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मधुर गरल, बॉलीवुड इत्यस्य सेंसर बोर्ड इत्यस्य च् दुरभिसंधि: ! मीठा जहर, बॉलीवुड और सेंसर बोर्ड की मिलीभगत !

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भवतम् ज्ञातमस्ति अधुना केचन वर्ष पूर्वम् २०१९ तमे अक्षय कुमार अभिनीत: एकं चलचित्रम् प्रस्तुतमासीत्, नामासीत् मिशन मंगल, चलचित्रम् परितः साधुवाद संचितमासीत् कदाचित् चलचित्रम् रियल टाइम कथानके आधृतमासीत् तु सर्वान् रुचिकर: आगतमासीत् !

आपको पता है अभी कुछ साल पहले 2019 में अक्षय कुमार अभिनीत एक फिल्म रिलीज हुई थी, नाम था मिशन मंगल, फिल्म ने चारों ओर वाहवाही बटोरी थी चूंकि फिल्म रियल टाइम स्टोरी पर आधारित थी तो सभी को पसंद आई थी !

पूर्ण दृश्य यवनिकायां सदृशमवतारयत् स्म चलचित्रम् च् दर्शन् अनुभवति स्म तत भवानपि मंगल मिशन इत्यस्य दलस्य अंशम् भूतमसि ! मयापि चलचित्रम् बहु रुचिकर: आगतवान्, तु भवतम् स्मरणम् भविष्यति चलचित्रे एकं दृश्यं प्रदर्शवत् स्म यस्मिन् एका महिला वैज्ञानिक यस्या: नाम नेहा सिद्दीकी !

सारे दृश्य पर्दे पर हूबहू उतारे गए थे और फिल्म देखते हुए लगता था कि आप भी मंगल मिशन की टीम का हिस्सा बन गए हो ! मुझे भी फिल्म बहुत पसंद आई, पर आपको याद होगा फिल्म में एक दृश्य दिखाया गया था जिसमें एक महिला साइंटिस्ट जिसका नाम नेहा सिद्दीकी है !

सा एका स्वधर्मपरायण महिलास्ति तया च् वसितुं गृहमन्वेषणे वृहत् प्रयत्नं कर्तुमभवत् स्म ! यत्रापि सा शुल्कयुक्त गृहम् दर्शने गच्छति तत्रैव तस्या: ज्ञातं भवतैव न क्रियते ! वृहत् एव भावुक: अभवम् स्माहम् तत इयत् शोभनम् प्रतिभावानम् च् वैज्ञानिकम् जनाः गृहम् दत्तेन न कृतवन्तः, अहम् स्तब्ध: आसीत् !

वह एक दीनी महिला है और उसे रहने के लिए घर ढूंढने में बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ी थी ! जहाँ भी वह किराये पर घर देखने जाती है वहीं उसका धर्म पता चलते ही मना कर दिया जाता है ! बड़ा ही इमोशनल हो गया था मैं कि इतनी खूबसूरत और टेलेंटेड वैज्ञानिक को लोगों ने घर देने से मना कर दिया, मैं शॉक्ड था !

यदि भवान् चलचित्रम् दर्शितरस्ति तु भवानपि स्तब्ध: भविष्यते क्रोध: चपि आगमिष्यते, आगमनीय: अपि ! ज्ञापयतु एक: वैज्ञानिक: य: दिवारात्रि देशाय रक्तम् स्वेदम् एकम् कुर्वन्ति तस्मै अस्माकं देशे इयत् विभेद: भवति ! कति निम्नतरः मानसिकतास्ति अयम्, अस्ति न ?

अगर आपने मूवी देखी है तो आप भी शॉक्ड हो गए होंगे और गुस्सा भी आया होगा, आना भी चाहिए ! बताइये एक वैज्ञानिक जो दिन रात देश के लिए खून पसीना एक कर रहे हैं उनके लिए हमारे देश में इतना भेदभाव होता है ! कितनी ओछी मानसकिता है यह, है ना ?

केवलं अयमेव मस्तिष्के चलति स्म ! अहम् वार्ताहरः आसीत् ! अन्वेषणी मानसिकता ! अतएव गृहमागत्य अंतर्जालोदघाट्यम् इसरो इतं च् प्रति अंवेषितुमरभम् तर्हि ज्ञातमभवत् तत इसरो स्व सर्वान् वैज्ञानिकान् तकनीकिनः च् अपार्टमेंट्स इति ददाति !

बस यही सब दिमाग में चल रहा था ! मैं पत्रकार था ! खोजी मानसिकता ! इसलिए घर आकर इंटरनेट खोला और ISRO के बारे में खोज करना शुरू किया तो पता चला कि इसरो अपने सभी वैज्ञानिकों और इंजीनीयरों को अपार्टमेंट्स देता है !

अधुना इदम् ज्ञातमभवत् तु विस्मय: अभवत् यदि इसरो अपार्टमेंट इति ददाति तु शुल्कीय गृहम् कश्चित किं नेष्यते ? तदाहम् नेहा सिद्दीकिं गूगल इत्यां अंवेषयम् तु कुत्रैव दर्शतैव न, यस्य अनंतरम् मंगल मिशन इत्यस्य पूर्णदलम् निरिक्षितुमरभम् ततादर्शयम् तु तत स्व रियल हीरो वास्तवे दर्शितुं कीदृश: सन्ति ?

