इन दिनों कश्मीर फाइल्स की चारों ओर चर्चा चल रही है, इस फिल्म ने हिन्दुओ के मन में एक नयी चेतना का संचार किया है, वहीं दूसरी तरफ दुनिया भर के सेक्युलर लिबरल जमात के दोहरे मापदंडो को भी उजागर किया है।
पहले तो फिल्म को रिलीज करने में भी तमाम तरह की अड़चनें लगाईं, और अब जब फिल्म रिलीज हो चुकी है और दर्शको का दिल जीत रही है, जो इस जमात को कहीं से भी अच्छा नहीं लग रहा है।
ये लोग पहले तो कह रहे थे की कोई भी नरसंहार नहीं हुआ है, फिर इन्होने इस मुद्दे को घुमाना शुरू किया, कहने लगे कि कुछ ही कश्मीरी हिन्दू मारे गए थे, और ये Genocide नहीं माना जाएगा, कुछ ने तो इस फिल्म में बताये गए सारे तथ्यों को ही गलत बता दिया, जबकि इन घटनाओ के पुख्ता सबूत मौजूद हैं।
ये लोग मृत कश्मीरी हिन्दुओ के अलग अलग आंकड़े बता रहे हैं, कोई कह रहा है कि 280 कश्मीरी पंडितो की हत्या हुई, कोई कह रहा है कि मात्र 80 हिन्दू ही मारे गए, कोई कह रहा है कि सिर्फ हिन्दुओ की ही बात क्यों की जा रही है, घाटी में मारे गए मुस्लिमो की बात क्यों नहीं की जा रही है।
इन लोगो की छटपटाहट देख कर यही समझ आ रहा है कि ये लोग हिन्दुओ के जीवन को कुछ समझते ही नहीं हैं, और हिन्दुओ के नरसंहार पर दुःख जताना तो दूर की बात है, ये उसकी सच्चाई भी सामने नहीं आने देना चाहते हैं। वहीं इन लोगो को आप दुनिया के दूसरे कोनो में हुई इसी तरह की घटनाओ पर दुःख प्रकट करते हुए देख सकते हैं।
क्या आपको याद है एलन कुर्दी?
2015 में दुनिया भर में एक तस्वीर से तहलका मचा दिया था, एक छोटे से बच्चे का शव समुद्र किनारे पड़ा हुआ था, इस बच्चे का नाम एलन कुर्दी था, और इसका परिवार सीरिया में रहता था, वहाँ ISIS के आतंक से परेशान हो कर ये लोग सीरिया छोड़ क्र भाग रहे थे, और तुर्की जाते हुए इन लोगो की नाव डूब गयी, जिसमे इस बच्चे की मृत्यु हो गयी।
जाहिर है ये दुखद घटना थी, लेकिन सिर्फ एक मौत और इस द्रवित कर देने वाली तस्वीर की वजह से दुनिया भर के सेक्युलर लिबरल लोगो ने पश्चिमी और यूरोपियन देशो पर जबरदस्त दबाव बनाया, और उन्हें मजबूर किया सीरिया के विस्थापितों को यूरोप में शरण देने को । जबकि कई देश शरण नहीं देना चाहते थे, लेकिन इस एक तस्वीर के प्रभाव से पूरा नैरेटिव ही बदल गया । यहाँ ये बात याद रखने लायक है कि जो लोग शरणर्थियो और एलन कुर्दी के लिए आंसू बहा रहे थे, वो ISIS को कुछ नहीं बोल रहे थे।
वहीं इस तस्वीर में भी एक मृत बच्चा है, क्या आपको इसका नाम पता है? शायद नहीं होगा, क्युकी ये बच्चा हिन्दू है। ये बच्चा 2003 में हुए नादिमार्ग नरसंहार में आतंकवादियों द्वारा मारे गए 24 हिन्दुओ में से एक था। ये मासूम एक हिन्दू है, इसलिए इसकी तस्वीर पर दुनिया नहीं हिली, इसका तो नाम तक नहीं पता किसी को। है ना हैरानी की बात?
