राजस्थानस्याजमेरे स्थितं मोइनुद्दीन चिश्तिण: दरगाह पूर्वम् हिंदू मंदिरमासीत्, यस्यानुसंधाने सत्यता संमुखमागमिष्यते ! महाराणा प्रताप सैन्यस्याध्यक्ष: यस्मै पत्रमलिखत् ! महाराणा प्रताप सैन्यस्य कथनमस्ति ततेदम् दरगाह हिंदू मंदिरम् त्रोटित्वारचत् !
राजस्थान के अजमेर में स्थित मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पहले हिंदू मंदिर था, इसकी जाँच में असलियत सामने आ जाएगी ! महाराणा प्रताप सेना के अध्यक्ष ने इसके लिए पत्र लिखा है ! महाराणा प्रताप सेना का कहना है कि ये दरगाह हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाया गया है !
यस्य एएसआई अनुसंधानम् बहु आवश्यकी ! येन अनुसंधानेण रहस्यमुद्घाटिष्यते ! संगठनस्य अध्यक्षस्य कथनमस्ति तत सः राजस्थानस्य पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोततः अप्यनुसंधानस्य याचना कृतरासीत् अयमेव च् याचनाहम् वर्तमान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मातः अपि कृतरस्ति !
जिसकी ASI सर्वे बहुत जरूरी है ! इस सर्वे से सारा दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा ! संगठन के अध्यक्ष का कहना है कि उन्होंने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी जाँच की माँग की थी और यही माँग हमने मौजूदा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से भी की है !
महाराणा प्रताप सैन्यस्य राष्ट्रीयाध्यक्ष: राजवर्धन सिंह परमार: इदम् पत्रम् सोशल मीडिया इत्यां प्रस्तुत: कृतवान् ! सहैव स्वैकं चलचित्रमपि प्रस्तुत: कृतवान्, यस्मिन् सः तं प्रति ज्ञापयति ! राजवर्धन: कथ्यति, अजमेर दरगाह कश्चित दरगाह नापितु एकं हिंदू मंदिरं !
महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवर्धन सिंह परमार ने ये पत्र सोशल मीडिया पर साझा किया है ! साथ ही अपना एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें वो इस बारे में बता रहे हैं ! राजवर्धन कहते हैं, अजमेर दरगाह कोई दरगाह नहीं बल्कि एक हिंदू मंदिर है !
परमार: दृढ़कथनम् कृतवान् तत महाराणा प्रताप सैन्यम् पूर्वम् येन राजस्थाने अशोक गहलोतस्य नेतृत्वक: कांग्रेस सर्वकारस्य संज्ञाने अनयत् स्म ! अयम् पृथक वार्तास्ति तत कांग्रेसी सर्वकारः यस्मिन् कश्चित कार्यवहन न कृतवान् ! आम्, अधुना भाजपा सर्वकारेण कार्यवहनस्य आशायां इदम् पत्रम् पुनः लिखते !
परमार ने दावा किया कि महाराणा प्रताप सेना ने पहले इसे राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के संज्ञान में लाया था ! ये अलग बात है कि कांग्रेसी सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की ! हाँ, अब बीजेपी सरकार से कार्रवाई की उम्मीद में ये पत्र फिर से लिखा जा रहा है !
राजवर्धन सिंह परमार: अकथयत् तत राजस्थानस्य बहुसु जनपदेषु निःसृतं जन जागरण यात्रायाः काळम् बहवः जनाः अस्य याचनायाः समर्थनमकुर्वन् ! सः सीएम तः अनुरोधम् कृतवान् तत ते आवश्यक निर्देशम् निर्गत् करोतु अयोध्यायां च् बाबरी प्रारूपमिव वाराणस्यां च् ज्ञानवापी प्रारूपमिव अजमेरस्य दरगाहस्यापि अनुसंधानम् कारयतु !
राजवर्धन सिंह परमार ने कहा कि राजस्थान के कई जिलों में निकाली गई जन जागरण यात्रा के दौरान कई लोगों ने इस माँग का समर्थन किया है ! उन्होंने सीएम से अनुरोध किया कि वे आवश्यक निर्देश जारी करें और अयोध्या में बाबरी ढाँचे और वाराणसी में ज्ञानवापी ढाँचे की जाँच की तरह अजमेर के दरगाह की भी जाँच करवाएँ !
ज्ञापयतु तत अजमेरे चिश्तिण: दरगाहतः केचन शत मीटर अन्तरे स्थितं ढाई दिन के झोपड़ाम् गृहीत्वापि इदृशमेव याचना चलति ! भाजपा सांसद रामचरण बोहरा ढाई दिन का झोपड़ाम् मूल स्वरूपमानेतुं केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास वा मंत्री जी किशन रेड्डी महाभागम् पत्रमपि अलिखत् स्म !
बता दें कि अजमेर में चिश्ती की दरगाह से कुछ सौ मीटर दूरी पर स्थित ढाई दिन के झोपड़ा को लेकर भी ऐसी ही माँग चल रही है ! बीजेपी सांसद रामचरण बोहरा ने ढाई दिन का झोपड़ा को मूल स्वरूप में लाने के लिए केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन व पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी जी को पत्र भी लिखा था !
ढाई दिन का झोपड़ा मूल रूपेण विशालकाय संस्कृत महाविद्यालयम् (सरस्वती कंठभरन महाविद्यालय) भवते स्म ! इदम् ज्ञानस्य बुद्ध्या: हिंदू देवी माता सरस्वतिम् समर्पितं मंदिरम् आसीत् ! जयपुरस्य सांसद: रामचरण बोहरा केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डीम् लिखन् पत्रे अकथयत् !
ढाई दिन का झोपड़ा मूल रूप से विशालकाय संस्कृत महाविद्यालय (सरस्वती कंठभरन महाविद्यालय) हुआ करता था ! यह ज्ञान और बुद्धि की हिंदू देवी माता सरस्वती को समर्पित मंदिर था ! जयपुर के सांसद रामचरण बोहरा ने केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को लिखे पत्र में कहा !
ढाई दिन का झोपड़ा यत् द्वादशानि सद्याम् महाराज विग्रहराज चौहानेण देवालयस्य संस्कृत शिक्षण केन्द्रस्य च् रूपे स्थापितं कृतवान् स्म, तेन १२९४ तमे मोहम्मद गौरिण: कथने कुतुबुद्दीन ऐबक: अत्रोटयत् स्म ! इदम् केन्द्रम् वेद पुराणानां प्रसारक भूतेन सहैव संस्कृत शिक्षायाः महत्वपूर्ण केन्द्रम् रमति !
ढाई दिन का झोपड़ा जो कि 12वीं सदी में महाराज विग्रहराज चौहान द्वारा देवालय और संस्कृत शिक्षण केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था, उसे 1294 ई में मोहम्मद गौरी के कहने पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने तोड़ दिया था ! यह केंद्र वेद पुराणों का प्रसारक होने के साथ ही संस्कृत शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है !