प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: आषाढ़ पूर्णिमा धम्मचक्र दिवसं कार्यक्रमे बदमानः कथित: तत भवतः धम्म चक्र प्रवर्तन दिवसस्याषाढ़ पूर्णिम्या: बहु-बहु शुभाषयाः !
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आषाढ़ पूर्णिमा धम्मचक्र दिवस कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि आप सभी को धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस और आषाढ़ पूर्णिमा की बहुत-बहुत शुभकामनाएं !
अद्य वयं गुरु पूर्णिमापि मानयामः अद्यस्यैव च् दिवसं भगवत: बुद्ध: बुद्धत्वस्य ळब्धस्यानंतरम् स्व प्रथम ज्ञानं विश्वमददात् !
आज हम गुरु पूर्णिमा भी मनाते हैं और आज के ही दिन भगवान बुद्ध ने बुद्धत्व की प्राप्ति के बाद अपना पहला ज्ञान संसार को दिया था !
सः कथित: तत त्यागेण तितिक्षाया च् तप्त: बुद्ध: यदा बदति तदा केवलं शब्दमेव न निःसृत:, अपितु धम्मचक्रस्य प्रवर्तनं भवति !
उन्होंने कहा कि त्याग और तितिक्षा से तपे बुद्ध जब बोलते हैं तो केवल शब्द ही नहीं निकलते, बल्कि धम्मचक्र का प्रवर्तन होता है !
येन कारणं तदा केवलं पंच शिष्यानोपदिशत: स्म, तु अद्य संपूर्ण विश्वे तेषां शब्दानामनुयायिम् सन्ति, बुद्धे आस्था धर्ता: जनाः सन्ति !
इसलिए तब उन्होंने केवल पाँच शिष्यों को उपदेश दिया था, लेकिन आज पूरी दुनिया में उन शब्दों के अनुयायी हैं, बुद्ध में आस्था रखने वाले लोग हैं !
प्रधानमंत्री कथित:, सारनाथे भगवत: बुद्ध: संपूर्ण जीवनस्य, पूर्णज्ञानस्य सूत्रमस्माभिः ज्ञापित: स्म ! सः दुखम् प्रति ज्ञापित:, दुखस्य कारणं प्रति ज्ञापित: !
प्रधानमंत्री ने कहा, सारनाथ में भगवान बुद्ध ने पूरे जीवन का, पूरे ज्ञान का सूत्र हमें बताया था। उन्होंने दुख के बारे में बताया, दुख के कारण के बारे में बताया !
इदमाश्वासनं दत्त: तत दुखै: जयतुम् शक्नोति इति जयस्य च् मार्गमपि ज्ञापित: ! अद्य कोरोना महामार्या: रूपे मानवतायाः संमुखम् तादृशैव संकटमस्ति !
ये आश्वासन दिया कि दुखों से जीता जा सकता है, और इस जीत का रास्ता भी बताया। आज कोरोना महामारी के रूप में मानवता के सामने वैसा ही संकट है !
यदा भगवत: बुद्ध: अस्माभिः अन्यद् अपि प्रासंगिकं भवति ! बुद्धस्य मार्गे चरित्वा इव वृहदतः वृहद आह्वानस्य समाघातम् वयं कीदृशं कर्तुम् शक्नुम:, भारतमेदम् कृत्वा दर्शितं !
जब भगवान बुद्ध हमारे लिए और भी प्रासंगिक हो जाते हैं ! बुद्ध के मार्ग पर चलकर ही बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना हम कैसे कर सकते हैं, भारत ने ये करके दिखाया है !
बुद्धस्य सम्यक् विचारम् गृहीत्वाद्य विश्वस्य देशमपि परस्परस्य हस्ता: अवलंबयन्ति, परस्परस्य शक्तिम् निर्मन्ति !
बुद्ध के सम्यक विचार को लेकर आज दुनिया के देश भी एक दूसरे का हाथ थाम रहे हैं, एक दूसरे की ताकत बन रहे हैं !