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विश्वस्य सर्वात् दीर्घ हिंदूमंदिरमिदृशे देशे अस्ति यत्र कश्चित हिंदू नास्ति, ज्ञायन्तु स्वे इतिहासम् ! विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर ऐसे देश में है जहां कोई हिन्दू नहीं है, जानिए अपना इतिहास !

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भारत हिंदू बहुल देशमस्ति यत्र लक्षाणि लघु-दीर्घ आधुनिक-प्राचीन विस्तृत च् सौंदर्यपूर्ण मन्दिरमस्ति ! तु भवतः ज्ञातुं विस्मय: अवश्यम् भविष्यति तत विश्वस्य सर्वात् दीर्घ हिंदूमंदिरम् भारते नापितु इदृशे देशे अस्ति यत्र हिंदू रमतैव नास्ति ! तु यात्रिण: श्रद्धलवः च् इति मंदिरे भगवतस्य द्रष्टुम् वृहद रूपे गन्तुम् रमन्ति !

भारत हिन्दू बहुल देश है जहां लाखों छोटे-बड़े, आधुनिक-प्राचीन और विशालकाय खूबसूरत मंदिर है ! लेकिन आपको ये जान कर हैरानी जरूर होगी कि दुनिया का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर भारत में नहीं बल्कि ऐसे देश में हैं जहां हिन्दू रहते ही नहीं है ! लेकिन टूरिस्ट और श्रद्धालु इस मंदिर में भगवान के दर्शन करने के लिए बड़े पैमाने में जाते रहते हैं !

अहम् वार्ता करोमि अंकोरवाट मंदिरस्य ! इदम् विश्व प्रसिद्धविस्तृत मंदिर कंबोडियायाः अंकोरे उपस्थितं अस्ति ! इति क्षेत्रम् प्रथम यशोदापुरम् कथ्यते स्म ! भगवतः विष्णो: इदम् विस्तृत मंदिरम् १११२-११५३ तमस्य मध्य निर्मितमासीत् यस्य च् निर्माणम् कंबोडियायाः शासक: नृप: सूर्यवर्मन द्वितीयः कारित: स्म !

हम बात कर रहे हैं अंकोर वाट मंदिर की ! यह विश्वप्रसिद्ध विशाल मंदिर कंबोडिया के अंकोर में मौजूद है ! इस इलाके को पहले यशोदापुर कहा जाता था ! भगवान विष्णु का यह विशाल मंदिर 1112-1153 ईस्वी के बीच बनाया गया था और इसका निर्माण कम्बोडिया के शासक राजा सूर्यवर्मन द्वितीय ने कराया था !

इदम् मंदिरम् यति विस्तृतमस्ति तति इव सौंदर्यपूर्णम् रहस्यै: च् परिपूर्णमस्ति ! अंकोरवाट मंदिरे उपस्थितं शिलाचित्रे बहु सुंदरताया सूक्ष्मताया च् रामकथायाः वर्णनम् कृतवन्तः ! ये स्थाने मंदिरमुपस्थितमस्ति तत्र बहवः राजान: दीर्घ-दीर्घ मन्दिरणां निर्माणं कारिता: स्म !

यह मंदिर जितना विशाल है उतना ही खूबसूरत और रहस्यों से भरा हुआ है ! अंकोर वाट मंदिर में मौजूद शिलाचित्र में बहुत खूबसूरती और बारीकी से राम कथा का वर्णन किया गया है ! जिस स्थान में मंदिर मौजूद है वहां कई राजाओं ने बड़े-बड़े मंदिरों का निर्माण कराया था !

विशेषवार्ता तर्हीदमस्ति तत इति मंदिरं कंबोडियायाः राष्ट्रीयध्वजे अपि प्रयुज्यते ! इदम् मंदिरम् ७०० पदम् गहन चतुर्दिक परिखायाः पार्श्वे स्थापितमस्ति, मंदिरेण परिखायाः सर: दर्शिते, मंदिरस्य पश्चिमे परिखाम् पराय एकं सेतु निर्मितमस्ति !

खास बात तो ये है कि इस मंदिर को कंबोडिया के राष्ट्रीयध्वज में भी इस्तेमाल किया जाता है ! यह मंदिर 700 फीट गहरी चतुर्दिक खाई के बगल में स्थापित है, मंदिर से खाई की झील दिखाई देती है, मंदिर के पश्चिम में खाई को पार करने के लिए एक पुल बना है !

मन्दिरस्य भित्तिषु संपूर्ण रामायणमुल्लिखितं ! इदम् मंदिरम् विदेशे अपि भारतीय प्राचीनेतिहासम् सौंदर्य पूर्ण संस्कृतिम् च् जीवितुं धृतं ! इदम् मंदिरम् यति विस्तृतमस्ति तत यस्य प्रवेशद्वारमेव १०० पदम् स्थूरं अस्ति ! भवन्त: द्वारेण मन्दिरस्य आकारम् प्रति कल्पना कृत्वा दर्शयन्तु !

मंदिर की दीवारों में पूरी रामायण को उकेरा गया है !यह मंदिर विदेश में भी भारतीय प्राचीन इतिहास और खूबसूरत संस्कृति को जिन्दा रखे हुए है ! यह मंदिर इतना विशाल है कि इसका प्रवेश द्वार ही 100 फीट चौड़ा है ! आप दरवाजे से मंदिर के आकार के बारे में कल्पना करके देखिये !

