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सहस्राणि वर्षाणि पुरातनेतिहास पठन्ति, ज्ञातम् कुर्वन्ति दलितानां शोषणमभवन् ? हजारों साल पुराना इतिहास पढ़ते हैं, और पता करते हैं दलितों का शोषण हुआ ?

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सम्राट शांतनु पाणिग्रहण कृतवान् एकस्य कैवर्तस्य पुत्री सत्यवतीतः ! तस्या: पुत्र एव नृप: अभवततएव भीष्म: पाणिग्रहण नकृत्वा, यावत् जीवनम् पाणिग्रहण न कृतस्य भीष्म प्रतिज्ञा कृतवान्, सत्यवत्या: पुत्रा: अनंतरे क्षत्रिय: अभवन्, येभ्यः भीष्म यावत् जीवनम् पाणिग्रहण न कृतवान्, किं तेषां शोषणम् भवितुं भविष्यन्ति ?

सम्राट शांतनु ने विवाह किया एक मछुवारे की पुत्री सत्यवती से ! उनका बेटा ही राजा बने इसलिए भीष्म ने विवाह न करके, आजीवन विवाह न करने की भीष्म प्रतिज्ञा की, सत्यवती के बेटे बाद में क्षत्रिय बन गए, जिनके लिए भीष्म आजीवन अविवाहित रहे, क्या उनका शोषण होता होगा ?

महाभारत लेखक: वेद व्यास: अपि कैवर्त: आसीत्, तु महर्षि अभवत्, सः गुरुकुलम् चालयति स्म, विदुर: येन महापंडित कथ्यते तः एकः दास्याः पुत्र आसीत्, हस्तिनापुरस्य महामंत्री अभवत्, तस्य लिखन् विदुर नीति, राजनीत्या: एकम् महाग्रंथमस्ति !

महाभारत लिखने वाले वेद व्यास भी मछवारे थे, पर महर्षि बन गए, वह गुरुकुल चलाते थे, विदुर, जिन्हें महापंडित कहा जाता है वो एक दासी के पुत्र थे, हस्तिनापुर के महामंत्री बने, उनकी लिखी हुई विदुर नीति, राजनीति का एक महाग्रन्थ है !

भीम: वनवासिना हिडिम्बातः पाणिग्रहण कृतः ! श्री कृष्ण: दुग्धस्य व्यवसायकर्ताणां कुटुंबतः आसन्, तस्य भ्रात बलराम: कृषिकार्य करोति स्म ! सदैव हलेण सह धरयति स्म ! यादव: क्षत्रिय: रमन्ति, बहुसु प्रांतेषु शासनम् कृतवन्तः श्रीकृष्ण: सर्वानां पूजनीय भगवतः सन्ति, गीता यथा ग्रंथम् विश्वम् दत्तवान् !

भीम ने वनवासी हिडिम्बा से विवाह किया ! श्री कृष्ण दूध का व्यवसाय करने वालों के परिवार से थे, उनके भाई बलराम खेती करते थे, हमेशा हल साथ रखते थे ! यादव क्षत्रिय रहे हैं, कई प्रान्तों पर शासन किया और श्रीकृष्ण सबके पूजनीय भगवान हैं, गीता जैसा ग्रन्थ विश्व को दिया !

रामेण सह वनवासिन् निषादराज: गुरुकुले पठति स्म ! रामस्य पुत्रौ लवकुशौ महर्षि वाल्मीकिण: गुरुकुले अपठताम् यौ वनवासिनौ आस्ताम् ! तु इदमभवत् वैदिक कालस्य वार्ता, स्पष्टमस्ति कश्चित केषाम् शोषण न करोति स्म, सर्वान् शिक्षायाः अधिकारा: आसीत्, कश्चितापि पदमेव प्राप्तुं शक्नोति स्म स्वयोग्यतायाः अनुसारम् !

राम के साथ वनवासी निषादराज गुरुकुल में पढ़ते थे‌ ! राम के पुत्र लवकुश महर्षि वाल्मीकि के गुरुकुल में पढ़े जो वनवासी थे ! तो ये हो गयी वैदिक काल की बात, स्पष्ट है कोई किसी का शोषण नहीं करता था, सबको शिक्षा का अधिकार था, कोई भी पद तक पहुंच सकता था अपनी योग्यता के अनुसार !

