ट्विटर की बेलगाम उड़ान पर ब्रेक

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स्टीव वॉ के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम सन 2001 में जब भारत आई तो वो आत्मविश्वास से लबरेज थी क्योंकि वो कई देशों को मात देते हुए लगातार सबसे ज़्यादा टेस्ट मैच जीतने के विश्व रिकॉर्ड की तरफ बढ़ रही थी।

भारत को भी पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया ने मुंबई में पटखनी दे दी थी और अपने विजय रथ को जारी रखा था। लेकिन इसके बाद कोलकाता टेस्ट में जो कुछ भी हुआ वो इतिहास के पन्नों में सदा के लिए दर्ज हो गया।

कोलकाता टेस्ट में भी भारत की हालत खराब हो चुकी थी, ऑस्ट्रेलिया द्वारा 445 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी पूरी भारतीय टीम महज 171 रनों पर आउट होकर पैवेलियन लौट गई और भारत को फॉलोऑन खेलने पर विवश होना पड़ा।

लेकिन इसके बाद जो कुछ भी हुआ उसे आज भी क्रिकेट इतिहास का सबसे स्वर्णिम अध्याय कहा जाता है। भारत की शुरुआत दूसरी पारी में भी खराब रही लेकिन शुरुआती झटकों के बाद वीवीएस लक्ष्मण और ‘द वॉल’ के नाम से मशहूर राहुल द्रविड़ ने मैदान पर ऐसा रंग जमाया कि कंगारुओं के छक्के छूट गए।

जहाँ लक्ष्मण ने 281 रनों की शानदार पारी खेली वहीं, राहुल द्रविड़ ने भी 171 रन बनाकर भारत को सुनिश्चित पराजय से निकालकर मज़बूत स्थिति में ला खड़ा किया। भारत के कप्तान सौरव गांगुली ने 657/7 के स्कोर पर पारी समाप्ति की घोषणा कर ऑस्ट्रेलिया को बल्लेबाजी करने को बुलाया।

इसके बाद भारतीय गेंदबाजों और फील्डर्स ने बड़ा ही ज़बरदस्त खेल दिखाते हुए पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम को 212 रनों पर समेट दिया। हरभजन सिंह ने इस मैच में हैट्रिक ली और भारत ने ये मैच 171 रनों से जीत लिया। इस मैच में 171 एक जादुई आँकड़ा साबित हुआ। जैसे भारतीय टीम पहली पारी में 171 रनों पर आउट हो गई, राहुल द्रविड़ ने 171 रन बनाये और भारत ने मैच भी 171 रनों के अंतर से ही जीता। इसके बाद भारत ने नागपुर टेस्ट जीतते हुए ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हराकर उसके विजय रथ को रोक दिया था।

यही वो सीरीज़ थी जब सौरव गांगुली के नेतृत्व में भारतीय टीम ने पहली बार प्रतिद्वंदी टीमों की आँखों में आँखें डालकर देखना शुरू किया। बेलगाम ऑस्ट्रेलियाई टीम के हथियार ‘स्लेजिंग’ को उसी के ख़िलाफ़ जमकर इस्तेमाल किया। इस पूरी सीरीज़ ने भारतीय क्रिकेट टीम का पूरी तरह से कायाकल्प कर दिया था।

जब सोशल मीडिया का दौर आया तो इसने भी तेजी से पूरी दुनिया में अपने पैर पसारने शुरू किये। इनमें भी फेसबुक और ट्विटर ने सबसे ज़्यादा प्रसिद्धि प्राप्त की और आम से लेकर खास सभी लोगों को अपनी बात सीधे तौर पर पहुँचाने का अवसर प्रदान किया।

लेकिन सोशल मीडिया के इन प्लेटफॉर्म्स ने अपनी प्रसिद्धि का अनैतिक फायदा उठाना भी शुरू कर दिया और कई देशों में इन प्लेटफॉर्म्स ने वहाँ की सरकारों से, वहाँ के कानून से स्वयं को ऊपर समझना शुरू कर दिया। ट्विटर ने तो तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तक का एकाउंट डिलीट कर दिया था। फेसबुक के जनक मार्क जुकरबर्ग को भी अमेरिकी अदालत ने कड़े जुर्माने भरने को कहा और कड़े शब्दों में आलोचना की थी।

