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परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पांडे:, एकः श्रेष्ठ योद्धा ! परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पांडे, एक श्रेष्ठ योद्धा !

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मनोज पांडे उत्तरप्रदेशे एनसीसी इतस्य सर्वश्रेष्ठ कैडेट घोषित: स्म ! एनडीए इतस्य साक्षात्कारे तेन अपृच्छत् स्म भवान् सैन्ये किमर्थं गच्छितुमेच्छति ? यस्मिन् मनोजस्योत्तरमासीत् परमवीर चक्रं जयतुम् !

मनोज पांडे उत्तर प्रदेश में NCC के सर्वश्रेष्ठ कैडेट घोषित किए गए थे ! NDA के इंटरव्यू में उनसे पूछा गया था आप सेना में क्यों जाना चाहते हो ? इस पर मनोज का जवाब था परमवीर चक्र जीतने के लिए !

कदा-कदा अस्य प्रकारम् कथितं वार्तानि सद् भवति ! न केवलं मनोज पांडे: एनडीए इत्ये निर्वाचितं अपितु सः देशस्य सर्वात् वृहद वीरता सम्मान परमवीर चक्रमपि जय: !

कभी-कभी इस तरह कहीं गई बातें सच हो जाती हैं ! ना सिर्फ मनोज पांडे NDA में चुने गए बल्कि उन्होंने देश का सबसे बड़ा वीरता सम्मान परमवीर चक्र भी जीता !

तं स्व मात्रा बहु प्रीति आसीत् ! यदा सः बहु लघु आसीत् तर्हि एकदा सा तेन स्वेण सह मेलके नीता ! तत मेलके भांति भांति प्रकारस्य वस्तुनि विक्रयति स्म तु लघु मनोजस्य सर्वात् अधिकम् ध्यानम् आकर्षित: काष्ठस्य एक: वेणु: !

उनको अपनी मां से बहुत प्यार था ! जब वो बहुत छोटे थे तो एक बार वो उन्हें अपने साथ मेले में ले गई ! उस मेले में तरह-तरह की चीजें बिक रही थी लेकिन नन्हें मनोज का सबसे अधिक ध्यान आकर्षित किया लकड़ी की एक बांसुरी ने !

सः स्व मात्रा तेन क्रयस्यानुग्रह कृतः तस्य मातु: प्रयत्नमासीत् सः कश्चितान्य क्रीडनकं क्रय: कुत्रचित तया भयमासीत् तत केचन दिवसानि अनंतरम् सः तेन क्षिपष्यति !

उन्होंने अपनी मां से उसे खरीदने की जिद की उनकी मां की कोशिश थी वह कोई और खिलौना खरीद लें क्योंकि उन्हें डर था कि कुछ दिनों बाद वह उसे फेंक देंगे !

यदा सः न मानित: तर्हि तस्य माता तत वेणु: क्रित्वा मनोजम् दत्त: ! तत वेणु: अग्रिम २२ वर्षमेव मनोज कुमार पांडेयस्य पार्श्व रमित: ! सः प्रतिदिनम् तेन निःसृत: केचन काळम् च् वादित्वा स्व वस्त्राणां पार्श्व ध्रीति स्म !

जब वह नहीं माने तो उनकी मां ने वह बांसुरी खरीद कर मनोज को दी ! वह बांसुरी अगले 22 साल तक मनोज कुमार पांडे के पास रही ! वह हर दिन उसे निकालते और थोड़ी देर बजाकर अपने कपड़ों के पास रख देते थे !

कारगिले यदा पकिस्तानी सैन्यम् गुलिका हननम् आरम्भितं स्म तर्हि सर्वात् महत्वपूर्ण खालोबार शिखरमाधिपत्यस्य लक्ष्यम् मनोज कुमार पांडेयम् दत्तम् !

कारगिल में जब पाकिस्तानी सेना ने गोलीबारी शुरू की थी तो सबसे महत्वपूर्ण खालोबार टॉप पर कब्जा करने का लक्ष्य मनोज कुमार पांडे को दिया गया !