वर्ण: केवलं कार्यस्याधारे आसीत् तत् परिवर्तितुं शक्नोति स्म, यतद्य इकोनॉमिक्स इत्यां डिवीजन ऑफ लेबर कथ्यति तैव ! प्राचीन भारतस्य वार्ता करोतु, तु भारतस्य सर्वात् वृहद् जनपद मगधे यस्य नंद वंशस्य राज्यं रमति, तः जात्या नापित: आसीत् !

वर्ण सिर्फ काम के आधार पर थे वो बदले जा सकते थे, जिसको आज इकोनॉमिक्स में डिवीजन ऑफ लेबर कहते हैं वो ही ! प्राचीन भारत की बात करें, तो भारत के सबसे बड़े जनपद मगध पर जिस नन्द वंश का राज रहा है, वो जाति से नाई थे !

नंद वंशस्यारंभ महापद्मनंद: कृतरासीत् य: राज्यनापित: आसीत् ! अनंतरे तः नृप: अभवत् पुनः तस्य पुत्रापि, अनंतरे सर्वे क्षत्रिय: एव कथवान् ! तस्यानंतरम् मौर्य वंशस्य पूर्णदेशे राज्यमभवत्, यस्यारंभ चन्द्रगुप्ततः अभवत्, यः एकः मयूर पालक: कुटुंबतः आसीत् !

नन्द वंश की शुरुवात महापद्मनंद ने की थी जो राजनाई थे ! बाद में वो राजा बन गए फिर उनके बेटे भी, बाद में सभी क्षत्रिय ही कहलाये ! उसके बाद मौर्य वंश का पूरे देश पर राज हुआ, जिसकी शुरुआत चन्द्रगुप्त से हुई, जो एक मोर पालने वाले परिवार से थे !

एकः ब्राह्मण चाणक्य: तेन पूर्णदेशस्य सम्राट: अकरोत् ! ५०६ वर्षाणि देशे मौर्याणां राज्यं रमति, पुनः गुप्त वंशस्य राज्यमभवत्, यः अश्वशाला चालयति स्म, अश्वानां च् वणिजम् करोति स्म ! १४० वर्षाणि देशे गुप्तानां राज्यम् रमति !

एक ब्राह्मण चाणक्य ने उन्हें पूरे देश का सम्राट बनाया ! 506 साल देश पर मौर्यों का राज रहा है, फिर गुप्त वंश का राज हुआ, जो घोड़े का अस्तबल चलाते थे, और घोड़ों का व्यापार करते थे ! 140 साल देश पर गुप्तों का राज रहा है !

केवलं पुष्यमित्र शुंगस्य ३६ वर्षाणां राज्यम् त्यक्त्वा ९२ प्रतिशतम् प्राचीन काले देशे शासनं तेषां रमन्ति, यै: अद्य दलित पिछड़ा इति कथ्यन्ते तु शोषणम् कुत्रतः अभवत् ? अत्रापि कश्चित शोषणकं वार्ता नास्ति, पुनः अरभति मध्यकालीन भारतस्य काळम् यत् आंग्ल संवत ११००-१७५० एवास्ति !

केवल पुष्यमित्र शुंग के 36 साल के राज को छोड़कर 92% प्राचीन काल में देश में शासन उन्हीं का रहा है, जिन्हें आज दलित पिछड़ा कहते हैं तो शोषण कहां से हो गया ? यहां भी कोई शोषण वाली बात नहीं है, फिर शुरू होता है मध्यकालीन भारत का समय जो सन् 1100- 1750 तक है !

अस्य काळम् अधिकतर: काळम्, अधिकतर: स्थानम् मुस्लिम शासनम् रमन्ति, अंते मराठाणां उदयं अभवन्, बाजीराव राव पेशवा (यः ब्राह्मण: आसीत्) गोपालक: गायकवाड़म् गुजरातस्य नृप: कृतवान्, गोपाल: जात्या: होलकरम् मालवायाः नृप: कृतवान्, अहिल्या बाई होलकर स्वयं बहु वृहत् शिवभक्तासीत् !

इस दौरान अधिकतर समय, अधिकतर जगह मुस्लिम शासन रहा है, अंत में मराठों का उदय हुआ, बाजी राव पेशवा (जो ब्राह्मण थे) ने गाय चराने वाले गायकवाड़ को गुजरात का राजा बनाया ! चरवाहा जाति के होलकर को मालवा का राजा बनाया, अहिल्या बाई होलकर खुद बहुत बड़ी शिवभक्त थी !

