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कश्मीर सॉलिडेरिटी डे – पाकिस्तान का एक ‘5th जनरेशन वारफेयर’ जिसे भारतीय जनता और सरकार ने मिल कर ‘नाकाम’ किया

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हम डिजिटल युग में जी रहे हैं, जहाँ जीवन में होने वाली हर बात डिजिटल तरीके से होने लग गयी है , ऐसे में युद्ध क्षेत्र भी डिजिटल ही हो गए हैं । आज के जमाने में 5th जनरेशन वारफेयर की बातें होती हैं, और दुर्भाग्य से ये ऐसी लड़ाई होती है जिसमे सेना के बजाय आम नागरिक को लड़ना पड़ता है। ऐसा ही एक वार हम पर पाकिस्तान ने पिछले ही दिनों किया, जानिये कैसे हमारी जनता और सरकार ने उसे नाकाम कर दिया।

5 फरवरी को एकाएक सोशल मीडिया पर Kashmir Solidarity Day ट्रेंड करने लगा, और पाकिस्तान में स्थित कई MNC के ट्विटर हैंडल और सोशल मीडिया के हैंडल्स ने कश्मीर सॉलिडेरिटी डे के बारे में पोस्ट्स डालना शुरू कर दिया, इसे देख भारत से प्रतिक्रियाएं आने लगीं।

ऐसा नहीं था कि ये पहली बार हुआ हो, लेकिन इस बार बात कुछ अलग थी । हुंडई, Suzuki, Honda, KFC, Kia, टोयोटा, Isuzu, डोमिनोस, पिज़्ज़ा हट जैसी कंपनियों के पाकिस्तानी डीलरशिप ने ये ट्वीट किये, और इसके बाद भारत में इन सभी कंपनियों के बहिष्कार की मांग उठने लगी।

क्या है Kashmir Solidarity Day?

KASHMIR SOLIDARITY DAY की को ISI और जमात-ऐ-इस्लामी ने 1990 में शुरू किया था । तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ अगले ही साल 1991 में इस दिन एक बड़ी हड़ताल आयोजित करके, इसे और व्यापक बनाया । कहने को तो ये दिन कश्मीर के नाम पर है, लेकिन इसका आयोजन कश्मीर को बर्बाद करने का सपना पाले हुए प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन करते हैं।

ये सभी संगठन भारत का विरोध करने के लिए अंतरास्ट्रीय प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते है। कुख्यात आतंकवादी हाफ़िज़ सईद जैसे लोग इस कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के तौर पर आ चुका है, इसी से आपको समझ आ जाना चाहिए कि इस दिन को किसलिए मनाया जाता है।

पाकिस्तान का 5th जनरेशन वारफेयर

जाहिर है ये भारत के खिलाफ एक डिजिटल युद्ध ही था, क्युकी इससे एक तो पाकिस्तान ने कश्मीर को फिर से वैश्विक स्तर पर ट्रेंड पर ले आया, वहीं दूसरी ओर भारत में कॉर्पोरेट्स का बायकाट शुरू हुआ, जिसकी वजह से एक अजीब सा माहौल बन गया, क्युकी हजारो लोगो ने हुंडई की कार बुकिंग कैंसिल कर दी, अन्य कंपनियों के बिज़नेस पर भी प्रहार शुरू हो गया, इससे कहीं ना कहीं भारत के coroporates घबरा गए, जिससे नकारात्मक माहौल बन ही गया था।

यहाँ ये जानना जरूरी है की पाकिस्तान की जिन भी डीलरशिप ने ये ट्वीट या पोस्ट किये थे, उनमे से अधिकतर वहां के फौजी अधिकारियो, राजनीतिज्ञों, और बड़े रसूख वाले लोगो के हैं । पाकिस्तान में इन कंपनियों के हेड ऑफिस या मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स भी नहीं हैं । पाकिस्तान ने एक कुत्सित चाल चली, अपनी डीलरशिप से ट्वीट करवाए, और उसके बाद ये बखेड़ा शुरू हुआ, और यही तो पाकिस्तान चाहता था, उसने बिना कोई गोली चलाये ये डिजिटल युद्ध हम पर थोप दिया।

