श्रीलंकायां अराजकतायाः कारणम् कश्चित राजनीतिक रणम् नास्ति अपितु पूर्ण क्रीडार्थिक न्युनतायाः अस्ति ! तत्रस्य सर्वकारस्यासाधु नीतीनां कारणेन स्थित्य: असाधु अभवन् ! सम्प्रति यस्मात् मोदी महोदयस्यानृतता कुत्रास्ति सः च्च कीदृशं दोषी अभवत् !
श्रीलंका में अराजकता की वजह कोई राजनीतिक लड़ाई नहीं है बल्कि पूरा खेल आर्थिक तंगी का है ! वहां की सरकार की गलत नीतियों की वजह से स्थितियां बदतर हुई हैं ! अब इससे मोदी जी की गलती कहां है और वह कैसे दोषी हो गए ?
श्रीलंकानाधिकृत समाजवादस्य, कुटुंबवादस्य निःशुल्क च् वितरितम् मॉडल इत्या: कारणेन क्षति ग्रस्तम् अभवत् ! भारते केचन वामपंथी सततं अनाधिकृतं समजवादस्य मृदंग वाद्यन् केचन विशेष जनानां विकासे ध्यानम् ददान्ति !
श्रीलंका फर्जी समाजवाद, परिवारवाद और फ्री बांटो मॉडल की वजह से बर्बाद हुआ है ! भारत में कुछ वामपंथी लगातार फर्जी समाजवाद का ढोल पीटते हुये कुछ खास लोगों के विकास पर ध्यान दे रहे हैं !
देशस्य बहुषु राज्येषु जनान् निःशुल्क वस्तुनां नामनि लुभ्यते यत् एकम् भयावह स्थितिमस्ति ! येषु राज्येषु जनान् निःशुल्कस्य-निःशुल्कस्य वस्तूनि प्रदायते, तत राज्ये ऋण बर्धते तत्रस्य चर्थव्यवस्था शून्यम् भवति !
देश के कई राज्यों में जनता को मुफ्त चीजों के नाम पर लुभाया जा रहा है जोकि एक खतरनाक स्थिति है ! जिन राज्यों में जनता को फ्री-फ्री का पाजामा पहनाया जा रहा है, उस राज्य पर कर्ज बढ़ता जा रहा है और वहां की अर्थव्यवस्था खोखली होती जा रही है !
वामपंथिन: लिबरल समूहस्य च् स्थितिमिदमस्ति तत एकं इंच अपि भवान् तेषां वैचारिक दृष्ट्या बाह्य अभवत् भवतम् च् समुहम् निस्सरणं लब्धुं शक्नोति ! इदम् हास्यास्पदमस्ति तत इमे तदा कुत्र गच्छन्ति स्म यदा एकस्य चैनल विशेषस्य संपादक कक्षे तिष्ठ्वा मंत्रिपरिषदम् निश्चितं भवति स्म !
वामपंथी और लिबरल गुट की हालत यह है कि एक इंच भी आप उनकी वैचारिक दृष्टि से बाहर हुये और आपको गुट निकाला मिल सकता है ! यह हास्यापद है कि ये लोग तब कहां चले जाते थे जब एक चैनल विशेष के संपादक कक्ष में बैठकर मंत्रिपरिषद तय होती थी !
इदम् तदा कुत्र गच्छते यदा देशे गोलमालानां प्लावनं आगतुं भवति स्म ! इमे तैव वामपंथिनः सन्ति यत् तदापि आलोच्यते स्म यदा देशम् कोरोनायाः विभीषिकाया रणति स्म ! एकः वामपंथिन् तर्हि, अत्रैवाकथयत् ततैकेण नैतिक रूपेण भ्रष्ट देशे विषाणो: हन्तुं अवशेषितमेव कास्ति ?
यह तब कहां चले जाते थे जब देश में घोटालों की बाढ़ आयी होती थी ! ये वही वामपंथी हैं जो तब भी आलोचना कर रहे थे जब देश कोरोना की विभीषिका से जूझ रहा था ! एक वामपंथी ने तो, यहां तक कहा कि एक नैतिक रूप से भ्रष्ट देश में वायरस को मारने के लिये बचा ही क्या है ?
उदरनीतिकानां दृष्टे तेषां संरक्षकान् सत्ताया बाह्य कृत्वा इदम् राष्ट्रम् नैतिक रूपेण भ्रष्टम् भवितं इति पातकस्य च् दंडम् भारतं मेलनीयं ! देशस्य दुर्गति श्रीलंकायाः इव भवनीयं, देशम् ज्वलनीयं ! यस्य सर्वात् वृहत् दुखम् इदमस्ति तत श्रीलंकामिव स्थितिं भारते किं नाभवत् !
