वयमस्माकं च् इतिहास पावनम् रमति रमिष्यति च् कश्चितापि पृष्ठमुद्घाट्यस्य दृक्ष्यति वयमेव निःसृष्यामः-हिंदू ! हम और हमारा इतिहास पवित्र रहा है और रहेगा कोई भी पन्ना खोल के देखोगे हम ही निकलेंगे-हिंदू !

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इदम् चित्रम् १९०८ तमस्यास्ति अमृतसरस्य हरमंदिर साहेबस्य येन ईसाईनः वामपंथिन: गोल्डन टेंपल इति कथ्यन्ति सम्प्रति भवतः हृदये इदम् प्रश्नमुत्थिष्यन्ति तत हिंदू साधु ध्यानम् कीदृशं कुर्वन्ति ततापि सिख तीर्थे ? इतिहासे चरन्ति !

ये तस्वीर 1908 की है अमृतसर के हरमंदिर साहेब की जिसे ईसाई वामपंथी गोल्डन टेंपल कहते हैं अब आपके मन में ये प्रश्न उठा होगा कि हिन्दू साधु ध्यान कैसे कर रहे हैं वो भी सिख तीर्थ में ? इतिहास में चलते हैं !

सिखानां प्रथमगुरु, गुरुनानकदेव महाशय: आसीत् ! अग्रस्य गुरुणां क्रम निम्नवतस्ति, गुरु अंगददेव:, गुरु अमरदास:, गुरु रामदास:, गुरु अर्जुनदेव:, गुरु हरगोविंद:, गुरु हरराय:, गुरु हरकिशन:, गुरु तेग बहादुर:, गुरु गोविंद सिंह: !

सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी थे ! आगे के गुरुओं का क्रम निम्नवत् है, गुरु अंगददेव, गुरु अमरदास, गुरु रामदास, गुरु अर्जुनदेव, गुरु हरगोविंद, गुरु हरराय, गुरु हरकिशन, गुरु तेगबहादुर, गुरु गोविंद सिंह !

सर्वानां गुरुणां नाम रामस्य, अर्जुनस्य, गोबिंदस्य (कृष्ण:), हरस्य (महादेव:) नामसु सन्ति ! यदा औरंगजेब: कश्मीरस्य पंडितान् इस्लाम स्वीकारस्य कथित: तर्हि कश्मीरी पंडिता: गुरु तेगबहादुरस्य पार्श्व सहाय्यितुं गतवान !

सभी गुरुओं के नाम राम, अर्जुन, गोविंद (कृष्ण), हर (महादेव) के नाम पर हैं ! जब औरंगजेब ने कश्मीर के पंडितों को इस्लाम स्वीकार करने के कहा तो कश्मीरी पंडित गुरु तेगबहादुर के पास मदद के लिये गए !

गुरु तेगबहादुर: कथित: गच्छ औरंगजेबेण कथ्यतु, यदि गुरु तेगबहादुर: मुस्लिम: अभवत् तर्हि वयमपि मुस्लिम: अभवन् ! इदं वार्ता पंडितजनाः औरंगजेब: एव नयते ! औरंगजेब: गुरु तेगबहादुरम् इंद्रप्रस्थ आहुत्वा मुस्लिम: भवितुम् कथ्यति !

गुरु तेगबहादुर ने कहा जाओ औरंगजेब से कहना, यदि गुरु तेगबहादुर मुसलमान बन गया तो हम भी मुसलमान बन जायेंगे ! ये बात पंडित लोग औरंगजेब तक पहुंचा देते हैं ! औरंगजेब गुरु तेगबहादुर को दिल्ली बुलाकर मुसलमान बनने के लिए कहता है !

गुरुणा अस्वीकारे तेन यातनां दत्वा हन्यते ! सम्प्रति प्रश्नमिदमस्ति तत यदि सिख हिंदूतः भिन्नमस्ति तर्हि कश्मीरी पण्डितेभ्यः गुरु तेगबहादुर: स्वप्राणम् किं दत्त: ?

गुरु द्वारा अस्वीकार करने पर उन्हें यातना दे कर मार दिया जाता है ! अब प्रश्न ये है कि यदि सिख हिन्दू से अलग है तो कश्मीरी पंडितों के लिए गुरु तेगबहादुर ने अपने प्राण क्यों दिए ?

गुरु गोविंद सिंहस्य प्रिय शिष्य: बंदा बहादुर: (लक्ष्मणदास:) भारद्वाज कुलस्य ब्राह्मण: आसीत् येन गुरु गोविंद सिंहस्यानंतरम् पंजाबे मुगलानां सैन्यभि: संघर्षम् कृतवान ! कृष्णा जी दत्त: यथा ब्राह्मण: गुरु सम्मानाय स्वसंपूर्णकुटुंबम् बलिदानम् कृतः !

गुरु गोविन्द सिंह का प्रिय शिष्य बंदा बहादुर (लक्ष्मण दास) भारद्वाज कुल का ब्राह्मण था जिसने गुरु गोविन्द सिंह के बाद पंजाब में मुगलों की सेना से संघर्ष किया ! कृष्णा जी दत्त जैसे ब्राह्मण ने गुरु के सम्मान के लिए अपने सम्पूर्ण परिवार को कुर्बान कर दिया !

महाराजा रणजीत सिंह कांगड़ायाः ज्वालामुखी देव्या: भक्त: आसीत् ! अद्यापि बहु सिखवणिजानां आपणेषु गणेशस्य देव्या: वा मूर्तिम् रमति ! अद्यापि सिख: नवरात्रे स्वगृहेषु जोत इति प्रज्वलयन्ति !