हमारे देश ने कैसे इसका जवाब दिया

हमारे देश के लोगो ने सोशल मीडिया पर जबरदस्त मुहिम चलाई, इन सभी कंपनियों के सोशल मीडिया एकाउंट्स से सवाल पूछने लगे, और एक जबरदस्त दबाव बनाया गया। इस बार बड़े अफसरों और ओहदेदार लोगो ने भी इस ट्रेंड का समर्थन किया, और खुलकर इन कंपनियों के विरोध में अपने विचार रखे।

वहीं भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने तुरंत उन देशो को संपर्क करना शुरू किया, जहाँ इन कंपनियों के हेडक्वार्टर्स हैं। भारत में दक्षिण कोरिया के राजदूत चांग जे-बोक को तलब किया गया था और उन्हें “एक अस्वीकार्य सोशल मीडिया पोस्ट” पर भारत की “कड़ी नाराजगी” के बारे में अवगत कराया गया था। यह रेखांकित किया गया था कि यह मामला भारत की क्षेत्रीय अखंडता से संबंधित है और कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।

सभी देशो को, जिनमे अमेरिका भी शामिल था, सन्देश दे दिया गया कि इस तरह की हरकत भारत बर्दाश्त नहीं करेगा, और ये इन देशो को भारत और पाकिस्तान में उनके निवेश और बाजार का भी हवाला दिया गया, और आगे से ऐसे किसी भी कदम को कठोरता से रोकने के दिशा निर्देश भी दिए गए।

विदेश मंत्रालय के कड़े रुख के बाद ही दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय ने भी तुरंत कदम उठाया और इस पर खेद प्रकट किया। तत्पश्चात इन सभी कंपनियों ने भी अपने official एकाउंट्स से माफ़ी मांगी, पाकिस्तान की अपनी डीलरशिप के ट्वीट्स और पोस्ट्स की कड़ी निंदा की, और आगे से ऐसी किसी भी घटना को रोकने के पुख्ता इंतज़ाम भी करने का आश्वासन दिया।

भारतीय जनता और सरकार के कड़े रुख, और ब्रांड्स के भारत में पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव की वजह से ये सभी ब्रांड्स झुके, और इससे ये भी साबित होता है कि भारत एक शक्तिशाली देश है, और चाहे तो किसी भी देश, किसी भी सरकार, और किसी भी मल्टीनेशनल कंपनी को उसकी मनमानी नहीं करने दे सकता।

यहाँ एक बात और जानने कि ज़रुरत है, इतनी बड़ी कंपनियां और विदेशी सरकारें यूँ ही माफ़ी नहीं मांगती, हमारे विदेश मंत्रालय ने जिस तरीके से इन देशो पर दबाव बनाया है, वो काबिले तारीफ है।

इन हरकतों का खामियाज़ा पाकिस्तान को उठाना पड़ेगा, क्युकी अब इन कंपनियों ने अपनी लोकल डीलरशिप के खिलाफ कड़े कदम उठाने की तैयारी कर ली है, इसमें डीलरशिप बंद करने जैसे कठोर कदम भी हैं, जो आने वाले समय में आपको देखने को मिलेंगे, इसके साथ ही इस घटना का प्रभाव आपको पाकिस्तान की आर्थिक हालात पर भी दिखेगा,क्युकी कोई भी कंपनी अब वहां व्यापार करने से डरेगी, और करेगी भी तो कड़े नियम बना कर करेगी, ताकि आगे से पाकिस्तान उनके कंधो पर बन्दूक रख कर इस तरह के छद्म हमले भारत पर ना कर सके।

वहीं दूसरी और भारत ने अपने आर्थिक प्रभुत्व और बेहद वृहद् बाजार का इस्तेमाल एक हथियार कि तरह किया, और इस वजह से पाकिस्तान के छद्म युद्ध की हवा निकाल दी।

लेकिन अगर कोई सच में इस युद्ध का नायक है तो वो है हमारे देश की जनता, जिन्होंने ऐसी हरकत पर कठोर प्रतिक्रिया दी, और ना सिर्फ हमारी सरकार को कठोर कदम लेने पर मजबूर कर दिया, बल्कि कॉर्पोरेट दुनिया को एक बेहद कड़ा सन्देश दे दिया, कि जब बात देश पर आती है, तब हम किसी से भी लड़ सकते हैं।

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