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देशे अरभितुं भविष्यति यूसीसी, विधि आयोगम् याचित: जनानां मतम् ! देश में लागू होगा UCC, विधि आयोग ने माँगी जनता की राय !

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समान नागरिक संहिताम् गृहीत्वा विध्यायोगम् एकदा पुनः जनै: मतानि याचितुमरभत् ! यानि गृहीत्वा देशस्य प्रबुद्ध: जनै: तथा सर्वाणां धर्माणां मान्यता ळब्ध प्रमुख धार्मिक संगठनै: तेषां मतानि याचितमस्ति !

समान नागरिक संहिता को लेकर विधि आयोग एक बार फिर से लोगों सेे रायशुमारी शुरू कर दी है ! इसको लेकर देश के प्रबुद्ध लोगों तथा सभी धर्मों के मान्यता प्राप्त प्रमुख धार्मिक संगठनों से उनकी राय माँगी है !

विध्यायोगम् बुधवासरम् (१४ जून २०२३) अकथयत् तत द्वयविंशतानि विध्यायोगम् समान नागरिक संहिताम् प्रति मान्यता ळब्ध धार्मिक संगठनाणां विचाराणि ज्ञातुं पुनः निर्णयं नयवान् ! आयोगमकथयत् तत यान् जनान् यस्मिन् रुचि: स्व मतानि च् दत्तुं इच्छन्ति ते मतानि दत्तुं शक्नोन्ति !

विधि आयोग ने बुधवार (14 जून 2023) को कहा कि 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के बारे में मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के विचारों को जानने के लिए फिर से निर्णय लिया ! आयोग ने कहा कि जिन लोगों को इसमें रुचि है और अपनी राय देना चाहते हैं, वे राय दे सकते हैं !

विध्यायोगमकथयत् तत याः स्व मतानि धृतुं इच्छन्ति तत ते सूचनापत्रम् निर्गतस्य दिनांकस्य ३० दिवसानां अभ्यांतरम् यस्मात् संबंधित लिंक इत्यां कृत्वा स्व मतानि प्रेषितुं शक्नोन्ति ! यस्य अतिरिक्तं, भारतसर्वकारस्य विध्यायोगम् Membersecretary-lci@gov.in इत्यां ईमेल इत्या माध्यमेनापि मतानि प्रेषितुं शक्नोन्ति !

विधि आयोग ने कहा कि जो लोग अपनी राय रखना चाहते हैं कि वे नोटिस जारी करने की तारीख के 30 दिनों के भीतर इससे संबंधित लिंक पर करके अपनी राय भेज सकते हैं ! इसके अलावा, भारत सरकार के विधि आयोग को Membersecretary-lci@gov.in पर ईमेल द्वारा भी राय भेज सकते हैं !

विधि समुहमग्रमकथयत्, आरंभे भारतस्य द्वय विंशतानि विध्यायोगं समान नागरिक संहितायां विषयस्यानुसंधानम् कृतमासीत् ७ अक्टूबर २०१६ तमम् च् एकम् प्रश्नावली दतमासीत् ! येन सहैव, १९ मार्च २०१८ एवं २७ मार्च २०१८ १० अप्रैल २०१८ च् तमानां सार्वजनिक सूचना पत्रम् दत्वा सर्वान् हितधारकान् स्वविचारधृतस्य अनुरोधम् कृतवत् स्म !

कानूनी पैनल ने आगे कहा, शुरुआत में भारत के 21वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर विषय की जाँच की थी और 7 अक्टूबर 2016 को एक प्रश्नावली दी थी ! इसके साथ ही, 19 मार्च 2018 एवं 27 मार्च 2018 और 10 अप्रैल 2018 की सार्वजनिक अपील/नोटिस देकर सभी हितधारकों को अपने विचार रखने का अनुरोध किया था !

