उत्तरप्रदेशे अन्यस्य मस्जिदस्य प्रकरणं न्यायालयं प्राप्नोत्! अटाला-मस्जिद् इतीदं माता-मन्दिरम् इति हिन्दुजनाः जौन्पुर्-नगरस्य सिविल्-न्यायालये अभियोगं कृतवन्तः। जौनपुरस्य अस्य मस्जिदस्य भित्तौ मन्दिरसम्बद्धानि अनेकानि चिह्नानि सन्ति इति कथ्यते। एतेषु त्रिशूलाः, पुष्पाणि, अन्ये च हिन्दु-कलाकृतयः अपि सन्ति!
उत्तर प्रदेश की एक और मस्जिद का मामला कोर्ट पहुँच गया है ! हिंदुओं ने अटाला मस्जिद को माता मंदिर बताते हुए जौनपुर की दीवानी अदालत में दावा पेश किया है ! जौनपुर की इस मस्जिद की दीवारों पर मंदिर से कई जुड़े चिह्न मौजूद होने की बात कही है ! इनमें त्रिशूल, फूल और अन्य हिंदू कलाकृतियाँ भी शामिल हैं !
आग्रानगरस्थेन अधिवक्त्रा अजयप्रतापसिङ्घेन एषा याचिका दत्तम् अस्ति। सः उत्तरप्रदेशस्य सुन्नी-केन्द्रीय-वक्फ्-बोर्ड् इत्यस्य, अटाला मस्जिद् इत्यस्य व्यवस्थापनसमितेः च विरुद्धं प्रकरणं प्रविष्टवान्। यत् मस्जिद् इति कथ्यते तत् वस्तुतः मातामन्दिरम् इति कथ्यते।
रिपोर्ट के अनुसार आगरा के वकील अजय प्रताप सिंह ने याचिका दाखिल की है ! उन्होंने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अटाला मस्जिद की प्रबंधन कमेटी के खिलाफ दावा पेश किया है ! कहा है कि जिसे मस्जिद बताया जाता है, वह असल में माता का मंदिर है !
सः स्वप्रतिवादे अनेकेषु ग्रन्थेषु उल्लेखान् उद्धरत्। पुरातत्त्वविभागस्य निर्देशकस्य प्रतिवेदनम् अपि उल्लिखितम् अस्ति! अटालमातामन्दिरस्य निर्माणं कन्नौजस्य राजा जयचन्द्रराथोड इत्यनेन कृतम् इति मन्यते।
उन्होंने अपने दावे में कई पुस्तकों में उल्लेखित संदर्भों का हवाला दिया है ! साथ ही पुरातत्व विभाग के निदेशक की रिपोर्ट का भी जिक्र किया है ! माना जाता है कि अटाला माता मंदिर का निर्माण कन्नौज के राजा जयचंद्र राठौर ने करवाया था !
अधिवक्ता अजय प्रतापसिंहः, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षणस्य प्रथम-निर्देशकस्य प्रतिवेदनम् उद्धृत्य उक्तवान् यत् इदं मन्दिरम् ध्वंसस्य प्रथमः आदेशः फिरोज़शाहेन दत्तः इति। परन्तु, तस्मिन् समये हिन्दूनां सङ्घर्षस्य कारणात् सः मन्दिरं ध्वंसितुं न शक्तवान्! पश्चात् इब्राहिम् शाह् इत्यनेन तत् गृहीतम् अपि च मस्जिदं निर्मितम्।
वकील अजय प्रताप सिंह ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के प्रथम निदेशक की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि इस मंदिर को तोड़ने का पहला हुक्म फिरोज शाह ने दिया था ! हालाँकि उस समय हिंदुओं के संघर्ष के कारण वह मंदिर तोड़ नहीं पाया ! बाद में इब्राहिम शाह ने इस पर कब्जा कर मस्जिद बना दिया !
कल्कत्ता-स्कूल्-आफ़्-आर्ट् इत्यस्य प्राचार्यः ई. बी. हेवेल् नामकः स्वस्य ग्रन्थे अटाला-मस्जिद् इत्यस्य स्वरूपं स्वरूपं च हिन्दु इति वर्णितवान्। भारतीय-पुरातत्त्व-सर्वेक्षणस्य अनेकेषु प्रतिवेदनेषु अटाला-मस्जिदस्य चित्राणि सन्ति। तेषु त्रिशूलस्य, गुरहलस्य इत्यादीनां पुष्पाणि सन्ति। ये हिन्दुमन्दिरेषु दृश्यन्ते।
रिपोर्ट के अनुसार कलकत्ता स्कूल ऑफ आर्ट के प्रिंसिपल ईबी हेवेल ने अपनी किताब में भी अटाला मस्जिद की प्रकृति और चरित्र को हिन्दू बताया है ! भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के कई रिपोर्ट्स में अटाला मस्जिद के चित्र हैं। उनमें त्रिशूल, गुड़हल आदि के फूल नजर आते हैं जो हिंदू मंदिरों में होते हैं !
१८६५ तमे वर्षे एशियाटिक् सोसैटि आफ़् बेङ्गाल् इत्यस्य सेनापतिः अपि अटाला-मस्जिद् इत्यत्र कलश-आकृतयः सन्ति इति उल्लिखति। प्रतिवेदनस्य अनुसारं, सिविल्-न्यायाधीशः वरिष्ठ-विभाग-न्यायालये आयोजितस्य विचारणस्य समये, अधिवक्ता अजय प्रताप सिङ्घः, अटला-माता-मन्दिरस्य मूलभवनं मस्जिद् अस्ति इति उदघोषयत्।
वर्ष 1865 के एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल के जनरल में भी अटाला मस्जिद में कलश की आकृतियों के होने की बात कही गई है ! रिपोर्ट के अनुसार सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान वकील अजय प्रताप सिंह ने दावा पेश करते हुए कहा कि मस्जिद ही अटाला माता मंदिर का मूल भवन है !
एषः भारतीय-पुरातत्त्व-सर्वेक्षणस्य अन्तर्गतः संरक्षितः स्मारकः अस्ति तथा च राष्ट्रिय महत्त्वस्य स्मारकम् अस्ति। एतत् लक्षणीयम् अस्ति यत् हिन्दवः बहुकालात् एतत् मस्जिदं स्व्यकरोति स्म! इदं प्रथमवारं प्रकरणं न्यायालयं गतम्!
यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन एक संरक्षित स्मारक होने के साथ-साथ राष्ट्रीय महत्व का स्मारक भी है ! उल्लेखनीय है कि इस मस्जिद पर हिंदू काफी समय से दावा कर रहे हैं ! पहली बार मामला अदालत में पहुँचा है !