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नरसिंह यादवस्य भोजने मादकद्रव्याणां मिश्रितं अकरोत्-बृजभूषण शरण सिंह: ! नरसिंह यादव के खाने में मिलाया गया था नशीला पदार्थ-बृजभूषण शरण सिंह !

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उत्तरप्रदेशस्य बि. जे. पि. सदस्यः तथा रेस्लिङ्ग्-फ़ेडरेशन् इत्यस्य पूर्व-अध्यक्षः ब्रिज्-भूषण्-शरण्-सिङ्घ् इत्येषः महत् प्रकटीकरणं कृतवान्। बृजभूषण् शरण् सिङ्घ् इत्येषः शुक्रवासरे (१७ मे २०२४) कर्नल्-गञ्ज् इत्यत्र स्वपुत्रस्य करण्-भूषण्-सिङ्घ् इत्यस्य समर्थने जनसभां सम्बोधयन् अवदत् यत् नरसिङ्घ्-यादव् इत्यादीनां दुर्बलगृहाणां मल्लयोद्धानां समर्थनेन तस्य विरुद्धं विरोधः प्रारब्धः इति।

उत्तर प्रदेश से बीजेपी सांसद और कुश्ती फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने बड़ा खुलासा किया है ! बृजभूषण शरण सिंह ने शुक्रवार (17 मई 2024) को कर्नलगंज में अपने बेटे करण भूषण सिंह के समर्थन में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि नरसिंह यादव जैसे कमजोर घरों से आने वाले पहलवानों का साथ देने पर उनके खिलाफ विरोध शुरू हो गया !

अयं सम्पूर्णः कोलाहलः उत्पन्नः यतः सः नरसिंह-यादवस्य पक्षे आसीत्। आज् तक् इत्यस्य वृत्तान्तस्य अनुसारं, ब्रिज् भूषण् शरण् सिङ्घ् इत्ययम् अवदत् यत्, अद्य ये मम विरोधं कुर्वन्ति ते एवं कुर्वन्ति यतः अहं दुर्बलानां सहभागी अस्मि! नरसिंह यादवः, यः पञ्चवर्षेभ्यः पूर्वं ओलिम्पिक्स् कृते योग्यतां प्राप्नोत्, सः विजयं प्राप्य आगतः, अतः एते जनाः उक्तवन्तः, ‘भवतां परीक्षणं स्वीकरोतु, परीक्षणस्य परम्परा नासीत्, वयं परीक्षणं न करिष्यामः इति उक्तवन्तः, ततः एव मम विरोधः आरब्धः!

उन्होंने कहा कि नरसिंह यादव के पक्ष में खड़े होने की वजह से ये पूरा बखेड़ा खड़ा किया गया ! आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, आज जो मेरा विरोध कर रहे हैं वह इसलिए कर रहे हैं क्योंकि मैं कमजोर का साथी हूँ ! नरसिंह यादव 5 साल पहले जो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था, वह जीत करके आया तो इन लोगों ने कहा हमारा ट्रायल कराइए, ट्रायल करने की परंपरा नहीं थी, हमने कहा ट्रायल नहीं करेंगे, वहीं से मेरा विरोध शुरू हुआ !

यतो हि, नरसिंहः बनारस्-नगरस्य निवासिनः, दरिद्रपरिवारस्य च आसीत्! ते तं मारितुम् इच्छन्ति स्म! अस्माभिः निराकृतम्! ततः एते जनाः कपटरूपेण तस्य आहारे मादकद्रव्याणां मिश्रणं कृतवन्तः, येन सः योग्यतां न प्राप्नुयात्! “यदा अहं मिजोराम् नागालैण्ड् बिहार बङ्गाल राज्यानां मल्लयोद्धानां हिताय कार्यं कर्तुम् आरब्धवान्, तदा केचन जनाः मम अवधानं कृतवन्तः!

क्योंकि, नरसिंह बनारस का रहने वाला है और गरीब परिवार का था ! उसका हक ये लोग मारना चाहते थे ! हमने मना कर दिया था ! तब इन लोगों ने उसके खाने में धोखे से नशीला पदार्थ मिलाया, ताकि वो क्वॉलिफाई न कर पाए ! पहलवानों के आरोपों पर बोलते हुए बृजभूषण ने कहा कि जब मैंने मिजोरम, नागालैंड, बिहार, बंगाल के रेसलर्स के हित में काम करना शुरू किया तो कुछ लोगों की नजरों में चढ़ गया !