अब ये पता चला तो दिमाग घूमा कि अगर इसरो अपार्टमेंट दे रहा है तो किराये पर घर कोई क्यों लेगा ? तब मैंने नेहा सिद्दीकी को गूगल पर ढूंढा तो कहीं दिखी ही नहीं, इसके बाद मंगल मिशन की पूरी टीम चेक करने लगा कि देखें तो कि अपने रियल हीरो वास्तव में दिखते कैसे हैं ?

अहम् पूर्णदलस्य प्रतिसदस्यस्य नाम अन्वेषितुं तु मया नेहा सिद्दीकी इति नाम्नः कश्चित वैज्ञानिक: तकनीकिन् वा त्यजतु कश्चित टेक्नीशियन अपि न ळब्धवान् ! स्तब्ध: अभवन् न ? मयापि अयम् दर्शस्यानंतरम् ४४० वोल्ट इत्या: तरंगाघातानुभवम् स्म तत पूर्णदले एकम् अपि महिला पुरुष: वा नासन् !

मैंने पूरी टीम के एक एक मेंबर के नाम खंगाल लिए पर मुझे नेहा सिद्दीकी नाम की कोई वैज्ञानिक या इंजीनियर तो छोड़िए कोई टेक्नीशियन भी नहीं मिली ! शॉक्ड लगा न ? मुझे भी यह देखने के बाद 440 वोल्ट का झटका लगा था कि पूरी टीम में एक भी मुस्लिम महिला या पुरुष नहीं था !

यस्योपरांत: चलचित्रस्य निर्मातानां अभिव्यक्ति स्वतंत्रतायाः मौलिक स्वतंत्रतायाः वा नामनि इदम् कथानक दुरभिसंधि कृतवन्तः, यस्मिन् प्रदर्शवत् तत भारते कीदृश: एकं मुस्लिम महिलाम् कश्चित स्वगृहम् शुल्के न ददाति, किं न सा महिला इसरो इत्यस्य कश्चित वैज्ञानिका एव किं नासि !

बावजूद इसके फिल्म के मेकर्स ने अभिव्यक्ति की आजादी या मौलिक स्वतंत्रता के नाम पर यह कहानी प्लॉट की, जिसमें दिखाया गया कि भारत में कैसे एक मुस्लिम महिला को कोई अपना घर किराये पर नहीं देता है, चाहे वह महिला इसरो की कोई वैज्ञानिक ही क्यों न हो !

चलचित्रस्य प्ररोचके तैव महिलाम् प्रदर्श्य अलिखत् तत “साइंस हैव नो रिलीजन” आम् मधुर गरल कीदृश: विलालयते इदं बॉलीवुडकः सम्यक् रूपेण ज्ञायन्ते, अहम् तु इदम् क्रासचेक इति कृतवान् तु कति जनाः इदृशः कर्तुं भविष्यन्ते ? अतएव विचारित: भवन्तः एव trunicle.com इत्यस्य माध्यमेण प्रेषितवान् !

फिल्म के पोस्टर पर वही महिला को दिखा कर लिखा गया कि “Science Have No Religion” हाँ मीठा जहर कैसे घोला जाता है ये बॉलीवुड वाले अच्छे से जानते हैं, मैंने तो यह crosscheck कर लिया पर कितने लोग ऐसा करते होंगे ? इसलिए सोंचा आप लोगों तक trunicle.com के माध्यम से पहुंचाया जाए !

अस्मिन् चलचित्रे इदृशानि बहूनि दृश्यानि आसन् तु यस्यातिरिक्तं एकं दृश्यमन्यासीत् यदि भवतम् स्मरणमसि ? स्मरतु विद्या बालन्या: पुत्र कथ्यति अहम् नमाज इति पठिष्यामि ! तस्य पिता संजय कपूर: रणति तस्मात्, तु पुत्र कथ्यति तत न मया नमाज इति पठितैवास्ति तस्य माता च् सहाय्य करोति !

इस फिल्म में ऐसे ढेरों सीन थे पर इसके अलावा एक सीन और था अगर आपको याद हो ? याद कीजिए विद्या बालन का बेटा कहता है मैं नमाज पढूंगा ! उसका बाप संजय कपूर लड़ता है उससे, लेकिन बेटा कहता है कि नही मुझे नमाज पढ़नी ही है और उसकी मम्मी सहयोग करती है !

स्मरतु केवलं इदमेव प्रोपेगेंडा अस्ति यत् इमे प्रसारयन्ति ! तस्मातपि वृहत् वार्ता तत रियल कथानके अर्धतः अधिकं असत्यं मिश्रणस्य अनंतरमपि सेंसर बोर्ड येषां चलचित्राणि उत्तीर्णं क्रियते, येन अतिशयोक्ति एव कथिष्यते ! सनातन धर्मम् सदैवतः निम्न प्रदर्शस्य कार्यं बॉलीवुड सेंसर बोर्ड च् कर्तुं रमत: !

याद कीजिए बस यही प्रोपेगैंडा है जो ये फैलाते हैं ! उससे भी बड़ी बात कि रियल स्टोरी में आधे से ज्यादा झूठ मिला होने के बाद भी सेंसर बोर्ड इनकी फिल्मों को पास कर देता है, इसे अतिशयोक्ति ही कहा जायेगा ! सनातन धर्म को हमेशा से नीचा दिखाने का कार्य बॉलीवुड और सेंसर बोर्ड करते रहें हैं !

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