पंजाब एक बार फिर से गलत कारणों से खबर में आ गया है । हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है, जिसमें उसने खालिस्तानी आतंकवादी भिंडरावाले की तस्वीरों को प्रदर्शित करने वाले झंडे ले जाने वाले वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह मामला तब प्रकाश में आया जब मंडी और ज्वालामुखी इलाको ने स्थानीय लोगों ने पंजाब के वाहनों के बारे में शिकायत की कि वे जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीर वाले झंडे अपनी गाड़ियों पर लगा कर घूम रहे हैं।
जाहिर है ये मुद्दा काफी गंभीर था, जैसे ही ये यह खबर आई, कई खालिस्तानी समर्थकों ने भ्रामक तथ्यों के साथ सोशल मीडिया पर शोर मचाना शुरू कर दिया । उन्होंने इसे सिखों के पवित्र निशान साहिब का अपमान बताया, उन्होंने भिंडरावाले के झंडे को हटाने की निंदा की और इसे गुंडागर्दी करार दिया। यहाँ आप देख सकते हैं कि कैसे खालिस्तानी समर्थक अमन बाली अपने ट्वीट में भिंडरावाले को ‘संत’ बता रहे हैं।
हालांकि, हिमाचल प्रदेश पुलिस ने निशान साहिब का अपमान करने के इन आरोपों को खारिज कर दिया है और स्पष्ट रूप से कहा है कि वे भक्तों और पर्यटकों के साथ अत्यधिक सम्मान के साथ व्यवहार कर रहे हैं। पुलिस ने स्थानीय निवासियों से भी अपील की थी कि वे कानून को अपने हाथ में लेने के बजाय किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट उन्हें दें।
वहीं हिमाचल प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर ने भी तनाव को शांत करने की कोशिश की। उन्होंने स्पष्ट किया कि “हम निशान साहिब के प्रतीक के लिए बहुत सम्मान करते हैं और इसका उपयोग करने के लिए किसी का भी स्वागत है, लेकिन भिंडरावाले की तस्वीरों वाले झंडे को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले को पंजाब के साथ उठाया गया है।
SGPC ने भिंडरावाले के झंडो का समर्थन किया
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने भिंडरावाले के झंडे पर प्रतिबन्ध लगाने का विरोध करते हुए हिमाचल के सीएम को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि दुनिया भर के सिख भिंडरावाले को अपना नेता और आदर्श मानते हैं, और भिंडरावाले को अकाल तख्त द्वारा पहले ही ‘कौमी योधा’ घोषित किया जा चुका है।
पत्र में आगे कहा गया है, “एक लोकतांत्रिक देश में, नागरिकों को अपने धार्मिक नेताओं या मूर्तियों की तस्वीरों को प्रदर्शित करने, ले जाने और समर्थन करने के सभी अधिकार हैं, और संवैधानिक पद से ऐसा कोई बयान या निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए। देश में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए, राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में, यह आपका कर्तव्य है कि आप सभी समुदायों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा सुनिश्चित करें।
भिंडरावाले कौन था ?
जरनैल सिंह भिंडरावाले एक आतंकवादी था, उसका एकमात्र उद्देश्य भारत के विघटन करके खालिस्तान बनाने का था । जरनैल सिंह भिंडरावाले सिख धार्मिक संस्था दमदमी टकसाल का चौदहवें जत्थेदार था, शुरू में उसे कांग्रेस पार्टी द्वारा समर्थन और पोषित किया गया था, लेकिन बाद में उसने सिखों के लिए एक अलग राष्ट्र की मांग शुरू कर दी। उसने आतंकवादियों की एक सेना बनाई, जिसने हजारों निर्दोष हिंदुओं और सिखों को मार डाला।
1983 में, वो अपने आतंकवादियों के साथ सिखों के मंदिर स्वर्ण मंदिर और अकाल तख्त पर कब्ज़ा करके बैठ गया। जून 1984 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने स्वर्ण मंदिर परिसर से इन आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए एक ऑपरेशन ब्लू स्टार का आदेश दिया। यह ऑपरेशन भारतीय सेना द्वारा किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप भिंडरावाले और उसके समर्थको सहित सैकड़ों लोगो की मौतें हुईं।
क्या भिंडरावाले सच में एक आतंकवादी था ?
इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह एक आतंकवादी था, कोई भी संत अपने शिष्यों को निर्दोष लोगों की हत्या करने का निर्देश नहीं दे सकता है। अगर किसी ने सिख धर्म का अपमान किया तो वो स्वयं भिंडरावाले ही था, जिसने पवित्र हरमिंदर साहिब में गोला बारूद इकठ्ठा किया, और हर अनैतिक कार्य किया जिससे इस स्थल का अपमान हुआ। भिंडरावाले समर्थक कभी जवाब नहीं देते कि उन्हें इतने अत्याधुनिक हथियार कहां से मिले, और क्यों एक तथाकथित संत ने इतने घातक और उन्नत हथियारों को इकट्ठा किया?
भिंडरावाले को सिख धर्मग्रंथों, सिख इतिहास और राजनीति का व्यापक ज्ञान था। वह आम आदमी की भाषा बोलता था, और यही कारण था कि लोग उसका समर्थन करते थे । उसने सत्ता हासिल करने के लिए आतंकवाद का सहारा लिया और अपने से सहमति ना रखने वाले हर इंसान का क़त्ल करवा दिया। भिंडरावाले के ही इशारे पर हजारो निर्दोष हिन्दू और सिखों की हत्या की गयी, इसीलिए हम उसे आतंकवादी कहते हैं।
आज भी खालिस्तानी अपना प्रभुत्व फैलाने के लिए भिंडरावाले का इस्तेमाल करते हैं
आज भी खालिस्तानी समर्थक भिंडरावाले के पोस्टर और झंडे ले कर घुमते हैं, गाँवों कस्बो में लगाते हैं, तो उसके पीछे उनका उद्देश्य केवल उसकी नाम पर मासूम सिखों को बरगलाना और उन्हें इकठ्ठा करना है, वहीं हिन्दुओ और अन्य धर्म के लोगो को डराना भी है। यही वजह है कि भिंडरावाले नाम के ब्रांड का उपयोग हमे पिछले दिनों हुए किसान आंदोलन में भी खूब दिखा।
जिस तरह से SGPC भिंडरावाले के झंडे के मुद्दे में पूर्ण समर्थन दे रही है, ये इस बात का सबूत है कि ये लोग भी गुरुद्वारों पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए भिंडरावाले के नाम का उपयोग करते हैं, आज भी कई गुरुद्वारों में भिंडरावाले की तसवीरें आपको मिल जाएंगी। लेकिन ये लोग भूल गए हैं, कि एक कायर और आतंकवादी को अपने धर्म का प्रतीक बनाने से धर्म की ही क्षति होगी, और धीरे धीरे लोग इनसे दूर ही हो जाएंगे।