दरअसल गोली परेशान थी. उसके पेट में गुड़गुड़ हो रही थी. हालांकि उसका सैयां कोकोकोला ले आया लेकिन फिर भी गोली की गुड़गुड़ शांत नहीं हुई. तब रवीश कुमार ने गोली से कहा कि दानिश सिद्दीकी अभी कंधार में ही है, जाओ व उसके जाकर घुस जाओ, शाम को मैं हजार लानतें भेज दूंगा..!!
और उस गोली से जब भारत को बदनाम करने का ग्लोबल टेंडर लेने वाले दानिश सिद्दीकी की मौत हो गई तो रवीश कुमार ने वादे के अनुरूप पोस्ट लिखकर एलान किया कि उन्होंने दानिश को मारने वाली गोली को हजार लानतें भेज दी हैं. एक भी कम नहीं की है..!!
रवीश जी, आप खुद को निर्भीक पत्रकार पत्रकार कहते हो न? तो FB पोस्ट के माध्यम से गोली को लानत भेजते समय आप उन उंगलियों को लानत भेजने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पाए जिसने बंदूक उठाई, उसमें गोलियां डालीं, ट्रिगर दबाया और दानिश को मार डाला?
रवीश जी, आप उन उंगलियों से जुड़े हाथों व वो हाथ जिस शरीर से जुड़े हैं, उस शरीर के नाम को लानत क्यों नहीं भेज पाए? नाम नहीं पता था तो वो गोली चलाने वाला शरीर जिस तालिबान से जुड़ा है, उंस तालिबान को आप लानत क्यों नहीं भेज पाए? गोली को हजार लानतें भेजी हैं न आपने? तो गोली चलाने वाले तालिबान को कम से एक एक ही लानत भेज देते, क्यों नहीं भेजी आपने तालिबान को एक भी लानत?
जब कठुआ कांड हुआ तो आपने वहां देवस्थान खोज लिया, आरोपियों का हिंदू धर्म खोज लिया तथा लानतें भेज दीं. आपने हाथरस कांड में जाति खोज ली तथा वहां भी लानतें भेज दीं. आपने गांधी वध करने वाले गोडसे को लानतें भेज दीं तथा आज भी भेजते हैं लेकिन तालिबान को लानत क्यों नहीं भेज पाए आप? अगर दानिश को तालिबान ने नहीं बल्कि बंदूक से निकली गोली ने मारा है तो गांधी को भी गोडसे ने नहीं बल्कि बंदूक की गोली ने मारा था तो लानत गोडसे को क्यों भेजी जाती हैं?
खैर ये नया नहीं है. जब भी आपके भाईजान लोग ऐसे क्रूर काम करते हैं तब उन्हें लानत नहीं भेज पाते क्योंकि आप कोई बहादुर पत्रकार नहीं हो लेकिन बुझदिल और कायर हो, नीच हो नाचीज़ हो, कलंक हो. देश के हर छोटे मुद्दे में जाति खोज लानत भेजने वाला रवीश कुमार हत्यारे भाईजानों को लानत नहीं भेज पाता यही सबसे बड़ी लानत है..!!
जब दिल्ली में रिंकू शर्मा को उसके घर में घुसकर मारा गया था तब भी रिंकू के हत्यारों को लानत नहीं भेज पाए थे..!!
जब मथुरा में भारत यादव को मार डाला गया तब भी आप भारत यादव के हत्यारों को लानत नहीं भेज पाए थे..!!
जब दिल्ली में अंकित शर्मा व अंकित सक्सेना को ख़ातून से प्रेम करने के कारण मार डाला गया था तब भी तुम उनके हत्यारों को लानत नहीं भेज पाए थे..!!
जब दिल्ली में बेटी को छेड़ने से रोकने पर ध्रुव त्यागी को मार डाला गया था. जब डॉ. नारंग को मार डाला गया था, तब भी तुम उनके हत्यारों को लानत नहीं भेज पाए थे..!!
जब अर्थला के मदरसे में नाबालिग बच्ची का अपहरण कर उसे नशे के इंजेक्शन लगाकर मौलाना द्वारा कई दिन तक बलात्कार किया गया था, तब भी तुम उस मौलाना को लानत नहीं भेज पाए थे..!!
जब अलीगढ़ में ट्विंकल शर्मा को भाईजानों द्वारा मार डाला गया था तब भी तुम ट्विंकल के हत्यारों को लानत नहीं भेज पाए थे..!!
जब हैदराबाद में एक महिला डॉ का गैंगरेप कर उसे जिंदा जलाकर मार डाला गया था तब उसके बलात्कारियों व हत्यारों को आप लानत नहीं भेज पाए थे..!!
जब राजस्थान की मॉडल मानसी दीक्षित को उसके प्रेमी मुजम्मिल ने मारकर सूटकेस में भरकर फेंक दिया था तब भी तुम उस मुजम्मिल को लानत नहीं भेज पाए थे..!!
रवीश कुमार, अगर तुम निर्भीक होते तो इन सबको लानतें भेजते. अरे इन सबको छोड़ो, अगर आप निर्भीक होते तो आपकी तरह ही भारत को बदनाम करने वाले अपनी बिरादरी के पत्रकार दानिश सिद्दीकी को मारने वाले तालिबान को लानत भेज देते. लेकिन आप ऐसा नहीं कर पाए क्योंकि आप निर्भीक नहीं कायर हो, गद्दार हो..!!
और लानत भेजनी ही थी तो दानिश सिद्दीकी को भेजनी चाहिए थी तो चुन चुन कर भारत की छबि को धूमिल करने वाली तस्वीरें बेचकर पैसा कमाता था..!!
वहां अफगान सेना तालिबान से युद्ध लड़ रही है, अफगानियों को बचाने को अपनी जान दे रही है और दानिश सिद्दीकी उस भयावह युद्ध की तस्वीरें इसलिए ले रहा था ताकि उन्हें बेचकर पैसा कमा सके..!!
रही बात दानिश की तो फिर अल्लाह से रिक्वेस्ट है कि वह दानिश को जन्नत में 72 Hooरों के साथ ही गिलमा भी प्रदान करें ताकि वह वापस भारत को बदनाम करने दोबारा न आ सके. अब हमें कोई दानिश नहीं चाहिए..!!
– अभय प्रताप सिंह चौहान