती है।

लेकिन इस फिल्म के साथ क्या हो रहा है, इसे हर कदम पर एक अंध विरोध झेलना पड़ रहा है, हर कोशिश की जा रही है कि इस फिल्म को रोका जाए, फिल्म पर एक ख़ास धर्म के खिलाफ होने का आरोप भी लगाया जा रहा है, वहीं पूरा लेफ्टिस्ट इकोसिस्टम भी इसे प्रतिबंधित करने की हरसंभव कोशिश कर रहा है।

न्यायायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग करके फिल्म को रोकने का प्रयास

मूलतः उत्तरप्रदेश के रहने वाले, और फिलहाल मुंबई में रह रहे इंतज़ार हुसैन सईद ने मुंबई हाई कोर्ट में एक PIL दाखिल की है , जिसमे उन्होंने कोर्ट को इस फिल्म पर प्रतिबन्ध लगाने को कहा है, उन्होंने कहा है कि इस फिल्म में मुस्लिमो द्वारा कश्मीरी पंडितो को मारते हुए दिखाया है, जिससे मुस्लिमो कि भावनाएं आहत हो सकती हैं।

PIL में ये लिखा गया है कि फिल्म में घटनाओ को एकतरफा तरीके से दिखाया गया है, जिस वजह से हिन्दुओ में में गुस्सा उत्पन्न हो सकता है, जिससे देश में कानून व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।

अब बताइये इससे बड़ा मजाक क्या हो सकता है, कि घटनाओ का सच दिखाने से किसी कि भावनाएं प्रभावित हो जाएँ । सभी को पता है कि कैसे इस्लामी जिहाद के नाम पर कश्मीरी हिन्दुओ को घाटी से निकाला गया था, अगर सच दिखाएं तो इसमें किसी को दिक्कत क्यों हो रही है? क्या इसलिए कि यहां बात हिन्दुओ की हो रही है?

मीडिया ने फिल्म पर Shadow Ban लगाया

हमारा मीडिया वैसे ही इतना एकतरफा है, कि जैसे ही कोई फिल्म या सीरीज उनके एजेंडा से इतर आती है, ये उस पर एक Shadow Ban लगा देते हैं । आप ‘द कश्मीर फाइल्स’ ट्रेलर रिलीज होने के बाद आये हुए रिव्यु देखिएगा । NDTV ने तो इसे एक प्रोपेगंडा फिल्म बताया है, वो भी बिना देखे, है ना अजीब बात?

Source – NDTV

विवेक अग्निहोत्री ने तो सीधा सीधा आरोप लगाया है अनुपमा चोपड़ा पर, जो एक मीडिया कंपनी चलती हैं, फिल्मो के प्रमोशन के लिए, और जिनके पति हैं विधु विनोद चोपड़ा हैं, वो इस फिल्म के खिलाफ एक अभियान चला रही हैं, ताकि इस फिल्म को बदनाम किया जा सके।

फिल्म प्रोडूसर को धमकियाँ दी जा रही हैं

आप हैरान हो जाएंगे ये देख कर कि फिल्म प्रोडूसर डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री को जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं । उनके सोशल मीडिया एकाउंट्स एक ख़ास धर्म के लोगो द्वारा गालियों, धमकियों और फतवे से भरे हुए हैं। क्या सच दिखाना इतना बड़ा अपराध है कि किसी की जान ही लेने पर लोग उतारू हो जाएँ ?

Source – Vivek Agnihotri Instagram

ये भी शायद इसलिए क्युकी फिल्म में हिन्दुओ पर हुए अत्याचारों को दिखाया गया है, और ये अत्याचार किसी ख़ास कौम के लोगो ने किये थे, आज वही लोग फिल्म से सम्बंधित लोगो को धमकिया और फतवे दे रहे हैं।

कपिल शर्मा शो ने भी फिल्म का बहिष्कार किया

बॉलीवुड की कोई भी फिल्म आये, उसका प्रमोशन कपिल शर्मा के शो पर जरूर किया जाता है । लेकिन कपिल शर्मा ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म की टीम को इस फिल्म के प्रमोशन के लिए बुलाया ही नहीं। क्या ये एक तरह का Ban नहीं है ?

विवेक अग्निहोत्री ने इस मामले पर एक ट्वीट के जवाब में कहा भी है, और इस बात की पुष्टि की है की कपिल शर्मा की टीम से उन्हें कोई संपर्क नहीं किया गया है, और हिन्दुओ पर हुए अत्याचारों की सच्चाई पर पर्दा डालने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है।

क्या अभिव्यक्ति की आजादी भी धर्म देख कर होती है ?

फिल्म एक कला है, जिसके द्वारा अपने विचार अभिव्यक्त किये जाते हैं, और हम एक लोकतंत्र में रहते हैं, जहां अभिव्यक्ति की आजादी सभी को मुहैया है। हमारे लेफ्टिस्ट और सेक्युलर लोग भी तो यही कहते हैं, कि फिल्में और कला पर किसी भी तरह का प्रतबंध नहीं लगना चाहिए।

गुजरात दंगो पर कई फिल्में बनायी गयी थी, जैसे ‘चाँद बुझ गया,’फ़िराक’, ‘परजानिया’, और ‘काई पो छे’। इन सभी फिल्मो में मुसलमानो पर हुए अत्याचारों को दिखाया गया था, वहीं हिन्दुओ के खिलाफ हुए ‘गोधरा काण्ड’ को सफाई से छुपा दिया गया था। लेकिन फिर भी इन फिल्मो का कभी विरोध नहीं हुआ, ना इन पर Ban लगाने के लिए PIL डाली गयी, ना मीडिया ने इन पर Shadow-Ban लगाया गया, ना इनके निर्माताओं को जान से मारने की धमकिया दी गयी थी।

इससे एक बात साफ़ है कि हमारे लेफ्टिस्ट इकोसिस्टम को हिन्दुओ पर हुए अत्याचारों से कोई मतलब नहीं है, उनका ध्यान सिर्फ हिन्दुओ को आक्रांता बताने पर होता है, ये लोग कोशिश करते हैं कि इनके और इनके जिहादी आकाओ के काले कारनामे कभी सामने ना आएं, लोगो इनके कलुषित सच को ना जान पाएं, और इनसे सवाल ना पूछें, इसलिए ये इस तरह कि हरकतें करते हैं ।

लेकिन अब ज़माना बदल गया है, और अब सोशल मीडिया और इंटरनेट पर हर तरह की जानकारी उपलब्ध होती है, और ये लोग कितना ही दबा लें, लेकिन अब हिन्दुओ का शोषण करना, उन्हें दिग्भ्रमित करना संभव नहीं है। हम इस फिल्म के निर्माताओं और इससे जुड़े हर कर्मचारी का समर्थन करते हैं, और उम्मीद करते हैं ये फिल्म सफल होगी और लोगो को भारतीय इतिहास के एक काले अध्याय से रूबरू कराएगी।

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