महान धावक: मिल्खा सिंह: यथैव शुक्रवासरम् रात्रि अंतिम श्वांस नीतः तदा संपूर्ण देश शोके अभवन् !
महान धावक मिल्खा सिंह ने जैसे ही शुक्रवार रात अंतिम सांस ली तो पूरा देश गम में डूब गया !
९१ वर्षस्य मिल्खा सिंह: केचन कालम् पूर्वैव कोरोनां पराजित: स्म तु पोस्ट कोरोना पीड़ायाः कारणेन तेन पुनः चंडीगढ़स्य पीजीआई चिकित्सालये सुश्रुषाम् हेतु नीतम् स्म !
91 साल के मिल्खा सिंह ने कुछ समय पहले ही कोरोना को मात थी लेकिन पोस्ट कोविड दिक्कतों की वजह से उन्हें फिर से चंडीगढ़़ के पीजीआई अस्पताल में भर्ती कराया गया था !
बुधवासरम् तस्य कोरोनानुसंधानं ऋणात्मक आगतः स्म तु पीड़ानि बर्धितं तेन च् रक्षणम् कर्तुम् न शक्नुतं ! मिल्खा सिंहस्य जीवन संघर्षयुक्तै: रमित: !
बुधवार को उनका कोरोना टेस्ट नेगेटिव आया था लेकिन दिक्कतें बढ़ते गई और उन्हें बचाया नहीं जा सका ! मिल्खा सिंह का जीवन संघर्षों से भरा रहा !
मिल्खा सिंहस्य जन्म विभाजन तः पूर्वम् २० नवंबर, १९२९ तमम् पकिस्ताने अभवत् स्म ! तदा तस्य ग्राम गोविंदपुर मुजफ्फरगढ़ जनपदे आगतः स्म !
मिल्खा सिंह का जन्म विभाजन से पहले 20 नवंबर, 1929 को पाकिस्तान में हुआ था ! तब उनका गांव गोविंदपुरा मुजफ्फरगढ़ जिले में पड़ता था !
राजपूत कुटुंबे जन्मलब्धक: मिल्खा सिंहस्य कुटुंबे मातु:-पितु: अतिरिक्त संपूर्ण १२ भ्रातरः- भागिन्य: आसन् ! तु देशस्य विभाजनस्य कालं तस्य कुटुंबम् यत् पीड़ा अभवत् तत बहु भयावहमासन् !
राजपूत परिवार में जन्म लेने वाले मिल्खा सिंह के परिवार में माता-पिता के अलावा कुल 12 भाई-बहन थे ! लेकिन देश के विभाजन के समय उनके परिवार ने जो त्रासदी झेली वो बेहद खौफनाक थी !
संपूर्ण कुटुंबं अस्य पीड़ायाः लक्ष्यम् अभवत् इति कालम् तस्याष्ट भ्रातरः-भागिन्य: पितरौ च् मृत्युस्य घट्टावतरितं स्म !
पूरा परिवार इस त्रासदी का शिकार हो गया और इस दौरान उनके आठ भाई-बहन और माता पिता को मौत के घाट उतार दिया गया था !
विभाजनस्य कालम् कश्चित प्रकारं मिल्खा सिंह कुटुंबस्य जीवितमन्य त्रय जनैः सह पलायित्वा भारतं प्राप्ताः ! भारत प्राप्तस्यानंतरम् मिल्खा सिंह: सैन्ये मेलनस्य निर्णयम् कृतवान १९५१ तमे च् सः सैन्ये सम्मिलित: !
विभाजन के दौरान किसी तरह मिल्खा सिंह परिवार के जिंदा बचे अन्य तीन लोगों के साथ भागकर भारत पहुंचे ! भारत पहुंचने के बाद मिल्खा सिंह ने सेना में शामिल होने का फैसला किया और 1951 में वह सेना में शामिल हो गए !