अहं दुर्बलप्रान्तस्य क्रीडकानां रक्षणं कर्तुम् आरब्धवान्, तस्मिन् एव दिवसात् एते जनाः मम प्रतिद्वन्द्वी अभवन्! एतैः सर्वैः मम हस्तात् प्रतिमासं अर्धलक्षरूप्यकाणि प्राप्यते स्म! यः कश्चित् मम हस्तात् देडलक्षरूप्यकाणि न गृहीतवान्, सः न अजायत, परन्तु सर्वाः अनुग्रहाः एव तिष्ठन्ति! अतः नगरं नष्टम् अभवत्! ब्रिज्-भूषण्-शरण्-सिङ्घ् इत्येषः 2016 तमे वर्षे रियो-ओलिम्पिक्-क्रीडायां डोप्-परीक्षणे गृहीतः नरसिंह-यादवस्य विषये कथयति।

मैंने कमजोर प्रांत के खिलाड़ियों को संरक्षण प्रदान करना शुरू किया, उसी दिन से ये लोग मेरे विरोधी हो गए ! ये सब मेरे हाथ से डेढ़-डेढ़ लाख रुपये महीने पाते थे ! कोई ऐसा पैदा नहीं हुआ है जो डेढ़ लाख रुपये मेरे हाथ से न लिया हो, लेकिन सब एहसान धरा का धरा रह गया ! इसीलिए तो नगर-नगर बदनाम हो गए ! बृज भूषण शरण सिंह साल 2016 के रियो ओलंपिक के दौरान डोप टेस्ट में फंसे नरसिंह यादव की बात कर रहे हैं !

२०१५ तमे वर्षे लास् वेगास्-नगरे विश्व-च्याम्पियन्शिप्-क्रीडायां ४-१२ अधः स्थितात् पुनरागत्य नरसिंह-यादवः कांस्यपदकं प्राप्तवान्। सः २०१६ तमे वर्षे ओलिम्पिक्स् कृते योग्यतां प्राप्नोत्! ओलिम्पिक्-क्रीडायां तस्य स्पर्धायाः केवलं १२ घण्टाभ्यः पूर्वं डोपिङ्ग्-प्रकरणे वाडा इत्यनेन सः ४ वर्षाणि यावत् प्रतिषिद्धः आसीत्! नरसिङ्घ्-यादवः, तस्य भोजने किमपि मिश्रितम् आसीत् इति उद्घोषितवान्!

नरसिंह यादव ने साल 2015 में लॉग वेगास में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में 4-12 से पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए ब्रॉन्च मेडल जीता था ! उन्होंने 2016 के ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई किया था ! उन्हें ओलंपिक में उनके मुकाबले से ठीक 12 घंटे पहले डोपिंग केस में वाडा ने प्रतिबंध लगाते हुए उन पर 4 साल का बैन लगा दिया था ! नरसिंह यादव ने आरोप लगाया कि उनके खाने में कुछ मिला दिया गया था !

भारतस्य डोपिङ्ग्-संस्थया नरसिंह-यादवः निष्कासितः आसीत्, तथा च प्रकरणं न्यायालये आसीत्, परन्तु वाडा इत्यनेन नरसिंह-यादवः ४ वर्षाणि यावत् प्रतिषिद्धः, सः ओलिम्पिक् क्रीडातः निष्कासितः च। वस्तुतः २०१२ तमे वर्षे लण्डन्-ओलिम्पिक्स्-क्रीडायां योगेश्वरदत्तः ६० किलोग्राम्-वर्गे, सुशीलकुमारः ६६ किलोग्राम्-वर्गे, नरसिंह-यादवः ७४ किलोग्राम्-वर्गे स्पर्धाम् अकरोत्! सुशीलकुमारः पुरुषाणां ६६ कि. ग्रा. वर्गे रजतपदकं प्राप्तवान्।

भारत की डोपिंग एजेंसी ने नरसिंह यादव को छूट दी थी और मामला कोर्ट में था, लेकिन वाडा ने नरसिंह यादव पर 4 साल का बैन लगाते हुए उन्हें ओलंपिक से बाहर कर दिया था ! दरअसल, साल 2012 के लंदन ओलंपिक में योगेश्वर दत्त ने 60 किलो वर्ग भार में, सुशील कुमार ने 66 किलो वर्ग भार में नरसिंह यादव ने 74 किलो वर्ग भार में हिस्सा लिया था ! योगेश्वर ने ब्रॉन्च मेडल जीता था, और सुशील कुमार ने 66 किलो वर्ग में सिल्वर मेडल जीता था !