विध्यायोगम् स्वकथने अकथयत् तत अस्मिन् याचनायां जनै: तेन वृहत् प्रतिक्रियाम् ळब्धम् आसीत् ! यस्यानंतरं द्वयविंशतानि विध्यायोगम् ३१ अगस्त २०१८ तमम् कुटुंबी विध्यां संशोधने परामर्शपत्रम् निर्गत कृतवत् स्म !

विधि आयोग ने अपने बयान में कहा कि इस अपील पर लोगों से उसे भारी प्रतिक्रिया मिली थी ! इसके बाद 21वें विधि आयोग ने 31 अगस्त 2018 को पारिवारिक कानून में सुधार पर परामर्श पत्र जारी किया थी !

समुहमकथयत् तत चूंकि परामर्शपत्रम् निर्गत् त्रिभिः वर्षभिः अधिकं काळम् विगतवत् ! इदृशे विषयस्य प्रासंगिकताम् महत्वम् च् हृदयांगम् कृतन् तथा यस्मिन् विषये विभिन्न न्यायालयी आज्ञा: ध्याने धारयत् भारतस्य द्वयविंशतानि आयोगम् यस्मिन् पहल कर्तुमावश्यकी अवगम्यत् !

पैनल ने कहा कि चूंकि परामर्श पत्र जारी किए हुए तीन साल से अधिक समय बीत चुका है ! ऐसे में विषय की प्रासंगिकता और महत्व को ध्यान में रखते हुए तथा इस विषय पर विभिन्न अदालती आदेशों को ध्यान में रखते हुए भारत के 22वें विधि आयोग ने इस पर पहल करना जरूरी समझा !

समान नागरिक संहितैकं इदृशं विधिम्, यत् देशस्य प्रत्येके समुदाये समानरूपमरभितुं भवति ! जनः किंन कश्चितापि धर्मस्यासि, जात्या: असि पंथस्यासि वा, सर्वेभ्यः एकमेव विधिम् भविष्यन्ति !

समान नागरिक संहिता एक ऐसा कानून है, जो देश के हर समुदाय पर समान रूप लागू होता है ! व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म का हो, जाति का हो या पंथ का हो, सबके लिए एक ही कानून होगा !

आंग्ला: आपराधिकेण राजस्वेण च् संलग्नत् विधि: भारतीय दंड संहिता १८६०, भारतीय साक्ष्याधिनियम १८७२, भारतीयानुबंध अधिनियम १८७२, विशिष्ट राहत अधिनियम १८७७ इत्यादयः माध्यमेण सर्वेषु समुदायेषु अरभत् !

अंग्रेजों ने आपराधिक और राजस्व से जुड़े कानूनों को भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860, भारतीय साक्ष्य अधिनियम (IEA) 1872, भारतीय अनुबंध अधिनियम (ICA) 1872, विशिष्ट राहत अधिनियम 1877 आदि के माध्यम से सारे समुदायों पर लागू किया !

तु पाणिग्रहण, विवाह विच्छेदे, उत्तराधिकारे, संपत्ति, दत्तक ग्रहण इत्यादभि: संलग्नानि प्रकरणान् धार्मिक समुहेभ्यः तेषां मान्यताणां आधारे त्यजितम् ! स्वतंत्रतायाः अनंतरम् देशस्य प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू हिन्दुनां पर्सनल लॉ इतम् संपादितवान्, तु मुस्लिमानां विधिम् यथावत् निर्मितुं धृतवान् !

लेकिन शादी-विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, संपत्ति, गोद लेने आदि से जुड़े मसलों को धार्मिक समूहों के लिए उनकी मान्यताओं के आधार पर छोड़ दिया ! आजादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने हिंदुओं के पर्सनल लॉ को खत्म कर दिया, लेकिन मुस्लिमों के कानून को ज्यों का त्यों बनाए रखा !

