खिलाफत आंदोलन, भारतीय एकरूपता पर कुठाराघात

Date:

क्या खिलाफत आंदोलन “काफिर-कुफ्र” चिंतन से प्रेरित जिहाद था या फिर भारतीय स्वतंत्रता हेतु संघर्ष का एक भाग? इस प्रश्न का उत्तर 1,300 वर्ष पहले इस्लामी आक्रांताओं द्वारा किए भारत में अनेकों हमले और उसके पीछे चिंतन में छिपा है। इन आक्रमणों में इस भूखंड की मूल बहुलतावादी संस्कृति, उसके प्रतीकों और ध्वजावाहकों पर भले ही असंख्य प्रहार हुए, किंतु कंधार से लेकर सुदूर केरल तक यहां की सांस्कृतिक विरासत की लौ तत्कालीन प्रज्वलित रही। किंतु वही लौ कुछ शताब्दी बाद पहले अफगानिस्तान और बाद में

पाकिस्तान-बांग्लादेश में या तो बुझने के कगार पर है या फिर फड़फड़ा रही है। खंडित भारत कश्मीर घाटी इसी त्रासदी का शिकार है, तो इस सूची में केरल, बंगाल आदि के कई क्षेत्र भी शामिल हो सकते है। देश का विभाजन “दो राष्ट्र सिद्धांत” की आधारशिला पर हुआ, जिसे 1875-77 में मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल महाविद्यालय (वर्तमान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय) और 1906 में स्थापित मुस्लिम लीग ने आगे बढ़ाया। किंतु मुस्लिम समाज को राजनीतिक रूप से एकजुट उस खिलाफत आंदोलन (1919-1924) ने किया, जिसका राष्ट्रीय नेतृत्व तब देश के महासपूतों में से एक और सनातनी आस्थावान हिंदू गांधीजी कर रहे थे। प्रारंभ में इसका मुखर विरोध करने वालों में मो.जिन्नाह भी थे, जिन्होंने इसे मजहबी कट्टरता का उत्सव बताते देते हुए कांग्रेस तक छोड़ दी थी। किंतु 1937 से जिन्नाह न केवल उसी जिहादी उन्माद के झंडाबरदार बन गए, साथ ही खूनी कलकत्ता डायरेक्ट एक्शन डे और रक्तरंजित विभाजन के प्रणेता भी बने।

खिलाफत आंदोलन के वास्तविक उद्देश्य का आभास होते ही पंडित मदनमोहन मालवीय और स्वामी श्रद्धानंद आदि ने इससे स्वयं को अलग कर लिया था। अंग्रेज अपने साम्राज्य को शाश्वत बनाने हेतु 1857 की क्रांति में दिखी हिंदू-मुस्लिम एकता को किसी भी कीमत पर छिन्न-भिन्न करना चाहते थे। तब ब्रितानियों के लिए सर सैयद अहमद खान उपयोगी प्रहस्तक सिद्ध हुए। उन्होंने मेरठ में 16 मार्च 1888 को दिए भाषण से “दो राष्ट्र सिद्धांत” का सूत्रपात किया और मुस्लिमों को अंग्रेजों के प्रति वफादार रहने का आह्वान कर दिया। इसमें वे सफल भी हुए, क्योंकि कुछ अपवादों को छोड़कर समस्त मुस्लिम समाज स्वतंत्रता आंदोलन से कटा ही रहा।

Balbir Punj
Balbir Punj is a journalist & former Rajyasabha Member

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

त्वम् (हिन्दवः) ३०%, वयं (मुस्लिम्-जनाः) ७०%, २ घण्टासु भागीरथी इत्यस्मिन् क्षिपस्याम:-टीएमसी विधायक हुमायूँ कबीर: ! तुम (हिंदू) 30%, हम (मुस्लिम) 70%, 2 घंटे में...

पश्चिमबङ्गालराज्ये लोकसभा-निर्वाचनस्य २०२४ तमस्य वर्षस्य तृतीय-चरणस्य मतदानस्य कृते सज्जतां, तृणमूल् काङ्ग्रेस् पक्षस्य (टि. एम्. सि.) विधायकः हुमायून् कबीर्...

सी. एन्. एन्. भारते शरिया-शासनम् इच्छति, विरोधिनः इस्लाम्-विरोधिनः इति वदति ! भारत में शरिया शासन चाहता है CNN, मुखालफत करने वालों को बताता है...

भारते लोकसभानिर्वाचनानां मध्ये पाश्चात्यमाध्यमाः भारतीयान् निर्वाचकान् प्रधानमन्त्रि-मोदी-सर्वकारस्य विरुद्धं कथं परिवर्तयेत् इति ज्ञातुं पूर्णतया प्रयतन्ते! पाश्चात्त्यमाध्यमाः निरन्तरं लेखान् प्रकाशयन्ति...

भाजपा-पक्षस्य महता अन्तरात् विजयः अपेक्षितः अस्ति-पितृव्य: शिवपाल सिंह यादव: ! BJP को बड़े मार्जिन से जिताना है-चाचा शिवपाल सिंह यादव !

समाजवादी-पक्षस्य वरिष्ठः नेता शिवपालसिंह-यादवः उत्तरप्रदेशस्य जनान् भाजपाय मतदानं कर्तुं प्रार्थयत्। उत्तरप्रदेशस्य पूर्वमुख्यमन्त्रिणः अखिलेशः यादवस्य पितृव्यः शिवपालसिंह यादवः बुधवासरे...

अतीक्, मुख्तार्, शहाबुद्दीन् इत्येतयोः स्मृत्यां समाजवादीपक्षाय मतदानं करोतु-समाजवादीपक्षस्य नेता उस्मान् ! अतीक, मुख्तार और शहाबुद्दीन की याद में समाजवादी पार्टी को डालें वोट-सपा नेता...

उत्तरप्रदेशस्य मोरादाबाद्-मण्डले समाजवादी पक्षस्य जनसभायां उत्तरप्रदेशस्य बिहारस्य च माफिया-इत्येतेषां नाम्नः मतानां याचना कृता। अखिलेशः यादवस्य उपस्थितौ आयोजिते अस्मिन्...
Exit mobile version