महाराजा रणजीत सिंह कांगड़ा की ज्वालामुखी देवी के भक्त थे ! उन्होंने देवी मंदिर का पुर्ननिर्माण कराया ! आज भी कई सिख व्यापारियों की दुकानों में गणेश व देवी की मूर्ति रहती है ! आज भी सिख नवरात्र में अपने घरों में जोत जलाते हैं !

सम्प्रति प्रश्नमिदमस्ति तत सिख: किं कीदृशं वा हिंदूतः भिन्नम् कर्तुम् दत्तवान ? १८५७ तमस्य क्रांतितः भीत: आंग्ल: हिंदू समाजम् त्रोटनस्य कुचक्रं अरचयत् ! १८७५ तमे स्वामी दयानंद सरस्वती आर्य समाजस्य गठनम् कृतवान यस्य केंद्र पंजाबस्य लाहौरमासीत् !

अब प्रश्न ये है कि सिख क्यों व कैसे हिन्दू से अलग कर दिए गए ? 1857 की क्रांति से डरे ईसाइयों (अंग्रेजों) ने हिन्दू समाज को तोड़ने की साजिश रची ! 1875 में स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज का गठन किया जिसका केंद्र पंजाब का लाहौर था !

स्वामी दयानंद: इव सर्वात् प्रथम स्वराज्यस्य अवधारणाम् दत्त: तत देशस्य नाम हिन्दुस्तानम् तर्हि आंग्लस्य राज्यम् किं ? स्वामी दयानंदस्य एत विचाराणां कारणम् पंजाबे क्रन्तिकारी गतिविध्य: बर्धितं !

स्वामी दयानंद ने ही सबसे पहले स्वराज्य की अवधारणा दी कि जब देश का नाम हिंदुस्तान तो ईसाइयों (अंग्रेजों) का राज क्यों ? स्वामी दयानंद के इन विचारों के कारण पंजाब में क्रांतिकारी गतिविधियाँ बढ़ गयीं !

लाला हरदयाल:, लाला लाजपतराय:, सोहन सिंह:, (भगतसिंहस्य पितृव्य:) अजीत सिंह: यथा क्रांतिकारी नेतारः आर्यसमाजिनः आसन्, अतः आंग्ल: अभियान चालितं तत सिख: हिंदू वा भिन्नम् स्त: !

लाला हरदयाल, लाला लाजपतराय, सोहन सिंह, (भगतसिंह के चाचा) अजीत सिंह जैसे क्रांन्तिकारी नेता आर्य समाजी थे, अतः ईसाई मिशनरियों (अंग्रेजों) ने अभियान चलाया कि सिख व हिन्दू अलग हैं !

कुत्रचित पंजाबे क्रांतिकारी आंदोलनम् क्षीण कर्तुम् शक्नुतं ! यस्मै केचन आंग्लसमर्थका: सिखा: अभियानम् चालित: तत सिख, हिंदू नास्ति भिन्न धर्मस्य च् स्थितिम् दत्तस्य याचनां कर्तुमारम्भिष्यति !

क्योंकि पंजाब में क्रांतिकारी आंदोलन को कमजोर किया जा सके ! इसके लिए कुछ अंग्रेज समर्थक सिखों ने अभियान चलाया कि सिख, हिन्दू नहीं हैं और अलग धर्म का दर्जा देने की मांग करने लगे !

यथाद्य कर्नाटके ईसाई भूत: लिंगायत स्वम् हिंदू धर्मत: भिन्नम् कृतस्य याचनां कुर्वन्ति ! आंग्ल: १९२२ तमे गुरुद्वारा विधि निर्मित्वा सिखान् हिंदू धर्मत: भिन्नम् कृत्वा तेन भिन्न धर्मस्य घोषितवन्तः !

जैसे आज कर्नाटक में ईसाई बने लिंगायत स्वयं को हिन्दू धर्म से अलग करने की मांग कर रहे हैं ! ईसाई मिशनरियों ने 1922 में गुरुद्वारा ऐक्ट पारित कर सिखों को हिन्दू धर्म से अलग कर उन्हें अलग धर्म का घोषित कर दिया !

मित्राणि हिन्दुनां सिखानां रक्त एकमस्ति ! प्रत्येक हिंदुम् गुरद्वारा गमनीयं ! प्रत्येक हिंदुम् जीवने एकदा अमृतसरस्य हरमंदिर अवश्यम् गमनीयं !

दोस्तों हिन्दुओं सिखों का खून एक है ! हर हिन्दू को गुरुद्वारा जाना चाहिए ! हर हिंदू को जीवन में एक बार अमृतसर के हरमंदिर अवश्य जाना चाहिए !

गुरु गोविंद सिंह: १६९९ तमे खालसा (पवित्र) पंथस्य गठनम् कृतवान कथित: च्, अहम् हिंदू जनान् सिंह निर्मिष्यामि ! देशस्य-धर्मस्य संस्कृत्या: वा रक्षणं प्राणम् दत्वा इव न, प्राणम् नीत्वापि क्रियते !

गुरु गोविन्द सिंह ने 1699 में खालसा (पवित्र) पंथ का गठन किया और कहा, मैं हिंदू लोगों को सिंह बना दूँगा ! देश-धर्म व संस्कृति की रक्षा प्राण देकर ही नहीं, प्राण लेकर भी की जाती है !

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