इति नियोगे तेन सह कर्नल ललित राय: अपि आसीत् ! पकिस्तानी उत्सेधेषु आसीत् भारतीय सैन्यम् च् अधे आसीत् ! तत काळम् सैनिकानां मनोबलम् बर्धनाय जयस्य बहु आवश्यकतामासीत् !

इस मिशन में उनके साथ कर्नल ललित राय भी थे ! पाकिस्तानी ऊंचाइयों पर थे और भारतीय सैनिक नीचे थे ! उस समय सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए जीत की बहुत जरूरत थी !

खालोबार शिखरम् सामरिक रूपेण बहु महत्वपूर्णम् क्षेत्रमस्ति ! पकिस्तानी उत्सेधेण गुलिका हननम् करोति स्म ! एतेषु स्थितेषु मनोज: स्व दळम् गृहीत्वा पकिस्तानी बंकरेषु आक्रमणाय निःसृत: !

खालोबार टॉप सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण इलाका है ! पाकिस्तानी ऊंचाई से गोलियां चला रहे थे ! इन हालातों में मनोज अपनी प्लाटून लेकर पाकिस्तानी बंकरो पर धावा बोलने के लिए निकल गए !

मनोज: क्रमशः त्रय बंकराणि ध्वस्तं कृतः तु यदा चतुर्थ बंकरे ग्रेनेड क्षिपस्य प्रयत्नम् करोति स्म तर्हि तस्य बाम अंगे गुलिका घातिष्यति सः च् लहूलुहानं अभवत् !

मनोज ने एक एक कर तीन बंकर ध्वस्त किए लेकिन जब वो चौथे बंकर में ग्रेनेड फेंकने की कोशिश कर रहे थे तो उनके बाएं हिस्से में गोलियां लगी और वह लहूलुहान हो गए !

सः सृपितः सृपितः चतुर्थ बंकरस्य पार्श्व प्राप्त: तदैव तस्य बहु रक्तम् प्रवाहित: स्म सः उतिष्ठ्वा ग्रेनेड क्षिपस्य प्रयत्नम् कृत: तदा पकिस्तानिन: तेन दर्शितानि यन्त्रशतघ्नीतः चत्वारि गुलिका: तस्मिन् अहनत् !

वह रेंगते रेंगते चौथे बंकर के पास पहुंच गए तब तक उनका बहुत खून बह चुका था उन्होंने खड़े होकर ग्रेनेड फेंकने की कोशिश की तभी पाकिस्तानियों ने उन्हें देख लिया और मशीन गन से 4 गोलियां उन पर चलाई गई !

गुलिका मनोजस्य घातिष्यति सः भूमे अपतत् ! तु नशित: नशित: अपि सः कथित:, ना छोड़नू इति यस्यार्थम् भवति तान् न त्यागनम् !

गोली मनोज के लगी और वह जमीन पर गिर गए ! लेकिन मरते मरते भी उन्होंने कहा ना छोड़नू जिसका मतलब होता है उनको छोड़ना नहीं !

इति अद्वितीय वीरताय कैप्टन मनोज कुमार पांडेयं मरणोपरांत भारतस्य सर्वात् वृहद वीरता सम्मानम् परमवीर चक्रम् प्रदत्तम् ! इति अभियाने कर्नल ललित रायस्य पगे अपि गुलिका घातिष्यति तेन च् अपि वीर चक्रम् प्रदतम् !

इस अद्वितीय वीरता के लिए कैप्टन मनोज कुमार पांडे को मरणोपरांत भारत का सबसे बड़ा वीरता सम्मान परमवीर चक्र दिया गया ! इस अभियान में कर्नल ललित राय के पैर में भी गोली लगी और उन्हें भी वीर चक्र दिया गया !

कारगिल हुतात्मा सभी वीरों को trunicle परिवार की ओर से कोटिशः नमन !

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