वे सुहेलदेव सुहेलदेव चिल्लाते रह गए और अवैसुद्दीन ओवैसी कल बहराइच उ. प्र. में हिंदुओं के जख्म उधेड़ कर चले गए। ओवैसी ने गाज़ी मियाँ की मज़ार पर जाकर चादर पोशी की और सुहेल देव के स्मारक पर जाने से मना कर दिया।
अब ओवैसी ने तो मुस्लिम ध्रुवीकरण का कार्ड खेल दिया, और ताज्जुब यह है कि हिंदू अभी भी उस मज़ार पर जाकर माथा टेकते हैं। अब आप जान लीजिए कि यह गाज़ी मियाँ कौन थे। सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी या गाज़ी मियाँ (1014 – 1034), ‘ग़ज़नवी सेना के मुखिया’ थे, जिसे सुल्तान महमूद का भाँजा कहा जाता है।
माना जाता है कि, वह 11वीं शताब्दी की शुरुआत में भारत के विजय में अपने मामा के साथ आये थे, मसूद का जन्म अजमेर में 10 फरवरी सन् 1014 में हुआ था। मसूद ने सतरिख में अपना मुख्यालय स्थापित किया, और बहराइच, हरदोई और बनारस का कब्जा करने के लिए अलग – अलग बलों को भेज दिया था। बहराइच के राजा समेत स्थानीय शासकों ने उसकी सेना के खिलाफ गठबंधन बनाया था। उसके पिता सालार साहू तब बहराइच पहुंचे, और दुश्मनों को हराया था।
सुहेलदेव नामक शासक के आगमन तक, बहराइच में अपने हिंदू दुश्मनों को मसूद हराता चला गया था। वह 15 जून 1034 को सुहेलदेव के खिलाफ लड़ाई में पराजित और घातक रूप से घायल हो गया था। मरते समय उसने अपने अनुयायियों से हिंदुओं के पवित्र जलाशय के तट पर सूर्य कुन्ड पर उसे दफनाने के लिए कहा था, क्योंकि उस ने हज़ारो हिन्दुओ की हत्या की थी, इस लिए उसे गाज़ी (धार्मिक योद्धा) के रूप में जाना जाने लगा था।
उत्तर प्रदेश में शंखनाद बज गया है। समय की मांग है की, हम कहां रहें। एक सर्वे के रिजल्ट पर गौरतलब किया जाय, तो करीब 52% लोगों ने योगी महाराज को वापस आने की शुभकामना की है। 38% ने विपक्ष की। 10% ने अभी अपना मन नहीं बनाया है। प्रभु से कामना है की योगी जी वापस हमारे मुख्यमंत्री बनें, और राम लला का मंदिर बनवाने में मददगार बनें।
लोगो का मानना है की, हमारी हिंदू सरकार नही बनी तो रामलला के मंदिर बनाने को लाल झंडी मिल जाएगी। 262 साल पहले हमारे पूर्वजों ने हमारे हिंदू मंदिरों को गिरते देखा था। कई वर्षों बाद हमने कोई विराट मंदिर बनते देखा है!
धर्म का विकास हो, अधर्म का विनाश हो!
हिंदू धर्म की जीत हो!