बहूनि मन्दिरानि गुरुकुलानि सारचयन् ! मीरा बाई राजपूतासीत्, तस्य: गुरु एकः चर्मकार: रविदास: आसीत् रविदासस्य च् गुरु ब्राह्मण रामानंद: आसीत् ! अत्रापि शोषणकं वार्ता कुत्रैव नास्ति ! मुगल काळतः देशे अशुचिता अरभन्, अत्रतः च् पर्दा प्रथा, गुलाम प्रथा, बाल विवाह यथैव वस्तूनि अरभयन्ति !

ढेरों मंदिर गुरुकुल उन्होंने बनवाये ! मीरा बाई जो राजपूत थी, उनके गुरु एक चर्मकार रविदास थे और रविदास के गुरु ब्राह्मण रामानंद थे ! यहां भी शोषण वाली बात कहीं नहीं है ! मुगल काल से देश में गंदगी शुरू हो गई, और यहां से पर्दा प्रथा, गुलाम प्रथा, बाल विवाह जैसी चीजें शुरू होती हैं !

१८००-१९४७ एव आंग्लानां शासनम् रमति, अत्रैवतः च् जातिवादमरभत् ! यत् सः विद्वेष: उत्पादयतु राज्यं करोतु च् नीत्या: अनुरूपम् कृतवान् ! आंग्लाधिकारिन् निकोलस डार्कस्य पुस्तके “कास्ट ऑफ माइंड” ळब्धिष्यते तत कीदृशं आंग्ला: जातिवादम्, अस्पृश्यताम् बर्धवान् कीदृशं च् स्वार्थिनः भारतीय नेतारः स्व स्वार्थे यस्य राजनीतिकरणं कृतवन्तः !

1800-1947 तक अंग्रेजो के शासन रहा है, और यहीं से जातिवाद शुरू हुआ ! जो उन्होंने फूट डालो और राज करो नीति के तहत किया ! अंग्रेज अधिकारी निकोलस डार्क की किताब “कास्ट ऑफ माइंड” में मिल जाएगा कि कैसे अंग्रेजों ने जातिवाद, छुआछूत को बढ़ाया और कैसे स्वार्थी भारतीय नेताओं ने अपने स्वार्थ में इसका राजनीतिकरण किया !

येषां सहस्राणां वर्षाणां इतिहासे देशे बहवः विदेशिन: आगतवन्तः, याः भारतस्य सामाजिक स्थित्यां पुस्तकानि अलिखन्, यथा तत मेगस्थनीज: इंडिकालिखत्, फाहियान:, ह्यून सांग: अलबरूनी यथा च् बहवः ! कश्चितापि न अलिखन् तत अत्र कश्चितस्य शोषणम् भवति स्म !

इन हजारों सालों के इतिहास में देश में कई विदेशी आये, जिन्होंने भारत की सामाजिक स्थिति पर किताबें लिखी हैं, जैसे कि मेगस्थनीज ने इंडिका लिखी, फाहियान, ह्यून सांग और ‌अलबरूनी जैसे कई ! किसी ने भी नहीं लिखा कि यहां किसी का शोषण होता था !

योगी आदित्यनाथ यः ब्राह्मण: न सन्ति, गोरक्षपुर मंदिरस्य महंत: सन्ति, पिछड़ी जात्या: उमा भारती महामंडलेश्वर रमन्ति ! जन्माधृतं जातीय व्यवस्था हिंदुन् क्षीणायानीतवत् स्म ! अतएव भारतीय भूते गर्वम् कुर्वन्तु घृणायाः च्, द्वेषस्य भेदभावस्य च् षड्यंत्रतः स्वयमपि रक्षतु अन्यानपि रक्षन्तु !

योगी आदित्यनाथ जो ब्राह्मण नहीं हैं, गोरखपुर मंदिर के महंत हैं, पिछड़ी जाति की उमा भारती महामंडलेश्वर रही हैं ! जन्म आधारित जातीय व्यवस्था हिन्दुओं को कमजोर करने के लिए लाई गई थी ! इसलिए भारतीय होने पर गर्व करें और घृणा, द्वेष और भेदभाव के षड्यंत्र से खुद भी बचें और औरों को भी बचाएं !

लेख साभार:-अनिल सिंह जी

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