ट्विटर पर भारत के वामपंथियों और वर्तमान विपक्ष, वर्तमान सरकार के विरुद्ध लिखने वालों का ही अधिपत्य है। स्वयं ट्विटर ने भी इन्हें फलने फूलने के अवसर प्रदान किये। गोयाकि ट्विटर भी इसी विचारधारा का समर्थन करता है। ट्विटर ने वर्तमान केंद्र सरकार के कई समर्थकों के ट्विटर एकाउंट डिलीट किये परंतु सरकार के आलोचकों को सदैव प्रोत्साहित किया।

ट्विटर, फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती दादागिरी, देश से जुड़े ज़रूरी मामलों में बढ़ते हस्तक्षेप के कारण वर्तमान सरकार ने तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए कुछ गाइडलाइंस जारी की और उसका पालन करने के लिए तीन माह का समय दिया।

परंतु समयावधि बीत जाने के बावजूद अपनी अकड़ में ट्विटर, फेसबुक इन नए नियमों को मानने को तैयार नहीं थे। सरकार द्वारा सख्ती किये जाने के बाद फेसबुक और दूसरे प्लेटफॉर्म्स ने तो इन नियमों का पालन करने की हामी भर दी परंतु ट्विटर अभी भी स्वयं को ही सर्वेसर्वा मानकर बैठा था और भारत के नए कानूनों को मानने को तैयार नहीं था।

इसी बीच ट्विटर ने टूलकिट प्रकरण पर केंद्र सरकार के प्रवक्ता संबित पात्रा के एक ट्वीट को Misleading यानि कि भ्रमित करने वाला बता दिया, इसके बाद ट्विटर ने भारत के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का एकाउंट ही ब्लॉक कर अपनी धाक जमाने की कोशिश की। परंतु ट्विटर ये भूल रहा था कि इस बार भारत की केंद्र सरकार उसकी सोच से कहीं ज़्यादा आक्रामक और सख्त है।

आखिरकार ना नुकुर करते करते ट्विटर को भारतीय कानूनों को मानने की हामी भरनी ही पड़ी और इसके तुरंत बाद ही ट्विटर पर एक फ़र्ज़ी हमले के ट्वीट के मामला उत्तरप्रदेश में पहला मामला पुलिस में दर्ज हो गया। इससे घबराकर ट्विटर के एक नव नियुक्त अधिकारी ने अपनी नौकरी तुरंत छोड़ दी।

इसके बाद भी ट्विटर ने अपनी हेकड़ी दिखानी नहीं छोड़ी और हाल ही में भारत के नक्शे से जम्मू कश्मीर और लद्दाख को गायब करके नक्शा जारी कर दिया।

ट्विटर के इस कदम के बाद मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में एक एक एफआईआर दर्ज की गई और कल ही दिल्ली पुलिस में चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसा कंटेंट ना हटाये जाने के कारण POSCO – Protection of Children from sexual Offenses एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। नए कानून के कारण केंद्र सरकार के विरोध में किसी भी सही गलत खबर को ट्वीट करने वाले वकील प्रशांत भूषण के एक ट्वीट को भी Misleading टैग देना पड़ा।

बेलगाम ट्विटर की मुश्किलें अब बढ़ती ही जा रही हैं। हाल ही में कुल चार मुकदमें ट्विटर के विरुद्ध दायर किये जा चुके हैं और अब ट्विटर के पास दो ही विकल्प बचे हैं या तो वो हर हाल में भारतीय कानूनों का पालन करे या भारत से अपना बोरिया बिस्तर समेटकर अपनी चिड़िया भारत से उड़ा ले जाए।

ट्विटर को ये समझना होगा कि जो सरकार पाकिस्तान में घुसकर दो दो बार स्ट्राइक कर चुकी है, नोटबंदी जैसा ऐतिहासिक कदम उठा चुकी है, कश्मीर से धारा 370 और 35A को ख़त्म कर चुकी है। समूचे विपक्ष और विरोधियों को नाकों चने चबवा चुकी है, कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को घुटनों पर ला चुकी है। उसके सामने ट्विटर की बिसात ही क्या है?

ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म को एकदम से बंद करने से विश्व में भारत की नकारात्मक छवि गढ़ी जाती, भारत की चौतरफा आलोचना की जाती, भारत के तमाम वामपंथी, सरकार विरोधी ताक़तें रात दिन केंद्र सरकार के बहाने भारत को ही बदनाम करने में जुट जाते इसलिए ट्विटर का इलाज इस तरह किया जा रहा है कि ट्विटर या तो सुधर जाएगा या सिधर जाएगा।

ट्विटर की चिड़िया की बेलगाम उड़ान पर नकेल भी भारत ही कसेगा और संपूर्ण विश्व को राह दिखाएगा।

ताकि सनद रहे !!

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