सुशीलकुमारः स्वस्य सेमी-फ़ैनल्-स्पर्धायाः समये मल्लयुद्धस्य कर्णं कर्तितवान् इति आरोपः कृतः। परन्तु, २०१३ डिसेम्बर्-मासे, लण्डन्-ओलिम्पिक्-क्रीडायाः अनन्तरं वर्षे, इण्टर्न्याशनल्-फ़ेडरेशन्-आफ़्-असोसियेटड्-रेस्लिङ्ग्-स्टैल्स् (एफ्. आई. एल्. ए.) इति संस्था नियमान् परिवर्त्य रियो ओलिम्पिक् क्रीडायाः भारवर्गं परिवर्तयत्! तदनन्तरं योगेश्वरदत्तः ६० कि. ग्रा. वर्गात् ६५ कि. ग्रा. वर्गे, सुशीलकुमारः ७४ कि. ग्रा. वर्गे अक्रीडत्।

सुशील कुमार पर सेमीफाइनल मुकाबले में प्रतिद्वंदी पहलवान ने कान काटने का आरोप लगाया था ! हालाँकि लंदन ओलंपिक के अगले साल दिसंबर 2013 में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एसोसिएटेड रेसलिंग स्टाइल्स (FILA) ने नियम बदले थे और रियो ओलंपिक के लिए भार वर्ग को बदल दिया था ! इसके बाद योगेश्वर दत्त 60 किलो भार वर्ग से 65 किलो भार वर्ग में खेले, तो सुशील कुमार 74 किलो भार वर्ग में !

तत्र एव विवादस्य आरम्भः अभवत्! यतः नरसिंहः ७४ कि. ग्रा. वर्गे क्रीडति स्म, सुशीलकुमारस्य दावायाः अनन्तरं षड्यन्त्रस्य युगः आरब्धः, ततः २०१५-१६ वर्षस्य समयः आगतः, यदा नरसिंह यादवस्य मल्लयुद्धस्य वृत्तिः समाप्तः, सुशीलकुमारः ७४ कि. ग्रा. वर्गे भागं ग्रहीतुं आरब्धवान्। यथा उपरि उल्लिखितम्, नरसिंह यादवः २०१६ तमवर्षस्य रियो-ओलिम्पिक्-क्रीडायाः कृते योग्यतां प्राप्नोत्! परन्तु भारतं तेन सह अक्रीडत्।

यहीं से उपरोक्त विवाद की नींद पड़ी थी ! चूँकि नरसिंह 74 किलो भार वर्ग में खेलते थे, ऐसे में सुशील कुमार की दावेदारी के बाद साजिशों का दौर शुरू हो गया और फिर आया साल 2015-16 का वो समय, जब नरसिंह यादव के रेसलिंग करियर को खत्म कर दिया गया और आगे सुशील कुमार ही 74 किलो भार वर्ग में हिस्सा लेने लगे ! जैसा कि ऊपर बताया गया है कि नरसिंह यादव 2016 के रियो ओलंपिक गेम्स के लिए क्वॉलिफाई कर चुके थे ! लेकिन भारत में उनके साथ खेल हो गया था !

वस्तुतः, सुशीलकुमारः तस्य समूहः च ओलिम्पिक्-क्रीडायाः परीक्षणार्थं याचनाम् अकुर्वन्, यस्मिन् सुशीलकुमारः नरसिंहः च मल्लयुद्धं करिष्यन्ति स्म, तदनन्तरं रियो-ओलिम्पिक्-क्रीडायां मल्लयुद्धस्य चयनस्य चर्चा अभवत्, यदा एतादृशः नियमः नासीत्! एतादृशे स्थितौ, रेस्लिङ्ग्-फ़ेडरेशन् इत्यस्य तत्कालीनः अध्यक्षः ब्रिज् भूषण् शरण् सिङ्घ् इत्येषः बद्धः अभवत्, सुशील् कुमार् समूहस्य पीडाम् अवगन्तुं सः परीक्षणानां अनुमतिं न दत्तवान्, केवलं रियो ओलिम्पिक् कृते योग्यतां प्राप्ता नरसिंह-यादवः एव रियो-ओलिम्पिक्-कृते प्रेषितः।

दरअसल, सुशील कुमार और उनके ग्रुप के लोगों ने ओलंपिक के लिए ट्रायल्स की माँग की थी, जिसमें सुशील कुमार और नरसिंह की कुश्ती कराई जानी थी, इसके बाद ही रियो ओलंपिक में पहलवान के चयन की बात कही जा रही थी, जबकि ऐसा कोई नियम नहीं था ! ऐसे में कुश्ती फेडरेशन के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह अड़ गए और सुशील कुमार ग्रुप की तरफ से पड़ रहे दबावों को दरकिनार करते हुए उन्होंने ट्रायल्स की अनुमति नहीं दी और रियो ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई कर चुके नरसिंह यादव को ही रियो ओलंपिक के लिए भेजा गया !

