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New Delhi

Manisha Inamdar

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जहां भारत का असली अल्पसंख्यक, पारसी दूध मे चीनी की तरह घूल कर भारतीय हो गया, वही तथाकथित अल्पसंख्यक, मुस्लिम समाज आज भी...

क्या भारत का सबसे छोटा अल्पसंख्यक, पारसी होने की वजह से आपको किसी भी तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ा? दक्षिण मुबंई की रहने वाली अर्मांटी घासवाला-दुमसिया इस प्रश्न की उत्तर कुछ  इस तरह से दिया, “नही, कभी भी नही, मुझे या मेरे किसी भीपरिवार के सदस्य को ऐसे भेदभाव का सामना नही करना पड़ा” भारत का सबसे छोटा अल्पसंख्यक पारसी समुदाय है, जिनकी आबादी लगभग 69 हज़ार है। सोचने वाली बात है 135 करोड़ की आबादी वाले देश मे 69 हज़ार आबादी एक पेपर पिन के नोक के बराबर भी नही है। प्रश्न ये है कि क्या कभी पारसी ने खुद को अल्पसंख्यक प्रताड़ित के रुप में कभी साबित करने की कोशिश की? गर्व की बात ये है कि जब भी पारसी समुदाय का उल्लेख होता है तो दिमाग मे फ़ील्ड मार्शल मानेक शॉ, टाटा, होमी जहांगीर भाभा जैसे महान और सफल व्यक्तित्व के नाम दिमाग मे आते है, जिन्होंने भारत देश की उन्नति मे अपना बड़ा योगदान दिया है। यहाँ तक कि ग़रीब पारसी भी अपने ग़रीबी का ज़िम्मेदारी सरकार को नही ठहराता। वही दूसरी ओर भारत के मुस्लिम बार बार अल्पसंख्यक कार्ड खेलकर खुद को प्रताड़ित साबित करते हुए देश को बदनाम करने मे कोई कसर नही छोड़ते हैं। भारत मे मुस्लिमों की आबादी, जो कि लगभग 20 करोड़ है, दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय भारत सरकार का एक मंत्रालय है जिसकी स्थापना 29 जनवरी 2006 को हुई थी। भारत के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिनियम, 1992 की धारा 2 (सी) के तहत भारत के अल्पसंख्यक श्रेणी में मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी और जैन आते हैं।  प्रश्न ये भी है कि क्या 20 करोड़ की आबादी वाला भारत का मुस्लिम अल्पसंख्यक श्रेणी मे आता भी है या नहीं? संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार अल्पसंख्यक समुदाय वो है जिसका सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक रूप से कोई प्रभाव न हो और जिसकी आबादी नगण्य हो, ऐसे कम आबादी वाले समुदाय को अल्पसंख्यक समुदाय की श्रेणी मे रखा जाता है, ताकि उनको सहायता प्रदान कर उनकी सुरक्षा कि जा सके।  संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार अल्पसंख्यक श्रेणी मे पारसी आते है। और अगर भारत सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अनुसार सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी और जैन के...

क़ुरान मजीद की आयतें मूर्तिपूजकों का कत्ल करने का आदेश देती है, क्या भारत का संविधान इस पर कार्यवाही करेगा? सुप्रीम कोर्ट के वकील,...

