देश की राजधानी दिल्ली के चांदनी चौक के सामने सीना तान कर खड़े देश की शान लाल किला ने आजादी से पहले बहुत से हमले झेले होंगे, लेकिन आजादी के बाद 72वें राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के दिन जिस तरह से ‘अपनों’ ने ही उसे कभी न मिटने वाले जख्म दिए, उससे लाल किला बुधवार को दर्द और खौफ के साये में डूबा दिखा।
किसानों की गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टर परेड में कुछ ऐसा हुआ जिसकी किसी को भी उम्मीद नहीं थी। किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान कुछ उपद्रवियों ने देश की शान लाल किले के प्राचीर से अपना झंडा फहरा दिया और लाल किले को काफी नुक्सान पहुंचाया। बुधवार को किले बाहर-भीतर कई जगह उपद्रव के निशान देखने को मिले।
लाल किले के सामने परिसर का हर कोना बर्बादी की दास्तां दिखा-सुना रहा था। यहीं पर उप्रदवियों ने लाल किले की सुरक्षा में तैनात पुलिस व अर्धसैनिक बल के जवानों पर लोहे की रॉड, तलवारव लाठी से हमला बोला था। एक तरफ पुलिस की क्षतिग्रस्त जिप्सी पलटी पड़ी थी, जो लाल किले में हुई बर्बता की दास्तां सुना रही थी।
इतना ही नहीं, लाल किले में चेंकिग व टिकट काउंटर, मेटल डिटेक्टर, मेज, पंखे, व ऑफिस पर उपद्रवियों ने जमकर उत्पात मचाया। लाल किले की व्यवस्था को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया। ये तो फिर से व्यवस्थित हो जाएंगे, पर लाल किला की प्राचीर के ऊपर स्थित संरक्षित गुंबद को तोड़कर उपद्रवियों ने जो नुकसान पहुंचाया है, शायद ही उसकी भरपाई हो सकेगी।
गणतंत्र दिवस के दिन हुए उपद्रव के बाद लाल किले को अब अभेद्य किले में तब्दील कर दिया गया है। साथ ही इसकी सुरक्षा में पांच हजार से अधिक जवानों की तैनाती की गई है।