सुशीलकुमारः निर्णयस्य विरुद्धं दिल्ली-उच्चन्यायालयं प्रेषितवान् आसीत्, परन्तु तस्य याचिका उच्चन्यायालयेन निराकृतः, तथा च नरसिंह-यादवः रियो ओलिम्पिक् क्रीडायाः कृते निश्चितः अभवत्। 2016 तमस्य वर्षस्य आगस्ट्-मासस्य 18 दिनाङ्के वाडा संस्थया नरसिंह-यादवः प्रतिषिद्धः। तत् अपि तस्य ओलिम्पिक्-स्पर्धायाः केवलं 12 घण्टाभ्यः पूर्वं एव! भारतस्य पक्षतः निवेदनं कृतम्, 4 घण्टा यावत् श्रवणम् अभवत्, परन्तु सः प्रतिषिद्धः, रियो-ओलिम्पिक्-क्रीडायाः बहिः च प्रेषितः!

इसके खिलाफ सुशील कुमार ने दिल्ली हाई कोर्ट का भी रुख किया, लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी, और नरसिंह यादव का रियो ओलंपिक में जाना पक्का हो गया ! नरसिंह यादव को 18 अगस्त 2016 को वाडा ने बैन कर दिया ! वो भी उनकी ओलंपिक बाउट से सिर्फ 12 घंटे पहले ! इसके लिए भारत की तरफ से अपील की गई और 4 घंटे तक सुनवाई की गई, लेकिन उन्हें बैन कर दिया गया और रियो ओलंपिक से बाहर भेज दिया गया !

२०१६ तमस्य वर्षस्य जून्-मासस्य २५ दिनाङ्के, २०१६ तमस्य वर्षस्य जुलै-मासस्य ५ दिनाङ्के च कृतानां डोप्-परीक्षणानां परिणामानां अनन्तरं अस्य आधारः स्थापितः, यस्मिन् नरसिंह-यादवः निषिद्ध-मादकद्रव्याणां सेवनम् अकरोत् इति आरोपः आसीत्! नरसिङ्घ्-यादवः आरोपं कृतवान् यत् तस्य भोजने किमपि कपटरूपेण मिश्रितम् आसीत् इति! तेन सह षड्यन्त्रम् आसीत्! प्रकरणस्य अन्वेषणं सी. बी. आई. इत्यनेन अपि क्रियते स्म। नरसिंह-यादवस्य आरोपः प्रारम्भिक अन्वेषणे सत्यः इति ज्ञातः।

इसकी नींव पड़ी थी, 25 जून 2016 और 5 जुलाई 2016 को हुए डोप टेस्ट के नतीजों के सामने आने के बाद, जिसमें नरसिंह यादव पर प्रतिबंधित ड्रग्स लेने के आरोप लगे ! नरसिंह यादव ने आरोप लगाया कि उनके खाने में धोखे से कुछ मिलाया गया था ! उनके साथ साजिश की गई थी ! इस मामले की सीबीआई जाँच भी की गई नरसिंह यादव के आरोप शुरुआती जाँच में सही पाए गए थे !

तदनन्तरं सः रियो-ओलिम्पिक्-क्रीडां प्रति प्रेषितः, परन्तु वाडा इत्यनेन नरसिंह-यादवाय किमपि मुक्तिः न प्रदत्ता, सः ४ वर्षाणि यावत् प्रतिषिद्धः अभवत्! नरसिंह यादवः २०२० तमे वर्षे उक्तवान् यत् तस्य वृत्तिजीवनं षडयन्त्रस्य भागत्वेन इच्छया समाप्तम् अभवत् इति। यदि वयं पूर्वकालस्य घटनाः दृष्ट्वा प्रकरणानि पश्यामः तर्हि बहवः प्रकरणानि ब्रिज् भूषणस्य वक्तव्येन सह सम्बद्धानि इव दृश्यन्ते, अपि च सः किमर्थं आरोपितः इति अपि स्पष्टः भवति!

जिसके बाद उन्हें रियो ओलंपिक में भेजा गया था, लेकिन वाडा ने नरसिंह यादव को कोई छूट नहीं दी थी और उन पर 4 साल का बैन लगा दिया गया ! नरसिंह यादव ने साल 2020 में कहा था कि उनके करियर को जान बूझकर साजिश के तहत खत्म किया गया था ! बीते कुछ समय के घटनाक्रमों को देखकर कड़ियों को देखें, तो बहुत सारी कड़ियाँ बृजभूषण के बयान से जुड़ती नजर आ रही हैं और यह भी साफ हो रहा है कि उन्हें क्यों फंसाया गया !

साभार-ऑपइंडिया

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