हिन्दुनां धार्मिक प्रथानामनुरूपम् निर्गत विधि: निरस्त्य हिंदू कोड विधेयकेण हिंदू विवाह अधिनियम १९५५, हिंदूत्तराधिकार अधिनियम १९५६, हिंदू अवयस्क एवं अभिभावक अधिनियम १९५६, हिंदू दत्तक ग्रहणम् रखरखाव अधिनियम च् १९५६ अरभन् !

हिंदुओं की धार्मिक प्रथाओं के तहत जारी कानूनों को निरस्त कर हिंदू कोड बिल के जरिए हिंदू विवाह अधिनियम 1955, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956, हिंदू नाबालिग एवं अभिभावक अधिनियम 1956, हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम 1956 लागू कर दिया गया !

इदम् विधि हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख इत्यादयेषु समरूपेणारभ्यन्ति ! मुस्लिमानां विधि पर्सनल विधि (शरिया), १९३७ तमस्यानुरूपम् संचालयति ! यस्मिन् मुस्लिमानां निकाह, तलाक, भरण-पोषण, उत्तराधिकार, संपत्त्या: अधिकारम्, दत्तक ग्रहण इत्यादयः आगच्छति !

ये कानून हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख आदि पर समान रूप से लागू होते हैं ! मुस्लिमों का कानून पर्सनल कानून (शरिया), 1937 के तहत संचालित होता है ! इसमें मुस्लिमों के निकाह, तलाक, भरण-पोषण, उत्तराधिकार, संपत्ति का अधिकार, बच्चा गोद लेना आदि आता है !

यत् इस्लामी शरिया विध्या: अनुरूपम् संचालितं भवति ! यदि समान नागरिक संहितारभति तु मुस्लिमानां निम्नवत् विधि परिवर्तिष्यते ! संपूर्ण देशे समान नागरिक संहितामरभस्य याचना दशकै: भवति ! तु देशे गोवा एकल इदृशं राज्यं अस्ति यत्र समान नागरिक संहिता चलति !

जो इस्लामी शरिया कानून के तहत संचालित होते हैं ! अगर समान नागरिक संहिता लागू होता है तो मुस्लिमों के निम्नलिखित कानून बदल जाएँगे ! देश भर में समान नागरिक संहिता को लागू करने की माँग दशकों से हो रही है ! लेकिन देश में गोवा अकेला ऐसा राज्य है जहाँ समान नागरिक संहिता लागू है !

गोवायां वर्षे १९६२ तमे इदम् विधि अरभत् स्म ! वर्षे १९६१ तमे गोवायाः भारते विलयस्यानंतरम् भारतीय संसदम् गोवायां पुर्तगाल सिविल कोड १८६७ तममरभस्य प्रावधान कृतवत् स्म ! तस्य अनुरूपम् गोवायां समान नागरिक संहितारभत् तदातः च् राज्ये इदम् विधि चलति !

गोवा में वर्ष 1962 में यह कानून लागू किया गया था ! साल 1961 में गोवा के भारत में विलय के बाद भारतीय संसद ने गोवा में पुर्तगाल सिविल कोड 1867 को लागू करने का प्रावधान किया था ! इसके तहत गोवा में समान नागरिक संहिता लागू हो गई और तब से राज्य में यह कानून लागू है !

पूर्वदिवसानि गोवायां चलति यूनिफॉर्म सिविल कोड इत्या: प्रशंसा सर्वोच्च न्यायालयस्य जस्टिस एस ए बोबडे अपि कृतरासीत् ! सीजेआई अकथयत् स्म तत गोवाया: पार्श्व पूर्वतः एव ततस्ति, यस्म कल्पना संविधान निर्माता: पूर्ण देशाय कृतरासन् !

पिछले दिनों गोवा में लागू यूनिफॉर्म सिविल कोड की तारीफ सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस ए बोबड़े ने भी की थी ! सीजेआई ने कहा था कि गोवा के पास पहले से ही वह है, जिसकी कल्पना संविधान निर्माताओं ने पूरे देश के लिए की थी !

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