लिबरलों की नजर में उनके संरक्षकों को सत्ता से बाहर करके यह राष्ट्र नैतिक रूप से भ्रष्ट हो चुका है और इस पाप की सजा भारत को मिलनी ही चाहिये ! देश की दुर्गति श्रीलंका की तरह होनी ही चाहिये, देश को जलना ही चाहिये ! इनका सबसे बड़ा दुख यह है कि श्रीलंका वाली स्थिति भारत में क्यों नहीं हुई !
यान् एकं आशाम् इवासीत् तत कांग्रेसम् २०१९ तमे पुनरागमिष्यति तर्हि तेषां विषेधाधिकारम् तान् पुनः लब्धिष्यन्ति, येन कारणेन ते २०१४ तः २०१९ तमेव देशम् दग्धस्य प्रयत्नमपि कृतवान तु हस्ते केचन ळब्धवान सम्प्रति च् तर्हि अंधकारमिवागतवान !
इनको एक उम्मीद सी थी कि कांग्रेस 2019 में लौटेगी तो उनके विशेषाधिकार उनको फिर से मिल जायेंगे, इसी कारण से उन्होंने 2014 से 2019 तक देश को जलाने की कोशिश भी की पर हाथ कुछ नहीं लगा और अब तो अंधेरा सा छा गया है !
प्रातः उत्थीतमेव यस्येच्छाम् भवति तत कुत्रैवापि केचनानृतं भवेत् कच्चित महामारिम्, आतंकी घातं, हननम् केचनापि असि, तु अभवत् अवश्यं ! केवलं भारतं ज्वलनीयं ! महामारिम् देशम् यदा निर्वहितं तर्हि येषां आत्मा चीत्कारम् कृतवान !
सुबह उठते ही इनकी यही इच्छा होती है कि कहीं भी कुछ गलत हो जाये चाहे महामारी, आतंकवादी हमला, हत्या कुछ भी हो, पर हो जरूर ! बस भारत जलना चाहिये। महामारी को देश ने जब संभाल लिया तो उनकी आत्मा चीत्कार कर उठी।
शवसानानां चित्राणि नीतं, ड्रोन इति उड्डीतं कुत्रचित चित्राणि अधिकं स्पष्टमागतुं शक्नुतं ! स्वदेशस्य डाटा इमे जनाः वास्तविक न मानितवान तु यदि कश्चित वैदेशिक राष्ट्रम् भारतं प्रति केचनानृतं कथ्येत् तर्हि इमे सप्तदिवसं तत स्वरे नृत्यं कुर्वन्ति ! भारत युक्रेनस्य प्रकरणे तटस्थं रमितवान तर्हि यं प्रति अपि तेन दुष्प्रचारम् कृतवान !
श्मशानों की फोटो ली गई, ड्रोन उड़ाये गये ताकि पिक्चर ज्यादा स्पष्ट आ सकें ! अपने देश के डाटा को ये लोग वास्तविक नहीं मानते परंतु अगर कोई विदेशी राष्ट्र भारत के बारे में कुछ गलत कह दे तो ये लोग हफ्ता भर उस धुन पर नृत्य करते हैं ! भारत यूक्रेन के मसले पर तटस्थ रहा तो इसके बारे में भी उन्होंने दुष्प्रचार किया !
वास्तविक भारतं येषां यदा विरोधम् करोति तर्हि इमे पिड्यन्ति कुत्रचित ये तर्हि तै: प्रजा इति अवगम्यिताः ! येषां इच्छामस्ति तत इदम् भारतस्य प्रधानमंत्री वासमपि किं न ज्वलति, मोदी किं न पलायिते ! येषां अभ्यांतरस्य कुंठा रूपिन् अग्नि इव यान् एकं दिवसं दग्धिष्यते !
वास्तविक भारत इनका जब विरोध करता है तो ये बिलबिला उठते हैं क्योंकि इन्होंने तो उन्हें प्रजा समझा था ! इनकी चाहत है कि यह भारत का प्रधानमंत्री निवास भी क्यों नहीं जल जाता है, मोदी भाग क्यों नहीं जाते है ! इनकी यह अन्दर की कुंठा रूपी आग ही इनको एक दिन भस्म कर देगी !