यति विस्तृतेदम् मंदिरमस्ति ततीव महान तत्रस्य इतिहासम् रमितं ! कंबोडियायाः नृप: सूर्यवर्मन:  कंबोडियायाः राजधान्यां हिंदू संस्कृतिममरम् कर्तुम् मंदिरस्य निर्माणम् कारित: स्म ! सः अत्र भगवतः ब्रह्म, विष्णु महेशानां च् मुर्त्य: स्थापितं कृतः स्म !

जितना विशाल यह मंदिर है उतना ही महान यहां का इतहास रहा है ! कंबोडिया के राजा सूर्यवर्मन ने कंबोडिया की राजधानी में हिन्दू संस्कृति को अमर करने के लिए मंदिर का निर्माण कराया था ! उन्होंने यहां भगवान ब्रम्हा, विष्णु और महेश की मूर्ति स्थापित की थी !

इदृशैव मान्यतामस्ति तत इति मंदिरस्य निर्माणम् एकस्यालोकित शक्त्या: प्रयोगेणाभवत स्म ! द्वादश्यां शताब्द्यां निर्मितमिति प्राचीनमंदिरस्य अस्तित्वाद्यापि उपस्थितमस्ति ! चतुर्दश्यां शताब्द्यां अत्रतः हिंदू नृपाणां साम्राज्यं संपादितं कंबोडियायां बौद्धानां राज्यमभवन् ! यस्यानंतरमिति मंदिरे बौद्धा: स्वपूजनमारंभितं !

ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण एक आलोकित शक्ति के इस्तेमाल करने से हुआ था ! 12 वीं शताब्दी में बने इस प्राचीन मंदिर का वजूद  आज भी मौजूद है ! 14 वीं शताब्दी में यहां से हिन्दू राजाओं का साम्राज्य खत्म हो गया और कंबोडिया में बौद्धों का राज हो गया ! इसके बाद इस मंदिर में बौद्धों ने अपनी पूजा-पाठ शुरू कर दी !

नवविंशत्यां शताब्द्यां इति मंदिरस्यास्तित्वं सर्वथा संपादितं स्म ! इति शताब्द्या: मध्ये फ्रांसीसी अनुसंधानकर्ता पर्यावरणविद् च् हेनरी महोत: इति मंदिरम् दर्शित: ! इति विस्तृतमंदिरम् दर्शित्वा तस्य नेत्रे विस्मित: ! तः इति विचारे गत: तत अंततः कश्चित मानव: यति वृहद मंदिरम् ततापि सहस्राणि वर्षाणि पूर्व कीदृशं निर्मितुं शक्नोति !

19 वीं शताब्दी में इस मंदिर का वजूद लगभग खत्म हो गया था ! इस शताब्दी के मध्य में फ़्रांसिसी खोजकर्ता और नेचर साइंटिस्ट हेनरी महोत ने इस मंदिर को देखा ! इस विशाल मंदिर को देख कर उनकी आंखे चौंधिया गई ! वो इस सोच में पड़ गए कि आखिर कोई इंसान इतना बड़ा मंदिर वो भी हजारों साल पहले कैसे बना सकता है !

वर्ष १९८६ तः गृहीत्वा १९९३ तमे भारतस्य पुरातत्व सर्वेक्षण विभागम् येन संरक्षितं ! अत्र कश्चित हिंदू किं न ? प्रथम कंबोडियापि हिंदूबहुल देशमासीत् अत्रस्य च् नृप: अपि हिंदू आसीत्, तु यथा-यथा बौद्ध धर्मस्य प्रचारम्-प्रसारम् बर्धितं जनाः हिंदूतः बौद्धे स्वम् परिवर्तितुं आरंभितः ! वर्तमाने अत्र बहु न्यून हिंदू अस्ति !

साल 1986 से लेकर 1993 में भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इसे संरक्षित किया ! यहां कोई हिन्दू क्यों नहीं ? पहले कंबोडिया भी हिन्दू बहुल देश था और यहां के राजा भी हिन्दू थे, लेकिन जैसे-जैसे बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार बढ़ा लोगों ने हिन्दू से बौद्ध में खुद को परिवर्तित करना शुरू कर दिया ! वर्तमान में यहां बहुत कम हिन्दू है !

इति देशे बौद्धस्य संख्याधिकमस्ति ! संतोषमस्ति तत बौद्धधर्मस्य जनाः हिंसका: नापितु मानवतायाः अध्यात्मस्य चभिरुचि: ध्रीन्ति ! यद्यात्र विश्वासघातेण मुगल: खिलजी वागतौ तर्हीति मंदिरम् त्रोटितौ यथा तौ भारतस्य प्राचीन मंदिरै: कृतौ आस्ताम् !

इस देश में बौद्ध की संख्या ज्यादा है ! गनीमत है कि बौद्ध धर्म के लोग हिंसक नहीं बल्कि मानवता और अध्यात्म की और रुझान रखते हैं ! अगर यहां धोखे से मुगल या खिलजी आते तो इस मंदिर को तोड़ डालते जैसा उन्होंने भारत के प्राचीन मंदिरों के साथ किया था !

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