आपको एलन कुर्दी पर लाखो आर्टिकल, विकिपीडिया पेज, तमाम वीडियो और तसवीरें मिले जाएंगी, आपको उसके परिवार के बारे में जानकारी मिल जायेगी, लेकिन इस कश्मीरी हिन्दू बच्चे के बारे में आपको कोई जानकारी नहीं मिलेगी, क्युकी वो एक हिन्दू था। हमारे लिए दोनों बच्चो में कोई फर्क नहीं, लेकिन इन लिबरल सेक्युलर जमात के लिए तो हिन्दू जैसे अस्तित्व में हैं ही नहीं।
क्या आपको रोहिंग्या याद हैं?
आपको रोहिंग्या तो याद होंगे ही, म्यांमार में सैंकड़ो सालो से रोहिंग्या मुस्लिम रह रहे हैं, उनके और बौद्ध लोगो के बीच नस्लीय संघर्ष काफी समय से चलता आ रहा था । फिर एक दिन बौद्ध लोगो ने पलटवार शुरू कर दिया और रोहिंग्या को देश छोड़ कर भागना पड़ा। दुनिया में कहने को ५० से ज्यादा इस्लामिक देश हैं, लेकिन किसी ने भी रोहिंग्या को शरण नहीं दी। ये लोग पहले बांग्लादेश में घुसे, और उसके बाद एक सिस्टेमेटिक तरीके से जम्मू और कश्मीर में बसा दिए गए।
रोहिंग्या पर हुए अत्याचार से क्षुब्ध हुए भारतीय मुस्लिमो ने पूरे देश में हिंसक विरोध प्रदर्शन किये, मुंबई का कुख्यात आजाद मैदान वाला प्रदर्शन कौन भूल सकता है, जिसमे पवित्र अमर जवान ज्योति को मुस्लिमो ने तोड़ फोड़ दिया था। बहरहाल यहाँ मुद्दा ये है की रोहिंग्या को हर सुविधा दी गयी, उनके लिए सरकारी कागजात बनवाये गए, उन्हें बिजली पानी, रहने को घर, और नौकरी तक का इंतज़ाम हमारी सरकारों और ढेरो NGO ने किया।
वहीं कश्मीर घाटी से भगाये गए कश्मीरी पंडितो को आजतक अच्छी सुविधाएं नहीं मिलती , एक एक टेंट में कई परिवार रहने को मजबूर किये गए, इस वजह से ढेरो बीमारियां भी हुई, हजारो कश्मीरी पंडितो की इस वजह से मौत भी हुई। आज रोहिंग्या के लिए दिल्ली की केजरीवाल सरकार सैकड़ो करोड़ खर्च करती है, वहीं पाकिस्तान से विस्थापित हिन्दुओ के घरो की बिजली तक काट देती है, क्युकी वो हिन्दू हैं इसलिए?
हिन्दुओ के साथ ये भेदभाव क्यों किया जाता है? और ये कोई आजकल की बात नहीं है, ये सिलसिला सैंकड़ो सालों से चलता आ रहा है, और शायद आगे भी चलता रहे। कश्मीर फाइल्स फिल्म में भी यही दिखाया है कि कैसे कश्मीरी हिन्दुओ के खिलाफ लक्षित हिंसा की गयी, उन पर अत्याचार करके भागने पर मजबूर कर दिया गया, और हमारे कश्मीरी हिन्दू आजतक अपने ही देश में विस्थापितों का जीवन जी रहे हैं, क्युकी वो हिन्दू हैं।
मुस्लिमो पर जहां जुल्म होता है, चाहे फिलिस्तीन हो, म्यांमार हो, सीरिया हो, या यमन हो, ये सेक्युलर लिबरल जमात आंसू बहती है, मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र तक ले जाती है, लेकिन जब हिन्दुओ पर हुए अत्याचार की सच्चाई सामने लाने का कोई प्रयास होता है, तो यही लोग हर पैंतरा अपनाते हैं उस प्रयास को रोकने का, कश्मीर फाइल्स के साथ भी यही हुआ है। हमे इस परिपाटी को बदलना ही होगा।