26 नंबवर 2008 को पाकिस्तान से 25 वर्षीय कसाब अपने नौ साथियों के साथ, समुद्र के रास्ते होकर भारत मे प्रवेश किया और अंधाधुंधगोलियाँ चलाकर मुंबई शहर पर हमला बोल दिया था, 72 घंटो तक मुंबई की सड़कों पर आतंक और मौत का नंगा नाच होता रहा। कसाब और उसके नौ साथियों ने 250 से ज़्यादा मासूम भारतीयों की निर्मम हत्या कर दी।  ठाणे स्थित 79 वर्षीय दादी जिनके 22 वर्षीय इकलौते पोते सचिन की छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर बेरहमी से हत्या कर दी गई, उन्होंने पूछा, “पाकिस्तान के कसाब और उनके साथी तो मेरे पोते को जानते तक नही थे, फिर मेरे पोते को इतनी निर्ममता से गोलियों से क्यों भून दिया? इस प्रश्न ने भारत के हर नागरिक को भावविह्वल कर झकझोर दिया।  कसाब और उसके नौ साथी भारत के उन मासूम नागरिकों को जानते भी नही थे जिन्हें उन लोगों ने गोलियों से भून दिया था। ये सत्य है कि भारत और पाकिस्तान के संबंध आज़ादी के बाद से ही कटु रहे है, पर क्या ये कारण काफ़ी है एक पाकिस्तानी नवयुवक के दिमाग मेज़हर भरने के लिये, कि वो उन अनजान लोगों के खुन के नदियाँ बहा दे जिसे वो जानता तक नही? ऐसी कौन सी विचारधारा और प्रेरणाहै जो एस नवयुवक के उग्र सोच को हवा देकर उसे  वहशी और आतंकवादी बना देती है, जो बम विस्फोट कर उन लोगों को क्षत विक्षतकर देती है जिसका वो नाम तक नही जानते। इस विचारधारा का बीज कहां है? इस प्रश्न का उत्तर कही क़ुरान मजीद मे तो नही है?  कुरान मजीद में सूरा 9 आयात 5 मे लिखा है।  जब पवित्र महीने बीत जाऐं, तो ‘मुश्रिको’ (मूर्तिपूजको ) को जहाँ-कहीं भी पाओ, उसे पकड़ो, घेरो, हर घात की जगह उनकी ताक मे बैठो, और उनका कत्ल कर दो।  https://quran.com/9/5 कुरान मजीद में सूरा 9, आयत 28 मे लिखा है।  हे ‘ईमान’ लाने वालो (केवल एक आल्ला को मानने वालो ) ‘मुश्रिक’ (मूर्तिपूजक) नापाक (अपवित्र) हैं।” https://quran.com/9/28 क़ुरान मजीद में सूरा 4, आयत 101 मे लिखा है।  निःसंदेह ‘काफिर (गैर-मुस्लिम) तुम्हारे खुले दुश्मन हैं।” (कुरान सूरा 4, आयत 101) . https://quran.com/4/101 क़ुरान मजीद में सूरा 9, आयत 123 मे लिखा है।  हे ‘ईमान’ लाने वालों! (मुसलमानों) उन ‘काफिरों’ (गैर-मुस्लिमो) से लड़ो जो तुम्हारे आस पास हैं, और तुम उनके साथ सख़्त रहो।  https://quran.com/9/123 उपरोक्त अनुच्छेद तो बस झांकी है, क़ुरान मजीद मे और भी बहुत सारी आयते हैं जिससे अमानवीय विष का अविरल धारा प्रवाह होता है, जिसे हर भारतीय को अवश्य पढ़ना चाहिये।  ये भारतवर्ष की बदकिस्मति है कि धर्म निरपेक्षता के नाम पर एक ऐसी ग़ैर संवैधानिक धर्म पुस्तक को मान्यता मिली है जो एक नरसंहारका कारण बन सकती है। आज़ादी के बाद पिछले सत्तर वर्षों मे इस संवेदनशील विषय पर संसद मे एक बार भी बहस नही हुई।  वर्तमान काल मे सुप्रीम कोर्ट के वकील श्री करुणेश कुमार शुक्ला जी ने सुप्रीम कोर्ट में इसके प्रति याचिका दायर कि है कि क़ुरान मजीदकी 24 आयतें भारत के संविधान का उल्लंघन करती है।  https://twitter.com/karuneshshukla8/status/1340367411854405641?s=21 www.trunicle.com के साक्षात्कार के दौरान करूणेश कुमार शुक्ला जी ने बताया कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 26 A भारत केहर नागरिक को अपने धर्म को पालन करने का पूरी स्वंत्रतता के साथ मूलभूत अधिकार देता है। सोचने वाली बात ये है कि अगर एक मुस्लिम...