एकम् निर्णयम् तस्य संपूर्ण जीवनं परिवर्तित: स्म ! अस्यैव निर्णयस्य कारणं मिल्खा: शनैः- शनैः उत्थानं प्रति बर्धितः अंते च् भारतं ळब्धम् एकः महान धावक: !
एक फैसले ने उनकी पूरी जिंदगी बदली थी। इसी फैसले की बदौलत मिल्खा धीरे-धीरे ऊंचाइयों की तरफ बढ़ते गए और अंत में भारत को मिला एक महान धावक !
सः तदा प्रसिद्धिम् ळब्ध: यदा एके धावने सः ३९४ सैनिकान् पराजित: ! १९५८ तमे मिल्खा सिंह: कामनवेल्थ क्रीड़ायाम् प्रथम स्वर्ण पदकं जय: तदा स्वतंत्र भारतस्य प्रथम स्वर्ण पदकं आसीत् ! यस्यानंतरम् सः कदापि पश्च न दर्शितं !
उन्होंने तब सुर्खियां बंटोरी जब एक रेस में उन्होंने 394 सैनिकों को हरा दिया ! 1958 में मिल्खा सिंह ने कॉमनवेल्थ गेम्स पहला गोल्ड मेडल जीता जो आजाद भारत का पहला स्वर्ण पदक था ! इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा !
मिल्खा सिंह: १९५६ तमे मेलबर्न ओलंपिके, १९६० तमे रोम ओलंपिके १९६४ तमे टोक्यो ओलंपिके च् भारतस्य प्रतिनिधित्वं कृतवान !
मिल्खा सिंह ने 1956 में मेलबर्न ओलंपिक, 1960 में रोम ओलंपिक और 1964 में टोक्यो ओलंपिक में भारत की अगुवाई की !
१९६२ तमस्य जकार्ता एशियाई क्रीड़ाषु मिल्खा सिंह: ४०० मीटर ४ गुणित ४०० मीटर रिले धावने अपि च् भव्य प्रदर्शनं कृतमानः स्वर्ण पदकं ळब्ध: !
1962 के जकार्ता एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर और चार गुना 400 मीटर रिले दौड़ में भी शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक हासिल किया।
भविष्यस्यारम्भे अभ्यासाय मिल्खा: धावति धूमयानस्य पश्च धावनम् करोति स्म इति कालम् च् सः बहुधा आहत: अपि अभवत् स्म !
करियर की शुरूआत में अभ्यास के लिए मिल्खा चलती ट्रेन के पीछे दौड़ लगाते थे और इस दौरान वह कई बार चोटिल भी हुए थे।
मिल्खा: तदा लोकप्रिय: अभवत् तदा सः १९६० तमस्य ओलंपिक क्रीड़ाषु ४५.६ सेकंड इत्यस्य कालम् निःसृत्वा चतुर्थ स्थानम् ळब्ध: ! १९५९ तमे पद्मश्री इत्येन सम्मानितं अक्रियते स्म !
मिल्खा तब लोकप्रिय हुए जब उन्होंने 1960 के रोम ओलंपिक खेलों में 45.6 सेकंड का समय निकालकर चौथा स्थान हासिल किया ! 1959 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था !
मिल्खा सिंहस्य कुटुंबे त्र्याणि पुत्र्य: डॉ मोना सिंह, अलीजा ग्रोवर, सोनिया सांवल्का पुत्र जीव मिल्खा सिंह: च् सन्ति ! गोल्फर जीव: यत् चतुर्दशदायाः अंतरराष्ट्रीय विजेता सन्ति, सः अपि स्व पितु: इव पद्मश्री पुरस्कार विजेता सन्ति !
मिल्खा सिंह के परिवार में तीन बेटियां डॉ मोना सिंह, अलीजा ग्रोवर, सोनिया सांवल्का और बेटा जीव मिल्खा सिंह हैं ! गोल्फर जीव जो 14 बार के अंतरराष्ट्रीय विजेता हैं, वह भी अपने पिता की तरह पद्म श्री पुरस्कार विजेता हैं !